Published on Aug 09, 2023 Updated 0 Hours ago

सेनेगल के राष्ट्रपति का तीसरे कार्यकाल के लिए कोशिश न करना, जश्न मनाने वाली बात है. और, उनका ये फ़ैसला पश्चिमी अफ्रीका समेत पूरे महाद्वीप के लिए लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने का प्रेरणास्रोत बन सकता है.

सेनेगल के लोकतंत्र का निर्णायक मोड़

3 जुलाई 2023 को अपने रुख़ में अप्रत्याशित बदलाव लाते हुए सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल ने ऐलान  किया कि वो तीसरे कार्यकाल के लिए कोशिश नहीं करेंगे. मैकी साल को असल में तो 25 जून को राष्ट्र को संबोधित करना था. मगर, सेनेगल के राष्ट्रपति ने उस दिन अपने इस ऐलान  को टाल दिया और इस महत्वपूर्ण घोषणा के लिए एक पवित्र दिन का चुनाव किया. उन्होंने मुस्लिम त्यौहार ईद उल अजहा या बकरीद के अगले दिन अपने राजनीतिक फ़ैसले का एलान किया, जिसे आम तौर पर ख़ुशख़बरी से जोड़कर देखा जाता है. राष्ट्रपति की इस घोषणा के पहले, सेनेगल के सुप्रीम कोर्ट ने ऐलान  किया था कि अगर मैकी साल तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो इसमें क़ानूनी रूप से कुछ ग़लत नहीं होगा. आख़िरी बात ये कि मैकी साल के समर्थक भी इस बात के लिए पूरी तरह तैयार थे कि वो अपने नेता को तीसरी बार राष्ट्रपति बनवा सकें.

अगर मैकी साल तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो इसमें क़ानूनी रूप से कुछ ग़लत नहीं होगा. आख़िरी बात ये कि मैकी साल के समर्थक भी इस बात के लिए पूरी तरह तैयार थे कि वो अपने नेता को तीसरी बार राष्ट्रपति बनवा सकें.

इसी वजह से मैकी साल की घोषणा सुनकर उनके कट्टर समर्थकों समेत बहुत से लोग हैरान रह गए थे. उन्होंने ज़बरदस्त नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, राष्ट्रपति बने रहने को लेकर अपनी इच्छा जो जताई थी. लेकिन, एक तरह से मैकी साल का ये चुनाव एक मिसाल की तरह है. क्योंकि, इस वजह से सेनेगल के लोकतंत्र के लिए एक चमकदार लम्हा मिला. ख़ास तौर से जब हम एक महीने तक जारी हिंसक  प्रदर्शनों को देखते हैं, जिनकी वजह से सेनेगल क़रीब क़रीब गृह युद्ध के मुहाने पर पहुंच गया था.

मैकी साल की घोषणा से बस एक महीने पहले जून में सेनेगल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. वैसे तो इन विरोध प्रदर्शनों की वजह लोकप्रिय विपक्षी नेता ओउस्माने सोनको को एक आपराधिक मामले में सज़ा होना माना जा रहा था. लेकिन, विरोध प्रदर्शनों का मुख्य मक़सद राष्ट्रपति को तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने के लिए बाध्य करना था. 61 साल के मैकी साल 2012 में सात साल के लिए राष्ट्रपति चुने गए थे. और उसके बाद, संविधान में बदलाव करके 2019 में वो फिर से पांच साल के लिए राष्ट्रपति बन गए थे. संविधान में किसी व्यक्ति के दो बार से ज़्यादा राष्ट्रपति बनने पर पाबंदी है. हालांकि, 2019 के चुनाव के बाद जब मीडिया ने मैकी साल से, 2024 की योजना के बारे में सवाल किया था, तो उन्होंने कहा था, ‘नी ओउई, नी नॉन’ (यानी न हां, न नहीं). वो इस सवाल का जवाब देने से बचते रहे थे कि 2019 में उनकी जीत उनका आख़िरी कार्यकाल होगी या नहीं.

अब सवाल ये है कि, मैकी साल का एलान भले ही तारीफ़ के क़ाबिल हो, मगर क्या उन्होंने इसका ऐलान  करने में देर कर दी? क्योंकि, इससे देश को पहले ही काफ़ी आर्थिक और मानवीय क्षति हो चुकी है. सच तो ये है कि जून में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग घायल हो गए थे और दो सुरक्षाकर्मियों समेत कम से कम 16 लोगों की जान चली गई थी. इसके अलावा, बड़े पैमाने पर यौन हमलों के भी आरोप लगे थे, क्योंकि महिलाओं के प्रति यौन हिंसा के बहुत सी शिकायतें सामने आई थीं.

इस बीच, पुलिस ने लगभग 500 लोगों को हिरासत में ले लिया था, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. बाद में हिंसा पर क़ाबू पाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पाबंदियां लगा दी गई थीं और देश के प्रमुख रास्तों पर नाकेबंदी कर दी गई थी. राजधानी डकार में पुलिस ने दावा किया था कि प्रदर्शनकारियों ने बैरीकेड लगा दिए थे. प्रमुख सड़कों पर आवाजाही रोक दी थी. सार्वजनिक और निजी संपत्ति के साथ तोड़-फोड़ और लूटपाट  की थी. और, अधिकारियों पर पथराव किया था, जिसकी वजह से उन्हें आंसू गैस के गोले दाग़ने पड़े थे.

सेनेगल का आदर्श लोकतंत्र

पश्चिमी अफ्रीका के क्षेत्र में, जहां राष्ट्रपतियों द्वारा सत्ता से चिपके रहने और फिर तख़्तापलट के ज़रिए उन्हें हटाने की बातें आम हैं. वहीं पर सेनेगल को लंबे समय से राजनीतिक बहुलवाद के मॉडल के तौर पर पेश किया जाता रहा है. ये बहुलवाद, इस बात से भी ज़ाहिर होता है कि देश में लगभग 300 सियासी दल हैं. हालांकि, उनमें से ज़्यादातर केवल काग़ज़ पर ही नज़र आती हैं. 1.7 करोड़ आबादी वाले सेनेगल में मुसलमानों का बहुमत है. सेनेगल लोकतंत्र और स्थिरता की शानदार मिसाल है. ऐसे में इस बात पर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि पश्चिमी देश, सेनेगल को एक साझीदार के तौर पर खुलकर अपनाते हैं. मिसाल के तौर पर प्रवासियों को कैनेरी द्वीप समूह तक पहुंचने से रोकने में वो सेनेगल की मदद लेते हैं. ये द्वीप समूह, स्पेन और यूरोपीय संघ का हिस्सा हैं. स्पेन ने डकार में अपने सैकड़ों सैनिक तैनात कर रखे हैं. सेनेगल के लोकतंत्र की स्थिरता ने कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों से तारीफ़ और इनाम बटोरे हैं. ये इनाम विकास में सहायता और राजकीय दौरों की शक्ल में दिखते रहे हैं. चीन के लिए सेनेगल एक भरोसेमंद व्यापारिक साझीदार है.

सेनेगल के लोकतंत्र की स्थिरता ने कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों से तारीफ़ और इनाम बटोरे हैं. ये इनाम विकास में सहायता और राजकीय दौरों की शक्ल में दिखते रहे हैं. चीन के लिए सेनेगल एक भरोसेमंद व्यापारिक साझीदार है.

सेनेगल में हाल के दिनों की उथल-पुथल के दोनों ही, यानी सामाजिक-आर्थिक और सियासी कारण रहे हैं. सेनेगल के बहुत से नागरिकों के लिए महामारी का असर अभी भी बना हुआ है, और उनके लिए आवाजाही का ख़र्च, किराए, बिजली और ईंधन की महंगी दरों का बोझ उठा पाना मुश्किल बना हुआ है. वैसे तो, हाल के वर्षों में मूलभूत ढांचे की कई परियोजनाओं में भारी निवेश से सेनेगल की अर्थव्यवस्था तेज़ी से प्रगति कर रही है. इनमें नवीनीकरण योग्य ऊर्जा की परियोजनाएं, गैस से चलने वाले बिजली घर और खनन उद्योग भी शामिल हैं. फिर भी, सेनेगल के बहुत से नागरिकों का रहन-सहन बहुत निचले स्तर पर बना हुआ है. शहरी इलाक़ों के बहुत से युवाओं को लगता है कि सामाजिक आर्थिक रूप से वो बेहद पिछड़े हुए हैं और वो सरकार से इसलिए नाराज़ हैं कि उसे उम्रदराज़ और जनता से दूरी बनाए रखने वाले अधिकारी चलाते हैं. युवाओं को लगता है कि सरकारी अधिकारी, महामारी और यूक्रेन संघर्ष के जनता पर बुरे असर को कम करने को लेकर बहुत धीमी गति से काम कर रहे हैं.

सेनेगल के लोकतंत्र का भविष्य

वैसे तो राष्ट्रपति मैकी साल ने अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के नाम का ऐलान  नहीं किया है. मगर, सेनेगल में अगले आठ महीनों में आम चुनाव होने वाले हैं. शायद मैकी साल ने तीसरी बार चुनाव न लड़ने का फ़ैसला, विदेशी निवेशकों, अंतरराष्ट्रीय निवेश साझीदारों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से टकराव टालने के लिए लिया.

इस बीच, मैकी साल के मुख्य प्रतिद्वंदी ओउस्माने सोनको का भविष्य अधर में दिख रहा है. जून महीने में उन्हें ‘युवाओं को भ्रष्ट करने’ के जुर्म में दो साल क़ैद की सज़ा दी गई थी, क्योंकि एक मसाज पार्लर की कर्मचारी ने उन पर 2021 में रेप करने का इल्ज़ाम लगाया था. 2021 में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे, जब सोनको पर पहली बार बलात्कार का केस दर्ज किया गया था. उस वक़्त भी विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में 14 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से ज़्यादातर को सुरक्षा बलों ने गोली मार दी थी. उसके बाद से ही कई लोगों को झूठ-मूठ के आरोपों में हिरासत में लिया गया है. इनमें सरकारी संस्थानों को बदनाम करने जैसे इल्ज़ाम भी शामिल हैं. हैरानी की बात नहीं है कि प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में सेनेगल 2020 में 47वें स्थान पर था और 2023 में गिरकर 104वीं पायदान पर पहुंच गया.

सच तो ये है कि सोनको पहले विपक्षी नेता नहीं होंगे, जिन्हें चुनाव से पहले गिरफ़्तार करके चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया जाए. सोनको का हश्र भी शायद वही हो, जैसा पहले विपक्ष के अन्य नेताओं जैसे कि खलीफा साल और करीम वाडे के साथ हो चुका है. 2019 के चुनाव से पहले इन दोनों ही नेताओं को फंड के दुरुपयोग का दोषी ठहराते हुए चुनाव लड़ने के अयोग्य क़रार दे दिया गया था. अगर सेना की तैनाती के साथ विरोध प्रदर्शन के मौजूदा दौर पर क़ाबू पा भी लिया जाए, तो भी ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि मैकी साल किसी न किसी बहाने से सत्ता में बने रह सकते हैं. इसके साथ हिंसा की वजह से आम तौर पर स्थिर लोकतांत्रिक देश की सेनेगल की छवि पर बुरा असर पड़ा है. जैसे जैसे 2024 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे वैसे गृह युद्ध का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. अगर मैकी साल की सरकार ने बोलने की आज़ादी और विपक्ष को कुचलने की कोशिश की, तो हालात और भी ख़राब हो सकते हैं.

जैसे जैसे 2024 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे वैसे गृह युद्ध का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. अगर मैकी साल की सरकार ने बोलने की आज़ादी और विपक्ष को कुचलने की कोशिश की, तो हालात और भी ख़राब हो सकते हैं.

औपनिवेशिक काल के बाद के इतिहास में सेनेगल ने कभी सेना के या फिर किसी तानाशाह के हाथ में देश की सत्ता जाने का अनुभव नहीं किया है. ये पश्चिमी अफ्रीका में एक दुर्लभ उपलब्धि है. सच्चाई तो ये है कि मैकी साल का एलान, एक विरोधाभास के तौर पर सामने आता है, जब इस पूरे क्षेत्र में लोकतांत्रिक नियम क़ायदों पर ख़तरा मंडरा रहा है. पिछले एक दशक में सेनेगल के हर पड़ोसी ने तख़्तापलट या फिर इसकी नाकाम कोशिश होते देखी है. हाल ही में माली, बुर्किना फासो और गिनी में सैन्य सरकारों ने तख़्तापलट के ज़रिए सत्ता पर अपना क़ब्ज़ा जमाया है.

पश्चिमी अफ्रीका में संविधान में बदलाव करके सत्ता से चिपके रहना एक आम बात है. आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति अलासान ओउआत्तरा ने 2020 में तीसरी बार का विवादित कार्यकाल हासिल किया था. जबकि उनकी असंवैधानिक उम्मीदवारी के विरोध में विपक्षी दलों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था. टोगो के राष्ट्रपति फाउरे ग्नासिंगबे संविधान में दो कार्यकाल से ज़्यादा राष्ट्रपति न रहने के नियम में संशोधन करके अपना चौथा कार्यकाल चला रहे हैं. इसके अलावा, सेंट्रल अफ्रीकी गणराज्य में पिछले महीने हुए संवैधानिक जनमत संग्रह के ज़रिए राष्ट्रपति फॉस्टिन-अरचेंज टोउआडेरा के तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का रास्ता खोल दिया गया था. चूंकि, ज़्यादातर अफ्रीकी नेता अपने अपने देश में संविधान से खिलवाड़ करते रहे हैं. ऐसे में मैकी साल का तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला निश्चित रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के लिए एक मिसाल है.

साफ़ है कि सेनेगल कई मामलों में पड़ोसियों से अलग देश है. हाल के दिनों में वहां तेल और गैस के नए भंडार खोजे गए हैं. जिस वजह से सेनेगल को काफ़ी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है. हालांकि, इन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने के लिए सेनेगल को भारी विदेशी निवेश की ज़रूरत होगी. मैकी साल ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की तिलांजलि देकर सेनेगल को लोकतांत्रिक सुधारों की प्रगति वाली पटरी से उतरने से रोक लिया है. ये निवेशकों और कारोबारी साझीदारों, दोनों का हौसला बढ़ाने वाली बात है. कुछ पूर्वानुमानों के मुताबिक़ 2023 और 2024 में सेनेगल के 8.3 और फिर 10.6 प्रतिशत की दर से विकास करने की उम्मीद है. इसीलिए, सेनेगल की लोकतांत्रिक मुहिम को ये हौसला बिल्कुल सही समय पर आया है. इससे ख़ुश होने की एक वजह बनती है और बाक़ी पश्चिमी अफ्रीका के लिए सेनेगल एक मिसाल है, जिसकी राह पर चलकर वो ही नहीं पूरा महाद्वीप लोकतंत्र को अपना सकता है.

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