Author : Sohini Nayak

Published on Jun 22, 2022 Updated 0 Hours ago

क्षेत्र में स्थित, बिमस्टेक जैसे क्षेत्रीय प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके भारत और नेपाल दोनों ही, क्षेत्रीय संपर्क के अवसर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

क्षेत्रीय संपर्क: भारत-नेपाल सांस्कृतिक संबंधों के लिए एक उम्दा अवसर

परिचय 

बुद्ध पुर्णिमा के अवसर पर 16 मई 2022 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लुम्बिनी में हुए आधिकारिक दौरे के दौरान, मौके की  अनुकूलता को देखते हुए, दोनों देशों की द्विपक्षीय मंडली द्वारा बेहतर गठजोड़ के ज़रिये दोनों देशों के आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक आयोजन किया गया था. 2 अप्रैल 2022 को नेपाली प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा के भारत की यात्रा के ठीक बाद हुए, इस वार्ता में, न केवल कई समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए, बल्कि बहुपक्षीय संस्थाओं के आलोक में बहु-क्षेत्रीय तक़नीकी और आर्थिक सहयोग (बिमस्टेक) जिसमें बंगाल की खाड़ी पहल के ज़रिये मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (BIMSTEC), के लिए की गई बातचीत की प्रकृति के माध्यम से कई संकेत मिले. 

एकल भू-रणनीतिक संस्थान के तौर पर, दक्षिणी एशिया को अनुमानित 1.9 बिलियन आबादी के बावजूद, एक ऐसे भू-भाग के तौर पर जाना जाता है, जहां क्षेत्रीय एकता अनवरत तौर पर क्षीण होती जा रही है. जो उसके आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है.

एकल भू-रणनीतिक संस्थान के तौर पर, दक्षिणी एशिया को अनुमानित 1.9 बिलियन आबादी के बावजूद, एक ऐसे भू-भाग के तौर पर जाना जाता है, जहां क्षेत्रीय एकता अनवरत तौर पर क्षीण होती जा रही है. जो उसके आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है. इस इलाके इसी तरह से चिन्हित किया गया है. ये आँकड़े न केवल विश्व की सबसे बड़ी आबादी से संबंधित है बल्कि इसमें युवाओं की तादाद भी सबसे ज्य़ादा है, जिनकी वजह से यहां अवसर के भी कई दरवाज़े खुलते हैं. इन्हें पर्याप्त ध्यान और कार्यवाही के साथ, पारस्परिक दिलचस्पी वाले क्षेत्रों के तौर पर चिन्हित किये जाने की दरकार है. तदोपरांत , इस संभावित संमिलण के क्षेत्र में विकसित क्षेत्रीय प्रगति के लिये जिस चीज़ की ज़रूरत है वो है उन्नत भू-राजनीतिक संवाद और निकट भौगोलिक सीमाओं के भीतर, समान विचार वाले देशों के बीच पारस्परिक अंतरराष्ट्रीय समझौतों की. भारत और नेपाल दोनों ही देश, बहुत ही कम समय में, इस तरह के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिये, कोशिश कर रहे हैं, वे लगातार इस कार्य को अपने क्रिया-कलाप में अपनाने की चेष्टा कर रहे हैं. 

समझौते पर सहमति

हाल के दिनों में, इन दोनों ही दक्षिणी एशियाई पड़ोसियों के बीच लगातार वार्ता होती आ रही है. ये वार्ता मुख्यतः ठंडे बस्ते में गए दो प्रमुख मुद्दों, 2019 में घटित कालापानी-लिपुलेख मानचित्र विवाद और टीकों उपलब्ध करा पाने में भारत की अक्षमता, जो भारत खुद अपने यहाँ हुई कमी और उस वजह से उत्पन्न संकट की वजह से करने में असफल रहा, संबंधी गलतफहमी से निपटने के लिए है. तो इस समय जो देखा जा रहा है वो ये है कि कैसे संपर्क प्रयासों की मदद से दोनों देशों के रिश्तों में फिर से प्रगाढ़ता आ रही है. 

हाल के दिनों में, इन दोनों ही दक्षिणी एशियाई पड़ोसियों के बीच लगातार वार्ता होती आ रही है. ये वार्ता मुख्यतः ठंडे बस्ते में गए दो प्रमुख मुद्दों, 2019 में घटित कालापानी-लिपुलेख मानचित्र विवाद और टीकों उपलब्ध करा पाने में भारत की अक्षमता, जो भारत खुद अपने यहाँ हुई कमी और उस वजह से उत्पन्न संकट की वजह से करने में असफल रहा

 हस्ताक्षर किए गए समझौतों में छह एमओयू हैं, जिनमें: इंडियन काउंसिल ऑन कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) और लुम्बिनी बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी के बीच डॉ. अम्बेडकर चेयर फॉर बुद्धिस्ट स्टडीज़; आईसीसीआर चेयर ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ की स्थापना के लिए, आईसीसीआर और सीएनएएस त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के बीच का एमओयू; आईसीसीआर चेयर ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ की स्थापना के लिए काठमांडू यूनिवर्सिटी (KU) और आईसीसीआर के बीच एमओयू; काठमांडू यूनिवर्सिटी, नेपाल और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास (आईआईटीएम) भारत के बीच सहयोग संबंधी एमओयू; केयू, नेपाल और आईआईटीएम के बीच मास्टर स्तरीय ज्वॉइंट डिग्री प्रोग्राम हेतु सहमति-पत्र और एसजीवीएन लिमिटेड और नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (एनईए) के बीच अरुण-4 प्रोजेक्ट के विकास और कार्यान्वन हेतु समझौता. इसके अलावा, दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कनफेडेरेशन (IBC) के लुंबिनी स्थित एक प्लॉट पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बुद्धिस्ट कल्चर एंड हेरिटेज द्वारा किए जाने वाले निर्माणकार्य  का ‘शिलान्यास’ भी किया.

ये सारे प्रोजेक्ट और सहयोग के क्षेत्रों को दोनों देशों को हाल ही में 2022 में एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) द्वारा प्रकाशित बीमस्टेक संपर्क मास्टर प्लान  के ज़रिए प्राप्त जनादेश से जोड़ा जा सकता हैं. यह मुख्यतः इसलिए है क्योंकि ये मास्टर प्लान संपर्क के लिए भौतिकी तौर पर सड़क और रेलवे दोनों को शामिल करता है और क्षमता निर्माण एवं जानकारी तक पहुँच कर, उसका सीमा-पार के बुनियादी ढांचे और बहुपक्षीय प्रतिबद्धता का समय पर इस्तेमाल भी कर सकता है. एक स्वयंभू देश के तौर पर पहचान मिला होने के कारण, बीमस्टेक के अंतर्गत नेपाल को लोगों को लोगों से जोड़ने की ज़िम्मेदारी मिली हुई है, जिसमें संस्कृति और पर्यटन शामिल हैं. हालिए हुए समझौतों से लेते हुए, जो शैक्षणिक आदान-प्रदान और उसके साथ ही पूर्व-स्थापित बुद्धिस्ट सर्किट, जिसे अक्सर  बुद्धिस्ट कूटनीति या फिर देशों के बीच सॉफ्ट पॉवर स्ट्रैटिजी के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है, वो सब नेपाल की महत्ता को स्थापित करता है.  

सांस्कृतिक- धार्मिक गलियारा

सफल होने की स्थिति में, यह आदान-प्रदान उस मास्टर प्लान का पालन करती है, जो रोड आधारित धार्मिक पर्यटन सर्किट, अंतर-बिमस्टेक पर्यटन और सांस्कृतिक लेन-देन को बढ़ावा देती हैं, साथ ही नीति निर्धारकों एवं थिंक-टैंक (बीएनपीटीटी) युवा सांसदों, यूनिवर्सिटी और शोध संस्थानों के साथ के सहभागिता को और मज़बूती देने के प्रति नेपाली प्रतिबद्धताओं को दुहराती है.

इन इलाकों में बसे अकादमिक संस्थायें भी उन यात्रियों से समृद्ध हो सकते हैं, जो इन सभी स्टेकहोल्डर बहुपक्षीय देशों से यहां आयेंगे. इससे इन सभी देशों के बीच वीज़ा संबंधित समस्यायें भी कम हो पायेंगी, जो बिमस्टेक के टेबल पर सालों से चला आ रहा है एक प्रमुख मुद्दा है.

इसलिए, विभिन्न स्तरों पर, अनिवार्य रूप से बिमस्टेक को लाभान्वित करने वाले विशाल बहुपक्षीय ढांचे के गहन सहयोगात्मक प्रयास के अनुरूप एवं सालों से एक शांतिपूर्ण द्विपक्षीय साझेदारी निभाने की दिशा में ये समझौते अनिवार्य रूप से संबद्ध रहेंगे.  उदाहरण के लिए, ये मास्टरप्लान अयोध्या (भारत) – चित्रकूट (भारत) – वाराणसी (भारत) – बक्सर (भारत) – पटना (भारत) – दरभंगा (भारत) – सीतामढ़ी (भारत) – जनकपुर (नेपाल ) – कोलंबो (श्रीलंका) नेगॉम्बो (श्रीलंका) – चीलाव (श्रीलंका) – मताले (श्रीलंका) – कोटुवा (श्रीलंका) – नुवारा एलिया (श्रीलंका) – बन्दारावेला (श्रीलंका) – कतारागामा (श्रीलंका) – उसानगोडा (श्रीलंका ) – कोलंबो (श्रीलंका) – और काठमांडू (नेपाल)- पोखरा (नेपाल) – बुटवल (नेपाल) – टनकपुर (भारत) जगेश्वर धाम (भारत) – हरिद्वार (भारत) – ऋषिकेश (भारत) – चारधाम (भारत) ) गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, एवं बद्रीनाथ), जैसे धार्मिक सर्किट कनेक्टविटी के लिए एक रोडमैप, के संबंध में बात करती है. हिंदू धर्म नेपाल का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध धर्म है, और उन लोगों के लिए जो कि इस धार्मिक यात्रा पर होंगे, उनके लिए ये काफी आकर्षक हो सकता है. उसी तरह से, इन इलाकों में बसे अकादमिक संस्थायें भी उन यात्रियों से समृद्ध हो सकते हैं, जो इन सभी स्टेकहोल्डर बहुपक्षीय देशों से यहां आयेंगे. इससे इन सभी देशों के बीच वीज़ा संबंधित समस्यायें भी कम हो पायेंगी, जो बिमस्टेक के टेबल पर सालों से चला आ रहा है एक प्रमुख मुद्दा है.   

सारांश में, ये कहा जा सकता है कि- दक्षिणी एशिया और ख़ासकर बंगाल की खाड़ी के समीप के क्षेत्र के इर्द-गिर्द के देशों के लिए एक विशाल अवसर का केंद्र तैयार हो रहा है. इन प्रोजेक्ट को त्वरित अमल में लाये जाने की आवश्यकता है ताकि नीतियों को लागू करने वाले लोग, इसे इस क्षेत्र में एक उदाहरण के तौर पर संजो कर रख सकें और भविष्य के क्षेत्रीय सहयोग और समझौतों में इसका उल्लेख़ एक मिसाल के तौर पर किया जा सके. 

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