Author : Sohini Bose

Issue BriefsPublished on Apr 04, 2023
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बांग्लादेश के बंदरगाह: ‘घरेलू और क्षेत्रीय आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिये एकजुट प्रयास’

  • Sohini Bose

    दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक में बांग्लादेश का शुमार होता है. बांग्लादेश का 90 प्रतिशत से अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार चटग्राम और मोंगला के बंदरगाहों के माध्यम से होता है. ये बंदरगाह पड़ोसी देशों को व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए समुद्र तक पहुंच प्रदान करते हैं. यह आलेख, बांग्लादेश के घरेलू व्यापार विकास को आगे बढ़ाने में इन दो बंदरगाहों के महत्व और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री व्यापार को सुविधाजनक और आसान बनाने में उनकी भूमिका का आकलन करने की कोशिश करता है.

Attribution:

एट्रीब्यूशन: सोहिनी बोस, ‘‘बांग्लादेश के बंदरगाह: घरेलू और क्षेत्रीय आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिये एकजुट प्रयास’’, ओआरएफ़ ओकेज़नल पेपर नंबर 387, जनवरी 2023, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.

प्रस्तावना

अपने देश की अर्थव्यवस्था को युद्ध की वज़ह से पस्त होने से उपजी स्थिति में एक बार अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने बांग्लादेश पर ‘बास्केट केस’ का ठप्पा लगा दिया था. लेकिन वही बांग्लादेश अब दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है.[1] 1971 में अपने जन्म के समय सबसे गरीब देशों में से एक समझा जाने वाला बांग्लादेश, 2015 में निम्न-मध्यम-आय का दर्जा प्राप्त करने वाला देश बन गया था. और अब 2022 तक, वह 2026 में संयुक्त राष्ट्र की सबसे कम विकिसत देशों की सूची से बाहर निकलने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.[2] लगभग पूरी तरह (पश्चिम, उत्तर और पूर्व में) से भारत से घिरे बांग्लादेश का दक्षिणी हिस्सा बंगाल की खाड़ी में खुलता है. ऐसे में यही बात बांग्लादेश की बंदरगाह अर्थव्यवस्था के लिए अहम साबित हो रही है, क्योंकि वर्तमान में बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 90 प्रतिशत से अधिक का संचालन यहां स्थित बंदरगाहों से ही हो रहा है.[3] दरअसल, खाड़ी के उत्तर में बांग्लादेश की मौजूदगी, उसे स्थान संचार की महत्वपूर्ण समुद्री लाइनों (एसएलओसी) [a] तक पहुंच की अनुमति देती है जो इस  जल को पार करते हैं.

बांग्लादेश के दो बंदरगाह हैं- चटग्राम का बंदरगाह [b] और मोंगला का बंदरगाह (मानचित्र 1 देखें). ये दोनों ही बंदरगाह भले ही नदी के किनारों पर बने हैं, लेकिन उन्हें बंदरगाह इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे खाड़ी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर अपस्ट्रीम अर्थात नदी के ऊपर स्थित हैं. जलमार्गों की वह भूलभुलैया, जिस पर दोनों बंदरगाह बसे हैं, एक मल्टीमॉडल नेटवर्क का अभिन्न अंग है. यह नेटवर्क बांग्लादेश को अपने भीतरी क्षेत्रों के साथ ही पड़ोसी देशों (भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार और थाईलैंड) के साथ एक निकटवर्ती क्षेत्र से जोड़ता है. इसी वज़ह से बांग्लादेश, हिमालयी देशों नेपाल और भूटान और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को अपने बंदरगाहों के माध्यम से समुद्र तक पहुंच प्रदान करने में सहायक साबित हो सकता है. चटग्राम बंदरगाह, म्यांमार में सितवे पोर्ट के साथ भी कारोबार कर सकता है, क्योंकि वह भौतिक रूप से इस पोर्ट के बेहद करीब है, लेकिन थाईलैंड में यांगून पोर्ट से थोड़ा आगे है. इसी कारण बांग्लादेश के बंदरगाह पड़ोसी देशों, विशेषत: ऐसे देश जो भूमिबद्ध हैं, के लिए महत्वपूर्ण समुद्री प्रवेश द्वार हैं. ये बंदरगाह ऐसे देशों के व्यापार को बढ़ावा देने की क्षमता रखते हैं. यही बात इस समुद्री क्षेत्र के सामिरक पुनरुत्थान के बाद खाड़ी क्षेत्र में सहयोग-द्विपक्षीय रूप से और बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (बीआईएमएसटीईसी अर्थात बिम्सटेक)[4],[5] के माध्यम से - मज़बूत करने के इच्छुक देशों की रुचि के साथ भी मेल खाती है. इसका कारण यह है कि इस समुद्री क्षेत्र के सामरिक पुनरुत्थान के बाद खाड़ी क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने में विभिन्न देशों की भी इस दिशा में रुचि बढ़ी है. दरअसल, बांग्लादेश के बंदरगाहों में सात बिम्सटेक सदस्य देशों में से छह के साथ व्यापार और कनेक्टिविटी बढ़ाने की क्षमता है. [c]

मानचित्र 1: बांग्लादेश का चटग्राम और मोंगला बंदरगाह

स्त्रोत: वर्ल्ड एटलस[6]

नोट: लेखक ने बंदरगाहों को चिन्हित करने के लिए बेस मैप अर्थात आधार मानचित्र को संशोधित किया है

इस आलेख का उद्देश्य देश के आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने में बांग्लादेश के चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों के महत्व को समझना है.

बांग्लादेश के बंदरगाहों की अहमियत का आकलन

चटग्राम और मोंगला बंदरगाह बांग्लादेश के विदेशी व्यापार के नर्व-सेंटर्स अर्थात तंत्रिका-केंद्र हैं. इसमें भी चटग्राम बंदरगाह से बांग्लादेश के समुद्री व्यापार का 90 प्रतिशत हिस्सा संचालित होता है.[7] ऐसे में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से दोनों बंदरगाह बेहद अहम हैं. वित्त वर्ष 2021-2022 में, चटग्राम पोर्ट ने 307 करोड़ टीके अर्थात टका (29.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का राजस्व अर्जित किया,[8] जबकि मोंगला ने 31.08 करोड़ टका (तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर) का राजस्व हासिल किया.[9] प्रतिशत के संदर्भ में बांग्लादेश के जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद में बंदरगाहों के प्रतिशत के हिसाब से योगदान को लेकर सार्वजनिक रूप से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे कुछ अन्य डेटा बिंदुओं अर्थात जानकारी का आधार लेकर इसके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है.

बांग्लादेश में बंदरगाहों को सेवा क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है. सेवा क्षेत्र ही उसके सकल घरेलू उत्पाद के आधे से अधिक के लिए ज़िम्मेदार है (चित्र1 देखें).

चित्र1: बांग्लादेश की जीडीपी का क्षेत्रवार विभाजन (2021-22; प्रतिशत में)

स्त्रोत: मौजूदा कीमतों पर आधारित जीडीपी डेटा के आधार पर लेखक का अपना.[10]

नोट: संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 1 देखें.

बंदरगाह, सेवा क्षेत्र के भीतर ही व्यापार और परिवहन के उप-क्षेत्रों की सुविधा मुहैया करवाते हैं, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र के योगदान का सबसे बड़ा हिस्सा बनाते हैं (चित्र 2 देखें).

चित्र 2: बांग्लादेश के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र के योगदान का उपक्षेत्रवार विभाजन (2021-22; प्रतिशत में)

चित्र 2: बांग्लादेश के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र के योगदान का उपक्षेत्रवार विभाजन (2021-22; प्रतिशत में)

स्त्रोत: मौजूदा कीमतों पर आधारित जीडीपी डेटा के आधार पर लेखक का अपना.[11]

नोट: संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 2 देखें.

‘परिवहन और भंडारण’ उप-क्षेत्र के भीतर, बंदरगाहों की जल परिवहन को सुविधाजनक बनाने में अहम भूमिका होती है, जो इस विशिष्ट श्रेणी में काफी हद तक जुड़ जाती है (चित्र-3 देखें).

चित्र 3: बांग्लादेश की जीडीपी में  परिवहन और भंडारण  उप-क्षेत्र के तहत परिवहन के विभिन्न साधनों का योगदान (2021-22; प्रतिशत में)

 

स्त्रोत: मौजूदा कीमतों पर आधारित जीडीपी डेटा के आधार पर लेखक का अपना.[12]

नोट: संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 3 देखें.

बांग्लादेश के सबसे अहम रेडीमेड गारमेंट उद्योग ने भी इसके बंदरगाहों के महत्व को बढ़ा दिया है. अपने आज़ादी के वक़्त मुख्यत: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था रहे बांग्लादेश में उपजाऊ डेल्टा मिट्टी, प्राकृतिक सिंचाई की व्यवस्था प्रदान करने वाली कई नदियां थी. उस समय बांग्लादेश की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी. उस दौर में चाय और जूट बांग्लादेश की शीर्ष निर्यात वस्तुएं थीं. लेकिन कालांतर में लगातार आने वाली बाढ़ के साथ जूट फाइबर की कीमतों में गिरावट और वैश्विक मांग में कमी के चलते जूट क्षेत्र का बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता चला गया. यही वह दौर था जब वैश्विक स्तर पर ‘रिलोकेशन ऑफ प्रोडक्शन’ अर्थात 'उत्पादन का स्थानांतरण' होने था. ऐसे में 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरूआत में व्यापार उदारीकरण और वैश्वीकरण से प्रेरित होकर, विकसित देशों ने अपने उत्पादन आधार को विकासशील देशों में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया. इसका मुख्य कारण विकासशील देशों में मजदूरी और अन्य संबद्ध लागतें कम थीं, और पर्यावरणीय और कानूनी जांच कम जटिल और अधिक उदार थीं. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करने की इच्छा रखने वाले बांग्लादेश ने इस मौके का लाभ उठाने का फ़ैसला कर लिया. उसने अपने विनिर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से परिधान उद्योग को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार कर लिया.[13] बांग्लादेश में एक ओर जहां सस्ता श्रम उपलब्ध था, वहीं सबसे कम विकसित देश होने की वज़ह से वह बगैर किसी प्रतिबंध के निर्यात करने की क्षमता रखता था. बांग्लादेश को अमेरिकी बाज़ार में मल्टी-फाइबर व्यवस्था [d] के तहत कोटा उपलब्ध था, जबकि यूरोपीय बाज़ारों तक उसे तरजीही पहुंच हासिल थी. ऐसे में बांग्लादेश उत्पादन स्थानांतरण के लिए एक अनुकूल विकल्प बन गया. नतीज़तन, देखते ही देखते रेडीमेड परिधान उद्योग बांग्लादेश के लिए विदेशी मुद्रा का मुख्य स्रोत और उसका मुख्य निर्यात क्षेत्र बन गया.[14]

बांग्लादेश के बंदरगाह उसके रेडीमेड परिधान उद्योग के लिए रीढ़ की हड्डी है. क्योंकि यह न केवल आसानी से देश के विभिन्न हिस्सों में कच्चा माल पहुंचा देता है, बल्कि तैयार होने वाले परिधान के निर्यात में भी अहम भूमिका अदा करता है. वैश्विक स्तर पर रेडीमेड परिधान की बढ़ती मांग की वज़ह से उसके बंदरगाह पर आने वाले यातायात में इज़ाफ़ा हुआ है. इसे देखते हुए इन बंदरगाहों का कुशल संचालन देश की समृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इन बंदरगाहों की दोषपूर्ण संचालन प्रक्रियाएं, अपर्याप्त सुविधाएं और अत्यधिक शुल्क वसूली, बांग्लादेश के आर्थिक विकास को बाधित करेंगे. ऐसे में उनकी प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए इन दोनों बंदरगाहों से जुड़ी चिंताओं और उनकी क्षमताओं का आकलन किया जाना अहम हो जाता है.

चटग्राम बंदरगाह: बांग्लादेश के समुद्री व्यापार का सरताज

बांग्लादेश के विकास में अहम भूमिका अदा करने वाले चटग्राम बंदरगाह की स्थापना 1976 में पटेंगा में कर्णफुली नदी के मुहाने पर, समुद्र के 16 किमी अपस्ट्रीम अर्थात नदी के ऊपर की ओर की गई थी.[15] इसका प्रबंधन एक स्वयं वित्तपोषित संगठन, चटगांव बंदरगाह प्राधिकरण (सीपीए) द्वारा किया जाता है.[16] यह प्राधिकरण अपने संसाधनों का उपयोग करके सभी विकास परियोजनाओं को लागू करता है.[17] बंगाल की खाड़ी के तट पर चटग्राम बंदरगाह सबसे व्यस्त बंदरगाह है. 2022 में 100 शीर्ष बंदरगाहों का आकलन करने वाली लॉयड्स लिस्ट इंटेलिजेंस में इस बंदरगाह को 64 वें स्थान पर रखा गया है.[18] 2020 में बांग्लादेश इस आकलन में 58 वें स्थान पर था. ऐसे में 2022 में इसमें गिरावट देखी गई, लेकिन इस स्थिति में 2021 की 67 वें स्थान की तुलना में सुधार ही हुआ है. 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण परिधान व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जबकि कंटेनर थ्रूपुट अर्थात प्रवाह क्षमता में आई कमी भी इसका एक अहम कारण था. चटगांव बंदरगाह बांग्लादेश के 90 प्रतिशत से अधिक समुद्री व्यापार (चित्र 4 देखें) को संभालता है, जिसमें मुख्यत: कंटेनरीकृत और निर्मित सामान जैसे कपड़े, जूट, चमड़े के सामान और कच्चे संसाधन शामिल हैं.

चित्र4: चटग्राम पोर्ट की वार्षिक कार्गो हैंडलिंग (मीट्रिक टन में)

स्त्रोत: चटगांव पोर्ट अथॉरिटी के डेटा का उपयोग करते हुए लेखक का अपना.[19]

नोट:  वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़े जुलाई 2022 तक के हैं/ संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 4 देखें.

चटग्राम पोर्ट एक 'गेटवे पोर्ट' है. ‘गेटवे पोर्ट’ का मतलब वह पोर्ट जो किसी देश या क्षेत्र में प्रवेश के लिए अधिकृत बंदरगाह को दर्शाता है. इसी पोर्ट पर कार्गो के लिए सीमा शुल्क निकासी होती है, और यहां पर ही परिवहन लाइनों के बीच एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने वाले माल का आदान-प्रदान किया जाता है.[20] इसलिए, अपने गृह देश के निर्यात-आयात व्यापार को सुगम बनाने के अलावा, एक गेटवे पोर्ट ट्रांसशिपमेंट गतिविधियों को भी प्रबंधित करता है. किसी जहाज़ से एक कंटेनर को उतारने और उसे दूसरे जहाज़ पर लोड करके उसे उसके गंतव्य स्थान पर उतारने के काम को अंजाम दिया जाता है तो उसे ट्रांसशिपमेंट गतिविधियां कहा जाता है. जिन बंदरगाहों की कुल थ्रूपुट अर्थात प्रवाह क्षमता में ट्रांस-शिपमेंट गतिविधियां 75 प्रतिशत से अधिक होती हैं, उन्हें ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में नामित किया गया है.

एक गेटवे पोर्ट अर्थात प्रवेश द्वार बंदरगाह जहाज़ों का ट्रैफिक अर्थात आवागमन भीतरी इलाकों और अंतदेर्शीय माल ढुलाई वितरण और कुछ हद तक ट्रांसशिपमेंट अर्थात यानांतरण से हासिल होता है.[21] ऐसे में चटग्राम बंदरगाह पर होने वाला आवागमन, पड़ोसी देशों से होने वाले घरेलू निर्यात-आयात और ट्रांसशिपमेंट कार्गो का मिश्रण है. चूंकि सीपीए सीधे श्रमिकों को नियोजित करके हर उपलब्ध संपत्ति और कार्गो-हैंडलिंग गतिविधियों का स्वामित्व, रखरखाव और संचालन करता है, अत: इसे एक सर्विस पोर्ट भी कहा जा सकता है.[22] इसके साथ ही सीपीए निरीक्षण, प्रवेश, संग्रह और सत्यापन सहित सीमा शुल्क निकासी से लेकर कार्गो प्रसंस्करण कार्यों तक की विभिन्न सेवाओं की एक विस्तारित श्रृंखला भी मुहैया करवाता है.[23] ये सेवाएं परिवहन किए जा रहे उत्पादों में मूल्य जोड़ती हैं और समग्र व्यापार को बढ़ावा देती हैं.[24]

चटग्राम बंदरगाह में तीन कंटेनर टर्मिनल हैं- दो टर्मिनल, एक टूल पोर्ट गवर्नेंस मॉडल के आधार पर एक निजी ऑॅपरेटर द्वारा संचालित किए जाते हैं, [e],[25] और तीसरा एक सर्विस पोर्ट गवर्नेंस मॉडल के तहत सीपीए के संचालन और रखरखाव के तहत आता है.[f] 2000 और 2018 के बीच बंदरगाह के कंटेनर थ्रुपुट में लगभग 4.93 गुना की शानदार वृद्धि देखी गई है.[26]

सामर्थ्य

चटग्राम बंदरगाह पोर्ट की दक्षता इस बात पर निर्भर करती है कि यह पोत आवागमन, कंटेनर थ्रूपुट और टनेज अर्थात टनधारिता और आयात और निर्यात का प्रबंधन कैसे करता है. इसकी विश्वसनीयता निम्न कारकों से बढ़ती हैं:

  • स्ट्रैटेजिक लोकेशन अर्थात सामरिक स्थान: भारत और म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास यह बंदरगाह बसा हुआ है, जबकि नेपाल और भूटान से भी यह काफ़ी करीब है. यह बंदरगाह ऊर्जा व्यापार के लिए अहम समझे जाने वाले खाड़ी के, विशेषत: पूर्व-पश्चिम शिपिंग मार्ग, को पार करने वाले अनेक महत्वपूर्ण एसएलओसी को भी ओवरलूक अर्थात चौकसी करने की स्थिति में है. इसी वज़ह से बांग्लादेश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क अर्थात सैन्य तंत्र में इसकी अहम भूमिका है. यह बंदरगाह उप-क्षेत्रीय परिवहन प्रणाली का भी एक अभिन्न अंग है.[27] सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बंदरगाह में ख़ुद को बांग्लादेश के गेटवे पोर्ट अर्थात प्रवेश द्वार से दक्षिण एशिया का गेटवे पोर्ट तक विकसित करने की क्षमता है.[28]
  • ट्रांसशिपमेंट हब के साथ मज़बूत नेटवर्क: फीडर लाइन सेवा के माध्यम से चटग्राम बंदरगाह, चार प्रमुख क्षेत्रीय ट्रांसशिपमेंट हब- श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह, सिंगापुर बंदरगाह, और मलेशिया में तंजुंग पेलेपास और पोर्ट क्लैंग बंदरगाह- के साथ पुख्त़ा तरीके से जुड़ा हुआ है.[29] ऐसे में अनेक कंटेनर लाइनर इस बंदरगाह का उपयोग करने को उत्सुक हैं.
  • हिंटरलैंड अर्थात समुद्र या नदी तट के पीछे वाले प्रदेश से अच्छी तरह जुड़ा हुआ: यह बंदरगाह रेल, सड़क और नदी (या अंतदेर्शीय जलमार्ग) नेटवर्क और बंगाल की खाड़ी में समुद्री मार्गों के माध्यम से हिन्टर्लेंड अर्थात समुद्र या नदी तट के पीछे वाले प्रदेश अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.[30] 2015 के बाद से, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल के तहत अंतदेर्शीय जलमार्ग नेटवर्क का अंतदेर्शीय जल पारगमन और व्यापार का काफ़ी विस्तार किया गया है. वर्तमान में यह बंदरगाह भारी मात्रा में सूखे माल की निकासी का काम कर रहा है. लेकिन जिस गति से जल पारगमन मार्गों का विकास हुआ है उतनी तेज़ी से सड़कें और रेलमार्ग विकसित नहीं हो सका है. ऐसे में सड़कें और रेलमार्ग अभी भी मालवाहक वाहनों की आवाज़ाही को सुगम बनाने के लिए पर्याप्त या मज़बूत नहीं हैं. (चित्र 5 देखें).[31]

चित्र 5: वित्त वर्ष 2014-15 और वित्त वर्ष 2021-22 में सड़क, रेल और नदी नेटवर्क के माध्यम से ड्राई कार्गो क्लीयरेंस (मीट्रिक टन में)

स्त्रोत: चटगांव पोर्ट अथॉरिटी वार्षिक रिपोर्ट 2015-16[32] और 2021-22[33]

संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 5 देखें

  • बे टर्मिनल: 2024 तक पूरा होने वाली बे टर्मिनल परियोजना के तहत चटग्राम बंदरगाह से छह किलोमीटर की दूरी पर तीन कंटेनर टर्मिनल और 13 जेटी अर्थात जलबंधक को 15 किलोमीटर की लंबाई में विकसित किया जा रहा है. यह परियोजना चटग्राम निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र के पिछले छोर से लेकर बंगाल की खाड़ी के हलीशहर तट पर रसमोनीघाट तक फैली हुई है.[34] यह परियोजना लो ड्राफ्ट अर्थात ऐसे जहाज़ जिनका तल जल स्तर से ज़्यादा नीचे तक नहीं होता है की समस्या से निपटने का काम करते हुए 6,000 ट्वेंटी-फुट इक्विवलन्ट युनिट्स (टीईयू) की अधिकतम वहन क्षमता वाले जहाज़ों को 10-12-मीटर ड्राफ्ट में बंदरगाह पर बर्थ अर्थात लंगर डालने में सहायक साबित होगी.[35]
  • कंटेनर हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि: चटग्राम बंदरगाह ने 2007 में प्रति घंटे 290 टीईयू का काम सफ़लतापूर्वक संभाला था, जबकि उसकी उपकरण उपलब्धता केवल 45 प्रतिशत ही थी. [g] 2012 में अतिरिक्त उपकरणों के साथ उपकरण उपलब्धता बढ़कर 74 प्रतिशत पहुंची तो बंदरगाह ने प्रति घंटे 442 टीईयू तक का काम बखूबी कर लिया था. इसे देखते हुए अब सीपीए ने अपनी दक्षता में विस्तार के लिए अधिक कंटेनर-हैंडलिंग उपकरण खरीदे हैं.[36]
  • ग्रीन पोर्ट: चटग्राम बंदरगाह पर होने वाला काम अब पेपर-आधारित टर्मिनल प्रबंधन से विकसित होकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक टर्मिनल संचालन और दस्तावेज़ प्रसंस्करण में होने लगा है.[37] आपदा-प्रवण बंगाल क्षेत्र की खाड़ी में समुद्र के स्तर में वृद्धि से जुड़े जोख़िमों से निपटने के लिए अब इस बंदरगाह को ‘क्लायमेट रिज़िल्यन्ट’ अर्थात ‘जलवायु लचीला बंदरगाह’ के रूप में भी विकसित किया जा रहा है.[38]

चुनौतियां

एक बेहतर विकल्प नहीं होने की वज़ह से चटग्राम बंदरगाह ही बांग्लादेशी व्यापारियों के लिए प्वाइंट ऑफ पैसेज अर्थात मार्ग का पसंदीदा बिंदु बना हुआ है. यही बात इसके एकाधिकार को मज़बूत करने वाली साबित हो रही है.[39] इसके बावजूद हाई बर्थ ऑॅक्यूपेंसी अर्थात लंगर डालने वाले जहाज़ों की बड़ी संख्या और जहाज़ों विशेषत: कंटेनरीकृत कार्गों, के आवागमन की अनुमानित वृद्धि इस ने बंदरगाह की क्षमता में तत्काल वृद्धि की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि कार्यक्षमता में सुधार करने के लिए मौजूदा चुनौतियों पर काबू पाया जाए.

  • भीड़भाड़: बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर में स्थित चटग्राम बंदरगाह को, शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या की वज़ह से कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से भी जूझना पड़ता है. शहर में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों की संख्या के बढ़ने के साथ ही वाहनों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हो रहा है. चटग्राम बंदरगाह में बढ़ता कार्गो ट्रैफिक, कंटेनर ऑफ-डॉक अर्थात बंदरगाह से दूर कंटेनर खाली करने की जगह की कमी, रेलवे की सीमित क्षमता के साथ ही बंदगाह से संबंधित वाहनों की संख्या भी शहर की भीड़ को बढ़ा रही है, जिसकी वज़ह से बंदरगाह से आने-जाने वाला आवागमन भी प्रभावित होता है.[40]
  • टाइड-डिपेन्डेंट अर्थात ज्वार-निर्भर: भले ही चटग्राम को एक बंदरगाह के रूप में नामित किया गया है, लेकिन हकीकत यही है कि वह नदी पर ही स्थित है. इसी वज़ह से यहां होने वाले जहाज़ों का आवागमन कर्णफुली नदी की ज्वारीय धाराओं पर निर्भर करता है. ऐसे में जहाज़ों के लिए एक व्यविस्थत कार्यक्रम बनाए रखना बेहद मुश्किल काम बन जाता है.[41]
  • सीमित ड्राफ्ट: एक नदी पर स्थित होने के कारण चटग्राम बंदरगाह सिल्टेशन अर्थात गाद की समस्या से पीड़ित होने की वज़ह से यहां बड़े जहाज़ प्रवेश नहीं कर पाते हैं. ऐसे में इस बंदरगाह के बाहरी लंगरगाह से छोटे फीडर जहाज़ों का उपयोग करके ही बल्क कार्गो अर्थात थोक सामान को बंदरगाह तक ले जाना पड़ता है.[42] हालांकि, बे टर्मिनल का संचालन आरंभ होने की वज़ह से इस समस्या से काफी हद तक बंदरगाह संचालकों को निज़ात मिल सकेगी. इसका कारण यह है कि बे टर्मिनल में 5000 टीईयू के अलग-अलग तीन दर्जन जहाज़ों को समायोजित करने का प्रावधान किया गया है.[43]
  • अपर्याप्त जेटी और भंडारण क्षमता: चटग्राम बंदरगाह में पर्याप्त जेटी और कार्गो और कंटेनर हैंडलिंग क्षमता नहीं है. बे टर्मिनल के पूरा होने पर इस समस्या का भी समाधान हो जाना चाहिए.[44]
  • डेटेड अर्थात दिनांकित टैरिफ प्रणाली: चटग्राम बंदरगाह 1986 में शुरू की गई टैरिफ सिस्टम अर्थात शुल्क प्रणाली के आधार पर चलाया जाता है. 2008 में, केवल आठ वस्तुओं के लिए टैरिफ शुल्क निर्धारित किए गए, जबकि शेष अभी भी पुरानी प्रणाली के तहत ही चल रहे हैं. फलस्वरूप, एक ओर जहां बंदरगाह की पूंजीगत मद में ख़र्च बढ़ा है, लेकिन इसे शुल्क प्रणाली के साथ समायोजित नहीं किया गया है. बंदरगाह के संचालन की यह ख़ामी उसके संभावित राजस्व में कमी के रूप में दिखाई देती है. इतना ही नहीं बंदरगाह के भीतर किराया भी अपेक्षाकृत कम है. ऐसे में आयातक भी अपने माल को बंदरगाह के भीतर ही रखने को उत्सुक होते हैं. उनकी यह कोशिश बंदरगाह के भीतर जगह की कमी को लेकर समस्या पैदा कर देती है.[45]
  • भ्रष्टाचार: बंदरगाह में मौजूद अपार संभावनाओं और आय अर्जित करने की इसकी अपार क्षमताओं के बावजूद इसका संचालन अनेक अनियमतताओं, प्रबंधन और श्रम संगठनों में भ्रष्टाचार, नौकरशाही की जटिलताओं और जहाज़ों के लिए सुरक्षा की कमी के कारण प्रभावित हो रहा है. ये समस्याएं बंदरगाह की प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं. नतीजतन, चटग्राम बंदरगाह का नाम दुनिया के सबसे जोख़िम वाले बंदरगाहों में भी शामिल है.[46]

मोंगला का बंदरगाह: सुस्त बंदरगाह में नवसंचार

बांग्लादेश का दूसरा सबसे व्यस्त बंदरगाह, मोंगला बंदरगाह है. इसे पूर्व में चालना पोर्ट के रूप में जाना जाता था. लेकिन 1987 में जब इसका प्रबंधन मोंगला पोर्ट अथॉरिटी (एमपीए) को सौंपा गया तो इसका नाम भी बदलकर मोंगला बंदरगाह कर दिया गया था.[47] यह बंदरगाह बागरघाट जिले में दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में स्थित है. प्रशूर नदी पर निर्मित यह बंदरगाह खाड़ी तट से लगभग 62 किलोमीटर उत्तर में है. मोंगला से होने वाले मुख्य निर्यात में जूट, चमड़ा, तम्बाकू और फ्रोजन अर्थात जमी हुई मछली और झींगा शामिल हैं, जबकि यहां से होने वाले प्रमुख आयात में अनाज, सीमेंट, उर्वरक, कोयला और वूड पल्प अर्थात लकड़ी का गूदा शामिल है.[48] एमपीए 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मोंगला बंदरगाह के पास 50 बर्थिंग सुविधाओं अर्थात जहाज़ ठहरने का स्थान, 153 कार्गो हैंडलिंग उपकरणों और 38 सहायक जहाज़ों के साथ 1,00,000 टीईयू का आवागमन संभालने की क्षमता है.[49] वर्तमान में, मोंगल बंदरगाह के पास प्रति वर्ष 17.8 मिलियन टन कार्गो को संभालने की क्षमता है. (चित्र 6 देखें).[50]

चित्र 6: मोंगला पोर्ट अथॉरिटी वार्षिक कार्गो हैंडलिंग (मीट्रिक टन में)

 

स्त्रोत: मोंगला पोर्ट अथॉरिटी के डेटा का उपयोग करते हुए लेखक का अपना.[51]

नोट: वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़े मई 2022 तक के हैं.

संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 6 देखें.

मोंगला बंदरगाह पर 2008 में हर महीने केवल 10 विदेशी जहाज़ डॉक कर रहे थे अर्थात गोदी में आ रहे थे. जेटी में कम ज्वार के दौरान केवल 4.5 मीटर का ड्राफ्ट अर्थात तलछट ही उपलब्ध होता था. ऐसे में जहाज़ मालिकों का मानना था कि ‘‘उनके लिए अपने जहाज़ों को वहां भेजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था, क्योंकि कम ड्राफ्ट की वज़ह से उन्हें अपने जहाज़ को पूरी क्षमता से लोड करने में दिक्कतें आती हैं.’’[52] इसके अलावा, पोर्ट चैनल अर्थात बंदरगाह के मार्ग में डूबे हुए जहाज़ों का मलबा पड़ा हुआ है. ऐसे में यहां के चैनल में सुरक्षित नेविगेशन अर्थात मार्गक्रमण और पानी के करंट फ्लो अर्थात वर्तमान प्रवाह को लेकर आने वाले जहाज़ को हमेशा ख़तरा बना रहता है. बंदरगाह की इन ख़ामियों के कारण पैदा हुई ख़राब छवि की वज़ह से उपयोगकर्ता निराश थे. इसी वज़ह से मोंगला का प्रदर्शन चटग्राम के मुकाबले उत्साहवर्धक नहीं था.[53] लेकिन सरकार की ओर से मोंगला बंदरगाह के विकास को लेकर अनेक परियोजनाओं की शुरुआत की गई हैं, जिसकी वज़ह से स्थिति में सुधार हुआ है.[54]

सरकार की ओर से शुरू की गई विकास परियोजनाओं में 2025-30 तक बंदरगाह की हैंडलिंग क्षमता को 3,000 जहाज़ों, 30,000 वाहनों, 800,000 टीईयू कंटेनरों और 40 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो तक विस्तारित करना शामिल है. सरकार ने यहां विकास कार्य इस बात को ध्यान में रखकर आरंभ किए हैं कि चटग्राम बंदरगाह पर भविष्य में बढ़ने वाली मांग की वज़ह से होने वाली भीड़भाड़ की संभावित समस्या का समाधान खोजा जा सकें. 2009 और 2020 के बीच 1372.8 करोड़ टका (13.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की लागत से 15 परियोजनाएं लागू की गईं, जबकि नौ अन्य परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इन सभी का उद्देश्य भविष्य में आने वाली संभावित मांग को लेकर पूर्व तैयारी करना है. 130 किमी के नेवल अर्थात सामुद्रिक चैनल में साढ़े नौ मीटर के जहाज़ों को बंगाल की खाड़ी से लाने की व्यवस्था की जा रही है.[55] 2021 में, मोंगला पोर्ट ने लेन-देन के अपने पिछले सभी रिकॉर्डों को तोड़ दिया.[56]

 गुण व सामर्थ्य

  • अच्छी लोकेशन: मोंगला बंदरगाह की पोर्ट जेट्टी अर्थात जलबंधक से बंगाल की खाड़ी तक एक अच्छा चैनल है. यह बंदरगाह नदी मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जो ट्रान्जिट अर्थात पारवहन के अन्य साधनों की तुलना में कम लागत पर देश भर में माल पहुंचाने में सहायक साबित होता है. प्रशूर चैनल पर एंकरेज अर्थात लंगरगाह सुविधा जहाज़ों के दोनों छोर से कार्गो को लोड और अनलोड करने के काम को आसान बना देती है.[57]
  • उप-क्षेत्रीय व्यापार को सुगम बनाने की क्षमता: इस बंदरगाह का विकास, बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम भाग में विदेशी व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाकर नेपाल और भूटान के लैंडलॉक अर्थात भूमिबद्ध देशों को मोंगला बंदरगाह का उपयोग एक पारगमन बंदरगाह के रूप में करने में सहायक साबित होता है. एक अधिक चहल पहल से भरपूर बंदरगाह देश में उभरती हुई क्षेत्रीय असमानताओं की समस्या से निपटने में भी मदद करते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने में अहम साबित होगा.[58] इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर इस बंदरगाह को एक क्षेत्रीय व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है.[59]
  • बंदरगाह आधारित उद्योगों को शक्तिशाली बनाने की क्षमता: मोंगला बंदरगाह में झींगे की खेती को प्रोत्साहित करने की क्षमता है, क्योंकि इसका उपयोग कृषि-उपज के व्यापार के लिए किया जाता है. इस बंदरगाह में बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में जूट औद्योगीकरण को भी तेज करने की क्षमता है, क्योंकि यह वहां स्थित मध्यम स्तर के उद्यमों को प्रोत्साहन देने का काम भी कर सकता है. मोंगला बंदरगाह का विकास इस पर निर्भर सीमेंट निर्माण फर्मों के विकास और नई फर्मों की स्थापना में तेज़ी लाने में सहायता करेगा. ऐसा होने पर यह स्वाभाविक रूप से दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला कदम साबित होगा.[60]
  • पद्मा ब्रिज का काम पूरा: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के लिए निकटतम बंदरगाह मोंगला ही है. यह बंदरगाह बड़ी संख्या में ऐसे उद्योगों से घिरा हुआ है जो अब तक पूरी तरह से दूर चटग्राम बंदरगाह पर ही आश्रित थे. इस कारण इन उद्योगों को न केवल माल परिवहन पर ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता था, बल्कि इसमें समय भी बर्बाद होता था. लेकिन अब ढाका और आसपास के क्षेत्रों को देश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र से जोड़ने वाले पद्मा बहुउद्देशीय सड़क-रेल पुल के निर्माण और उद्घाटन के बाद मोंगला बंदरगाह का उपयोग करना ढाका में स्थित व्यवसायों के लिए ज़्यादा आसान हो गया है, क्योंकि यह बंदरगाह ढाका से लगभग 170 किमी दूर पर ही स्थित है.[61] इसी प्रकार बांग्लादेश सरकार खुलना और मोंगला के रेल पटरियों का निर्माण कर रही है. इसके साथ ही बंदरगाह के पास स्थित बगेरहाट में खान जहां अली हवाई अड्डे के निर्माण के कारण बंदरगाह का उपयोग भी बढ़ने की उम्मीद है.[62]

चुनौतियां

  • लो ड्राफ्ट: प्रशूर और मोंगला नदियों के संगम पर स्थित मोंगला बंदरगाह गाद की समस्या से ग्रस्त है. इसी वज़ह से इसका ड्राफ्ट कम है. अत: यह आठ मीटर से अधिक गहराई वाले बड़े जहाज़ों के आवागमन को सुगम बनाने में असमर्थ है. फलस्वरूप, इसकी उपयोगिता कम है. 2018 में, मोंगला बंदरगाह की उपयोग दर 70 प्रतिशत थी. अत: इसके पास पर्याप्त अतिरिक्त क्षमताएं उपलब्ध रहती थी.[63] सामान्य समय के वक़्त प्रशूर चैनल की गहराई 5 मीटर घटकर छह मीटर हो जाती है, जबकि कम ज्वार के वक़्त यह महज 4.5 मीटर रह जाती है. ऐसे में छोटे जहाज़ों को भी बंदरगाह तक पहुंचने में दिक्कत होती है. इसी कारण इस बंदरगाह पर जहाज़ों की भीड़ लगी रहती है. ऐसे में कारबारियों का काफ़ी समय बर्बाद होता है और वे चटग्राम बंदरगाह का रुख करने पर मजबूर हो जाते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बंदरगाह की जहाज़-संचालन क्षमता में सुधार के लिए चैनल की सफाई आरंभ कर दी है.[64]
  • अपर्याप्त कनेक्टिविटी: बंदरगाह के भीतरी इलाकों के लिंकेज को अभी उनकी पूरी क्षमता तक विकसित किया जाना बाकी है. इसी कारण इस बंदरगाह का उपयोग करने वाले इस शहर की सीमित रेल और वायुमार्ग सुविधाओं को अपने कारोबार के लिए एक नुक़सान के रूप में देखते हैं. हालांकि पद्मा ब्रिज का काम पूरा होने और उसके उद्घाटन से इनमें से कुछ कठिनाइयों दूर हो जानी चाहिए.[65]
  • बंद उद्योग: अनेक स्थानीय विनिर्माण इकाइयां बंद हो गई हैं, जबकि सरकार अथवा उद्योग क्षेत्र की ओर से यहां नई औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने का प्रयास आधा अधूरा ही दिखाई दे रहा है. ऐसे में बंदरगाह पर कार्गो अर्थात भारी माल की आपूर्ति में कमी आने से भी इसकी निर्यात मात्रा प्रभावित हुई है. डेटेड अर्थात पुराने उपकरणों के उपयोग ने कंटेनरों के लदान और उतराई को प्रभावित किया है. इसकी वज़ह से टर्नअराउंड टाइम अर्थात जहाज़ से माल उतारने और लादने की प्रक्रिया और बंदरगाह उपयोगकतार्ओं के लिए वेरिएबल कॉस्ट अर्थात परिवर्तनीय लागत में इज़ाफ़ा हुआ है.[66] लेकिन अब इन स्थितियों को सुधारने का काम सरकार की ओर से चलाई जा रही बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाएं कर रही हैं.
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएं: मोंगला बंदरगाह जाने के इच्छुक जहाज़ों को सुंदरबन मैंग्रोव को पार करना पड़ता है. सुंदरबन मैंग्रोव को यूनेस्को ने विश्व की विरासत घोषित कर रखा है. यहां का पारिस्थितिक संतुलन बेहद नाजुक है.[67] इसी बात को ध्यान में रखकर एमपीए को बंदरगाह पर आने वाले कचरे को लेकर विशेष रूप से सावधानी बरतनी होगी. बंदरगाह पर आने वाले जहाज़ों से पर्याप्त मात्रा में कचरा पैदा होता हैं, जिसमें कुछ पर्यावरणीय रूप से घातक भी होता है. इस बंदरगाह पर जहाज़ों का आवागमन लगातार बढ़ रहा है. एक अनुमान है कि 2040 तक बांग्लादेश के समुद्री व्यापार का 40 प्रतिशत तक का भार मोंगला बंदरगाह संभालेगा, चटग्राम बंदरगाह 50 प्रतिशत भार संभालता है.[68] अपने परिसर में एलएनजी टर्मिनल को स्थापित करते हुए मोंगला बंदरगाह विशेष प्रकार के कार्गो को भी आकर्षित करता है. यह ख़ुद को एक औद्योगिक बंदरगाह के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहा है. इन सारी बातों के बावजूद मोंगला बंदरगाह ने अभी तक एक उचित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा अनुमोदित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को लागू नहीं किया है. इसे लेकर पर्यावरण संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं.[69]
  • भ्रष्टाचार: बंदरगाह के लिए आवंटित बजट के कुशल उपयोग को भ्रष्टाचार बाधित करता है. पूर्व में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्यान्न जहाज़ों को बंदरगाह पर भेजना बंद करते हुए एमपीए को काली सूची में डाल दिया था. इतना ही नहीं, बांग्लादेश सरकार ने भी इस बंदरगाह के माध्यम से अपने खाद्यान्न के आयात में कटौती कर दी थी. इन बातों के अलावा बंदरगाह के आसपास होने वाली आपराधिक गतिविधियां भी एक अहम और गंभीर मुद्दा है.[70]

    मोंगला का बंदरगाह: सुस्त बंदरगाह में नवसंचार

    बांग्लादेश का दूसरा सबसे व्यस्त बंदरगाह, मोंगला बंदरगाह है. इसे पूर्व में चालना पोर्ट के रूप में जाना जाता था. लेकिन 1987 में जब इसका प्रबंधन मोंगला पोर्ट अथॉरिटी (एमपीए) को सौंपा गया तो इसका नाम भी बदलकर मोंगला बंदरगाह कर दिया गया था.[47] यह बंदरगाह बागरघाट जिले में दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में स्थित है. प्रशूर नदी पर निर्मित यह बंदरगाह खाड़ी तट से लगभग 62 किलोमीटर उत्तर में है. मोंगला से होने वाले मुख्य निर्यात में जूट, चमड़ा, तम्बाकू और फ्रोजन अर्थात जमी हुई मछली और झींगा शामिल हैं, जबकि यहां से होने वाले प्रमुख आयात में अनाज, सीमेंट, उर्वरक, कोयला और वूड पल्प अर्थात लकड़ी का गूदा शामिल है.[48] एमपीए 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मोंगला बंदरगाह के पास 50 बर्थिंग सुविधाओं अर्थात जहाज़ ठहरने का स्थान, 153 कार्गो हैंडलिंग उपकरणों और 38 सहायक जहाज़ों के साथ 1,00,000 टीईयू का आवागमन संभालने की क्षमता है.[49] वर्तमान में, मोंगल बंदरगाह के पास प्रति वर्ष 17.8 मिलियन टन कार्गो को संभालने की क्षमता है. (चित्र 6 देखें).[50]

    चित्र 6: मोंगला पोर्ट अथॉरिटी वार्षिक कार्गो हैंडलिंग (मीट्रिक टन में)

     

    स्त्रोत: मोंगला पोर्ट अथॉरिटी के डेटा का उपयोग करते हुए लेखक का अपना.[51]

    नोट: वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़े मई 2022 तक के हैं.

    संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 6 देखें.

    मोंगला बंदरगाह पर 2008 में हर महीने केवल 10 विदेशी जहाज़ डॉक कर रहे थे अर्थात गोदी में आ रहे थे. जेटी में कम ज्वार के दौरान केवल 4.5 मीटर का ड्राफ्ट अर्थात तलछट ही उपलब्ध होता था. ऐसे में जहाज़ मालिकों का मानना था कि ‘‘उनके लिए अपने जहाज़ों को वहां भेजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था, क्योंकि कम ड्राफ्ट की वज़ह से उन्हें अपने जहाज़ को पूरी क्षमता से लोड करने में दिक्कतें आती हैं.’’[52] इसके अलावा, पोर्ट चैनल अर्थात बंदरगाह के मार्ग में डूबे हुए जहाज़ों का मलबा पड़ा हुआ है. ऐसे में यहां के चैनल में सुरक्षित नेविगेशन अर्थात मार्गक्रमण और पानी के करंट फ्लो अर्थात वर्तमान प्रवाह को लेकर आने वाले जहाज़ को हमेशा ख़तरा बना रहता है. बंदरगाह की इन ख़ामियों के कारण पैदा हुई ख़राब छवि की वज़ह से उपयोगकर्ता निराश थे. इसी वज़ह से मोंगला का प्रदर्शन चटग्राम के मुकाबले उत्साहवर्धक नहीं था.[53] लेकिन सरकार की ओर से मोंगला बंदरगाह के विकास को लेकर अनेक परियोजनाओं की शुरुआत की गई हैं, जिसकी वज़ह से स्थिति में सुधार हुआ है.[54]

    सरकार की ओर से शुरू की गई विकास परियोजनाओं में 2025-30 तक बंदरगाह की हैंडलिंग क्षमता को 3,000 जहाज़ों, 30,000 वाहनों, 800,000 टीईयू कंटेनरों और 40 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो तक विस्तारित करना शामिल है. सरकार ने यहां विकास कार्य इस बात को ध्यान में रखकर आरंभ किए हैं कि चटग्राम बंदरगाह पर भविष्य में बढ़ने वाली मांग की वज़ह से होने वाली भीड़भाड़ की संभावित समस्या का समाधान खोजा जा सकें. 2009 और 2020 के बीच 1372.8 करोड़ टका (13.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की लागत से 15 परियोजनाएं लागू की गईं, जबकि नौ अन्य परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इन सभी का उद्देश्य भविष्य में आने वाली संभावित मांग को लेकर पूर्व तैयारी करना है. 130 किमी के नेवल अर्थात सामुद्रिक चैनल में साढ़े नौ मीटर के जहाज़ों को बंगाल की खाड़ी से लाने की व्यवस्था की जा रही है.[55] 2021 में, मोंगला पोर्ट ने लेन-देन के अपने पिछले सभी रिकॉर्डों को तोड़ दिया.[56]

     गुण व सामर्थ्य

    • अच्छी लोकेशन: मोंगला बंदरगाह की पोर्ट जेट्टी अर्थात जलबंधक से बंगाल की खाड़ी तक एक अच्छा चैनल है. यह बंदरगाह नदी मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जो ट्रान्जिट अर्थात पारवहन के अन्य साधनों की तुलना में कम लागत पर देश भर में माल पहुंचाने में सहायक साबित होता है. प्रशूर चैनल पर एंकरेज अर्थात लंगरगाह सुविधा जहाज़ों के दोनों छोर से कार्गो को लोड और अनलोड करने के काम को आसान बना देती है.[57]
    • उप-क्षेत्रीय व्यापार को सुगम बनाने की क्षमता: इस बंदरगाह का विकास, बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम भाग में विदेशी व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाकर नेपाल और भूटान के लैंडलॉक अर्थात भूमिबद्ध देशों को मोंगला बंदरगाह का उपयोग एक पारगमन बंदरगाह के रूप में करने में सहायक साबित होता है. एक अधिक चहल पहल से भरपूर बंदरगाह देश में उभरती हुई क्षेत्रीय असमानताओं की समस्या से निपटने में भी मदद करते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने में अहम साबित होगा.[58] इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर इस बंदरगाह को एक क्षेत्रीय व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है.[59]
    • बंदरगाह आधारित उद्योगों को शक्तिशाली बनाने की क्षमता: मोंगला बंदरगाह में झींगे की खेती को प्रोत्साहित करने की क्षमता है, क्योंकि इसका उपयोग कृषि-उपज के व्यापार के लिए किया जाता है. इस बंदरगाह में बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में जूट औद्योगीकरण को भी तेज करने की क्षमता है, क्योंकि यह वहां स्थित मध्यम स्तर के उद्यमों को प्रोत्साहन देने का काम भी कर सकता है. मोंगला बंदरगाह का विकास इस पर निर्भर सीमेंट निर्माण फर्मों के विकास और नई फर्मों की स्थापना में तेज़ी लाने में सहायता करेगा. ऐसा होने पर यह स्वाभाविक रूप से दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला कदम साबित होगा.[60]
    • पद्मा ब्रिज का काम पूरा: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के लिए निकटतम बंदरगाह मोंगला ही है. यह बंदरगाह बड़ी संख्या में ऐसे उद्योगों से घिरा हुआ है जो अब तक पूरी तरह से दूर चटग्राम बंदरगाह पर ही आश्रित थे. इस कारण इन उद्योगों को न केवल माल परिवहन पर ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता था, बल्कि इसमें समय भी बर्बाद होता था. लेकिन अब ढाका और आसपास के क्षेत्रों को देश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र से जोड़ने वाले पद्मा बहुउद्देशीय सड़क-रेल पुल के निर्माण और उद्घाटन के बाद मोंगला बंदरगाह का उपयोग करना ढाका में स्थित व्यवसायों के लिए ज़्यादा आसान हो गया है, क्योंकि यह बंदरगाह ढाका से लगभग 170 किमी दूर पर ही स्थित है.[61] इसी प्रकार बांग्लादेश सरकार खुलना और मोंगला के रेल पटरियों का निर्माण कर रही है. इसके साथ ही बंदरगाह के पास स्थित बगेरहाट में खान जहां अली हवाई अड्डे के निर्माण के कारण बंदरगाह का उपयोग भी बढ़ने की उम्मीद है.[62]

    चुनौतियां

    • लो ड्राफ्ट: प्रशूर और मोंगला नदियों के संगम पर स्थित मोंगला बंदरगाह गाद की समस्या से ग्रस्त है. इसी वज़ह से इसका ड्राफ्ट कम है. अत: यह आठ मीटर से अधिक गहराई वाले बड़े जहाज़ों के आवागमन को सुगम बनाने में असमर्थ है. फलस्वरूप, इसकी उपयोगिता कम है. 2018 में, मोंगला बंदरगाह की उपयोग दर 70 प्रतिशत थी. अत: इसके पास पर्याप्त अतिरिक्त क्षमताएं उपलब्ध रहती थी.[63] सामान्य समय के वक़्त प्रशूर चैनल की गहराई 5 मीटर घटकर छह मीटर हो जाती है, जबकि कम ज्वार के वक़्त यह महज 4.5 मीटर रह जाती है. ऐसे में छोटे जहाज़ों को भी बंदरगाह तक पहुंचने में दिक्कत होती है. इसी कारण इस बंदरगाह पर जहाज़ों की भीड़ लगी रहती है. ऐसे में कारबारियों का काफ़ी समय बर्बाद होता है और वे चटग्राम बंदरगाह का रुख करने पर मजबूर हो जाते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बंदरगाह की जहाज़-संचालन क्षमता में सुधार के लिए चैनल की सफाई आरंभ कर दी है.[64]
    • अपर्याप्त कनेक्टिविटी: बंदरगाह के भीतरी इलाकों के लिंकेज को अभी उनकी पूरी क्षमता तक विकसित किया जाना बाकी है. इसी कारण इस बंदरगाह का उपयोग करने वाले इस शहर की सीमित रेल और वायुमार्ग सुविधाओं को अपने कारोबार के लिए एक नुक़सान के रूप में देखते हैं. हालांकि पद्मा ब्रिज का काम पूरा होने और उसके उद्घाटन से इनमें से कुछ कठिनाइयों दूर हो जानी चाहिए.[65]
    • बंद उद्योग: अनेक स्थानीय विनिर्माण इकाइयां बंद हो गई हैं, जबकि सरकार अथवा उद्योग क्षेत्र की ओर से यहां नई औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने का प्रयास आधा अधूरा ही दिखाई दे रहा है. ऐसे में बंदरगाह पर कार्गो अर्थात भारी माल की आपूर्ति में कमी आने से भी इसकी निर्यात मात्रा प्रभावित हुई है. डेटेड अर्थात पुराने उपकरणों के उपयोग ने कंटेनरों के लदान और उतराई को प्रभावित किया है. इसकी वज़ह से टर्नअराउंड टाइम अर्थात जहाज़ से माल उतारने और लादने की प्रक्रिया और बंदरगाह उपयोगकतार्ओं के लिए वेरिएबल कॉस्ट अर्थात परिवर्तनीय लागत में इज़ाफ़ा हुआ है.[66] लेकिन अब इन स्थितियों को सुधारने का काम सरकार की ओर से चलाई जा रही बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाएं कर रही हैं.
    • पर्यावरण संबंधी चिंताएं: मोंगला बंदरगाह जाने के इच्छुक जहाज़ों को सुंदरबन मैंग्रोव को पार करना पड़ता है. सुंदरबन मैंग्रोव को यूनेस्को ने विश्व की विरासत घोषित कर रखा है. यहां का पारिस्थितिक संतुलन बेहद नाजुक है.[67] इसी बात को ध्यान में रखकर एमपीए को बंदरगाह पर आने वाले कचरे को लेकर विशेष रूप से सावधानी बरतनी होगी. बंदरगाह पर आने वाले जहाज़ों से पर्याप्त मात्रा में कचरा पैदा होता हैं, जिसमें कुछ पर्यावरणीय रूप से घातक भी होता है. इस बंदरगाह पर जहाज़ों का आवागमन लगातार बढ़ रहा है. एक अनुमान है कि 2040 तक बांग्लादेश के समुद्री व्यापार का 40 प्रतिशत तक का भार मोंगला बंदरगाह संभालेगा, चटग्राम बंदरगाह 50 प्रतिशत भार संभालता है.[68] अपने परिसर में एलएनजी टर्मिनल को स्थापित करते हुए मोंगला बंदरगाह विशेष प्रकार के कार्गो को भी आकर्षित करता है. यह ख़ुद को एक औद्योगिक बंदरगाह के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहा है. इन सारी बातों के बावजूद मोंगला बंदरगाह ने अभी तक एक उचित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा अनुमोदित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को लागू नहीं किया है. इसे लेकर पर्यावरण संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं.[69]
    • भ्रष्टाचार: बंदरगाह के लिए आवंटित बजट के कुशल उपयोग को भ्रष्टाचार बाधित करता है. पूर्व में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्यान्न जहाज़ों को बंदरगाह पर भेजना बंद करते हुए एमपीए को काली सूची में डाल दिया था. इतना ही नहीं, बांग्लादेश सरकार ने भी इस बंदरगाह के माध्यम से अपने खाद्यान्न के आयात में कटौती कर दी थी. इन बातों के अलावा बंदरगाह के आसपास होने वाली आपराधिक गतिविधियां भी एक अहम और गंभीर मुद्दा है.[70]

इन चुनौतियों के बावजूद, वित्त वर्ष 2021-22 में, कोविड-19 महामारी के दौरान, मोंगला पोर्ट ने 1.19 करोड़ टन से अधिक माल लोड और अनलोड करके रिकॉर्ड 31 करोड़ टका (तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर) का राजस्व प्राप्त किया.[71] फिर भी, चटग्राम बंदरगाह, मोंगला बंदरगाह से कहीं बेहतर है, क्योंकि चटग्राम बंदरगाह की पोत संचालन क्षमता मोंगला बंदरगाह की तुलना में अधिक है. (चित्र 7 देखें) चटग्राम  बंदरगाह के पास बेहतर कार्गो- और कंटेनर- हैंडलिंग क्षमताएं मौजूद हैं, जबकि यह भीतरी इलाके की कनेक्टिविटी के मामले में भी मोंगला से आगे है. बांग्लादेश के कुल अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में से 92 प्रतिशत से अधिक की ज़िम्मेदारी चटग्राम बंदरगाह संभालता है.[72]

चित्र 7: चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों द्वारा संचालित जहाज़ों की संख्या

 

स्त्रोत: चटग्राम और मोंगला बंदरगाह प्राधिकरणों के आंकड़ों के आधार पर लेखक का अपना.[73],[74]

नोट: वित्त वर्ष 2021-22 का डेटा चटगांव पोर्ट अथॉरिटी के लिए जुलाई 2022 तक और मोंगला पोर्ट अथॉरिटी के लिए मई 2022 तक का है.

संख्यात्मक तालिका के लिए परिशिष्ट 7 देखें.

चटग्राम बंदरगाह को भारी कार्गो ट्रैफिक से राहत देने और पश्चिमी बांग्लादेश में आने वाले क्षेत्रों को एक प्रमुख बंदरगाह मुहैया करवाने के उद्देश्य से मोंगला बंदरगाह को विकसित किया गया था. अत: मोंगला बंदरगाह का बेहतर उपयोग किया गया तो इससे बांग्लादेश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित कारोबारियों का व्यवसाय इस बंदरगाह को मिलने में सहायता होगी. इसी प्रकार अतिरिक्त बोझ कम होने से, सीपीए अपनी ट्रांसशिपमेंट गतिविधियों को और विकसित करने में सफ़ल हो जाएगा. इससे वह बांग्लादेश के लिए और भी अधिक राजस्व अर्जित कर सकेगा. लेकिन दोनों ही बंदरगाह लो ड्राफ्ट की समस्या का सामना करते हैं. इसी कारण अब बांग्लादेश डीप वॉटर पोर्ट्स यानी गहरे पानी के बंदरगाहों को विकसित करने का इच्छुक है.

डीप सी पोर्ट्स: पायरा और मातरबारी

चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों पर बढ़ रहे दबाव को कम करने के लिए, बांग्लादेश सरकार ने अपनी 10 फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं में से एक के रूप में पायरा बंदरगाह का निर्माण किया. [h],[75] 2016 में उद्घाटित पायरा बंदरगाह गलाचिपा और तेतुलिया नदियों के संगम पर रबनाबाद चैनल के पश्चिमी तट पर स्थित है. यह 16 मीटर ड्राफ्ट वाला एक डीप सी पोर्ट अर्थात गहरा समुद्री बंदरगाह है. द पायरा पोर्ट अथॉरिटी और बेल्जियन मैरीटाइम इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म जॉन डे नॉल ने बंदरगाह के मुख्य चैनल की कैपिटल ड्रेजिंग अर्थात समुद्री या नदी तल से गाद और पत्थरों आदि के कचरे को निकालने को लेकर एक समझौता किया है. ऐसा इस बंदरगाह पर बड़े जहाज़ों के प्रवेश को सक्षम करने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि चटग्राम या मोंगला बंदरगाहों पर लो ड्रिफ्ट की वज़ह से बड़े जहाज़ प्रवेश नहीं कर सकते है. पायरा बंदरगाह का पहला टर्मिनल 2016 से ही सीमित क्षमता पर कार्यरत है, लेकिन इसका निर्माण कार्य अब भी जारी है.[76] दिसंबर 2021 तक, पायरा में लगभग 134 वाणिज्यिक कार्गो आ चुके हैं, जिससे 300 करोड़ टका (29 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का राजस्व उत्पन्न हुआ है.[77] इस बंदरगाह पर बल्क-कार्गो हैंडलिंग टर्मिनल बनाने की योजनाओं पर विचार हो रहा है, जिसमें कोयले, एक कंटेनर टर्मिनल, और तेल और एलएनजी टर्मिनलों का समावेश हैं. इस बंदरगाह का ढाका के साथ सड़क और जलमार्ग से भी संपर्क स्थापित किया जाएगा. इसके साथ ही पायरा बंदरगाह, भारत के पूर्वोत्तर इलाके समेत भूटान और नेपाल के साथ कनेक्टिविटी के लिए भी अहम साबित होगा.[78] पायरा बंदरगाह को सन् 2022 तक बांग्लादेश का प्राथमिक बंदरगाह बनाने की योजना भी है. लेकिन इसका काम पूरा होने और पूर्ण परिचालन में आने वाली परेशानियों ने इस योजना की राह में रोड़े अटका दिए हैं. यह दिक्कत मुख्यत: इस वज़ह से आ रही है क्योंकि इस बंदरगाह का निर्माण सुंदरबन के पास वाले इलाके में किया जा रहा है. ऐसे में वहां जैव विविधता और प्राकृतिक वास को इसके निर्माण के दौरान होने वाले संभावित नुक़सान के कारण काम प्रभावित हो रहा है. इसके अलावा इसके निर्माण से जल, वायु, भूमि और ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ समुद्र तट का कटाव और अक्रीशन अर्थात संवृद्धि भी होगी.[79]

मातरबारी बंदरगाह (मातरबारी बिजली संयंत्र परियोजना का एक हिस्सा) मातरबारी क्षेत्र, कॉक्स बाज़ार जिले में एक डीप सी पोर्ट अर्थात गहरे समुद्र का बंदरगाह है.[80] जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी द्वारा वित्तपोषित इस बंदरगाह का कार्यान्वयन सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण अभी तक पूरा नहीं हुआ है. ग्रीनपीस जापान और ग्रीनपीस दक्षिण पूर्व एशिया द्वारा जापान द्वारा वित्त पोषित कोयला बिजली संयंत्रों से वायु प्रदूषण पर तैयार की गई एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि मातरबारी बिजली परियोजना की वज़ह से इसके संचालन के 30 वर्षों के भीतर ही ख़तरनाक उत्सर्जन के कारण अकाल मृत्यु की संख्या बढ़कर 14,000 हो जाएगी.[81] इसके बावजूद चटग्राम पोर्ट पर लो ड्राफ्ट और भीड़भाड़ को देखते हुए मातरबारी बंदरगाह के निर्माण को ज़रूरी समझा जा रहा है. लेकिन इस परियोजना को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तित करने को लेकर भी कोशिश करनी पड़ेगी. मातरबारी बंदरगाह में निर्माणाधीन गहरा ड्राफ्ट यहां 18 मीटर ड्राफ्ट वाले जहाज़ों का आना सुगम करने वाला है. ऐसा होने पर यह बंदरगाह श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो जाएगा. कोलंबो पोर्ट वर्तमान में इस क्षेत्र का ट्रांसशिपमेंट हब है.[82]

लेकिन एक बात तो तय है कि जब तक पायरा और मातरबारी बंदरगाह पूरी तरह से चालू नहीं हो जाते, तब तक बांग्लादेश को चटग्राम और मोंगला बंदरगाह पर ही निर्भर रहना पड़ेगा. ऐसा करना बांग्लादेश के घरेलू और क्षेत्रीय व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण ही साबित होगा.

पड़ोसियों के साथ नेटवर्किंग 

मुख्यत: बंगाल डेल्टा अर्थात नदीमुख-भूमि में स्थित बांग्लादेश एक रिवराइन अर्थात तटवर्ती/नदी तटीय देश है. बांग्लादेश में मौजूद 800 नदियां और उनकी सहायक नदियां और वितरिकाएं इसकी भूमि को पार करते हुए दुनिया की सबसे जटिल नदी प्रणालियों का जाल बिछाते हुए बंगाल की खाड़ी में समा जाती हैं.[83] जलमार्गों की यह भूलभुलैया मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के माध्यम से देश को विशाल महाद्वीप से जोड़ती है. बांग्लादेश के विकास से परे जाकर, इसके बंदरगाहों में पड़ोसी देशों के ट्रान्जिट अर्थात पारगमन व्यापार को सुगम बनाने और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री व्यापार को मज़बूत करने की क्षमता मौजूद है. मुख्यत: बांग्लादेश भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं से सटा हुआ है, जबकि वह अपनी दक्षिण-पूर्वी सीमा का एक छोटा सा हिस्सा उत्तरी म्यांमार के साथ साझा करता है. नेपाल और भूटान जैसे दोनों भूमिबद्ध हिमालयी देश, हालांकि बांग्लादेश के साथ सीमा साझा नहीं करते, लेकिन वे इसके नज़दीकी क्षेत्र में स्थित होने की वज़ह से बांग्लादेश के बंदरगाहों से भी लाभान्वित हो सकते हैं. म्यांमार की सीमा से सटा हुआ थाईलैंड बेस् कोस्टल आर्क अर्थात खाड़ी के तटीय चाप (अंडमान सागर तट) में स्थित है. ऐसे में बांग्लादेश के बंदरगाहों के साथ संबंध विकसित करने में थाईलैंड रुचि रखता है, ताकि वह इस समुद्रतटीय क्षेत्र में ख़ुद को बेहतर ढंग से स्थापित कर सके. (मानचित्र 2 देखें)

मानचित्र2: बंगाल की खाड़ी का इलाका

स्त्रोत: स्टेबल सी[84]

नोट: लेखक ने मानचित्र में संशोधन किया है

अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, राजनयिक संबंधों को मज़बूत करने और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के केंद्र में बांग्लादेश की विशेष स्थिति को सुरक्षित करने के लिए बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना की कोशिश अपने देश और पड़ोसियों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की इच्छुक हैं. उनकी यह कोशिश सितंबर 2022 में शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान के मूल में 'कनेक्टिविटी में सुधार'- जिसमें चटग्राम और मोंगला बंदरगाह सबसे आगे हैं- के साथ दिखाई दी थी.[85] उनकी इस आकांक्षा को व्यावहारिकता के रूप में साकार करने के लिए पड़ोसी देशों के साथ बांग्लादेश के प्रत्येक बंदरगाह के कनेक्टिविटी लिंक को आंकते हुए बिम्सटेक पर नज़र रखने के साथ क्षेत्रीय समुद्री वाणिज्य में उनके महत्व का आकलन करना अहम हो जाता है.

म्यांमार का नया समुद्री संपर्क

भारत के भूमिबद्ध पूर्वोत्तर को मिलेगा समुद्री लिंक 

विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान के निर्माण ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को लैंडलॉक अर्थात भूमिबद्ध कर दिया. लेकिन 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा कश्मीर युद्ध छिड़ने से पहले तक पूर्वोत्तर क्षेत्र के उद्योजक पूर्वी पाकिस्तान में स्थित बंदरगाहों का उपयोग किया करते थे. उस वक़्त से ही चटग्राम बंदरगाह तक पहुंच बनाने की कोशिशें भारत ने तेज कर दी थी. इसका कारण यह था कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए कोलकाता बंदरगाह की तुलना में चटग्राम बंदरगाह बहुत करीब है. इतना ही नहीं, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए चटग्राम बंदरगाह तक पहुंचना भी आसान है, क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए इन राज्यों के पास उचित मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी उपलब्ध है. इसके विपरीत कोलकाता पोर्ट तक केवल संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के ओवरलैंड अर्थात स्थल मार्ग से ही पहुंचा जा सकता है. इसका एक उदाहरण यह है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से कोलकाता पोर्ट से अगरतला (त्रिपुरा) की सड़क मार्ग से दूरी लगभग 1,570 किमी है. लेकिन ट्रांसशिपमेंट मार्ग से लगभग 360 नॉटिकल माइल्स अर्थात समुद्री मील (650 किमी) का छोटा अंतर पार करते ही कोलकाता से चटग्राम बंदरगाह तक पहुंचा जा सकता है. इसके साथ ही अगरतला से चटग्राम बंदरगाह तक पहुंचने के लिए चटग्राम डिवीजन में आने वाले अखौरा मार्ग से जाने पर लगभग 250 किमी की आंतरिक दूरी तय करनी पड़ती है.[86] अक्सर मानसून के दौरान उत्तर बंगाल और असम में बाढ़ आ जाती है. अत: इस स्थिति में चटग्राम बंदरगाह ही पूर्वोत्तर राज्यों के कार्गो के लिए सबसे उपयुक्त मार्ग मुहैया करवाता है.[87] इतना ही नहीं भारत के पूर्वोत्तर को चटग्राम बंदरगाह से जोड़ना इस क्षेत्र को विकसित करने और पड़ोसी देशों के साथ इसकी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक अधिक व्यवहार्य विकल्प है. भारत की 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबरहुड फर्स्ट' नीतियों में यही कल्पना की गई है.[88]

4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले बांग्लादेश और भारत के लिए अच्छे संबंध बनाए रखना दोनों ही पक्षों के हितों में हैं. इतना ही नहीं, दोनों देश अनेक ऐसी नदियों की सीमाओं को भी साझा करते हैं, जिनका उद्गम तो भारत में होता है, लेकिन यह भारत से बहते हुए पड़ोसी डेल्टा अर्थात नदी के दहाने में जाकर समा जाती है. ऐसे में इन नदियों के जल-बंटवारे का बांग्लादेश के भरण-पोषण के साथ सीधा संबंध हैं, जो इसे सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है. फिलहाल बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के साथ-साथ भारत उसका क्षेत्र में निकटतम सहयोगी भी है. इसी वज़ह से दोनों देशों के नेता अपने संबंधों को पूरे क्षेत्र के लिए द्विपक्षीय संबंधों का ‘‘मॉडल’’ निरुपित करते हैं.[89] इन्हीं कारणों की वज़ह से बांग्लादेश ने भारत के साथ अपने संबंध बेहतर बनाए रखने के लिए उसे अपने बंदरगाहों तक पहुंच की अनुमति देने की कूटनीतिक नीति को अपना रखा है. इसके साथ ही अगर बांग्लादेश, अपने यहां स्थापित मल्टीमॉडल चैनलों के माध्यम से भारत को चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों तक पहुंच की अनुमति देता है तो इसकी वज़ह से ही लैंडलॉक अर्थात भूमिबद्ध नेपाल और भूटान से ट्रान्जिट अर्थात पारगमन कार्गो के लिए इन बंदरगाहों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त होगा. बांग्लादेश का यह कदम उन देशों के साथ ही बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को काफ़ी बढ़ावा देने वाला साबित होगा. यहां उल्लेखनीय है कि चटग्राम बंदरगाह को बंगाल की खाड़ी पर निर्भर देशों का भी मुख्य बंदरगाह कहा जाता हैं.[90]

2015 में, भारत और बांग्लादेश ने एग्रीमेंट ऑन कोस्टल शिपिंग अर्थात तटीय पोतपरिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते को संचालित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर भी हस्ताक्षर किए गए. इसके अनुसार भारत के पूर्वी तट और बांग्लादेश के विशेषत: चटग्राम बंदरगाहों के बीच सीधे नियमित शिपिंग करने की अनुमति दी गई. इसके कारण जिस माल की डिलीवरी में 25 दिनों का समय लगता था वह घटाकर सात दिन करने में सहायता मिली और उद्योजकों को भी प्रति कंटेनर 300 अमेरिकी डॉलर की अनुमानित बचत होने लगी.[91] इसे देखकर कुछ महीनों के भीतर दोनों देशों ने भारत को चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए,[92] जो आगे जाकर 2018 में एक समझौते में परिवर्तित हो गया.[93] यह समझौता पूर्वोत्तर और शेष भारत के बीच चटग्राम बंदरगाह के माध्यम से भारत के घरेलू कार्गो की आवाजाही तक ही सीमित है. लेकिन इसे तीसरे देश के निर्यात-आयात कार्गो की आवाजाही, विशेषत: भारत के पूर्वोत्तर से और पूर्वोत्तर तक, को सुविधाजनक बनाने के लिए विस्तारित भी किया जा सकता है.[94] 2019 में, बांग्लादेश के बंदरगाहों के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुंचने के लिए आठ मार्गों की शिनाख्त की गई थी. इनमें चटग्राम अथवा मोंगला बंदरगाह से अखौरा (बांग्लादेश) के रास्ते से अगरतला (भारत) का मार्ग एवं चटग्राम अथवा मोंगला बंदरगाह से सिलहट शहर (बांग्लादेश) में तमाबिल होते हुए मेघालय (भारत) में डावकी के लिए जाने वाला मार्ग शामिल हैं. इसी प्रकार चटग्राम या मोंगला बंदरगाह से असम (भारत) में सुतारकंडी होते हुए शेओला (भारत) मार्ग तथा चटग्राम या मोंगला बंदरगाह से बीबिर बाजार (भारत) के माध्यम से त्रिपुरा (भारत) में श्रीमंतपुर तक के मार्ग का भी समावेश है.

2020 में एक ट्रायल रन अर्थात परीक्षण के दौरान चटग्राम बंदरगाह से अखौरा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट पर पहुंचे 100 टन कार्गो को त्रिपुरा ने स्वीकार किया था. लेकिन मार्च 2021 में त्रिपुरा को चटग्राम से जोड़ने वाले मैत्री सेतु/फेनी ब्रिज के उद्घाटन के बाद इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है.[95] अप्रैल 2022 में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ एक बैठक में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार पुन: भारत को चटग्राम बंदरगाह के उपयोग की पेशकश की थी. सीपीए ने यह भी सुझाव दिया है कि बंदरगाह का उपयोग भारत के उत्तर पूर्व में त्रिपुरा के करीब आशुगंज नदी बंदरगाह के माध्यम से सामान लाने के लिए किया जा सकता है. नये पद्मा ब्रिज को यदि कोलकाता से जोड़ा जाता है तो यह चटग्राम बंदरगाह के माध्यम से भारत के व्यापार को और गति प्रदान करेगा.[96]

भारत को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पेशकश को अनेक अंदाज में परिभाषित अथवा पेश किया जा सकता है. कुछ खबरों में इसे बांग्लादेश की वाशिंगटन डीसी के साथ संबंधों को सुधारने के लिए नई दिल्ली और अमेरिका के बीच अच्छे संबंधों का उपयोग करने का माध्यम बताया गया है. इसका कारण यह है कि बांग्लादेश को ढाका की रैपिड एक्शन बटालियन की वज़ह से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.[97] कुछ अन्य खबरों ने इसे भारत के म्यांमार के साथ बढ़ते व्यापार और कनेक्टिविटी को लेकर ढाका की चिंताओं को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम निरुपित किया है.[98] एक तीसरी व्याख्या यह कि जा रही है कि श्रीलंका की स्थिति को देखते हुए सबक लेकर बांग्लादेश यह कदम उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था को और मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है.[99] भले ही इसे किसी भी तरह से परिभाषित करें, लेकिन बांग्लादेश का यह फ़ैसला भारतीय दृष्टिकोण से एक स्वागत योग्य कदम ही कहा जाएगा.[100]

नवंबर 2017 में, टाटा मोटर्स द्वारा बुक किए गए 240 वाहनों का एक रो-रो एक्सपोर्ट शिपमेंट [i] कोलकाता पोर्ट से मोंगला बंदरगाह के लिए रवाना किया गया था.[101] इस तरह के वाहन बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए कंपनी इसके पहले आमतौर पर बेनापोल-पेट्रापोल सीमा चौकी पर स्थित भूमि बंदरगाह का उपयोग करती थी. लेकिन उस चेक प्वाइंट अर्थात सीमा चौकी पर भारी आवागमन के कारण होने वाली भीड़ की वज़ह से कन्साइनमेंट अर्थात माल की खेप पहुंचने में 15 दिनों तक की देरी हो जाती थी. इस देरी की वज़ह से व्यापारियों का ध्यान कोलकाता से मोंगला तक समुद्री मार्ग की ओर आकर्षित हुआ, क्योंकि इस मार्ग से माल पहुंचाने में केवल 18 घंटे का वक़्त ही लगता है.[102] परिणामस्वरूप, मोंगला बंदरगाह को इस शिपमेंट अर्थात खेप की वज़ह से 12 करोड़ टका (एक मिलियन अमेरिकी डॉलर) का राजस्व अर्जित हुआ. लेकिन यह पहल भी बंदरगाहों पर लगने वाली देरी, उपयुक्त जहाज़ों की कमी और कार्गो की धीमी हैंडलिंग के कारण ज़्यादा सफ़ल नहीं साबित हो सकी.[103] इसके बावजूद, अगस्त 2022 में मोंगला बंदरगाह के माध्यम से कोलकाता से पूर्वोत्तर में कार्गो के ट्रांसशिपमेंट के लिए एक ट्रायल रन पूरा किया गया. यह ट्रायल रन भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट का उपयोग करके पूर्वोत्तर राज्यों में भारत के ट्रांसशिपमेंट की शुरूआत को चिह्नित करता है. हालांकि, आवागमन में आसानी से संबंधित मुद्दों की पहचान करने और उन्हें हल करने के लिए इस ट्रायल रन को लेकर एक विस्तृत अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें सीमा शुल्क और आप्रवासन मंजूरी को भी शामिल किया जाना चाहिए.[104]

नेपाल का सबसे आसान समुद्री संपर्क

नेपाल का अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय कार्गो इस वक़्त कोलकाता बंदरगाह के माध्यम से जा रहा है. लेकिन भौगोलिक रूप से चटग्राम और मोंगला बंदरगाह, नेपाल के लिए कोलकाता बंदरगाह की तुलना में काफी करीब है. इसी वज़ह से अब कोलकाता में भीड़भाड़ की निरंतर सामने आने वाली समस्या को देखते हुए हिमालयी देश नेपाल, अब बांग्लादेश बंदरगाहों के माध्यम से अधिक व्यापार करने की चाह रखने लगा है. इस दिशा में एक क्रमिक बदलाव किया जा रहा है. दरअसल कोलकाता बंदरगाह से जुड़ी समस्याओं के कारण नेपाल को पर्याप्त मौद्रिक और समय का नुक़सान उठाना पड़ता है.[105]

1976 में, बांग्लादेश ने नेपाल के साथ एक ट्रेड एंड पेमेंट्स अर्थात व्यापार और भुगतान समझौते के साथ एक ट्रान्जिट अर्थात पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें परिवहन के बहुविध साधनों के माध्यम से ट्राफिक-इन-ट्रांज़िट अर्थात ऐसा माल जो पहले से ही पारगमन अर्थात बीच रास्ते में हो, की आवाजाही के लिए छह स्थानों की पहचान की गई थी. इस सूची में बांग्लादेश-भारत सीमा पर चार स्थान (बिरल, बंगलाबंधा, चिल्हाटी और बेनापोल) और चटग्राम और मोंगला के बंदरगाह शामिल थे.[106] ऐसे में बांग्लादेश के बंदरगाह भले ही कोलकाता बंदरगाह के विकल्प के रूप में विकसित होने लगे थे, लेकिन भारत इसके बावजूद पारगमन की दृष्टि से नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण देश बना रहा. इसका कारण यह था कि नेपाली कार्गो को संकीर्ण और भीड़भाड़ वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर (भले ही भारत सामरिक स्थान पर परिवहन यातायात की अनुमति को जारी रखने में हिचकिचा रहा था) से गुजरना पड़ता था. खैर, 2010 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी भारत यात्रा में कहा था कि बांग्लादेश, नेपाल और भूटान को मोंगला और चटग्राम बंदरगाहों तक एक्सेस अर्थात पहुंच प्रदान करेगा,[107] तो इसके बाद भारत ने फूलबाड़ी (बांग्लादेश की सीमा पर) से काकरविता-पनितंकी तक (नेपाल-भारत सीमा) रोड कनेक्शन अर्थात सड़क संपर्क की अनुमति दे दी. इसके बाद 2011 में, नेपाल ने चटग्राम बंदरगाह का उपयोग आरंभ कर दिया. इसमें बंदरगाह से मुख्य ट्रान्जिट अर्थात पारगमन मार्ग भारत में सिंगाबाद के माध्यम से नेपाल में रक्सौल-बीरगंज तक था.[108]

मई 2016 में, नेपाल और बांग्लादेश के बीच तीसरी वाणिज्य-सचिव-स्तरीय बैठक में नेपाल ने चटग्राम बंदरगाह का उपयोग करते हुए ट्रान्जिट ट्रेड अर्थात पारगमन व्यापार को बढ़ाने को लेकर अपनी रुचि व्यक्त की. इसके पश्चात प्रतिनिधिमंडलों ने भी दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने पर सहमति व्यक्त करते हुए पारगमन कार्गो परिवहन के तौर-तरीकों पर चर्चा की. इसके परिणामस्वरूप काकरभीता-पनीरटंकी-फुलबाड़ी वाणिज्यिक मार्गों को पूरी तरह खोलने का निर्णय लिया गया.[109] इसी प्रकार बांग्लादेश उसी वर्ष हस्ताक्षरित बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल समझौते के तहत नेपाल को चटग्राम, मोंगला और पायरा बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान करने का भी उत्सुक था. अत: कुछ महीने बाद ही सितंबर में नेपाल को पारगमन व्यापार के लिए मोंगला बंदरगाह तक पहुंच प्रदान करने का फ़ैसला ले लिया गया.[110]

2018 में, नेपाल ने मोंगला बंदरगाह का उपयोग करना शुरू कर दिया. इसके तहत चीन से उर्वरक ले जाने वाला एक जहाज़ मोंगला पहुंचा, जहां से इसे भारत के माध्यम से ट्रेन द्वारा नेपाल पहुंचाया गया. 2021 और 2022 में,  प्रधानमंत्री हसीना ने बार-बार नेपाल से मोंगला, पायरा,[111] और चटग्राम बंदरगाहों का उपयोग करने का आग्रह किया.[112] लेकिन इसके बावजूद कोलकाता बंदरगाह नेपाल से तीसरे देश को होने वाले व्यापार के लिए मुख्य बंदरगाह बना हुआ है.[113]

एक वैकल्पिक बंदरगाह़ की खोज में भूटान

अपने हिमालयी पड़ोसी नेपाल की तर्ज़ पर ही भूटान भी अपने सभी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए कोलकाता बंदरगाह पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों के लिए मार्गों को विकसित करने का इच्छुक है. 1980 में, भूटान ने बांग्लादेश के साथ एक ट्रेड एंड ट्रांज़िट अर्थात व्यापार और पारगमन समझौता किया था. इसके बाद उसने भारत के माध्यम से बांग्लादेश के साथ मुख्य रूप से दो सीमा बिंदुओं पर- चंगरबंधा (भारत)-बुरीमारी (बांग्लादेश), और फुलबारी (भारत)-बांग्लाबंधा (बांग्लादेश) व्यापार करना शुरू किया.[114] बांग्लादेश को भूटान का अधिकांश निर्यात फुन्स्टचोलिंग (भूटान)-हासीमारा और चेंगराबांधा (भारत)-बुरीमारी (बांग्लादेश) मार्ग से होता है जो 1988 में खुला था.[115] बांग्लादेश से भूटान में होने वाले आयात की मात्रा बांग्लादेश को होने वाले उसके निर्यात की तुलना में काफ़ी कम है, और भारत के बाद बांग्लादेश, भूटान का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है.[116]

चंगरबंधा-बुरीमारी सीमा के माध्यम से होने वाले व्यापार के दौरान बड़ी मात्रा में कार्गो परिवहन  के परिणामस्वरूप वहां से कार्गो निकलने में औसतन चार दिन की देरी लग जाती है. इतना ही नहीं बुरीमारी में बुनियादी ढांचा अपर्याप्त होने के अलावा दस्तावेज़ीकरण की अत्यधिक आवश्यकताओं के कारण माल की निकासी में और देरी होती है.[117] इस समस्या को देखते हुए, थिम्पू ने ट्रांज़िट ट्रेड अर्थात पारगमन व्यापार के लिए अन्य भूमि मार्गों की मांग की. भूटान ने नई दिल्ली से बांग्लादेश के साथ व्यापार के लिए ट्रांसशिपमेंट पॉइंट के रूप में मेघालय में डालू और घासुआपारा के भूमि बंदरगाहों तक पहुंच उपलब्ध करवाने की गुजारिश की. डालू और घासुआपरा बांग्लादेश के नाकुगांव और हलुआघाट भूमि बंदरगाहों से सटे हुए हैं, और इस प्रकार बुरीमारी की तुलना में चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों तक छोटी, सस्ती और अधिक सुविधाजनक पहुंच मुहैया करवाते हैं.[118]  भारत ने भूटान के अनुरोध को 2012 में स्वीकार कर लिया था.[119]

2017 में, भूटान का बांग्लादेश को निर्यात अपने उच्चतम स्तर पर था. इस वज़ह से बांग्लादेश एकमात्र ऐसा देश बन गया, जिसके साथ भूटान का भारी ट्रेड सरप्लस अर्थात व्यापार अधिशेष था.[120] उस वर्ष व्यापार में वृद्धि की वज़ह से दोनों देशों ने 'द्विपक्षीय व्यापार और पारगमन कार्गो के परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग पर समझौता ज्ञापन' पर हस्ताक्षर कर लिए. इसके साथ ही भूटान को दो तटीय और अंतर्देशीय जल मार्गों, चटोग्राम-चांदपुर-मावा-अरिचा-सिराजगंज-चिलमारी-दिखवा; और मोंगला-कवखाली-बरिसल-चांदपुर-मावा-अरीचा-सिराजगंज-चिलमारी-दिखवा, के माध्यम से व्यापार के लिए चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति मिली.[121] इसके बाद 2019 में, फुन्स्टचोलिंग-धुबरी-नारायणगंज रिवराइन ट्रांज़िट ट्रेड रूट अर्थात नदी पारगमन व्यापार मार्ग ब्रह्मपुत्र नदी और पद्मा के माध्यम से भी चालू हो गया.[122]

2020 में, भारत ने थिम्पू के बांग्लादेश के साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए, अगरतला के साथ ट्रांज़िट ट्रेड अर्थात पारगमन व्यापार के लिए नए व्यापार मार्ग खोलने के भूटान के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.[123] सितंबर 2022 में, बांग्लादेश ने भूटान के लिए, पोर्ट ऑफ कॉल अर्थात यात्रा के दौरान बंदरगाहों पर जहाज़ों के विश्राम की व्यवस्था के लिए छह नए बंदरगाहों - अरिचा, चिलमारी, सिराजगंज, मोंगला, चटग्राम और पायरा खोलने का निर्णय कर लिया. अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग पर समझौता ज्ञापन के लिए एक संशोधित एसओपी पर भी हस्ताक्षर किए गए, जो बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने से पहले, विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र बेसिन के साथ-साथ बोल्डर निर्यात को उतारने और कई यात्राएं करने के लिए विभिन्न जगह प्रदान करेगा. इसके वैकल्पिक पारगमन मार्ग प्रदान करने और बांग्लादेश-भूटान अधिमान्य व्यापार समझौते के पूरक होने की भी उम्मीद है, जो 1 जुलाई 2022 से लागू हुआ था.[124] इस बीच दोनों देशों के बीच यातायात (सामान) की आवाजाही पर समझौते का मसौदा और उसके प्रोटोकॉल को भी अंतिम रूप दे दिया गया है. प्रोटोकॉल की पुष्टि हो जाने के बाद, यह चटग्राम और मोंगला के बंदरगाहों के माध्यम से निकास सहित बांग्लादेश के माध्यम से पारगमन में भूटानी सामानों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा.[125]

2022 में, अराकान स्टेट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के हवाले से खबर आई कि म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों ने दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष व्यापार को, विशेषत चटग्राम बंदरगाह के माध्यम से, बढ़ावा देने के लिए तटीय शिपिंग लाइन शुरू करने के लिए कदम उठाने का फ़ैसला किया हैं. दोनों देशों को उम्मीद है कि  इससे व्यापार की मात्रा और राजस्व में वृद्धि होगी.[126] अराकान राज्य के मोंगडॉ और सितवे में सीमा व्यापार शिविरों के माध्यम से बांग्लादेश में टेकनाफ बंदरगाह के लिए अदरक, काली मिर्च, प्याज और बेर जैम प्राथमिक निर्यात हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पार व्यापार उच्च परिवहन लागत और दोनों पक्षों में लॉजिस्टिक्स अर्थात संचालन व्यवस्था में कठिनाइयों का सामना करते हैं. इस वज़ह से व्यापारी प्रत्यक्ष परिवहन मार्गों की तलाश करते हैं, जो व्यापार प्रवाह को गति देकर माल को सीधे चटग्राम बाज़ार में पहुंचाने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा. फिलहाल म्यांमार के व्यापारी बांग्लादेश सीमा तक ही माल की ढुलाई कर रहे हैं. वहां से माल को बेचने के लिए चटग्राम बाज़ार तक लेकर जाने में अतिरिक्त ख़र्च करना पड़ता है. 2008-2009 में, म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों ने इनलैंड अर्थात अंतर्देशीय बंदरगाहों के माध्यम से प्रत्यक्ष व्यापार शुरू करने के मामले में एक समझौता किया, लेकिन म्यांमार अंतर्देशीय जल परिवहन निदेशालय इस समझौते की समीक्षा कर रहा है, जिसकी वज़ह से इसमें देरी हो रही है.[127] दोनों देशों के बीच पनप रहा रोहिंग्या मुद्दा और म्यांमार में 2021 का तख्त़ापलट भी इस तटीय नौवहन प्रस्ताव को साकार करने में और देरी लगने का कारण बन सकते हैं.

खाड़ी में संबंधों को सुरक्षित करना चाहता है थाईलैंड

2016 में, थाईलैंड के बंदरगाह प्राधिकरण के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष तटीय शिपिंग कनेक्टिविटी पर बांग्लादेश के नौवहन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ पहली आधिकारिक चर्चा की. थाईलैंड के पोर्ट ऑफ रानोंग के साथ सीधे तटीय शिपिंग लिंक स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के इरादे से दोनों सरकारों द्वारा चटग्राम बंदरगाह की क्षमता और सुविधाओं पर एक व्यवहार्यता अध्ययन करने का फ़ैसला लिया गया. इस तरह की लिंक से माल के लिए शिपिंग समय कम करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.[128]

इसके बाद, थाईलैंड के परिवहन मंत्रालय ने पोर्ट अथॉरिटी को बांग्लादेश के साथ संपन्न होने वाले पोर्ट-टू-पोर्ट सहयोग पर एक समझौते को लेकर  किसी कानूनी दस्तावेज़ पर विचार करने का निर्देश दिया. इसके तुरंत बाद, थाईलैंड के समुद्री विभाग को मसौदा समुद्री परिवहन समझौता भेजा गया इस पर उसे संशोधन के लिए पुनर्विचार करने और इसका कानूनी दस्तावेज़ के रूप में उपयोग करने को कहा गया.[129] लेकिन 2016 में हुई इस प्रारंभिक बैठक के बाद अगले ही कुछ महीनों में, म्यांमार में रोहिंग्या संकट गहरा गया, जिसका कुछ हद तक असर बांग्लादेश पर भी पड़ा. ऐसी स्थिति में, थाई सरकार ने बांग्लादेश के साथ तटीय नौवहन समझौते को रोकना ही बेहतर और विवेकपूर्ण समझा होगा, क्योंकि आवंटित जहाज़ों को म्यांमार के रखाइन तट से होते हुए अंडमान सागर में जाना पड़ता है. यह वही तट है जहां  से रोहिंग्या बांग्लादेश के लिए पलायन कर रहे थे.[130] लेकिन इसके बाद दिसंबर 2021 में, बांग्लादेश में थाई राजदूत मकावदी सुमितमोर ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता विचाराधीन है. इसमें थाईलैंड के अंडमान तट और बंगाल की खाड़ी के बीच अधिक कॉस्ट इफेक्टिव अर्थात किफायती समुद्री परिवहन मार्गों का पता लगाया जा रहा है. थाईलैंड बंदरगाह प्राधिकरण और सीपीए इस संबंध में सहयोग बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं.[131]

वर्तमान में, बांग्लादेश और थाईलैंड के बीच माल सिंगापुर बंदरगाह के माध्यम से ले जाया जाता है.  इसमें प्रत्येक शिपमेंट को लगभग दो सप्ताह का समय लगता है.  प्रत्यक्ष तटीय नौवहन स्थापित करने से ट्रांज़िट अर्थात पारगमन लगभग आठ दिनों में हो सकेगा, माल और सेवाओं कारोबार की शिपिंग लागत कम होगी और एक नया व्यापार और परिवहन मार्ग तैयार होगा. थाईलैंड भी  बंगाल की खाड़ी के प्रवेश द्वार और अंडमान सागर में शिपिंग केंद्र के रूप में रानोंग बंदरगाह को विकसित कर रहा है.[132]

खाड़ी का डॉकिंग

बिम्सटेक के भीतर 'व्यापार, निवेश और विकास' क्षेत्र के लिए अग्रणी देश के रूप में, बांग्लादेश के बंदरगाहों की खाड़ी के पार क्षेत्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने की विशेष ज़िम्मेदारी है.[133] बांग्लादेश बिम्सटेक के सभी सदस्यों के लिए समुद्री परिवहन व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि उनका अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्र द्वारा किया जाता है. इसके अतिरिक्त, टन भार के संदर्भ में अधिकांश इंट्रा-बिम्सटेक व्यापार भी भूमि संपर्क की भौतिक बाधाओं, समुद्री परिवहन की कम इकाई लागत, व्यापार किए जाने वाले सामानों के प्रकार, और समुद्र के किनारों पर आपूर्ति और मांग की एकाग्रता और भूमिबद्ध देशों को पुनः निर्यात होने वाली सामग्री भी समुद्री मार्ग पर ही निर्भर है. इसलिए, बंदरगाह बिम्सटेक क्षेत्र के विकास के लिए मुख्य हैं.[134] इसी वजह से खाड़ी तट के साथ सबसे व्यस्त बंदरगाह के रूप में, चटग्राम बंदरगाह का विशेष महत्व है. इसके बावजूद कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो क्षेत्र के लिए चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों के इष्टतम उपयोग में बाधा डालते हैं:

  • सीमा और अधिकार क्षेत्र

अधिकांश बंदरगाह मुख्यत: अपने हिंटरलैंड अर्थात भीतरी इलाकों की मांगों को ही पूरा करने का काम करते हैं, लेकिन इनके आवागमन को कृत्रिम रूप से बनाई गई भूमि सीमाएं अक्सर बाधित करती हैं. यह बात पश्चिमी बांग्लादेश पर सटीकता के साथ लागू होती है, जो अपने करीब मौजूद कोलकाता बंदरगाह की बजाय चटग्राम बंदरगाह से अपना व्यापार संचालित करता है. यही बात विपरीत रूप से लेकिन भारत के लिए भी सटीक साबित होती है. इसका कारण यह है कि चटग्राम बंदरगाह के करीब होने के बावजूद भारत का पूर्वोत्तर, चुनौतियों से पूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से कोलकाता मार्ग के माध्यम से व्यापार करता है. हाल ही में की जा रही इंटर-कंट्री ट्रान्जिट इनिशिएटिव अर्थात अंतर-देश पारगमन पहल समय और धन बचाने के साथ ही इन क्षेत्रों को लाभान्वित करने की दृष्टि से बेहद अहम हैं. लेकिन इस क्षेत्र में बंदरगाह लगभग अलगाव में काम करना जारी रखे हुए हैं. इन बंदरगाहों को संचालित करने वाले लोगों को क्षेत्रीय सहयोग की कोई अहमियत दिखाई नहीं देती.[135] इसके पीछे कुछ हद तक 'संप्रभुता के बारे में संवेदनशीलता' कारण हो सकता है, जो उपनिवेशीकरण के साथ जुड़े अपने इतिहास के कारण इस क्षेत्र में व्याप्त दिखाई देता है. अपने अस्थिर पूर्वोत्तर में किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप को लेकर भारत लंबे समय से सतर्क रहा है. लेकिन अब, भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक ‘‘सुनहरा अध्याय’’ खुल रहा है,[136] जो इन अवरोधों को अंतत: दूर करने में सफ़ल साबित हो सकता है.

  • डीप-वॉटर पोर्ट अर्थात गहरे पानी के बंदरगाहों का अभाव

खाड़ी की तटरेखा पर बसे बंदरगाहों में, केवल कोलंबो- अपनी रणनीतिक हब पोजिशन और दक्षिणी महासागर कॉरिडोर से अपनी तत्काल निकटता के साथ बड़े कंटेनर जहाज़ों से जुड़े व्यापारियों को आकर्षित करने की क्षमता रखता है. अन्य बिम्सटेक बंदरगाहों, जैसे चटग्राम, कोलकाता, यांगून और थिलावा से केवल छोटे कंटेनर जहाज़ों को आकर्षित करने की उम्मीद वास्ताविक होगी. यह केवल ड्राफ्ट अर्थात तलछट को लेकर पेश आने वाली दिक्कतों के कारण ही नहीं, बल्कि सीमित आवागमन अर्थात जहाज़ों के आने-जाने की मांग से जुड़ी है. इसी बात को ध्यान में रखकर 16-मीटर ड्राफ्ट की आवश्यकता वाले मेगा कंटेनर जहाज़ों के उत्थान की वज़ह से न्यू डीप-वॉटर अर्थात नए गहरे पानी के बंदरगाहों को विकसित करने की बात की जा रही है. लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि भविष्य में खाड़ी या अंडमान सागर में बड़े कंटेनर जहाज़ों के लिए मांग अपर्याप्त रहने की भी संभावना है. अत: डीप-वॉटर बंदरगाहों की मांग विशेष रूप से तेल, ईंधन, अनाज और स्टील जैसे बल्क कार्गो के संचालन से जुड़ी हैं. क्योंकि ये कार्गो उन्हीं इलाकों में चलते हैं जहां की अर्थव्यवस्थाओं के पैमाने अधिक रूप से स्पष्ट है और इनकी प्रति शिपमेंट मात्रा भी बड़ी होती है. इसी वज़ह से बिम्सटेक, बड़े कंटेनर फीडर जहाज़ों को समायोजित करने, व्यापार को सुविधाजनक बनाने और बंदरगाह परिसरों के आसपास आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए खाड़ी के उत्तरी भागों में डीप-वॉटर बंदरगाहों की ज़रूरत को पहचानता है. अत: पायरा और मातरबारी डीप-वॉटर बंदरगाहों का निर्माण यहां के क्षेत्रीय विकास के लिए अहम है.[137]

  • तटीय नौका सेवा की आवश्यकता

कोस्टल अर्थात तटीय या शॉर्ट-सी शिपिंग यानी लघु-समुद्र शिपिंग का मतलब एक तट के साथ कार्गो और यात्रियों की आवाजाही होता है. बिम्सटेक क्षेत्र के पास श्रीलंका, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड से बने खाड़ी के तटीय आर्क के सहयोग से क्षेत्रीय व्यापार के लिए तटीय नौवहन का लाभ उठाने का एक सुनहरा मौका है. लेकिन इस अवसर का पूरी तरह से दोहन नहीं किया गया है, क्योंकि इन मार्गों का उपयोग करते हुए जिस अंतर-देशीय व्यापार में विस्तार किया जा सकता है उन वस्तुओं तक की ही पहचान अभी नहीं की गई है. इसी प्रकार यह लाभ उठाने की स्थिति में जो तटीय देश शामिल हैं, उन देशों के बीच तटीय नौवहन समझौतों की कमी है. मसलन, बांग्लादेश का भारत के साथ तो एक तटीय नौवहन समझौता है, लेकिन म्यांमार और थाईलैंड के साथ उसका कोई समझौता नहीं है. भारत के पूर्वी तट, म्यांमार में यांगून पोर्ट और थाईलैंड में रानोंग पोर्ट के साथ शॉर्ट-सी शिपिंग के लाभ के लिए चटग्राम बंदरगाह बेहद अहम स्थिति में है. इसी वज़ह से चटग्राम रानोंग बंदरगाहों को सीधे शिपिंग के माध्यम से जोड़ने को लेकर कुछ रुचि दिखाई देती है, जिसे बाद में भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों तक विस्तारित किया जा सकता है. बिम्सटेक एक क्षेत्रीय तटीय नौवहन समझौते सहित एसओपी और विनियमों पर बातचीत करने की प्रक्रिया में जुटा है. फिलहाल एशियाई विकास बैंक इस क्षेत्र में तटीय नौवहन को विकसित करने के लिए एक तकनीकी सहायता स्टडी अर्थात अध्ययन कर रहा है (मानचित्र 3 देखें). इस स्टडी में मौजूदा नीति और नियामक ढांचे का आकलन किया जा रहा है, जिनके आधार पर एक व्यापक डिजाइन विकसित की जाएगी, जो तटीय मार्गों के माध्यम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा मुहैया करवाएगा.[138]

मानचित्र3: बंगाल की खाड़ी में प्रस्तावित नए तटीय नौवहन मार्ग

 

 

स्त्रोत: ट्रान्सपोर्ट एंड कनेक्टिविटी पर बिम्सटेक का मास्टर प्लान[139]

निष्कर्ष

चटग्राम और मोंगला बंदरगाह बांग्लादेश के समृद्ध भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं. जैसे-जैसे बांग्लादेश अपनी अर्थव्यवस्था के लिए व्यापार पर निर्भर रेडीमेड गारमेंट क्षेत्र का दोहन करना जारी रखता है, वैसे-वैसे इन बंदरगाहों पर भी उसकी निर्भरता बढ़ती ही जाएगी. अपनी व्यावसायिक समृद्धि के लिए बांग्लादेश अपने बुनियादी व्यापार बुनियादी ढांचे पर पहले से कहीं अधिक बल दे रहा है. ऐसे में बांग्लादेश के लिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि वह अपने बंदरगाहों पर ट्रैफिक अर्थात आवगमन बढ़ाने के लिए अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को विकसित करना जारी रखें. यह भी सच ही है कि ट्रांज़िट कार्गो से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के मुनाफ़े को और बढ़ावा मिल सकता है.

बांग्लादेश को चटग्राम और मोंगला बंदरगाहों के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अभी अनेक उपाय करने पड़ेंगे. इन बंदरगाहों का समय-समय पर आधुनिकीकरण और रख़-रखाव किया जाना चाहिए; यहां होने वाली भीड़ को कम करने के लिए चटग्राम बंदरगाह में और उसके आसपास बुनियादी ढांचे का विकास करने के साथ ही उचित पर्यावरणीय सावधानी के साथ पायरा और मातरबारी डीप-वॉटर बंदरगाहों का त्वरित विकास इस क्षेत्र में बल्क कार्गो व्यापार को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगा. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत को बेहतर क्षेत्रीय व्यापार को सक्षम करने के लिए बांग्लादेश और हिमालयी देशों के बीच पारगमन मार्ग के लिए अपने क्षेत्र के उपयोग पर अपनी झिझक को छोड़ना होगा.

अपने पड़ोसियों, विशेष रूप से भूमिबद्ध देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अपने बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति देने के अनेक लाभ हैं. अगर ऐसा होता है तो यह बात बांग्लादेश को अंतर-क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अपना स्थान पुख्ता करना सुनिश्चित करते हुए उसे क्षेत्रीय व्यापार के केंद्र में लाकर रख देगा. अपनी इस अनूठी क्षमता के साथ बांग्लादेश दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को फिर से एक दूसरे के साथ जुड़ने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक प्रवेश द्वार भी मुहैया करवा सकता है. ऐसे में यह साफ़ है कि बांग्लादेश के बंदरगाह बिम्सटेक के लिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बिम्सटेक खाड़ी को दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में विभाजित करने वाली रेखा की सीमाओं को पार करके 'बंगाल की खाड़ी समुदाय' का निर्माण करना चाहता है.

परिशिष्ट1: मौजूदा कीमतों पर बांग्लादेश की 2021-22 जीडीपी का सेक्टर-वार ब्रेकअप (टका मिलियन में)

परिशिष्ट1: मौजूदा कीमतों पर बांग्लादेश की 2021-22 जीडीपी का सेक्टर-वार ब्रेकअप (टका मिलियन में)

 

परिशिष्ट 2: मौजूदा कीमतों पर बांग्लादेश के 2021-22 जीडीपी में सेवा क्षेत्र के योगदान का उप-क्षेत्र-वार ब्रेकअप (टका मिलियन में)

 

 

परिशिष्ट 3: बांग्लादेश के 2021-22 जीडीपी में 'परिवहन और भंडारण' उप-क्षेत्र के तहत परिवहन के विभिन्न साधनों का मौजूदा कीमतों पर योगदान (टका मिलियन में)

 

 

 

परिशिष्ट 4: चटग्राम बंदरगाह वार्षिक कार्गो हैंडलिंग सांख्यिकी (मीट्रिक टन में)

 

 

 

परिशिष्ट 5: वित्त वर्ष 2014-15 और वित्त वर्ष 2021-22 में सड़क, रेल और नदी नेटवर्क के माध्यम से ड्राई कार्गो क्लीयरेंस (मीट्रिक टन में)

 

 

 

परिशिष्ट 5: वित्त वर्ष 2014-15 और वित्त वर्ष 2021-22 में सड़क, रेल और नदी नेटवर्क के माध्यम से ड्राई कार्गो क्लीयरेंस (मीट्रिक टन में)

 

 

  

परिशिष्ट 7: चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह प्राधिकरणों द्वारा प्रबंधित जहाज़ों की संख्या

 

 


Endnotes

[a] Sea lines of communication are maritime shipping routes between ports that are used for the trade of goods, the transfer of passengers, and naval purposes.

[b] In April 2018, Bangladesh changed the name of Chittagong city to Chattogram, based on its Bengali spelling and pronunciation. The change also applied to the port located in the city, but the port authority continues to be known as the Chittagong Port Authority.

[c] Sri Lanka is the only BIMSTEC country that does not share any land boundaries with Bangladesh, nor is it located near that country. As such, Bangladesh’s seaports are unlikely to enhance Sri Lanka’s trade, unless through any regional arrangements.

[d] The Multi-Fibre Arrangement (MFA) was an international trade agreement established in 1974 that imposed quotas on the amount of clothing and textile that developing countries could export to developed nations. The US imposed the pact on Bangladesh in 1987, allowing only a 6-percent growth rate in its MFA imports from the country. Despite its binding constrains, MFA also provided the much-required market access facilities to least developed countries like Bangladesh, reducing competition from the other relatively efficient and advanced developing countries such as India. Consequently, Bangladesh’s readymade garment industry boomed. The MFA was replaced by the Agreement on Textiles and Clothing in 1995. Although this led to the elimination of the quotas, it allowed Bangladesh to receive benefits under the Generalised System of Preferences, and gain access to the European Union and US markets, as long as it meets the standards set by the International Labour Organization.

[e] In a tool port model, the port authority provides infrastructure and superstructure, equipment, and other supplies, which the port operator uses to conduct the port operation. The primary objective behind tool ports is to increase private involvement for port efficiency. Tools ports can thus be considered as a stage in transforming public/state-owned ports to private ports.

[f] In a service port model, the port authority is responsible for providing infrastructure, superstructure, recruiting employees, and administration and operation of the port. The port authority acts in public interest and the full ownership of the port remains with the government. In such a system, the main objective is to provide a secured transaction through the port, while generating employment, rather than focusing on profits.

[g] Equipment availability is a metric used to measure the percentage of time a machine can be used.

[h] Fast-tracking is a method by which the different tasks of the project, which would ordinarily have been undertaken sequentially, are instead completed simultaneously. In 2016, the Bangladesh government allocated TK 18,727 crore (US$1 billion) for eight fast-track mega infrastructural projects to accelerate the country’s growth. These were: The Payra Seaport project, Padma Bridge rail link, metro rail, Rooppur nuclear power plant, Rampal power plant, Matarbari power plant and Dohazari-Cox's Bazar-Gundum rail line.

[1] Dipanjan Roy Chaudhury, “Bangladesh: Henry Kissinger’s basket case is an economic success story,” The Economic Times, February 01, 2021.

[2] The World Bank, “The World Bank in Bangladesh,” October 06, 2022.

[3] Government of Bangladesh, Ministry of Foreign Affairs, “Blue Economy- Development of Sea Resources for Bangladesh,” by Md. Khurshed Alam.

[4] Sohini Bose, Anasua Basu Ray Chaudhury and Harsh V. Pant, “BIMSTEC on the Cusp: Regional Security in Focus,” Observer Research Foundation, Issue Brief No. 563, July 18, 2022, p. 3, https://www.orfonline.org/wp-content/uploads/2022/07/ORF_IssueBrief_563_BIMSTEC-Security.pdf

[5] “As BIMSTEC marks its 25th Anniversary on BIMSTEC Day 2022, Leaders of all BIMSTEC countries reaffirm their commitment to strengthen regional cooperation,” BIMSTEC, June 06, 2022, https://bimstec.org/event/as-bimstec-marks-its-25th-anniversary-on-bimstec-day-2022-leaders-of-all-bimstec-countries-reaffirm-their-commitment-to-strengthen-regional-cooperation/

[6] World Atlas, Maps of Bangladesh, https://www.worldatlas.com/maps/bangladesh

[7] M.R.H. Khondoker and K.R. Hasan, “Waste Management of a Maritime Port: The Case of Mongla Port,” Journal of Naval Architecture and Marine Engineering (December 2020), http://dx.doi.org/10.3329/jname.v17i2.48925

[8] Government of Bangladesh, Chittagong Port Authority, Annual Report 2021-2022 (Provisional) (September 29, 2022), p. 34, http://cpa.gov.bd/sites/default/files/files/cpa.portal.gov.bd/annual_reports/e7712d1a_14eb_4ed7_bb27_683a675880a3/2022-09-29-12-50-daa00b7770740510db67733c834c4ede.pdf.

[9] Government of Bangladesh, Mongla Port Authority “Annual Audit Report and Financial Statement 2021-2022” (June 30, 2022), p. 29, http://www.mpa.gov.bd/sites/default/files/files/mpa.portal.gov.bd/annual_reports/da7153b2_7c53_4417_813d_f5a1f429e5ef/2022-12-27-16-34-9e5b85474ef94d2758e5cfe5a25f1e7d.pdf

[10] Government of Bangladesh, Gross Domestic Product of Bangladesh at Current Prices, http://bbs.portal.gov.bd/sites/default/files/files/bbs.portal.gov.bd/page/057b0f3b_a9e8_4fde_b3a6_6daec3853586/2022-05-10-08-39-8796d375a266de9952d293604426cd1c.pdf

[11] Government of Bangladesh, Gross Domestic Product of Bangladesh at Current Prices

[12] Government of Bangladesh, Gross Domestic Product of Bangladesh at Current Prices.

[13] Shahidur Rahman, “Global Shift: Bangladesh Garment Industry in Perspective,” Asian Affairs (26), no.1 (January 2004): p.75, https://www.researchgate.net/publication/292237356_Global_shift_Bangladesh_garment_industry_in_perspective

[14] Shahidur Rahman, “Global Shift: Bangladesh Garment Industry in Perspective.”

[15] Government of Bangladesh, Chittagong Port Authority, Annual Report 2019-2020, http://cpa.portal.gov.bd/sites/default/files/files/cpa.portal.gov.bd/annual_reports/938d729b_a555_45f5_bdac_042b8814731b/2021-12-14-04-19-454b946bbd122ae7e5646dba528633ce.pdf

[16] Ziaul Haque Munim, Khandaker Rasel Hasan, Hans-Joachim Schramm, Hasan Mahbub Tusher, “A port attractiveness assessment framework: Chattogram Port’s attractiveness from the users’ perspective,” Case Studies on Transport Policy (10), (2022): pp. 463-471, https://doi.org/10.1016/j.cstp.2022.01.007

[17] Halima Begum, “Impact of Port Efficiency and Productivity on the Economy of Bangladesh-A Case Study of Chattogram Port,” (MA Dissertation, World Maritime University, Sweden, 2004), p.1, https://commons.wmu.se/cgi/viewcontent.cgi?referer=&httpsredir=1&article=1404&context=all_dissertations#:~:text=The%20average%20revenue%20earning%20of,the%20indirect%20and%2

[18] Lloyd’s List, “One Hundred Ports 2022,” https://lloydslist.maritimeintelligence.informa.com/one-hundred-container-ports-2022

[19] Chattogram Port Authority, “Cagro Handling Statistics,” http://www.cpa.gov.bd/site/page/5c372007-0ee2-4335-8c5c-5400cfbee7da/-

[20] “Terms used in shipping such as Gateway, GATT Panel, GDSM, Gencon, General Average Clause etc.,” How to Export Import, June 03, 2022, https://howtoexportimport.com/Terms-used-in-shipping-such-as-Gateway-GATT-Panel–2113.aspx

[21] “Transhipment Hubs: Connecting Global and Regional Maritime Shipping Networks,” Hanseatic Chartering Ltd., March 9, 2016, https://hanseatic-chartering.com/transhipment-hubs-connecting-global-and-regional-maritime-shipping-networks/#:~:text=They%20are%20referred%20as%20markets,related%20to%20a%20region%20%2F%20market.

[22] Halima Begum, “Impact of Port Efficiency and Productivity on the Economy of Bangladesh-A Case Study of Chattogram Port,” pp.2-4.

[23] Cornell Law, “Service port”.

[24] Halima Begum, “Impact of Port Efficiency and Productivity on the Economy of Bangladesh-A Case Study of Chattogram Port,” p.10.

[25] “What are the Port Models,” Daily Logistics, May 05, 2021, https://dailylogistic.com/port-models-sea-port-models/

[26] Ziaul Haque Munim, Khandaker Rasel Hasan, Hans-Joachim Schramm, Hasan Mahbub Tusher, “A port attractiveness assessment framework: Chattogram Port’s attractiveness from the users’ perspective.”

[27] Asian Development Bank, Performance Evaluation Report, Bangladesh: Chattogram Port Trade Facilitation Project, December 2018, https://www.adb.org/sites/default/files/evaluation-document/470666/files/pper-l2147-ban-Chattogram-port.pdf

[28]  Soumya Chattopadhyay, Dhruv Gadh, and Manish Sharma, “Using Chattogram Port as a Transshipment Hub for the North Eastern Region of India,” ADB Briefs, no. 182, July 2021, p.2, https://www.adb.org/sites/default/files/publication/714196/adb-brief-182-chattogram-port-transshipment-hub-india.pdf

[29] Halima Begum, “Impact of Port Efficiency and Productivity on the Economy of Bangladesh-A Case Study of Chattogram Port.”

[30] Government of Bangladesh, Chittagong Port Authority, Annual Report 2021-2022, p. 32.

[31] Mohammad Monirul Islam Monir, “The Role of Port of Chittagong on the economy of Bangladesh,” (MSc Thesis in Maritime Economics and Logistics, Erasmus University Rotterdam, 2016-2017), p.62, https://www.semanticscholar.org/paper/The-Role-of-Port-of-Chittagong-on-the-economy-of-Monir/36e4a869df300b4adb6d0bd24ad254dafb8ca9a2

[32] Government of Bangladesh, Chittagong Port Authority, Annual Report 2015-2016, p. 34, http://cpa.gov.bd/sites/default/files/files/cpa.portal.gov.bd/annual_reports/2de8dd76_678f_4333_ba15_d2d4505f0c24/ANNUAL%20REPORT.pdf

[33] Government of Bangladesh, Chittagong Port Authority, Annual Report 2021-2022, p. 25

[34] Dwaipayan Barua, “Bay Terminal project to gather pace,” The Daily Star, August 20, 2021, https://www.thedailystar.net/business/economy/news/bay-terminal-project-gather-pace-2156566

[35] Shohel Mamun, “Chattogram Bay terminal gains pace with appointment of Korean firms,” Dhaka Tribune, June 01, 2022, https://www.dhakatribune.com/nation/2022/06/01/chittagong-bay-terminal-gains-pace-with-appointment-of-korean-firms

[36] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, April 2022, p.44, https://www.adb.org/sites/default/files/institutional-document/740916/bimstec-master-plan-transport-connectivity.pdf

[37] “Bangladesh: Chattogram Port Trade Facilitation Project”

[38] Anasua Basu Ray Chaudhury, Pratnashree Basu, Sreeparna Banerjee and Sohini Bose, India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal, Kolkata, Observer Research Foundation, March 26, 2018, pp. 47-48, https://www.orfonline.org/wp-content/uploads/2018/03/ORF_Maritime_Connectivity.pdf

[39] Ziaul Haque Munim, Khandaker Rasel Hasan, Hans-Joachim Schramm, Hasan Mahbub Tusher, “A port attractiveness assessment framework: Chattogram Port’s attractiveness from the users’ perspective.”

[40] “Bangladesh: Chattogram Port Trade Facilitation Project”

[41] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” p. 45.

[42] “16 problems need to solve for the proper use of Chattogram port,” Bangladesh Shipping News, September 14, 2020, https://bdshippingnews.com/16-major-obstacles-identified-to-proper-use-of-Chattogram-port/

[43] “Bangladesh sets target to build Bay Terminal by 2024,” Container News, August 20, 2021, https://container-news.com/bangladesh-sets-target-to-build-bay-terminal-by-2024/

[44] “16 problems need to solve for the proper use of Chattogram port.”

[45] “16 problems need to solve for the proper use of Chattogram port.”

[46] Ziaul Haque Munim, Khandaker Rasel Hasan, Hans-Joachim Schramm, Hasan Mahbub Tusher, “A port attractiveness assessment framework: Chattogram Port’s attractiveness from the users’ perspective.”

[47] Rashad Ahmed, “Mongla Port Use to witness boost,” New Age, June 25, 2022, https://www.newagebd.net/article/174216/mongla-port-use-to-witness-boost

[48] Shilavadra Bhattacharjee, “9 Major Ports In Bangladesh,” Marine Insights, October 20, 2021, https://www.marineinsight.com/know-more/9-major-ports-in-bangladesh/

[49] Government of Bangladesh, Mongla Port Authority, Annual Report 2021-22, http://www.mpa.gov.bd/sites/default/files/files/mpa.portal.gov.bd/annual_reports/48a89b8e_645c_425d_b443_5cecea11c391/2022-08-02-11-05-d30faab54caecf6916e046b10c536cc0.pdf

[50] Rashad Ahmed, “Mongla Port Use to witness boost.”

[51] Mongla Port Authority, “Cargo Handling,” http://www.mpa.gov.bd/site/page/06207e88-e07b-4080-8bb8-33c15217f39f/-

[52] Sohel Parvez, “The slow death of Mongla,” The Daily Star, March 11, 2008, https://www.thedailystar.net/news-detail-27156

[53] Sohel Parvez, “The slow death of Mongla.”

[54] “Mongla Port on the way to revive,” The Daily Observer, March 28, 2022, https://www.observerbd.com/news.php?id=359165

[55] “Mongla Port on the way to revive.”

[56] Arijita Sinha Roy, “Port Mongla to boost Bangladesh’s Economy: Chattogram’s sister port?,” The Kootneeti, January 07, 2021, https://thekootneeti.in/2021/01/07/port-mongla-to-boost-bangladeshs-economy-Chattograms-sister-port/

[57] Md. Ashraful Islam and Mohammed Ziaul Haider, “Performance Assessment of Mongla Seaport in Bangladesh,” International Journal of Transportation Engineering and Technology (2), no. 2 (June 2016): pp. 15-21, https://www.sciencepublishinggroup.com/journal/paperinfo.aspx?journalid=514&doi=10.11648/j.ijtet.20160202.11

[58] Sohel Parvez, “The slow death of Mongla.”

[59] Rashad Ahmed, “Mongla Port Use to witness boost.”

[60] Sohel Parvez, “The slow death of Mongla.”

[61] Prarthana Sen, Sohini Bose and Anasua Basu Ray Chaudhury, “Padma Multipurpose Bridge Project: Promise of a rising Bangladesh,” Observer Research Foundation, June 25, 2022, https://www.orfonline.org/expert-speak/padma-multipurpose-bridge-project/

[62] Rashad Ahmed, “Mongla Port Use to witness boost.”

[63] “Nepal exporters tap Bangladesh’s Mongla port,” The Journal of Commerce Online, (October 04, 2018), https://www.joc.com/port-news/asian-ports/nepal-starts-using-bangladesh%E2%80%99s-mongla-port-trade_20181004.html

[64] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” pp. 47-48.

[65] Md. Ashraful Islam and Mohammed Ziaul Haider, “Performance Assessment of Mongla Seaport in Bangladesh,” International Journal of Transportation Engineering and Technology (2), no. 2 (June 2016): p. 4, https://www.sciencepublishinggroup.com/journal/paperinfo.aspx?journalid=514&doi=10.11648/j.ijtet.20160202.11

[66] Md. Ashraful Islam and Mohammed Ziaul Haider, “Performance Assessment of Mongla Seaport in Bangladesh, pp. 15-21.

[67] Ayan Soofi, “Field Diary Mongla Sea Port: A Potential Maritime Access Point for Bhutan and Nepal,” Bangladesh-Bhutan-India-Nepal Multi-Modal Connectivity in the Sub-region, CUTS, July 2021, https://cuts-citee.org/pdf/field-diary-mongla.pdf

[68] “Waste Management of a Maritime Port: The Case of Mongla Port”

[69] “Waste Management of a Maritime Port: The Case of Mongla Port”

[70] Md. Ashraful Islam and Mohammed Ziaul Haider, “Performance Assessment of Mongla Seaport in Bangladesh,” pp. 15-21.

[71] Rashad Ahmed, “Mongla Port Use to witness boost.”

[72] Asian Development Bank, Technical Assistance Consultant’s Report, People’s Republic of Bangladesh: Strategic Master Plan for Chittagong Port, September 2015, p.1, https://www.adb.org/sites/default/files/project-document/183636/45078-001-tacr-01-exec-summary_0.pdf

[73] Chittagong Port Authority, “Vessel Handling Statistics”, http://cpa.gov.bd/site/page/7dfad3ff-830c-4d54-b1ae-4b1992cea2ca/-

[74] Mongla Port Authority, “Vessel Handling Statistics”, http://www.mpa.gov.bd/site/page/b26f1d80-0a49-49db-ac15-9393c040ea9b/-

[75] Hasan Jahid Tusher, “Focus on fast-track projects,” The Daily Star, June 03, 2016, https://www.thedailystar.net/frontpage/focus-fast-track-projects-1233802

[76] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” p.49.

[77] “Payra port: Deal signed for capital dredging of Rabnabad channel,” The Business Standard, June 13, 2021, https://www.tbsnews.net/bangladesh/payra-port-signs-deal-belgian-firm-dredge-rabnabad-channel-260119

[78] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” p.49.

[79] Samsul Mannan, “Environmental Impact Assessment of Payra Port,” https://www.researchgate.net/publication/341232627_Environmental_Impact_Assessment_of_Payra_Port

[80] Japan International Cooperation Agency, “Information Disclosure under JICA Guidelines for Environment and Social Considerations (April 2010) and the Guidelines revised thereafter,” https://www.jica.go.jp/english/our_work/social_environmental/id/asia/south/bangladesh/c8h0vm0000bikdzb.html

[81] Greenpeace, “Double Standard,” August 2019, p.25, https://www.greenpeace.to/greenpeace/wp-content/uploads/2020/09/Japan-double_standard_report.pdf

[82] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” p.50.

[83] Bangladesh Tourism Board, “Bangladesh a Land of Rivers,” April 2007, http://tourismboard.portal.gov.bd/sites/default/files/files/tourismboard.portal.gov.bd/page/a3c70b40_263e_4d8c_9c9a_1cc0f551b041/2020-09-30-17-49-581fb3417aa0a4510515e740cabe9f83.pdf

[84] “Improving Maritime Security in the Bay of Bengal,” Stable Seas, July 17, 2020, https://www.stableseas.org/post/improving-maritime-security-in-the-bay-of-bengal

[85] Government of India, Ministry of External Affairs, “India – Bangladesh Joint Statement during the State Visit of Prime Minister of Bangladesh to India,” Media Center, September 07, 2022, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/35680/India++Bangladesh+Joint+Statement+during+the+State+Visit+of+Prime+Minister+of+Bangladesh+to+India

[86]  “Using Chattogram Port as a Transshipment Hub for the North Eastern Region of India,” p.2.

[87] “Using Chattogram Port as a Transshipment Hub for the North Eastern Region of India,” p.2.

[88] Sohini Bose, “The Chattogram Port: Bangladesh’s trump card in its diplomacy of Balance.”

[89] Government of India, Ministry of External Affairs “Joint Statement issued on the occasion of the visit of Prime Minister of India to Bangladesh,” Media Center, March 27, 2021, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/33746/

[90] Tanvir Mahmud and Juliet Rossette, “Problems and Potentials of Chattogram Port: A Follow-up Diagnostic Study,” Transparency International Bangladesh, https://www.ti-bangladesh.org/beta3/index.php/en/research-policy/92-diagnostic-study/499-problems-and-potentials-of-Chattogram-port-a-follow-up-diagnostic-study

[91] Sohini Bose, “The Chattogram Port: Bangladesh’s trump card in its diplomacy of Balance.”

[92] The Government of the Republic of India and The Government of the People’s Republic of Bangladesh, “Memorandum of Understanding on The Use of Chattogram and Mongla Ports for Movement of Goods to and from India,” June 06, 2015, https://www.mea.gov.in/Portal/LegalTreatiesDoc/BG15B2423.pdf

[93] Government of India, Ministry of Shipping, “Agreement on the Use of Chattogram and Mongla Port For Movement of Goods To and From India between the People’s Republic of Bangladesh and the Republic of India,” October 25, 2018, https://shipmin.gov.in/sites/default/files/agree.pdf

[94] “Using Chattogram Port as a Transshipment Hub for the North Eastern Region of India,” p.2.

[95] Sohini Bose, “The Chattogram Port: Bangladesh’s trump card in its diplomacy of Balance.”

[96] Prarthana Sen, Sohini Bose and Anasua Basu Ray Chaudhury, “Padma Multipurpose Bridge Project: Promise of a rising Bangladesh”.

[97] “Bangladesh Offers Chittagong Port To India; Can Sheikh Hasina Halt New Delhi’s Shift Towards Myanmar?,” The Eurasian Times, May 07, 2022, https://eurasiantimes.com/bangladesh-offers-chittagong-port-to-india-can-sheikh-hasina-halt-new-delhis-shift-towards-myanmar/

[98] “Bangladesh Offers Chittagong Port To India; Can Sheikh Hasina Halt New Delhi’s Shift Towards Myanmar?”

[99] Sohini Bose, “The Chattogram Port: Bangladesh’s trump card in its diplomacy of Balance.”

[100] Sohini Bose, “The Chattogram Port: Bangladesh’s trump card in its diplomacy of Balance.”

[101] “First Ro-Ro shipment trucks flagged off from Kolkata to Bangladesh,” The Indian Express, November 24, 207, https://indianexpress.com/article/india/first-ro-ro-shipment-trucks-flagged-off-from-kolkata-to-bangladesh-4951696/

[102] “240 vehicles from city sail to Bangla on a vessel,” The Times of India, November 24, 2017, https://timesofindia.indiatimes.com/kolkata/240-vehicles-from-city-sail-to-bangla-on-a-vessel/articleshow/61775996.cms

[103] “India’s Maritime Connectivity: Importance of the Bay of Bengal,” pp. 47-48.

[104] “New era for overseas trade as Indian cargo moves via Bangladesh ports,” Business Standard, August 19, 2022, https://www.business-standard.com/article/current-affairs/will-india-soon-ring-bangladeshi-ports-to-push-overseas-trade-122081900500_1.html

[105] “Nepal exporters tap Bangladesh’s Mongla port,” JOC, October 04, 2018, https://www.joc.com/port-news/asian-ports/nepal-starts-using-bangladesh%E2%80%99s-mongla-port-trade_20181004.html

[106] Government of Nepal, Ministry of Industry, Commerce and Supplies, “Bangladesh Routes,” Trade and Export Promotion Centre, http://www.tepc.gov.np/pages/bangladesh-routes

[107] Government of India, Ministry of External Affairs, “Joint Communiqué issued on the occasion of the visit to India of Her Excellency Sheikh Hasina, Prime Minister of Bangladesh,” Media Center, January 12, 2010, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/3452/Joint+Communiqu+issued+on+the+occasion+of+the+visit+to+India+of+Her+Excellency+Sheikh+Hasina+Prime+Minister+of+Bangladesh

[108] Rabiul Hasan, “Nepal first to use Ctg port,” The Daily Star, July 17, 2011, https://www.thedailystar.net/news-detail-194611

[109] “Nepal looks to use Ctg port, railways,” The Daily Star, May 12, 2016, https://www.thedailystar.net/business/nepal-looks-use-ctg-port-railways-1222258

[110] Mizan Rahman “Bangladesh allows India, Nepal and Bhutan to use its port,” Gulf Times, September 13, 2016, https://www.gulf-times.com/story/512706/Bangladesh-allows-India-Nepal-and-Bhutan-to-use-its-port

[111]  “Bangladesh offers Nepal to use Mongla and Paira ports,” New Age Bangladesh, October 17, 2021, https://www.newagebd.net/article/152035/bangladesh-offers-nepal-to-use-mongla-and-paira-ports

[112] “Bangladesh PM offers Nepal use of Mongla, Ctg ports,” New Age Bangladesh, August 05, 2022, https://www.newagebd.net/article/177691/bangladesh-pm-offers-nepal-use-of-mongla-ctg-ports

[113] Bibhu Sharma and Sajina Rai, “Nepal – Bangladesh Connectivity: Rail, Road, Air,” Asian Institute of Diplomacy and International Affairs, February 10, 2017, http://www.aidiaasia.org/images/contents/pdf/ksCwz-nepal-bangladesh-connectivity.pdf

[114] Nisha Taneja, Samridhi Bimal, Taher Nadeem and Riya Roy, “India-Bhutan Economic Relations,” Working paper 384, Indian Council for Research on International Economic Relations, August 2019, p. 14, https://icrier.org/pdf/Working_Paper_384.pdf

[115] Estee Bahadur, “Bhutan-Bangladesh-India: An Interconnected Grid,” Chintan-India Foundation Blogs, February 07, 2022, https://chintan.indiafoundation.in/articles/bhutan-bangladesh-india-an-interconnected-grid/

[116] Nisha Taneja, Samridhi Bimal, Taher Nadeem and Riya Roy, “India-Bhutan Economic Relations,” Working paper 384, Indian Council for Research on International Economic Relations, August 2019, p. 14, https://icrier.org/pdf/Working_Paper_384.pdf

[117]  Nisha Taneja, Samridhi Bimal, Taher Nadeem and Riya Roy, “India-Bhutan Economic Relations,” p. 14.

[118] M Anwarul Haq, “Bhutan eyes Bangladesh sea ports,” The Daily Star, January 07, 2000, https://www.thedailystar.net/news/bhutan-eyes-bangladesh-sea-ports

[119] “Bhutan urges B’desh to notify Dalu – Nakugaon and Ghausapara- Haluaghat land ports for trade,” The Shillong Times, April 15, 2012, https://theshillongtimes.com/2012/04/15/bhutan-urges-bdesh-to-notify-dalu-nakugaon-and-ghausapara-haluaghat-land-ports-for-trade/

[120] Estee Bahadur, “Bhutan-Bangladesh-India: An Interconnected Grid.”

[121] Government of Bhutan, Ministry of External Affairs, “MoU on Use of Inland Waterways for Transportation of Bilateral Trade and Transit Cargoes between The Royal Government of Bhutan and The Government of the People’s Republic of Bangladesh,” April 18, 2017, https://www.moea.gov.bt/wp-content/uploads/2017/07/MoU-on-Use-of-Inland-Waterways-for-Transportation-of-Bilateral-T-Scanned.pdf

[122] Dipak K. Dash, “India connects Bangladesh to Bhutan, through waterway,” The Times of India, July 13, 2019, https://timesofindia.indiatimes.com/india/india-connects-bangladesh-to-bhutan-through-waterway/articleshow/70200094.cmst

[123] Dipanjan Roy Chaudhury, “India to open new trade routes with Bhutan to enable smoother sub-regional coop,” The Economic Times, December 04, 2020, https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/india-to-open-new-trade-routes-with-bhutan-to-enable-smoother-sub-regional-coop/articleshow/79564576.cms?from=mdr

[124] “Bangladesh opens six more ports of call for Bhutan,” Kuensel, September 17, 2022, https://kuenselonline.com/bangladesh-opens-six-more-ports-of-call-for-bhutan/

[125] “Bangladesh agrees to designate new ports of call for Bhutan,” Kuensel, June 07, 2022, https://kuenselonline.com/bangladesh-agrees-to-designate-new-ports-of-call-for-bhutan/

[126] “Myanmar, Bangladesh eyeing enhanced trade relations with coastal shipping line,” BNI Multimedia Group, August 11, 2022, https://www.bnionline.net/en/news/myanmar-bangladesh-eyeing-enhanced-trade-relations-coastal-shipping-line

[127] “Myanmar, Bangladesh eyeing enhanced trade relations with coastal shipping line.”

[128] “Bangladesh and Thailand Discuss Direct Coastal Shipping through Chattogram-Ranong Ports,” South Asia Subregional Economic Cooperation, February 09, 2016, https://www.sasec.asia/index.php?page=news&nid=379&url=bd-thai-discuss-direct-coastal-shippinghttps://www.sasec.asia/index.php?page=news&nid=379&url=bd-thai-discuss-direct-coastal-shipping

[129] Government of Thailand, Ministry of Transport, Maritime Promotion Division, Coastal Shipping in Thailand and Regional Cooperation on Coastal Shipping by Kamolwan Kularbwong, https://www.unescap.org/sites/default/files/Country-Thailand3_Maritime%20Department.pdf

[130] “Myanmar Rohingya: What you need to know about the crisis,” BBC, January 23, 2020, https://www.bbc.com/news/world-asia-41566561

[131]  “Thailand Eyes Shipping Routes With Bangladesh,” Maritime Gateway, December 06, 2021, https://www.maritimegateway.com/thailand-eyes-shipping-routes-with-bangladesh/

[132] “Bangladesh and Thailand Discuss Direct Coastal Shipping through Chattogram-Ranong Ports,” South Asia Subregional Economic Cooperation, February 09, 2016, https://www.sasec.asia/index.php?page=news&nid=379&url=bd-thai-discuss-direct-coastal-shippinghttps://www.sasec.asia/index.php?page=news&nid=379&url=bd-thai-discuss-direct-coastal-shipping

[133] BIMSTEC, “Trade, Investment and Development,” https://bimstec.org/trade-investment-and-development/

[134] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, p.44.

[135] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, p.44.

[136] “Bangladesh PM Sheikh Hasina to visit India during September 5-8,” Hindustan Times, September -1, 2022, https://www.hindustantimes.com/india-news/bangladesh-pm-sheikh-hasina-to-visit-india-during-september-58-101662055475547.html

[137] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, p.44.

[138] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, p.50.

[139] BIMSTEC and Asian Development Bank, BIMSTEC Master Plan for Transport and Connectivity, p.44.

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Author

Sohini Bose

Sohini Bose

Sohini Bose is an Associate Fellow at Observer Research Foundation (ORF), Kolkata with the Strategic Studies Programme. Her area of research is India’s eastern maritime ...

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