Author : Vivek Mishra

Published on Jul 31, 2023 Updated 0 Hours ago

रूस-यूक्रेन संकट पर अलग-अलग नज़रियों के बावजूद भारत और अमेरिका ने 2+2 वार्ताओं में परिपक्वता के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम और रफ़्तार देने की कोशिश की है.

भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता: यूक्रेन मसले से परे, द्विपक्षीय रिश्ते मज़बूत करने की क़वायद
भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता: यूक्रेन मसले से परे, द्विपक्षीय रिश्ते मज़बूत करने की क़वायद

11 अप्रैल को वॉशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ताओं का आयोजन किया गया. भारत के रक्षा और विदेश मंत्रियों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ साझा बातचीत की.

ताज़ा 2+2 वार्ताएं दोनों पक्षों के लिहाज़ से बेहद अहम हैं. इससे पहले 2+2 स्तर की आख़िरी बातचीत अक्टूबर 2020 में नई दिल्ली में हुई थी. ज़ाहिर है राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में मोदी सरकार के साथ 2+2  स्तर पर आयोजित होने वाली ये पहली वार्ता थी. ग़ौरतलब है कि 2021 में इस प्रक्रिया में ख़लल पड़ने की वजह से ऐसी बातचीत का आयोजन नहीं हो सका था. लिहाज़ा ताज़ा क़वायद से दोनों देशों के बीच इस प्रारूप में शीर्ष स्तर पर बातचीत बहाल करने का मौक़ा मिला. सितंबर 2021 में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वैकल्पिक तौर पर वार्ताएं आयोजित की गई थीं. बहरहाल, 2+2 के प्रारूप में बातचीत की बहाली से द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने और व्यापक राजनीतिक मिज़ाज को लेकर सकारात्मक संकेत मिलते हैं.

पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने की अभूतपूर्व कोशिशों के बावजूद चीन और भारत अपने-अपने तरीक़ों से रूस से जुड़ाव बनाए हुए हैं.

बातचीत के मौजूदा दौर पर यूक्रेन संकट की छाया पड़ना लाज़िमी है. हालांकि 2+2 वार्ताओं ने दोनों पक्षों को इस संकट से परे, आगे के मसलों पर मंथन का मौक़ा दिया. पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने की अभूतपूर्व कोशिशों के बावजूद चीन और भारत (दुनिया की 2 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं) अपने-अपने तरीक़ों से रूस से जुड़ाव बनाए हुए हैं. अहम बात ये है कि जर्मनी जैसे कुछ यूरोपीय देश भी ऊर्जा समेत दूसरे आयातों की बदौलत रूस के साथ अपने रिश्ते बरकरार रखे हुए हैं. यूक्रेन संकट को लेकर भारत और अमेरिका के अलग-अलग नज़रिेए उभरकर सामने आए हैं. इसके बावजूद 2+2 प्रारूप को दोनों देशों के बीच के रिश्तों की सेहत के पैमाने के तौर पर देखा जा रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच की जंग को लेकर दोनों देशों के बीच उभरे मतभेदों के बीच इस प्रकार की बातचीत की अहमियत साफ़ तौर से समझी जा सकती है. दोनों ही पक्षों ने शीर्ष स्तर पर इस मसले पर अपना पक्ष रखकर अपनी-अपनी स्थिति साफ़ की है. इससे दोनों देशों के बीच एक-दूसरे को लेकर की जा रही उम्मीदों में आई दरारों को पाटने में मदद मिलने की संभावना है. ख़ासतौर से रूस के साथ भारत के रिश्तों को लेकर हालात स्पष्ट होने की उम्मीद की जा रही है. भारत के लिहाज़ से देखें तो रूस-यूक्रेन युद्ध पर शीर्ष स्तर पर रुख़ साफ़ किए जाने की क़वायद से भविष्य में किसी तरह की ग़लतफ़हमियों से बचने में मदद मिलेगी.

भारतीय रूख़ को बदलने के अमेरिकी रणनीति

निश्चित रूप से अमेरिका की ओर से भारत पर रूस के ख़िलाफ़ रुख़ अपनाने और मॉस्को पर अपनी निर्भरता कम करने को लेकर दबाव डालने की कोशिशें जारी रहेंगी. बहरहाल 2+2 वार्ताओं से दोनों देशों को कुछ मसलों में मतभेदों के बावजूद द्विपक्षीय प्राथमिकताओं को बहाल करने का मौक़ा मिला है. इस मौक़े पर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वर्चुअल बातचीत के ज़रिए भारत और अमेरिका के रिश्तों को और गहरा करने की साझा प्रतिबद्धता जताई. इसके साथ ही दोनों पक्षों ने यूक्रेन मसले को लेकर अपने रुख़ों में आए मतभेदों को पाटने की भी पुरज़ोर कोशिश की है. दरअसल दोनों देश यूक्रेन संकट को “अलग-अलग नज़रिए” से देखते हैं. इसके बावजूद 2+2 वार्ताओं में दोनों देशों द्वारा दिखाई गए ‘मेलमिलापों’ से भविष्य को लेकर अच्छे संकेत मिलते हैं. ऐसा लगता है कि दोनों ही देश द्विपक्षीय रिश्तों को और गति देने के लिए अपने मतभेदों को किनारे रखने पर रज़ामंद हो गए हैं. अमेरिका आने वाले दिनों में रूस के प्रति भारत के रुख़ को बदलने को लेकर तथाकथित नज़दीकियों को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देगा. इस दिशा में अमेरिका ख़ासतौर से दो प्रकार के रणनीतिक लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ेगा- पहला अल्पकालिक और दूसरा दीर्घकालिक. फ़ौरी तौर पर अमेरिका की ओर से भारत द्वारा रूस से सांकेतिक तौर पर तेल के आयातों में कटौती किए जाने पर बल दिया जाएगा. अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर ऐसी बात कही है. इसी प्रकार भारत द्वारा रूसी रक्षा उपकरणों पर हो रहे निवेश को लेकर अमेरिका की एक दीर्घकालिक इच्छा भी है. अमेरिका चाहता है कि भारत की ओर से रूस में होने वाले निवेश में कटौती कर अमेरिका से ऐसे उपकरण ख़रीदे जाएं. हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हाउस आर्म्ड सर्विसेज़ कमिटी के सदस्यों के साथ हुई बैठक में इस रुख़ की जानकारी दी है.

अमेरिका आने वाले दिनों में रूस के प्रति भारत के रुख़ को बदलने को लेकर तथाकथित नज़दीकियों को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देगा. इस दिशा में अमेरिका ख़ासतौर से दो प्रकार के रणनीतिक लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ेगा- पहला अल्पकालिक और दूसरा दीर्घकालिक.

फ़िलहाल रूस-यूक्रेन जंग को असमान्य रूप से तवज्जो और राजनीतिक अहमियत दी जा रही है. ऐसे में भारत और अमेरिका ने ये महसूस किया है कि 2+2 का प्रारूप प्राथमिक रूप से सहयोग के क्षेत्रों को आगे बढ़ाने और रिश्तों को अगले मुकाम तक ले जाने के लिए है. इस सिलसिले में दक्षिण और मध्य एशिया क्षेत्र के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु के बयान की मिसाल ली जा सकती है. लु के मुताबिक “अंतरिक्ष सहयोग, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गठजोड़ के साथ-साथ साझा रक्षा क्षमताओं के विकास, सामुद्रिक दायरों से जुड़ी जागरूकता के प्रसार और सांस्कृति संपदा की हिफ़ाज़त से जुड़े मसलों पर नई पहल शुरू होने के आसार हैं.”

अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह की हालिया भारत यात्रा से 2+2 वार्ताओं के एजेंडा से जुड़े मसलों और वार्ताओं को लेकर दोनों पक्षों की उम्मीदों के आकलन का मौक़ा मिला. इससे पहले 21 मार्च 2022 को भारत-अमेरिकी विदेश विभाग की सलाहकारी बैठक (FOC) हुई थी. इसमें भारत की ओर से विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला और राजनीतिक मामलों के अमेरिकी उपविदेश मंत्री विक्टोरिया नुलांड ने हिस्सा लिया था. दरअसल इन्हीं दोनों बैठकों से 2+2 वार्ताओं का मंच तैयार हुआ.

भारत-अमेरिका के सामरिक भागीदारी का आकलन

2+2 वार्ताओं से पहले भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच एक ही हफ़्ते में 2 बार फ़ोन पर बातचीत हुई. ज़ाहिर है मौजूदा यूक्रेन संकट के बावजूद इन क़वायदों से 2+2 वार्ताओं को लेकर दोनों देशों की गंभीरता का पता चला. 2+2 वार्ताओं से दोनों देशों को भारत-अमेरिका सामरिक भागीदारी का पूरी तरह से आकलन करने में मदद मिली. दोनों देशों के द्विपक्षीय एजेंडे में अब रक्षा, वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग, विज्ञान और तकनीकी, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु वित्त के साथ-साथ आम जनता के स्तर के ताल्लुक़ात जैसे मसले शामिल हैं.

ज़ाहिर है मौजूदा यूक्रेन संकट के बावजूद इन क़वायदों से 2+2 वार्ताओं को लेकर दोनों देशों की गंभीरता का पता चला. 2+2 वार्ताओं से दोनों देशों को भारत-अमेरिका सामरिक भागीदारी का पूरी तरह से आकलन करने में मदद मिली.

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ख़ासी तवज्जो दी गई है. दोनों ही देशों ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी-अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. साथ ही हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) को गति देने पर भी बातचीत हुई. ये तकनीक पर आधारित सहयोगात्मक पहल है. इसके तहत डिजिटल अर्थव्यवस्था और इलाक़े में जलवायु और ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे बदलावों के हिसाब से रुख़ तैयार किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही आपूर्ति श्रृंखलाओं में मज़बूती लाने, पारदर्शिता बढ़ाने और सूचनाओं को साझा करने पर भी ज़ोर दिया गया है. ‘बिल्ड बैक बेटर’ कार्यक्रम के तहत हिंद-प्रशांत में बुनियादी ढांचे से जुड़ी ख़ामियों को दूर करने पर भारत और अमेरिका गंभीरता से चर्चा कर रहे हैं. ताज़ा बैठक में इस मसले पर हुई प्रगति का लेखाजोखा लेने और इस दिशा में सहयोग के भावी रोडमैप की योजना बनाने पर भी चर्चा हुई. दरअसल क्षेत्रीय बुनियादी ढांचों को तैयार करने के लिए वैकल्पिक संसाधन मुहैया कराए जाने से हिंद-प्रशांत रणनीति में मज़बूती आने के आसार हैं. इतना ही नहीं, पेंटागन ने भारत-अमेरिकी रक्षा संबंधों में ‘असाधारण रफ़्तार’ का दावा किया है. इस तरह का जोश और जज़्बा रक्षा व्यापार और तकनीकी पहल (DTTI) जैसी द्विपक्षीय क़वायदों के लिए शुभ संकेत है. ग़ौरतलब है कि हाल के वर्षों में इस दिशा में कोई ख़ास तरक़्क़ी नहीं हो पाई है. 2+2 वार्ताओं में भारत और अमेरिका ने एक दूसरे के लिए किसी तरह की ‘लक्ष्मण रेखा‘ तय नहीं की हैं. दोनों ही पक्ष “ईमानदारी से वार्ता प्रक्रिया” को आगे बढ़ाने को लेकर उत्सुक नज़र आते हैं. लिहाज़ा वार्ताओं का मौजूदा दौर दोनों के लिए अनेक अवसर सामने रखने वाला साबित हुआ. अमेरिका ये समझता है कि भारत उन चंद देशों में शुमार है जो रूस के साथ अपने रिश्तों की बदौलत युद्ध में उलझे दोनों पक्षों को युद्धविराम और कूटनीतिक प्रस्ताव के ज़रिए बातचीत की मेज़ पर ला सकता है.

भारत के लिहाज़ से मौजूदा वक़्त कूटनीति के क्षेत्र में सतर्क होकर माहिर तरीक़े से आगे क़दम बढ़ाने का है. इस मक़सद से अमेरिका के बाद जापान के साथ 2+2 स्तर की बातचीत भारत और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके रिश्तों के लिहाज़ से शुभ संकेत है.

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