Author : Shoba Suri

Expert Speak Health Express
Published on Oct 16, 2025 Updated 1 Hours ago

विश्व खाद्य दिवस 2025 इस बात पर ध्यान दिलाता है कि नीति-निर्माताओं, किसानों, कारोबारियों, शोधकर्ताओं और आम लोगों को मिलकर “बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य” के लिए काम करना चाहिए.

...ताकि कोई थाली रहे ना खाली

Image Source: Getty Images

क्या आपने कभी सोचा है कि जब दुनिया में खाना पर्याप्त है तो करोड़ों लोग भूखे क्यों सोते हैं? विश्व खाद्य दिवस 2025 सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि एक जागरूकता की दस्तक है. खास तौर पर इस साल, जब FAO अपनी 80 वर्षों की भूख मिटाने की यात्रा मना रहा है. यह दिन हमें याद दिला रहा है कि अब बदलाव अकेले नहीं बल्कि साथ मिलकर लाना होगा ताकि हर किसी की थाली में सम्मान के साथ भोजन हो. नीतियों को बनाने के साथ-साथ उन्हें धरातल पर लाना होगा जिससे विनाशकारी भूख को मिटाने का सपना मुकम्मल हो.

‘बेहतर खाद्य और बेहतर भविष्य के लिए सबका साथ’ (Hand in Hand for Better Foods and a Better Future). यह थीम FAO की हैंड-इन-हैंड पहल को सामने लाती है जो दुनिया भर में सरकार, किसानों, व्यवसायों और समुदायों को एक साथ लाकर खाद्य प्रणालियों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है.

इस साल की थीम है —
‘बेहतर खाद्य और बेहतर भविष्य के लिए सबका साथ’ (Hand in Hand for Better Foods and a Better Future). यह थीम FAO की हैंड-इन-हैंड पहल को सामने लाती है जो दुनिया भर में सरकार, किसानों, व्यवसायों और समुदायों को एक साथ लाकर खाद्य प्रणालियों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है.

हालिया स्थिति

हालांकि दुनिया में 8.2 अरब लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन होता है फिर भी 2024 में 67.3 करोड़ लोगों को किसी न किसी समय भूख का सामना करना पड़ा. प्रगति असमान रही है; अफ्रीका और पश्चिमी एशिया की स्थिति चिंताजनक है. वहीं गाजा, सूडान और हैती जैसे क्षेत्रों में 19 लाख लोग विनाशकारी भूख का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर, 73.3 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हैं जबकि 2.8 अरब लोग बढ़ती कीमतों और महंगाई के कारण स्वस्थ आहार नहीं ले पा रहे हैं.

2019 में शुरू की गई यह पहल अब तक अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व के 80 देशों में काम कर रही है. यह महिलाओं और युवाओं को टिकाऊ खेती से जोड़ रही है, कटाई के बाद की बर्बादी को कम कर रही है और स्थानीय बाजारों तक पहुंच बना रही है.

गौरतलब है कि कृषि-खाद्य प्रणालियाँ जो 1 अरब लोगों को आजीविका देती हैं, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा हैं. बता दें, जलवायु परिवर्तन पहले ही दक्षिण एशिया में फसल उत्पादन को प्रभावित कर चुका है जिससे उपज में गिरावट, बुआई और कटाई के समय में बदलाव और कीटों की घटनाओं की संवेदनशीलता बढ़ी है. उधर, यूक्रेन संकट ने स्थिति को और बदतर कर दिया जिससे खाद्य कीमतों में 14% की बढ़ोतरी हुई और 7.1 करोड़ अतिरिक्त लोग गरीबी में चले गए.

 

क्या है हैंड-इन-हैंड पहल

FAO की हैंड-इन-हैंड पहल का लक्ष्य है:

  • गरीबी उन्मूलन (SDG 1)
  • भूख और कुपोषण समाप्त करना (SDG 2)
  • असमानता घटाना (SDG 10)
  • जलवायु अनुकूलता बढ़ाना

2019 में शुरू की गई यह पहल अब तक अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व के 80 देशों में काम कर रही है. यह महिलाओं और युवाओं को टिकाऊ खेती से जोड़ रही है, कटाई के बाद की बर्बादी को कम कर रही है और स्थानीय बाजारों तक पहुंच बना रही है.

सतत समाधान 

सतत कृषि पद्धतियां खाद्य प्रणालियों पर विचार के लिए एक संभावना प्रस्तुत करती हैं. उदाहरण के लिए, पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) मिट्टी की सेहत और जैव विविधता को सुधारती है, उपज बढ़ाती है और उत्सर्जन घटाती है.

हालांकि, टिकाऊ खाद्य प्रणालियाँ केवल तकनीक से नहीं बनतीं बल्कि प्रभावी शासन की भी जरूरत होती है.

2024 की एक समीक्षा, जिसमें 34 शासन मॉडल का अध्ययन किया गया, बताती है कि जन-सहभागिता और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के संयोजन वाले मॉडल—जो "पॉलीसेंट्रिक" (अनेकों केंद्रों वाले) कहे जाते हैं, अधिक प्रभावी समाधान देते हैं. ऐसे मॉडल महामारी और बाढ़ जैसी आपात स्थितियों के प्रति खाद्य प्रणालियों की लचीलापन क्षमता को बढ़ाते हैं.

2024 की एक समीक्षा, जिसमें 34 शासन मॉडल का अध्ययन किया गया, बताती है कि जन-सहभागिता और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के संयोजन वाले मॉडल—जो "पॉलीसेंट्रिक" (अनेकों केंद्रों वाले) कहे जाते हैं, अधिक प्रभावी समाधान देते हैं. ऐसे मॉडल महामारी और बाढ़ जैसी आपात स्थितियों के प्रति खाद्य प्रणालियों की लचीलापन क्षमता को बढ़ाते हैं.

500 से अधिक अध्ययनों की समीक्षा से यह पता चला कि 2020 के बाद, डिजिटल ट्रेसेब्लिटी और सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियों पर ध्यान तेजी से बढ़ा है. उदाहरण के लिए, ब्लॉकचेन तकनीक पारदर्शिता को सुधार रही है जिससे भोजन की बर्बादी कम हो रही है. इसी के साथ, कृषि के उप-उत्पादों को पशु आहार या बायो-एनर्जी में पुनः उपयोग किया जा रहा है.
फिर भी, इन नवाचारों का अधिकांश हिस्सा धनी देशों में केंद्रित है जबकि वैश्विक भूख का 80% बोझ ग्लोबल साउथ पर है.

सिस्टम थिंकिंग पर जोर

ताजा अध्ययनों से पता चलता है कि सिस्टम-थिंकिंग (प्रणाली-आधारित सोच) और सह-निर्माण (co-creation) समान खाद्य प्रणालियों के लिए जरूरी हैं. 2025 में "Frontiers in Sustainable Food Systems" में प्रकाशित एक अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि खाद्य प्रणालियों के विभिन्न घटकों के बीच संबंधों को समझने के लिए दृश्य मानचित्रण सहायक है जिससे परिवर्तन के प्रभावी बिंदु (leverage points) पहचाने जा सकते हैं जैसे कृषि पारिस्थितिकी बदलाव जो जैव विविधता और पोषण को बढ़ावा देते हैं.

इसके अलावा, मूल्य-साझा करने वाली भागीदारी (value-sharing partnerships) जैसे फेयर ट्रेड प्रीमियम मॉडल किसानों की आय में वृद्धि करते हैं.

भविष्य की राह

वैश्विक प्रमाण, शोध और अनुभव सभी यही बताते हैं कि साझा प्रयास अगर सही दिशा में हों तो 2030 तक भूख को आधा किया जा सकता है और SDG 2 (भूखमुक्त दुनिया) की दिशा में ठोस प्रगति की जा सकती है. विश्व खाद्य दिवस 2025 इस बात पर जोर देता है कि नीति-निर्माता, व्यवसाय, किसान, शोधकर्ता और नागरिक एक साथ मिलकर "बेहतर खाद्य और बेहतर भविष्य" के लिए प्रयास करें.


शोभा सूरी ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में हेल्थ इनिशिएटिव की सीनियर फेलो हैं.

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