Author : Gurjit Singh

Published on Jul 30, 2023 Updated 0 Hours ago

जकार्ता पुराना जावानीस शहर है, जिसे डच शासन काल में बसाया गया था. नुसंतारा बिल्कुल नया शहर है. जकार्ता इंडोनेशिया की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र जावा में स्थित है जबकि नुसंतारा बोर्नियो में विरल आबादी वाले कालीमंतन द्वीप पर है

नुसंतारा बना इंडोनेशिया की नई राजधानी; इसके साथ ही हुई नये युग की शुरुआत?
नुसंतारा बना इंडोनेशिया की नई राजधानी; इसके साथ ही हुई नये युग की शुरुआत?

आसियान का सबसे बड़ा देश इंडोनेशिया अपनी राजधानी बदलने जा रहा है. अब जकार्ता की बजाए, वहां से 2000 किमी दूर नया शहर नुसंतारा देश की नई राजधानी होगी. जकार्ता पुराना जावानीस शहर है, जिसे डच शासन काल में बसाया गया था. नुसंतारा बिल्कुल नया शहर है. जकार्ता इंडोनेशिया की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र जावा में स्थित है जबकि नुसंतारा बोर्नियो में विरल आबादी वाले कालीमंतन द्वीप पर है. क्षेत्रीय केंद्रीकरण के पुनर्वितरण, दौलत कमाने के न्यायसंगत मौक़ों के निर्माण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को इस बदलाव की वजह बताया जा रहा है.

18 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय राजधानी शहर के लिए क़ानून और राजधानी बदलने को संसद ने मंज़ूरी दे दी. नई राजधानी के निर्माण का काम आधिकारिक रूप से इस साल शुरू हो जाएगा. क़ानून पारित होने से एक दिन पहले राष्ट्रपति जोकोवी ने एक यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में कहा कि ‘नई राजधानी एक नए इंजन के तौर पर विकसित की जाएगी जो नवाचार, टेक्नोलॉजी और हरित अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर इंडोनेशिया की कायापलट देगी.’ जोकोवी को आठ दलों का समर्थन हासिल है, लिहाज़ा संसद पर उनका मज़बूत प्रभाव क़ायम है. क़ानून का विरोध करने वाली प्रॉस्पेरस जस्टिस पार्टी (PKS) इकलौती पार्टी रही.

वर्ष 2019 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरु करते ही राष्ट्रपति जोकोवी ने नई राजधानी का ऐलान किया था. ये पूर्वी कालीमंतन में उत्तरी पेनाजम पासर और कुताई कार्तनेगारा के इलाक़ों में बसाया जाएगा. ये क्षेत्र दो बड़े शहरों- बालीकप्पन और सामरिंडा के बीच है. ये इलाक़ा सुलावेसी द्वीपसमूह के क्षेत्र में मकासार सागर के तट के क़रीब है. बाली की गरुड़ विष्णु केनकाना (GWK) मूर्ति के मूर्तिकार और बाली प्रांत की मशहूर हस्ती न्योमन नुआर्ता को नुसंतारा में नए राष्ट्रपति परिसर की संरचना का दायित्व सौंपा गया है. IKN नुसंतारा विशेष क्षेत्रीय सरकार, राज्य राजधानी प्राधिकरण को नुसंतारा पर प्रशासकीय अधिकार होगा और इसके सदस्यों का चुनाव नहीं होगा, बल्कि उन्हें राष्ट्रपति की ओर से 5 साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा.

कोरोना महामारी की वजह से राजधानी बदलने की प्रक्रिया में देरी हुई. 2024 में राष्ट्रपति जोकोवी का कार्यकाल पूरा हो रहा है. उम्मीद की जा रही है कि उसी समय बदलाव की ये प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी. जोकोवी ने इंडोनेशिया में क्षेत्रीय असंतुलन में कमी लाने के साथ बुनियादी ढांचे के विकास पर ज़ोर दिया है. ऐसे में नुसंतारा उनकी विरासत के तौर पर उभर सकता है.

बिल्कुल समुद्र तल पर स्थित जकार्ता शहर अक्सर भयंकर बाढ़ की समस्या से दो-चार होता रहता है. इससे मध्य जकार्ता तक का जनजीवन बाधित हो जाता है. शहर के निचले इलाक़ों वाले ज़िले निरंतर मुश्किलों में घिरे रहते हैं.

1 करोड़ की आबादी वाला आसियान का सबसे बड़ा शहर जकार्ता इंडोनेशिया का आर्थिक केंद्र बना रहेगा. राजधानी में बदलाव की प्राथमिक वजहों में जलवायु परिवर्तन से उभरती चुनौतियां प्रमुख हैं. बिल्कुल समुद्र तल पर स्थित जकार्ता शहर अक्सर भयंकर बाढ़ की समस्या से दो-चार होता रहता है. इससे मध्य जकार्ता तक का जनजीवन बाधित हो जाता है. शहर के निचले इलाक़ों वाले ज़िले निरंतर मुश्किलों में घिरे रहते हैं. बढ़ती निर्माण गतिविधियों से सैलाब का ख़तरा बढ़ता चला गया है. बताया जाता है कि उत्तरी जकार्ता समुद्र में डूब रहा है. ये इलाक़ा सालाना 25 सेंटीमीटर की दर से समुद्र के नीचे जा रहा है. जलस्रोतों से पीने के पानी का लगातार निकास होने की वजह से वो छिछले होते जा रहे हैं.

जकार्ता के उपनगरीय इलाक़ों में बसे बोगोर, डेपोक, टेंगेरांग और बेकासी शहरों का लगातार विस्तार हो रहा है. इन शहरों का आकार 10 हज़ार वर्ग किमी तक पहुंच गया है और आबादी बढ़कर 3.5 करोड़ हो गई है. टोक्यो के बाद ये दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है. समृद्धि का न्यायसंगत बंटवारा जोकोवी और उनकी सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ स्ट्रगल का लक्ष्य रहा है. इंडोनेशिया में पारंपरिक तौर पर जावा प्रांत का दबदबा रहा है. देश की कुल 30 करोड़ की आबादी में से तक़रीबन 60 प्रतिशत की रिहाइश जावा में है. हमेशा से जावा ने ही देश की राजनीतिक सत्ता को नियंत्रित किया है. देश की राजधानी को जावा सागर के दूसरी ओर कालीमंतन ले जाना सत्ता समीकरण को नए सिरे से संतुलित करने की क़वायद है.

इंडोनेशिया की जीडीपी का आधा हिस्सा जावा से आता है. क्षेत्रफल में कालीमंतन चार गुणा बड़ा है. जकार्ता और जावा में देश की संस्कृति, इतिहास और परंपरा रची-बसी है. यहां कई साम्राज्यों का उदय हुआ, जिन्होंने यहां का सांस्कृतिक ढांचा तैयार किया. कालीमंतन दूरदराज़ का, काफ़ी बड़ा और विरल आबादी वाला इलाक़ा है, जो इससे पहले कभी भी राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र में नहीं रहा था. इसे सौभाग्य की भूमि के तौर पर जाना जाता है. यहां कोयला खनन और पाम ऑयल की खेती के बेशुमार मौक़े हैं. नक़दी फ़सलों के लिए बड़े पैमाने पर ज़मीन भी मौजूद है. ये इलाक़ा बरसाती जंगलों और ऑरैंगुटैन अभ्यारण्यों के लिए भी जाना जाता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से इस इलाक़े के पर्यावरण को लेकर कई तरह की चिंताए जताई जाने लगी हैं. पाम ऑयल उत्पादन और जंगलों में बार-बार आग लगने से बरसाती जंगलों को नुक़सान पहुंच रहा है.

बदलाव पर आलोचना के स्वर

घनी आबादी वाली राजधानी को बदलने वाला इंडोनेशिया आसियान का पहला देश नहीं है. इससे पहले वर्ष 2003 में मलेशिया ने क्वालालंपुर से 34 किमी दूर पुतराजया में सरकारी शहर बसाया था. ये ‘सरकारी सत्ता के आसपास शहर की बसावट’ का प्रतिरूप था. म्यांमार भी वर्ष 2006 में अपनी सरकार को यांगून से हटाकर नेपीडॉ ले गया था. सुरक्षा समेत तमाम अन्य चुनौतियों से बचने के लिए वहां राजधानी को काफ़ी दूर ले जाया गया.

राजधानी बदलने की क़वायद कभी भी आसान नहीं रही है. ऐसी योजनाओं की काफ़ी आलोचना होती है. इनके विकल्प के तौर पर भी ढेरों सुझाव सामने रखे जाते हैं. राष्ट्रपति सुकर्णो (1945-1967) ने देश की राजधानी को मध्य कालीमंतन के पलंकराया ले जाने की योजना बनाई थी. हालांकि उनकी योजना सिरे नहीं चढ़ पाई. राष्ट्रपति युधोयोनो (2004-2014) ने भी इस बारे में सोचा था. बहरहाल नई राजधानी बनाने में बेहिसाब ख़र्च होने वाला था. ज़ाहिर है नई राजधानी बसाने की लागत की बजाए उस वक़्त की ज़रूरतें पूरी करने की क़वायदों ने उनके हाथ बांध दिए.

जोकोवी ने 2019 में इस परियोजना का एलान किया था. तब सरकार ने कहा था कि इस पर ख़र्च होने वाले अनुमानित 466 खरब रुपिया (32.5 अरब अमेरिकी डॉलर) में से 19 प्रतिशत राष्ट्रीय बजट से पूरा किया जाएगा. सरकार को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप समेत तमाम तरीक़ों से निजी निवेश हासिल होने की उम्मीद थी. ये कोरोना महामारी से पहले का अनुमान था. हो सकता है कि महामारी के चलते इतनी विशाल परियोजना में निजी क्षेत्र की दिलचस्पी घट गई हो. हालांकि इसको लेकर राष्ट्रपति जोकोवी के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है.

वित्त मंत्री श्री मुलयानी ने ज़ोर देकर कहा है कि राजधानी बदलने का काम वर्ष 2045 तक पांच चरणों में पूरा किया जाएगा. फ़िलहाल बुनियादी ढांचे से जुड़े काम पर ध्यान दिया जाएगा. “नोडल सेंट्रल गवर्नमेंट एरिया” में प्रशासन एक बांध, पानी प्रबंधन व्यवस्था और सड़कों का निर्माण कर रहा है. ये इलाक़ा तक़रीबन 6,600 हेक्टेयर में फैला है, जो नुसंतारा के कुल 2 लाख 56 हज़ार हेक्टेयर योजनागत क्षेत्र का 2.5 प्रतिशत है.

उम्मीद जताई जा रही है कि इसके लिए यूएई, यूरोप, चीन, कोरिया और जापान से निवेश आएगा. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लिहाज़ा इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. भले ही सरकारी तिजोरी से 19 फ़ीसदी रकम आएगी, लेकिन इनमें से ज़्यादातर हिस्सा सरकार के मालिक़ाना हक़ वाले उद्यमों से पूरा किया जाएगा. हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चीनी मदद के साथ-साथ यही प्रारूप अपनाया जाता रहा है. 

राजधानी बदलने की योजना की एक और वजह से आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि इस तरह के बदलाव से स्थानीय मूल निवासी पेसर-बालिक लोगों को  उनकी ज़मीनों से जबरन विस्थापित किए जाने की आशंका रहेगी. इसके अलावा जंगलों की कटाई का डर भी जताया जा रहा है. स्थानीय वनस्पतियों और ख़तरों में घिरे ऑरैंगुटैन समेत तमाम पशु-पक्षियों के सामने भी बड़ा ख़तरा पैदा हो सकता है.

परियोजना के आलोचकों में इंडोनेशिया के एक भूवैज्ञानिक भी शामिल हैं. उनके मुताबिक भले ही स्मार्ट सिटी की योजना बन गई है लेकिन उसमें कई ख़ामियां हैं. उनका मानना है कि चूंकि नुसंतारा में भूजल हासिल करना आसान नहीं है लिहाज़ा वहां पानी की किल्लत बनी रहेगी. समंदर में उठने वाली ताक़तवर लहरों के चलते यहां बहने वाली नदियों में खारा पानी भर जाता है. इस इलाक़े में पानी के भंडार संचालित करने की लागत ऊंची रहने के आसार हैं.

राजधानी बदलने के अपने इरादे में जान डालकर जोकोवी ने कई लोगों को चौंका दिया. इस क़वायद के हक़ में दी गई वैज्ञानिक दलीलों के अलावा दबी ज़ुबान में इसके पीछे की कुछ और वजहों का ज़िक्र किया जाता है.

उनका विचार है कि यहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य में ज़्यादा ख़र्च आएगा. दरअसल यहां की ज़मीन ठोस नहीं है. तलछटी पर गाद भर जाने की वजह से यहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य के लिए नींव काफ़ी गहरी बनानी होगी. तीसरी बात ये है कि नुसंतारा के इलाक़े में मौलिक जंगल नहीं बचे हैं. लिहाज़ा बरसात होने पर पानी के बहाव पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण नहीं हो पाता और पूरे इलाक़े में पानी भर जाता है. चौथा, इस क्षेत्र में कोयले के भंडार भरे पड़े हैं. जंगलों में बार-बार लगने वाली आग कोयले के छिछले प्रवाह वाले इलाक़ों में पहुंच जाए तो इससे पूरा इलाक़ा धुएं से भर जाएगा. ऐसे में वायु प्रदूषण की समस्या खड़ी हो जाएगी.

राजधानी बदलने के अपने इरादे में जान डालकर जोकोवी ने कई लोगों को चौंका दिया. इस क़वायद के हक़ में दी गई वैज्ञानिक दलीलों के अलावा दबी ज़ुबान में इसके पीछे की कुछ और वजहों का ज़िक्र किया जाता है. दरअसल साल 2016 में कट्टरपंथी मुस्लिम युवाओं ने मध्य जकार्ता को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था. इससे पूरा शहर असुरक्षित हो गया था. आख़िरकार प्रदर्शनकारियों के साथ खुले में नमाज़ पढ़कर जोकोवी ने उन्हें शांत किया था. राजधानी को सुरक्षित, दूरदराज़, और कम भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में ले जाने का इरादा शायद उसी तजुर्बे से निकला है.

विदेश मंत्रालय समेत सरकार के तमाम विभाग बदलाव से जुड़ी इस क़वायद की अगुवाई कर रहे हैं. इससे कई दूतावासों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल इनमें से कई ने पिछले पांच वर्षों में नए और पहले से ज़्यादा सुरक्षित परिसर तैयार कर लिए थे. भारत भी अपने पुराने दूतावास को नया रूप देने को तैयार है. हालांकि अब इस क़वायद के ठंडे बस्ते में चले जाने के आसार हैं. जकार्ता में आसियान सचिवालय को इंडोनेशिया की ओर से 2019 में नई इमारत तोहफ़े में दी गई थी. चूंकि ये क्षेत्रीय संगठन है लिहाज़ा शायद इसके नुसंतारा जाने की नौबत नहीं आएगी.

दुनिया के दूसरे हिस्सों में जब भी राजधानियों को दूर के शहर ले जाया गया है तो दूतावास अपना कामकाज चालू रखने के लिए नई जगह पर छोटा सा दफ़्तर शुरू करते रहे हैं. दूतावास तभी नई राजधानी में पहुंचते हैं जब वहां स्कूल, अस्पताल समेत तमाम दूसरी बुनियादी सुविधाएं तैयार हो जाती हैं. इस मोर्चे पर फ़िलहाल कोई स्पष्ट योजना दिखाई नहीं दे रही है.

बदलाव से खड़े हुए कई सवाल

ऐसे बदलाव से कई सवाल खड़े होते हैं. क्या नुसंतारा को राजधानी बनाना कालीमंतन को जावा के हिसाब से ढालने की चाल है? क्या ये जोकोवी का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले उनकी विरासत खड़ी करने का अल्पकालिक दांव है? क्या ये उन उद्यमियों और समर्थकों को फ़ायदा पहुंचाने की क़वायद है जिन्होंने इस एलान से पहले वहां ज़मीन हासिल कर ली थी? या फिर क्या ये इंडोनेशिया में सत्ता समीकरणों को फिर से संतुलित करने का दीर्घकालिक उपाय है?

जोकोवी के पहले कार्यकाल में सामुद्रिक आधार परियोजना का प्रस्ताव किया गया था. नए सिरे से संतुलन बिठाने के इरादे से प्रस्तावित इस परियोजना का मकसद इंडोनेशिया के हर इलाक़े में बुनियादी ढांचा तैयार करना था. नुसंतारा को नई राजधानी बनाने की क़वायद को इस नज़रिए से देखने की ज़रूरत है. इसके अलावा, आज़ादी से काफ़ी पहले एक नई भाषा बहासा इंडोनेशिया तैयार की गई थी. इसने मुख्य भाषा जावानीस की जगह ले ली. नई भाषा ने सांस्कृतिक विविधताओं से भरे एकीकृत राष्ट्र का निर्माण किया. लिहाज़ा ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि इंडोनेशिया इन कोशिशों को धता बताकर जावा को इस बात की छूट देगा कि वो कालीमंतन को अपने प्रभाव तले दबा दे.

चतुराई भरे विकास कार्यों समेत संभावनाओं से भरे विरासत की ओर अनुकूल तरीक़े से आगे बढ़ने की उम्मीद की जानी चाहिए. हालांकि इतने बड़े बदलाव से जुड़ी क़वायद के रास्ते में अमल से जुड़ी बाधाएं खड़ी होंगी. बहरहाल, एक स्मार्ट सिटी नुसंतारा के निर्माण का चतुराई भरा क़दम उठाना आगे चलकर इंडोनेशिया के लिए फ़ायदे का सौदा साबित होगा.

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