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बंदरगाह के क्षेत्र में क्वॉड का प्रवेश हिंद प्रशांत में एक सुदृढ़ समुद्री संपर्क और बुनियादी ढांचे की संरचना बनाने के प्रयासों को मज़बूत करने के मामले में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
Image Source: Getty
ये लेख निबंध श्रृंखला सागरमंथन संवाद 2025 का भाग है.
मौजूदा समय का क्वॉड- जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं- 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद की स्थिति में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के प्रयासों को तेज़ करने के लिए सबसे पहले 2004 में एकजुट हुआ था. हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मिनीलेटरल समूह (कम देशों वाला संगठन) के रूप में उभरने के उद्देश्य से इस संगठन ने औपचारिक रूप से 2007 में आकार लिया जिसके लिए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने प्रयासों का नेतृत्व किया. क्वॉड का उदय इंडो-पैसिफिक के एक अहम सुरक्षा और रणनीतिक समुद्री क्षेत्र के रूप में उभरने के साथ हुआ जिससे इस क्षेत्र की संपन्न अर्थव्यवस्थाओं के विकास और समृद्धि का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण अवसर मिला. हालांकि ये समूह अपनी गति बरकरार नहीं रख सका और अंतत: बिखर गया लेकिन इस क्षेत्र में रणनीतिक घटनाक्रम, जो कि मुख्य रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता के इर्द-गिर्द केंद्रित था, के कारण 2017 में उस समय इसका फिर से उत्थान हुआ जब क्वॉड में शामिल चारों लोकतांत्रिक देशों ने मनीला में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री स्तर की बातचीत एक बार फिर शुरू की. उस समय से क्वॉड ने न केवल हिंद प्रशांत में नियम आधारित स्वतंत्र एवं खुली समुद्री व्यवस्था स्थापित करने के लिए समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में अपने सहयोग को मज़बूत किया है बल्कि इस क्षेत्र में बदलती एवं बहुआयामी आर्थिक वास्तविकताओं से उत्पन्न होने वाले नए अवसरों के साथ मिलकर नए क्षेत्रों में भी तालमेल का विस्तार किया है.
इस क्षेत्र में बदलती एवं बहुआयामी आर्थिक वास्तविकताओं से उत्पन्न होने वाले नए अवसरों के साथ मिलकर नए क्षेत्रों में भी तालमेल का विस्तार किया है.
इस समूह के द्वारा पिछले दिनों भविष्य की क्वॉड पोर्ट साझेदारी (क्वॉड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर पार्टनरशिप) बनाने की घोषणा ऐसे ही एक क्षेत्र के रूप सामने आई है जहां इसने अपने सहयोग का विस्तार करने और बढ़ाने की कोशिश की है. क्वॉड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर पार्टनरशिप का ऐलान सबसे पहले 2024 में क्वॉड नेताओं के विलमिंगटन शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया था और 2025 में वाशिंगटन में विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान इसे फिर से दोहराया गया. बंदरगाह के क्षेत्र में इस समूह का प्रवेश करना हिंद प्रशांत में एक सुदृढ़ समुद्री संपर्क और बुनियादी ढांचे की संरचना बनाने के प्रयासों को मज़बूत करने के मामले में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इस पहल के माध्यम से क्वॉड के देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझेदार देशों के साथ समन्वय और सूचना का आदान-प्रदान करने के अलावा सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करना चाहते हैं. सुदृढ़ बंदरगाह का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश को जुटाने की क्वॉड की क्षमता इस पहल को पूरी दुनिया के लिए अच्छा बना सकती है जिसकी मांग इस पूरे क्षेत्र में है.
इस क्षेत्र में विकास और समृद्धि की अपार संभावना का फायदा उठाने के लिए मज़बूत समुद्री बुनियादी ढांचे का होना महत्वपूर्ण है. इस उद्देश्य के लिए हिंद प्रशांत में एक सुरक्षित और सुदृढ़ समुद्री संपर्क के ढांचे की स्थापना करने में मदद के मक़सद से बंदरगाह एक महत्वपूर्ण चौराहे के रूप में काम करते हैं.
हिंद प्रशांत में सुदृढ़ बंदरगाह के बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सहयोग महत्वपूर्ण क्यों है? एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिंद प्रशांत क्षेत्र का हिस्सा लगभग 63 प्रतिशत है और 50 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार हिंद प्रशांत के रास्ते से होकर गुज़रता है. इस क्षेत्र में विकास और समृद्धि की अपार संभावना का फायदा उठाने के लिए मज़बूत समुद्री बुनियादी ढांचे का होना महत्वपूर्ण है. इस उद्देश्य के लिए हिंद प्रशांत में एक सुरक्षित और सुदृढ़ समुद्री संपर्क के ढांचे की स्थापना करने में मदद के मक़सद से बंदरगाह एक महत्वपूर्ण चौराहे के रूप में काम करते हैं. वैसे तो हिंद प्रशांत के रणनीतिक संवाद में बदलती सुरक्षा गतिशीलता का बोलबाला है लेकिन इस क्षेत्र की अंतर्निहित आर्थिक क्षमता भी तेज़ी से बढ़ रही है. क्वॉड के दृष्टिकोण से ये अनिवार्य है कि इस क्षेत्र के देशों को यहां की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों में शामिल किया जाए.
समुद्री वैश्वीकरण के इस युग में क्षेत्रीय बंदरगाहों की संरचना में सामर्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को मज़बूत करना हिंद प्रशांत में साझा अवसरों का लाभ उठाने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा. इसके अलावा, ऐसा लगता है कि ये पहल वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत के रूप में उभरने के क्वॉड के दिशा-निर्देश के साथ मेल खाती है. विलमिंगटन शिखर सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वॉड के लिए एक सौम्य दृष्टिकोण का उल्लेख किया. ये दृष्टिकोण वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बनना चाहता है, किसी के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं होना चाहता है. भू-राजनीतिक प्रभाव और रणनीतिक स्थिति को मज़बूत करने के लिए हिंद प्रशांत में चल रहे स्पष्ट प्रतिस्पर्धी प्रयासों को देखते हुए इस तरह का नज़रिया तैयार करना महत्वपूर्ण है.
ऐसा प्रतीत होता है कि क्वॉड के लिए दिशानिर्देश स्पष्ट है- शामिल देशों को वैश्विक समान बांटना और जो देश शामिल नहीं हैं, उनकी इस क्षेत्र में अधिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाना. इसके माध्यम से ये समूह शामिल देशों की क्षमताओं का लाभ उठाकर इस क्षेत्र में भू-आर्थिक संभावना को बढ़ावा देना चाहता है. एक मज़बूत बंदरगाह संरचना बनाने के लिए प्रयासों में मदद करके समुद्री संपर्क को सुदृढ़ बनाना इस क्षेत्र में एकजुट और समर्थ रणनीतिक संरचना का युग शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. समुद्री जागरूकता और HADR के क्षेत्र में क्वॉड के द्वारा की गई इसी तरह की दूसरी पहल हिंद प्रशांत में मज़बूत बंदरगाह का बुनियादी ढांचा बनाने के उद्देश्य से प्रयासों में मदद के लिए महत्वपूर्ण कदम है. इस क्षेत्र में सहयोग दुनिया की भलाई के लिए है जो क्वॉड के लिए एक समर्थ हिंद प्रशांत भू-आर्थिक क्षेत्र को मज़बूत करने और दुनिया की बेहतरी के लिए ताकत के रूप में काम करने के उसके सपने को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसा लगता है कि इस पहल ने क्वॉड के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला तैयार कर दी है लेकिन सहयोग के इस क्षेत्र को वैश्विक तालमेल की सुविधा देने के रूप में देखना जारी रखना महत्वपूर्ण है जिसमें इस क्षेत्र के देशों और हितधारकों पर ज़ोर दिया गया है.
सायंतन हालदार ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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Sayantan Haldar is an Associate Fellow with ORF’s Strategic Studies Programme. At ORF, Sayantan’s work is focused on Maritime Studies. He is interested in questions of ...
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