प्रस्तावना
वर्ल्ड वाइड वेब यानी जब इंटरनेट की पहली पीढ़ी आई तो इसे वेब 1.0 कहा गया. वेब 1.0 की खासियत थी ओपन प्रोटोकॉल, ओपन सोर्स कोड और साझा मंच.[1] 2000 के दशक में वेब 2.0 आया.[a] इस बार कंटेंट पर फोकस किया गया. मोबाइल इंटरनेट में भी ज़बरदस्त उछाल दिखा.[2] लेकिन इस दौर में फेसबुक, गूगल और ट्विटर ने इंटरनेट पर कब्ज़ा कर लिया. इन सभी का मालिकाना हक़ बड़ी कंपनियों के पास है और एक तरह से इन्होंने इंटरनेट पर वर्चुअल एकाधिकार जमा लिया. अब वेब 3.0 आ रहा है. इसका मकसद विकेंद्रीकृत कार्यस्थल स्थापित करना है. ये मेटावर्स के ज़रिए आपको बिल्कुल वास्तविक अनुभव दिलाने का वादा करता है.[3]
सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि मेटावर्स आखिर है क्या? मेटावर्स से मतलब एक ऐसी दुनिया से है, जहां आप शारीरिक रूप से उपस्थित ना होते हुए भी वहां मौज़ूद होते हैं. ये एक तरह की आभासी दुनिया (वर्चुअल रियलिटी ) है, जिसमें आप इंटरनेट और आम तौर पर एक हेडसेट के साथ जुड़ सकते हैं. मेटावर्स एक साइबर-फिजिकल सामाजिक सिस्टम है. ऐसी प्रणाली जहां मानव समाज और साइबर सिस्टम एक जटिल प्रक्रिया के ज़रिए एक-दूसरे से जुड़े हैं.[4] ऐसा कहा जा रहा है कि चार मुख्य चरणों से गुज़रकर मेटावर्स पूरी तरह विकसित हो जाएगा.[5]
पहला चरण: वर्चुअल रियलिटी (VR) तकनीक़ी उपयोगकर्ता को मेटावर्स में तस्वीरों, वीडियो और आवाज़ का अनुभव कराएगा. फिलहाल इस स्टेज में गेमिंग कंपनियों का प्रभुत्व है. ब्लॉकचेन, क्रिप्टोकरेंसीज और नॉन फंजिबल टोकन (NFTs) ने भी मेटावर्स को बढ़ाने का काम किया है. जिस तरह से लोगों के अंदर ब्लॉकचेन पर आधारित विशेष डिजिटल सम्पति, जैसे कि गेमिंग की दुनिया में 'स्किन' लेने की ख़्वाहिश जगी है, उससे भी मेटावर्स और तेज़ी से बढ़ रहा है.[6]
दूसरा चरण: मेटावर्स के दूसरे चरण में इसे इस्तेमाल करने वालों को गति और स्पर्श के मिश्रण से सेंसर का अनुभव मिलेगा. हैप्टिक सूट [7] जैसे स्पर्श के अनुभव को बढ़ाने वाले सूट को पहनकर गति को महसूस भी किया जा सकेगा.[8]
तीसरा चरण: इस स्टेज में एडवांस वर्चुअल रियालिटी के ज़रिए सूचना को न्यूरो सिग्नल (तंत्रिका संकेतों) के ज़रिए सीधे दिमाग में भेजा जाएगा, जिससे लोगों को वास्तविक दुनिया का जैसा अनुभव होगा.[9] इसका एक उदाहरण हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिखता है, जहां दर्द के प्रबंधन के लिए आभासी दुनिया का निर्माण किया जाता है.[10] हालांकि वर्चुअल रियलिटी की उत्तेजना से तंत्रिका संबंधी जानकारी जुटाने की प्रक्रिया अभी आम नहीं हुई है. इस पर काम चल रहा है. न्यूरालिंक जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में प्रयोग कर रही हैं.[11] इस पूरी प्रक्रिया का अंतिम लक्ष्य आपके शरीर को हस्तांरित किए बगैर आपकी चेतना को दूसरी जगह ले जाना है.[12]
चौथा चरण: इस स्टेज को लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक मेटावर्स इतना विकसित हो चुका होगा कि उसे फिजिकल वर्ल्ड से अलग नहीं किया जा सकेगा. न्यूरोटेक्नोलॉजी की वजह से वर्चुअल और फिजिकल दुनिया के अनुभव का पूरी तरह विलय हो जाएगा.[13]
मेटावर्स फिलहाल अपने पहले स्टेज पर है. गेमिंग कंपनियों और तकनीक़ी सेवा देने वाली कुछ कंपनियों, जैसे कि सैमसंग, मेटा और एप्पल इंक, इस प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल बाज़ार के तौर पर कर रहे हैं. इसके साथ ही वो मेटावर्स के दूसरे स्टेज में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं.[14] साल 2022 के मध्य में मेटावर्स की कीमत 120 अरब डॉलर आंकी गई, जिसके 2030 तक बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाने के अनुमान है.[15]
इसमें कोई शक नहीं कि मेटावर्स में काफी क्षमताएं और संभावनाएं हैं लेकिन ये भी एक तथ्य ये है कि जिस तरह इस क्षेत्र में कोई नियमन नहीं है, उसे देखते हुए आपराधिक गतिविधियों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.[16] वर्चुअल वर्ल्ड से पैदा होने वाले ये ख़तरे असली बुनियादी ढांचे, निजी सुरक्षा और समाज पर भी असर डाल सकते हैं. ऐसे में ये ज़रूरी है कि मेटावर्स के नियमन के लिए वैश्विक स्तर पर कुछ नियम-कानून बनाए जाएं, जिससे इन ख़तरों से निपटा जा सके.
इस संक्षिप्त लेख में हम मेटावर्स के तीन संभावित सुरक्षा क्षेत्रों पर बात करेंगे. ये हैं 'अवतार' का उपयोग, सरकार-कारोबार-साथियों से प्रेरित सेंसरशिप और विकेंद्रीकृत वित्त और आभासी संपत्ति का स्वामित्व. इसके अलावा इस लेख में ये बताने की कोशिश की गई है कि नियमन, वैश्विक सहयोग और नैतिक दिशानिर्देशों की ज़रिए मेटावर्स के ख़तरों से कैसे मुकाबला किया जा सकता है.
मेटावर्स में संभावित अपराध और दुर्व्यवहार
तकनीक़ी के विकास के साथ ही आपराधिक बर्ताव और दुर्व्यवहार का ख़तरा भी बढ़ता है. इंटरनेट अब हिंसा और अपराध का एक मुख्य मंच बन चुका है, खासकर कमज़ोर माने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ क्योंकि यहां आप अपनी पहचान गुप्त रख सकते हैं.[17] इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग एल्गोरिद्म से संचालित होने वाले बेहतर अनुभव हासिल करने के लिए पहले ही अपनी निजी जानकारी जमा कर चुके होते हैं.[18] मेटावर्स इसमें पूरी तरह डूब जाने का जो अनुभव देता है, उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि भविष्य में प्राइवेसी की समस्या कितने बड़े पैमाने पर पैदा हो सकती है. इसे अभी समझना मुश्किल है.[19]
मेटावर्स का उपयोग करने वाले इसमें पूरी तरह डूब जाते हैं. तल्लीन हो जाते हैं. इसलिए कोई भी कानून बनाने से पहले मेटावर्स की इस विशेषता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. उपयोगकर्ता की आंखों की, हथेली और फिंगरप्रिंट की, शरीर की हल्की हरकतों और हार्मोन की गतिविधियों को मेटावर्स बिना इस्तेमाल करने वाले की इच्छा के बिना में इकट्ठा कर सकता है और बाद में इसका इस्तेमाल कर सकता है.[20] मेटा तकनीक़ी कंपनी पहले ही इस तरह के संकेत दे चुकी है कि वो उपयोगकर्ता के व्यवहार और बायोमेट्रिक डेटा से पैसा कमाना चाहती है.[21] इसका एक उदाहरण मेटावर्स में आंखों का इस्तेमाल है.[22] जहां मेटावर्स सिस्टम "आभासी आंखों" के एक्शन के आधार पर आंखों की गतिविधियों के उदाहरण का इस्तेमाल कर ये अनुमान लगाता है कि वो व्यक्ति क्या कर रहा है. क्या देख रहा है.
ऐसे ही सिस्टम का इस्तेमाल उपयोगकर्ता के व्यवहारगत प्रतिक्रियाओं का पता लगाने में भी किया जाता है. इससे प्राइवेसी के साथ-साथ ऐसी तकनीक़ी के इस्तेमाल की नौतिकता को लेकर भी चिंताएं खड़ी हो रही हैं.[23] अभी ज्यादातर मेटावर्स गेमिंग या गेमिफाइड मंच जैसे कि सैंडबॉक्स [b] और रोब्लॉक्स [c] में है, इसलिए ये युवाओं और नाबालिगों को ज्यादा आकर्षित करता है.[24] युवा दर्शकों, खासकर नाबालिगों पर ख़तरा ज्यादा है. ऐसे में उन्हें कंपनी और दूसरे उपयोगकर्ताओं के ग़लत इरादों से बचाना ज्यादा ज़रूरी है.[25]
ये गेमिंग प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के एक्शन और उनकी प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए भाषा के एक बड़े मॉडल का इस्तेमाल करते हैं. इस मशीन लर्निंग कहा जाता है. हालांकि आम तौर पर ऐसे मॉडल्स का इस्तेमाल खेल के स्तर को मुश्किल बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल उपयोगकर्ताओं के डेटा जुटाने या फिर खरीदारी के झूठे वादे कर उनका शोषण करने के लिए भी किया जा सकता है. इस मशीन लर्निंग सिस्टम को लेकर पहले से ही बड़े पैमाने पर संदेश जताए जाते रहे हैं, लेकिन मेटावर्स को लेकर बिना किसी नैतिक गाइडलाइंस और नियमन इन कंपनियों को रोकना मुश्किल है. शोषण के लिए ज़िम्मेदार ये मशीन लर्निंग मेटावर्स को इस्तेमाल करने वालों को बड़े पैमाने पर खरीदारी के लिए प्रेरित करती है और डेटा की प्राइवेसी को भी कम करती है.[26] मेटा और दूसरी कई तकनीक़ी कंपनियों को बायोमेट्रिक डेटा, जैसे कि आंखों की गति के तकनीक़ी उपयोग को लेकर पेटेंट प्रदान किया गया है.[27] लेकिन इसके इस्तेमाल की सीमाओं, उद्देश्य और नैतिक दिशानिर्देशों पर चर्चा होनी अभी बाकी है.
मेटावर्स में प्राइवेसी संबंधी चिंताओं के साथ-साथ साइबर की मदद से किए जा सकने वाले अपराध और कट्टरपंथ का ख़तरा भी है. रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उपयोगकर्ताओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन अपराध के लिए प्रेरित करने का आरोप लगता रहा है.[28] विकेंद्रीकृत मंचों में मोबलाइज़र (जो एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाते हैं) पर नज़र रखना बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में इन प्लेटफॉर्म्स के नियमन और जवाबदेही की ज़रूरत और बढ़ जाती है.
उपयोगकर्ता अवतार
सबसे पहले तो ये जानना ज़रूरी है कि मेटावर्स में अवतार किसे कहा जाता है. मेटावर्स में अवतार का अर्थ किसी व्यक्ति के आभासी प्रतिनिधित्व (वर्चुअल रिप्रेजेंटेशन) से है. इसका इस्तेमाल आभासी दुनिया में बातचीत करने और नेविगेट करने के लिए किया जाता है. खास बात ये है कि अवतार शब्द हिंदू माइथोलॉजी से लिया गया है. आसान शब्दों में कहा जाए तो अवतार आपकी एक डिजिटल अभिव्यक्ति हैं, जो आपको अपनी पहचान, व्यक्तित्व और रूप-रंग को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की सुविधा देते हैं. ये स्थिर चित्र के रूप में हो सकता है, सचित्र प्रतिनिधित्व, जैसे कि बिटमोज़िज और ह्यूमनॉइड रूप हो सकता है. मेटावर्स में उपयोगकर्ताओं के अवतार इस तक पहुंचने का काम करते हैं. ये अवतार मेटावर्स इस्तेमाल करने वालों को बातचीत करने, सूचना के प्रसार और कथित सांस्कृतिक एकता के लिए एक मुखौटा भी मुहैया कराते हैं.[d] मेटावर्स की दुनिया विकेंद्रीकृत है. इसका स्वामित्व किसी एक के पास नहीं है. इससे जवाबदेही का संकट खड़ा होता है क्योंकि जितने भी निजी अवतार हैं वो किसी एक न्यायिक क्षेत्र में नहीं आते, जैसा कि असली दुनिया में होता है.
मेटावर्स में ये अवतार लड़ाई या विवाद में शामिल हो सकते हैं. अगर वास्तविक दुनिया में ऐसा होगा तो उन्हें कानून का उल्लंघन करने का दोषी माना जाएगा.[e] ,[29] मेटावर्स का एक और संभावित दुरुपयोग मानहानि हो सकता है. यहां किसी दूसरे की पहचान से अवतार बनाना गैरकानूनी नहीं है. लेकिन ये उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को गलत तरीके से पेश कर सकता है. इससे दूसरे उपयोगकर्ताओं में अविश्वास, असंतोष और परेशानी पैदा हो सकती है.
चूंकि मेटावर्स में अभी गेमिंग कंपनियों का दबदबा है. ऐसे में वर्चुअल स्पेस में गेमिंग कल्चर में जिन कामों को गलत नहीं समझा जाता, जैसे कि चोरी, डकैती, किसी को गोली मारना, गोली मारने के खेल, वैसा ही कुछ मेटावर्स के उपयोगकर्ता वास्तविक दुनिया में भी कर सकते हैं.[30] ज़ाहिर सी बात है कि ऐसा होने से रोकने के लिए इस तरह के नियम बनाने होंगे जो हमले और प्रासंगिक व्यवहार में अंतर कर सकें. ऐसा होने की सूरत में मेटावर्स को अवतारों को नागरिक और मानव अधिकार की तर्ज़ पर अधिकार देने होंगे. इस तरह के संरक्षण देने के लिए अवतारों को उनके काम के लिए जवाबदेह ठहराने की ज़रूरत होगी. हर अवतार को ये बताना होगा कि एक कानूनी सिस्टम के तहत उनके साथ भी एक कानूनी व्यक्ति की तरह सलूक किया जाएगा और अपमानजनक काम करने पर उनके ख़िलाफ कार्रवाई होगी.
अवतार लोगों को अपनी एक ऐसी छवि बनाने की सुविधा देता है, जो असली दुनिया में उनकी पहचान से अलग हो सकती है. पहचान गुप्त रहने की वजह से उनका व्यवहार भी बदल सकता है. ये उन्हें इस तरह बर्ताव करने की शक्ति देता है, जैसा शायद वो वास्तविक दुनिया में ना कर सकें.[31] ऐसे में मेटावर्स में पहचान की गोपनीयता ऐसी संस्कृति का निर्माण कर सकती है, जहां जवाबदेही कम हो जाती है. ऐसे में मेटावर्स गलत इरादे या बदनीयती रखने वाले लोगों को समुदाय की सुरक्षा की कीमत पर अपनी व्यक्तिगत शक्ति दिखाने का मौका देता है.
हालांकि किसी अवतार या फिर उसके उपयोगकर्ता को कानूनी जवाबदेही के तहत लाना बहुत मुश्किल है क्योंकि अवतार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या मशीन लर्निंग की क्षमता भी हो सकती है, जैसे कि कैरेक्टर मर्चेंडाइजिंग.[f], [32]कैरेक्टर मर्चेंडाइजिंग का अर्थ किसी गेम के लोकप्रिय चरित्रों की बिक्री से है. हालांकि इन अवतारों को इंसान या इंसानों का समूह द्वारा प्रोग्राम किया जाता है. लेकिन बाद में ये अवतार आपसी बातचीत से भी सीख सकते हैं. जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा ये अवतार बातचीत के साथ हर उपयोगकर्ता के लिए जवाबदेही फैलाएंगे. अवतारों को ये कानूनी व्यक्तित्व रजिस्ट्रेशन की ज़रिए दिया जा सकता है. मेटावर्स में हर व्यक्ति सिर्फ एक अवतार को पंजीकृत करा सकता है. जहां तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की बात है, ऐसे मामलों में अवतारों के साथ कंपनी की तरह का बर्ताव किया जा सकता है. ठीक वैसे ही जैसे अकाउंटिंग और बिजनेस कानूनों में कंपनियों के साथ व्यक्तिगत संस्था की तरह का व्यवहार किया जाता है. ऐसे भी तर्क दिए जा रहे हैं कि जैसे रोबोट्स को कानूनी व्यक्तित्व माना जाता है, उसी का विस्तार मेटावर्स के अवतारों तक किया जा सकता है.[33] सच तो ये है कि अवतार अब ऐसी स्थिति में आ गए हैं कि वो उपयोगकर्ताओं से आगे जाकर कई तरह की अपराध और अत्याचार कर सकते हैं. उदाहरण के लिए अवतार अब एक ऐसे मंच के रूप में काम कर सकते हैं जो मेटावर्स के बाहर से चुराई गई बौद्धिक संपदा को बेच दें. ठीक वैसे ही जैसे बिर्किन बैग की चोरी की गई छवियों को NFTs के रूप में बेचा गया.[34]
कई बार ये देखा गया है कि वास्तविक दुनिया में धोखाधड़ी और वित्तीय चोरी के मामलों से बचने के लिए किसी निगम की कानूनी इकाई को उसके मालिक से अलग माना जाता है.[35] ऐसे में ये ज़रूरी है कि मेटावर्स में भी अवतारों को उनके उपयोगकर्ताओं से अलग समझा जाए. खासकर ऐसे मामलों में जहां अवतारों को कारोबारी उद्देश्यों के लिए प्रोग्राम किया गया हो. ऐसे ये ज़रूरी है कि प्रोग्रामर को दोषी ठहराए बिना इन अवतारों को उनके काम के लिए जवाबदेह ठहराया जाए. फिर भले ही वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित ही क्यों ना हों.[36]
मेटावर्स में पहचान, मानवता का एक ऐसा पहलू है, जिसकी कीमत है. फिर चाहे वो सांस्कृतिक पहचान हो, सामाजिक या ऐसी कोई पहचान, जिसके साथ कोई खुद को जोड़ना चाहता है. इसमें मुख्य तौर पर व्यक्तिगत पहचान शामिल है. जो लोग इस बात से अंजान हैं कि उनकी पहचान का दुरूपयोग हो रहा है, उनके लिए मानहानि और पहचान की चोरी अपराध और जवाबदेही की वजह बन सकती है. मेटावर्स में पहचान और प्रतिनिधित्व को लेकर चिंताएं इसलिए भी बढ़ गई हैं क्योंकि डेटा प्राइवेसी की सीमा पार बिना आपकी आभासी पहचान की पुष्टि करने का और कोई रास्ता नहीं है. ऐसे में पहचान की चोरी रोकने और डेटा प्राइवेसी के नुकसान को कम से कम करने में मेटावर्स प्लेटफॉर्म्स को दख़ल देनी ही होगी. मेटावर्स में एंट्री के समय अवतार की पंजीकरण की प्रक्रिया का पालन करके इस चुनौती का सामना किया जा सकता है. यानी अवतार को संविदा के तौर पर मंजूरी दी जाए और जिससे उस पर स्थायी जवाबदेही तय की जा सके.[37]
यौन उत्पीड़न और पहचान की चोरी के मामले सोशल मीडिया पर आम हैं. मेटावर्स आने के बाद स्थिति और ख़राब होने की आशंका है. मेटावर्स में उत्पीड़न में बौद्धिक संपदा की चोरी, डीप फेक के लिए व्यक्तिगत फोटो, अश्लील तस्वीरों और वीडियोज की डिलीवरी भी मुमकिन है. हालांकि ऑनलाइन उत्पीड़न और नए तरह के अपराधों, जैसे कि डीप फेक वीडियो, पहचान की चोरी और बिना सहमति के किसी की अंतरंग तस्वीरों को शेयर करने के ख़िलाफ कानून बने हुए हैं, लेकिन दिक्कत ये है कि इस तरह के कानून एक सीमित न्यायिक क्षेत्र में ही लागू किए जा सकते हैं और मेटावर्स पर इनका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. ऐसे में इन मेटावर्स प्लेटफॉर्म्स को ख़ुद ही अपना नियमन करना होगा. अब जिस तरह ये कहा जा रहा है कि मेटावर्स की विकसित होती तकनीक़ी के बाद न्यूरा लिंक के ज़रिए किसी व्यक्ति के दिमाग को उसके अवतार रूप के साथ जोड़कर उसे भौतिक अनुभव दिलाए जा सकते हैं, इसने स्थिति को और जटिल बना दिया है.[38]
सेंसरशिप
मेटावर्स के साथ एक और समस्या है सहकर्मियों द्वारा लागू की जा सकने वाली सेंसरशिप और प्रतिनिधित्व की ताकत. उपयोगकर्ता केंद्रित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पहले ही इस तरह के सेंसरशिप की शक्ति है. जो मौजूदा ऑनलाइन स्पेस है, वो उतना विकेंद्रीकृत नहीं है, जितना मेटावर्स होना चहता है. इसलिए मौजूदा ऑनलाइन स्पेस पर विभिन्न एजेंसियां अपने न्यायिक क्षेत्र के हिसाब से सेंसरशिप लागू कर सकती हैं. इंटरनेट के ज़रिए गलत सूचना और दुष्प्रचार का तेज़ी से प्रसार होता है.[39] ऐसे में सिर्फ सेंसरशिप इस समस्या का हल नहीं हो सकती.[40]
मेटावर्स में सेंसरशिप को तटस्थ रखना चाहिए, जहां वैश्विक नागरिक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. ऐसी चीजों को सेंसर करना चाहिए, जो उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जैसे कि स्वास्थ्य को लेकर गलत जानकारी. लेकिन इसे बहाना बनाकर उन भाषणों को सेंसर नहीं किया जाना चाहिए जो अधिकारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. ऐसा करना सेंसरशिप का दुरुपयोग होगा.
सहकर्मी द्वारा लागू सेंसरशिप, खासकर दूसरे उपयोगकर्ताओं और गैर सरकारी लोगों द्वारा उपयोगकर्ता की विचारों की स्वतंत्रता में पाबंदी लगाना भी मेटावर्स में अनैतिक हो सकता है. सहकर्मियों द्वारा लगाई जाने वाले सेंसरशिप ग्रीफिंग[g] फ्लेमिंग,[h] ट्रॉलिंग,[i] डॉक्सिंग,[j] और आभासी हमले के रूप में सामने आ सकती है.[k],[41] वेब 3.0 का ऑथेंटिकेशन ज्यादा सुरक्षित है. इसके प्रमाणीकरण के लिए आपको वन टाइम पासवर्ड और फिर ई-मेल से जुड़ा हुआ लिंक चाहिए. ऐसे में ये आपकी डिजिटल स्पीच को सेंसरशिप के मौजूद ढांचे से संरक्षण देती है. इसलिए जवाबदेही तय करने और किसी तरह के उत्पीड़न को रोकने की ज्यादा जिम्मेदारी इन मेटावर्स प्लेटफॉर्म्स पर आ जाती है.[42]
सेंसरशिप सिर्फ बोलने की आज़ादी पर प्रतिबंध तक ही सीमित नहीं है. ये आपकी लैंगिकता के दमन और दृश्यों की प्रतिनिधित्व (कलात्मक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व) तक जा सकती है. कई देश लैंगिक प्रतिनिधित्व को सेंसर करते हैं.[43] ये सेंसरशिप मेटावर्स पर भी लागू हो सकती है.
मेटावर्स पर किसी पर अनुचित पाबंदी ना लगे, उसका उत्पीड़न ना हो, फिर चाहे वो ख़ुद को कैसे भी पेश करना चाहते हैं, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए हमें अवतार के प्रतिनिधित्व, अभिव्यक्ति और एक्सटेंडेड रियलिटी [l] (XR) की नैतिकता पर विचार करना होगा. इस तरह के विचार ‘खेल में’ (अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर जो खेल या इस तरह की पेशकश मौजूद हैं) या ‘प्लेटफॉर्म्स पर’ (वो व्यावसायिक संगठन जो इस तरह की पेशकश करते हैं) उपलब्ध होने चाहिए. मेटावर्स की नैतिकता पर बहन करते हुए इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए कि कौन सी बातचीत उपयोगकर्ता के अनुभव को बेहतर बनाती है और कौन सी बातचीत उसकी गरिमा पर असर डालती है. XR यानी एक्सटेंडेड रियलिटी का इस्तेमाल पहले से ही न्याय दिलाने के लिए किया जा रहा है. इसी तरह VR यानी वर्चुअल रियालिटी का उपयोग ऑनलाइन स्पेस में यौन अपराधियों को ढूंढने में किया जाता है. लेकिन कई बार VR का गलत इस्तेमाल भी किया जाता है. इसके ज़रिए गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे लोगों का पता लगाया जाता है, जो कमज़ोर हैं. अपना बचाव करना नहीं जानते ऐसा मेटावर्स में भी हो सकता है.[44],[45] मेटावर्स को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ये उपयोगकर्ता के वास्तविक और आभासी अनुभव के अंतर को कम कर देता है. ऐसे में उपयोगकर्ता भावुकता में आकर अपने काम और अनुभवों में कुछ ऐसी चीजों को भी शामिल कर लेता है, जिसका उसे पता नहीं चलता. इसे मौखिक हमला या प्रोटियस इफेक्ट भी कहते हैं.[m],[46]
मेटावर्स में सेंसर की जाने वाली कोई भी सामग्री, भाषण और प्रतिनिधित्व को लेकर एक अलग दृष्टिकोण अपनाना होगा. उदाहरण के लिए दुष्प्रचार और राजनीतिक तौर पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए वैश्विक स्तर पर एक सोच बनानी होगी. ये तय करना होगा कि असंतोष और फ्री स्पीच क्या है. जहां तक गेमिंग, सोशल मीडिया में आपसी बातचीत और क्रिया, सामाजिक-व्यक्तिगत प्रदर्शन और छवियों पर सेंसरशिप का सवाल है तो इसके लिए अलग-अलग मेटावर्स प्लेटफॉर्म के हिसाब से खास दिशानिर्देश बनाने होंगे, जिससे नाबालिग और अल्पसंख्यक समुदाय को दुर्व्यवहार से बचाया जा सके. फिलहाल ऐसा होने की संभावना कम है. इसलिए अब ज़रूरत इस बात पर विचार करने की है कि मेटावर्स को इस तरह कैसे शासित किया जाए कि इस समस्याओं का समाधान भी हो, साथ ही उपयोगकर्ताओं पर पाबंदी लगाने या उनकी मेटावर्स तक पहुंच को ख़त्म ना करना पड़े.
विकेंद्रीकृत वित्त
मेटावर्स में विकेंद्रीकृत वित्त यानी डिसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस[n] (DeFi) भी शामिल होता है. इसकी भी ज़रूरत होती है. ये राष्ट्रीय और दूसरी भौतिक मुद्राओं से अलग होती है. मेटावर्स के मौजूदा गेमिंग सेक्टर से हम इस बात का आंकलन कर सकते हैं कि DeFi के परिदृश्य के क्या सामाजिक और आर्थिक असर हो सकते हैं. अवतार स्किन और गेमिंग उपकरणों के आभासी स्वामित्व पर पहले ही काफी पैसे खर्च किए जा चुके हैं.[47] उदाहरण के लिए 2022 में ही ये अनुमान लगाया गया था कि वर्चुअल स्किन का बाज़ार 40 अरब डॉलर का है.[48] इसके अलावा गेमिंग प्लेटफॉर्म्स कमाने के लिए खेलिए (प्ले-टू-अर्न) गेम भी चलाते हैं. इसमें उपयोगकर्ताओं को उनके समय के लिए DeFi में भुगतान किया जाता है. उदाहरण के लिए अप्रैल से अगस्त 2022 के बीच एक्सी इंफिनिटी जैसे कमाने के लिए खेलिए गेम्स के प्रतिभागियों की संख्या 30,000 से बढ़कर एक मिलियन से ज्यादा हो गई.[49] हालांकि DeFi का इस्तेमाल अपने आप में आपराधिक कृत्य नहीं है. लेकिन कई देश ये मानते हैं कि इस करेंसी में होने वाले उतार-चढ़ाव और इस पर नज़र रखना मुश्किल होने की वजह से ये रग पुलिंग [o] और गोल्ड फार्मिंग जैसे अपराधों को बढ़ावा देता है.[p],[50]
खर्च और कमाई की ये संभावना मेटावर्स के दूसरे पहलुओं में भी दिखती है. यही वजह है कि भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी और DeFi करेंसी का चलन और बढ़ेगा.
गेमिंग प्लेटफॉर्म्स अब वर्चुअल रियल एस्टेट यानी आभासी ज़मीन-जायदाद भी बेचने लगे हैं. खास बात ये है कि इसका बाज़ार भी तैयार हो गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रसिद्ध हस्तियों (सेलीब्रेटीज़) की आभासी ज़मीन के बगल में ज़मीन लेने के लिए लोगों ने 450,000 डॉलर तक का भुगतान किया है.[51] वर्चुअल आर्किटेक्चर और सलाहकार कंपनियों के साथ-साथ अब वर्चुअल रियल एस्टेट भी एक तेज़ी से बढ़ रहा उद्योग बन गया है. वास्तविक दुनिया की ही तरह मेटावर्स में भी इन संपत्तियों की कीमत इनकी दुर्लभता से तय होती हैं. आभासी परिसंपत्तियों में इस कमी को डिसेंट्रलैंड और सैंडबॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म्म बढ़ाते हैं. वो उपयोगकर्ताओं को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि इस आभासी दुनिया में भी ज़मीन की कमी है, इसलिए मौका मिलते ही इसे खरीदा लेना चाहिए. कुछ ऐसा ही असली दुनिया में भी होता है. इस 'आभासी ज़मीन' की खरीद-बिक्री को लेकर किसी तरह के नियम-क़ायदे नहीं हैं. इसीलिए कीमतों में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं. नतीजा ये होता है कि इससे डेफी (Defi) यानी डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के ज़रिए शोषण के रास्ते खुलते हैं
आभासी स्वामित्व में बौद्धिक संपदा समेत सम्पत्ति के अधिकार और उपभोक्ता के संरक्षण के लिए नियमन की ज़रूरत है. वास्तविक दुनिया में तो कला, संपत्ति और तकनीक़ी पर स्वामित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित होता है लेकिन साइबर स्पेस में ये सब कुछ अमूर्त होता है. लेकिन अब NFTs यानी नॉन फंजिबल टोकन आने के बाद खरीदार को खरीदे गए सामान पर अधिकार मिलने लगा है. ऐसे में बौद्धिक संपदा के मालिक और उत्पाद के मालिक के बीच अंतर करना लाइसेंसिंग का मामला हो गया है. कुछ मामले तो ऐसे हैं जहां बौद्धिक संपदा का मालिक बिना इजाज़त के अपना उत्पाद नहीं बेच सकता.[52] इसे इस उदाहरण से समझें. कोई हर्मिस बैग को NFTs में परिवर्तित कर दे और फिर उसे कंपनी की मंजूरी के बग़ैर बेचने पर विचार करे.[53] ऐसे ही वर्चुअल रियल एस्टेट भी NFTs की श्रेणी में आएगा. ये आभासी ज़मीन के मालिकों, ऋण या संपत्ति गिरवी रखने वालों को संरक्षण देने की प्रक्रिया को और जटिल बना देता है.
एक और समस्या क्रिप्टोकरेंसी पर निगरानी रखने वाले ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से जुड़ी है. अगर इसमें मशीन लर्निंग शामिल है तो फिर प्रोग्राम किए गए सॉफ्टवेयर भी ऐसे तरीकों से कारोबार कर सकते हैं, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान होगा. अब अगर नुकसान सीखे गए व्यवहार के आधार पर होता है. यानी अगर इसे मूल प्रोग्रामर ने सीधे प्रोग्राम नहीं किया है तो फिर निवेशक के हुए नुकसान के लिए मूल प्रोग्रामर को जवाबदेह मानना उसके साथ नाइंसाफी होगा.[54]
मेटावर्स में नियमन की ज़रूरत
मेटावर्स का नियमन करना बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि अभी तक यही स्पष्ट नहीं है कि एक बार पूरी तरह विकसित हो जाने के बाद ये कैसा रूप लेगा. फिलहाल मेटावर्स का उद्देश्य खुद को एक ऐसी विकेंद्रीकृत मंच के तौर पर विकसित करना है, जो सरकारों और स्थानीय और क्षेत्रीय न्यायिक क्षेत्रों द्वारा विभाजित ना हो. यानी ये खुद को एक ऐसे वैश्विक मंच के तौर पर विकसित करना चाहता है, जिस पर दुनियाभर में एक जैसे नियम लागू हों. लेकिन मेटावर्स में अपराध और आपराधिक संभावनाओं को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि मेटावर्स और उसके उपयोगकर्ताओं के संबंध में वैश्विक नियम-कानूनों की ज़रूरत है.[55],[56] संयुक्त राष्ट्र ने कारोबार और मानवाधिकार के लिए अपने मार्गदर्शक सिद्धांतों में ये कहा है कि हर व्यक्ति की निजता का सम्मान होना चाहिए. कंपनियों को चाहिए कि वो व्यापार की "सर्वोत्तम प्रथाओं" का पालन करें. खासकर कमज़ोर वर्गों (लैंगिक, नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यकों) को संरक्षण दिया जाना चाहिए. सरकारों को चाहिए कि व्यापार को लेकर UN के इन मार्गदर्शक सिद्धांतों को वो मेटावर्स पर भी लागू करें.[57] हालांकि UN के इन सिद्धांतों में व्यापार की सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया है. ऐसे में सरकारों या नियमन करने वाली एजेंसियों के पास इस बात क गुंजाइश है कि वो मेटावर्स के लिए कुछ विशेष नियम बनाएं. दुनियाभर में इस पर काम चल रहा है.
यूरोपियन यूनियन में उपभोक्ता संरक्षण और बराबरी की प्रतियोगिता को लेकर बनाए गए जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) को मिली सफलता के बाद अब ड्राफ्ट डिजिटल सर्विस एक्ट[58] और डिजिटल मार्केट एक्ट[59] के ज़रिए नाबालिगों की सुरक्षा के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं. इन्हें भविष्य में मेटावर्स का नियमन करने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अवैध सामग्रियों तक सीमित पहुंच और लक्षित विज्ञापन के लिए डेटा के स्टोरेज में की जाने वाली कमी को लेकर भी नियम बनाए जाने की ज़रूरत है. ये नियम अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स को बराबरी का मौका देंगे. कंपनियों से अपनी मार्केटिंग के तरीके को नए सिरे से व्यवस्थित करने को कहेंगे और उनसे अपने उत्पादों की पुश एडवर्टाइज़मेंट हटाने को कहेंगे. आपको बता दें कि पुश एडवर्टाइज़मेंट एक वेबसाइट द्वारा उपयोगकर्ता के डिवाइस पर डिलीवर किए जाने वाले क्लिक करने योग्य विज्ञापन हैं..वो मोबाइल ऐप पुश नोटिफिकेशन (आपके नोटिफिकेशन ट्रे में दिखाई देने वाले मोबाइल ऐप द्वारा भेजे गए) के समान दिखाई देते हैं. ये ऐप्स के बजाए वेबसाइटों के ज़रिए भेजे जाते है और सभी डिवाइस (डेस्कटॉप, मोबाइल, टैबलेट) पर दिखाई दे सकते हैं. इसके साथ अगर लक्षित विज्ञापन भी कम किए जाएं तो फिर ये उपयोगकर्ता की प्राइवेसी की चिंता को कम करता है. बाज़ार को नियमित करता है और अनजाने में हो गए अल्पाधिकार को हटाता है.[60] इसी तरह यूरोपियन यूनियन का ड्राफ्ट एआई रेगुलेशन[61] "उच्च ज़ोखिम" की नई परिभाषाएं बनाता है. ईयू के ड्राफ्ट के बाद एआई अपने उपयोगकर्ताओं को मार्केटिंग, डेटा माइनिंग और डेटा स्टोरेज को लेकर कम संवेदनशील बनाएगा.[62] ईयू के ड्राफ्ट दस्तावेज़ में इस बात पर भी चर्चा की गई है कि किस तरह एआई को जोड़-तोड़ करने में सक्षम 'अवचेतन तकनीक़ी' के इस्तेमाल से रोका जाए या फिर इसे सीमित किया जाए. ऐसे एआई सिस्टम जो किसी खास कमज़ोर समूहों का शोषण करते हैं, जिन्हें किसी खास उद्देश्य या लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकारी प्राधिकरणों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. किसी सार्वजनिक जगह पर 'रियल टाइम' रिमोट बायोमेट्रिक्स आइडेंटिफिकेशन सिस्टम जिस तक कानूनी एजेंसियों के कम मामले हैं. इन सबका जिक्र इसमें है. वास्तविक दुनिया में ये सारी चीजें पहले ही हमारे लिए मददगार साबित हो चुकी हैं. मेटावर्स के एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) में डेटा कलेक्शन और बायोमेट्रिक्स संबंधित पहलुओं को भी इन प्रावधानों को शामिल करना चाहिए. जैसे कि आंखों की गति का डेटा. ये भविष्य में मेटावर्स के लिए नियम तैयार करने में आधार बनेंगे.
2022 में जापान ने आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के तहत अपनी वेब 3.0 नीति जारी की. इस नीति में सोशल मीडिया से जुड़ी सारी उभरती तकनीक़ी, जैसे कि ब्लॉकचैन, NFTs और मेटावर्स का ज़िक्र है.[63] इसी तरह ब्रिटेन ने भी कहा है कि व्यापारिक कंपनियों और उपयोगकर्ताओं द्वारा की जाने वाली मेटावर्स से जुड़ी सारी गतिविधियां ऑनलाइन सेफ्टी बिल के न्यायक्षेत्र में आएंगी.[64]
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका अभी भी मौजूदा कानूनों के सहारे ही मेटावर्स को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है. इसमें उपभोक्ता संरक्षण और बौद्धिक संपदा के पहलू भी शामिल हैं. अमेरिका ने अभी तक मेटावर्स और वेब 3.0 के लिए कोई विशेष नियम नहीं बनाए हैं, ना ही उन्हें लेकर कोई जानकारी दी है.[65],[66]
भारत में साइबर अपराधों को सूचना तकनीक़ी कानून 2000 (IT Act) और भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत लाया गया है.[67],[68] भारत के साइबर कानून कई अन्य देशों की तुलना में बहुत व्यापक हैं, जबकि उपयोगकर्ताओं की संख्या एक समान है.[69] ऐसे में ये कहा जा सकता है कि भारत मेटावर्स के लिए नियम-कानून और नैतिक दिशानिर्देश बनाने के लिए बिल्कुल सही जगह पर है. इसका शुरूआती बिंदु मौजूदा कानूनों (भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट) की दोबारा जांच करना होगा.[70] साथ ही ये भी पता लगाना चाहिए कि ये कानून किस तरह मेटावर्स में लागू किए जा सकते हैं या फिर उनमें किन बदलावों की ज़रूरत है. उदाहरण के लिए आईटी को पहले ही साइबर चोरी के अलग-अलग प्रारूपों जैसे कि फिशिंग [q] और साइबर स्क्वॉटिंग [r] में लागू किया जा चुका है. आपराधिक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए इन्हें मेटावर्स में भी लागू किया जा सकता है, जिसमें रग-पुलिंग, पहचान की चोरी, अपराध की दूसरे रूप, जहां ऑनलाइन सम्पत्ति (वर्चुअल अवतार) का खरीदारी में दुरुपयोग किया जाता है या जहां कीमतें कृत्रिम तौर पर बढ़ाई जाती हैं. भारत ने हाल ही में डिजिटल पर्सनल डेटा प्राइवेसी एक्ट भी बनाया है. इस एक्ट में उन व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं और कंपनियों को दंडित करने का प्रावधान है, जो नियमों का पालन नहीं करते.[71] इसी तरह नियमों का पालन नहीं करने पर निजी उपयोगकर्ताओं को दंडित किए मेटावर्स के अवतारों पर ज़ुर्माना लगाया जा सकता है, जहां प्रोग्रामर सीधे तौर पर अपराध में शामिल ना हो.
मेटावर्स मुख्य रूप से उपयोगकर्ताओं का प्लेटफॉर्म है. यहां मानव नियंत्रित अवतार हो सकते हैं. कैरेक्टर मर्चेंडाइजिंग के लिए कंपनी द्वारा निर्मित अवतार हो सकते हैं. इस मंच का अनुभव बेहतर करने के लिए मशीन लर्निंग पर आधारित अवतार हो सकते हैं. मेटावर्स को नियंत्रित करने के लिए तीन सिद्धांत ज़रूरी हैं. खुली और पारदर्शी सरकार, मानवाधिकारों पर मज़बूत बल और सार्वजनिक जवाबदेही (किसी एक देश से विकेंद्रीकृत). यानी मेटावर्स पर सिर्फ एक देश के कानून ना चलें
मेटावर्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कामकाज के लिए पूरी तरह ऑटोमेटिक फ्रेमवर्क दे सकता है. हालांकि एआई के गवर्नेंस का एल्गोरिदम से मिलने वाले नतीजे पक्षपाती या फिर गलत भी हो सकते हैं क्योंकि वो अभी भी इंटरनेट के सामूहिक इस्तेमाल और सामाजिक पारस्परिक क्रिया पर निर्भर हैं. ऐसे में इस समस्या का एक समाधान ये हो सकता है कि मेटावर्स पर शासन के एक बहुस्तरीय मॉडल का विकसित किया जाए. सुरक्षा का पहला स्तर डेटा गवर्नेंस और एल्गोरिदम की जवाबदेही हो. दूसरा स्तर फैसला लेने और डेटा प्रोसेसिंग की प्रक्रिया में नैतिक मानदंडों और नियमों को लेकर मार्गदर्शन करे. आखिरी स्तर में नियमन में सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारियों का आवंटन हो.[72]
फिर भी ये कहा जा सकता है कि मेटावर्स के कामकाज की नीति बनाने के लिए सभी देशों को आपस में सहयोग करना चाहिए जिससे किसी एक ही देश के पास इसके नियमन के ज्यादा अधिकार ना रहें. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में एक मेटावर्स निगरानी ईकाई बनाई जा सकती है या फिर मौजूदा वैश्विक संगठनों से अलग एक नया स्वतंत्र संगठन बनाना चाहिए.
अब चूंकि सरकारें मेटावर्स के लिए नियम-कानून बनाने की तैयारी कर ही हैं तो ऐसा करने से पहले निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए. फिर चाहे वो राष्ट्रीय स्तर पर हो या वैश्विक स्तर पर.
अवतारों को अलग-अलग कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करना
मेटावर्स में उपयोगकर्ता ही पहली प्राथमिकता है. ऐसे में उपयोगकर्ता को अपनी पहचान गुप्त रखने वाले अवतारों या फिर मशीन लर्निंग पर आधारित अवतारों से बचाने के लिए ये ज़रूरी है कि हर अवतार को एक अलग कानूनी पहचान दी जाए.[73] आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पहले ही स्वायत्तता का श्रेय देने की बात चल रही है.[74] इसी तरह की विशेषताएं अवतारों को भी दी जा सकती है. इससे अवतारों को उपयोगकर्ताओं के लिए बलि का बकरा बनने से बचाया जा सकता है.[75],[76]
अवतारों को कंपनी जैसे अधिकार प्रदान करना
वास्तविक दुनिया में एक पंजीकृत कंपनी को हितधारकों या मालिक से अलग करके देखा जाता है और उसके साथ उसी तरह का व्यवहार किया जाता है. ऐसा ही मेटावर्स में अवतारों के साथ भी किया जाना चाहिए. कंपनियों की ही तरह अवतार भी मानवीय गतिविधियों का गैर-मानवीय विस्तार है.[77] अवतारों के साथ कंपनी की तरह बर्ताव करने से इन्हें जवाबदेह बनाया जा सकता है. इससे उपयोगकर्ता या फिर मशीन लर्निंग वाले अवतारों को मेटावर्स में काम करते हुए और जिम्मेदार बनाया जा सकता है.[78]
डेटा की प्राइवेसी और सुरक्षा
मेटावर्स में डेटा प्राइवेसी और बौद्धिक संपदा अधिकार की मौजूदा दौर की चुनौतियां प्रतिबिंबित होती हैं. ऐसी समस्याओं को बौद्धिक संपदा और उपभोक्ता संरक्षण के मौजूदा कानूनों के तहत भी सुलझाया जा सकता है.
डेटा की सुरक्षा के मौजूदा नियम, जैसे कि भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, यूरोपियन यूनियन का GDPR और AI Act, अमेरिका का इलिनियोस बायोमेट्रिक इंफॉर्मेशन प्राइवेसी एक्ट[s] में मेटावर्स में जुटाए जा सकने वाले बायोमेट्रिक डेटा जितनी विविधता नहीं है. डेटा सुरक्षा के ज्यादातर मौजूदा कानून निजी और संवेदनशील डेटा के स्थिर बायोमेट्रिक्स को ही कवर करते हैं. ऐसे में ये जानना मुश्किल है कि मेटावर्स में सक्रिय गतिविधियों और अनिच्छा से होने वाले काम से क्या डेटा हासिल किया जा सकता है.[79]
मानवाधिकार
मेटावर्स जैसा विकेंद्रीकृत मंच, जहां नियमन का भी अभाव है, वहां मानवाधिकारों के मूल्यांकन और उनके संरक्षण के लिए कुछ प्रोटोकॉल बनाने ज़रूरी हैं. इसका एक तरीका ये हो सकता है कि इंटरपोल के तहत एक पुलिस और नियामक संस्था या फिर एक इकाई बनाई जाए. इसका काम मेटावर्स की निगरानी करना या फिर इसके कामकाज के लिए रणनीति बनाने का होना चाहिए. ये संस्था सिर्फ किसी एक देश के प्रति जवाबदेह नहीं होगी.[80]
नैतिक इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश
इस बात की आशंका है कि आने वाले दिनों में मेटावर्स के गंभीर दुष्परिणाम दिखें. जैसे कि उपयोगकर्ताओं को इसकी लत लगना, पक्षपाती नतीजे, अफवाहें और अप्रभावी सेंसरशिप.[81] ऐसे में मेटावर्स और इसकी तरफ से पेशकश की जाने वाली चीजों के इस्तेमाल के लिए कुछ नैतिक दिशानिर्देश होने चाहिए, जिससे इसका सही उपयोग हो और उपयोगकर्ता की भी सुरक्षा हो. कारोबार और मानवाधिकार पर अपने मार्गदर्शक सिद्धांतों में संयुक्त राष्ट्र ने जो कहा है, उससे प्रेरणा लेकर मेटावर्स के लिए कुछ विशेष कानून बनाए जा सकते हैं. इसमें समाज के कमज़ोर वर्गों की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके साथ ही व्यापार की "सर्वोत्तम प्रथाओं" का पालन भी करना चाहिए.[82]
राज्य की तरफ से सुरक्षा
ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि मेटावर्स का इस्तेमाल वास्तविक दुनिया में किसी देश के आधारभूत ढांचे पर हमले के लिए किया जा सकता है. जैसे कि 2015 में मालवेयर वायरस के ज़रिए यूक्रेन का पावर ग्रिड पर हमला किया गया[83] और 2017 में यूक्रेन के ही नोटपेट्या में रैनसमवेयर के ज़रिए हमला किया गया.[84] इन दोनों हमलों को सैंडवर्म से जोड़ा गया.[t] मेटावर्स में इस तरह के वायरस अटैक किसी एक स्थानीय क्षेत्र या देश तक सीमित नहीं रहेगा क्योंकि मेटावर्स की कनेक्टिविटी ज्यादा है. इसलिए मेटावर्स के नियमन के लिए भविष्य में जो भी नियम बनाएं जाएं, उनमें इन सब चीजों का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है. ये अधिकार उन कंपनियों का भी संरक्षण करेंगे जो व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं की रक्षा करते हुए अपना व्यापार जारी रखना चाहती हैं.
निष्कर्ष
मेटावर्स अब अपने विकास के अंतिम चरण में है. हालांकि पूरी तरह विकसित हो जाने के बाद ये कैसे दिखेगा, इस बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. मेटावर्स द्वारा अभी जो XRs दिए जा रहे हैं वो उपयोगकर्ताओं के ऑडियो-विजुअल अनुभव को ही बढ़ा रहे हैं. लेकिन जैसा कि उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मेटावर्स का ऐसा वर्जन आने वाला है, जिसमें उपयोगकर्ता पूरी तरह डूब जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो फिर उपयोगकर्ता को मेटावर्स द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पाद, सेवाओं और दूसरी गतिविधियों की लत लग जाएगी. इससे अपराध और दुर्व्यवहार का ख़तरा बढ़ जाएगा. अब चुनौती ये है कि मेटावर्स के इस स्टेज तक पहुंचने से पहले ही इसे नियमित करने के कानून बना लिए जाएं, जिससे इसका दुरुपयोग रोका जा सके.
नियमन का जो मौजूदा परिदृश्य है, वो मेटावर्स के कामकाज के लिए नियम बनाने का ब्लूप्रिंट बन सकता है. भौतिक दुनिया और आभासी दुनिया का तेज़ी से मिश्रण होता जा रहा है. ऐसे में उपयोगकर्ता की सुरक्षा पर केंद्रित दिशानिर्देश बनाए जाने की सख्त ज़रूरत है. खासकर जो डेटा प्राइवेसी और कंपनियों और संगठनों के जिम्मेदार व्यवहार से जुड़े हैं. इनकी सुरक्षा को लेकर गाइडलाइंस बनाने के बाद उन्हें मेटावर्स के विभिन्न पहलुओं में लागू किया जा सकता है, साथ ही उन्हें और विकसित किया जा सकता है.
Footnotes
[a] वेब 1.0, वेब 2.0 जैसे शब्दों का इस्तेमाल अक्सर इंटरनेट नेटवर्क के शुरुआती चरणों को बताने के लिए किया जाता है. आंकड़े देने के लिए उपयोग किया जाता है.
[b] ये एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म है. उसे मेटावर्स जैसे प्लेटफॉर्म पर आयोजित किया जाता है. ये उपयोगकर्ताओं को गेम में पूरी तरह डूब जाने जैसा अनुभव देता है.
[c] एक गेमिंग प्लेटफॉर्म है. इसे स्मार्टफोन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और मेटावर्स जैसे प्लेटफॉर्म में विस्तारित किया जा सकता है.
[d] ये उपयोगकर्ताओं को अपने पहचान के संकेत जैसे कि राष्ट्रीयता, नस्ल, लैंगिक पहचान छोड़ने की सुविधा देता है. यहां वो खुद को इंटरनेट का नागरिक के तौर पर पेश कर सकते हैं.
[e] क्रिमिनल लॉ हमले, हत्या, डकैती और यौन हिंसा जैसे अवैध कामों में लगता है.
[f] कैरेक्टर मर्चेंडाइज़िंग का मतलब ऐसे काल्पनिक किरदार से है, जो किसी वास्तविक चरित्र से मेल खाता है. इनका इस्तेमाल असली लोगों से बातचीत करने में किया जाता है. इसका उद्देश्य बिक्री, विज्ञापन या फिर लोगों पर प्रभाव डालना होता है.
[g] जब उपयोगकर्ता डिजिटल स्पेस में किसी के साथ उत्पीड़न या दुर्व्यवहार करते हैं.
[h] दूसरों का अपमान करना या उसे नीचा दिखाना.
[i] अपमानित करके या अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करके किसी को भड़काना.
[j] किसी उपयोगकर्ता की निजी जानकारी जुटाना और फिर उसके खिलाफ इसे इस्तेमाल करना. इस निजी सूचना को प्रकाशित करना या फिर उनसे संपर्क करना.
[k] ये मौखिक हमला उपयोगकर्ता की जातीयता, नस्ल, जात, धर्म और लैंगिक पहचान की वजह से होता है. इसके भौतिक परिणाम भी हो सकते हैं.
[l] एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) में ऑग्मेंटेड रियलिटी और वर्चुअल भी शामिल होती है. ये तकनीक़ी का ऐसा रूप है, जो आभासी उत्तेजनाओं का अनुभव कराने के लिए किसी प्राकृतिक धारणाओं को जोड़ती है
[m] प्रोटियस प्रभाव को एक ऐसी घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहां किसी व्यक्ति का व्यवहार, विचार और उसके एक्शन पर आभासी दुनिया और अवतार से हुई बातचीत का असर पड़ता है.
[n] ये भी ब्लॉकचेन का ही एक प्रकार है, जिसे संपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अक्सर क्रिप्टोकरेंसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है लेकिन ये क्रिप्टोकरेंसी तक सीमित नहीं है. इसमें स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल होते हैं, जिनमें वित्तीय लेन-देन होता है.
[o] DeFi से संपत्ति का निर्माण करना, जिससे खरीदार को बढ़ी कीमत पर इसे खरीदने के लिए आकर्षित किया जा सके. एक बार खरीदारी हो जाने के बाद वो सुविधा/उत्पाद को बंद कर दिया जाए.
[p] गोल्ड फार्मिंग का मतलब एक ऐसे उपयोगकर्ता से है, जो गेम में सामान को अधिक कीमत पर खरीदने और फिर बेचने के लिए खेलता है.
[q] फिशिंग का मतलब किसी दूसरे का डेटा हासिल करना और फिर उसका इस्तेमाल उनकी संपत्ति चुराने से है.
[r] साइबर स्क्वॉटिंग का अर्थ किसी लोकप्रिय नाम का डोमेन खरीदने और फिर उसे ऊंची कीमत पर बेचने से है.
[s] अमेरिका में बायोमेट्रिक डेटा के नियम के लिए कोई संघीय कानून नहीं है. सिर्फ तीन राज्यों ने बायोमेट्रिक डेटा के लिए प्राइवेसी की नीति बनाई है. ये राज्य हैं इलिनॉय, वॉशिंगटन डीसी और टेक्सास. इलिनॉय एक्ट ही सबसे व्यापक है
[t] ये कहा गया कि ये ख़तरनाक साइबर हमला रूस के हैकर्स ने किया. इससे यूक्रेन और दूसरे कई देश प्रभावित हुए. उनके बंदरगाह और रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़ी कई प्रणालियां बंद हो गई.
[1] Josh Drake, “How We Can Finally Evolve from Web2 to Web3,” VentureBeat, February 13, 2022, https://venturebeat.com/datadecisionmakers/how-we-can-finally-evolve-from-web-2-0-to-web-3-0/.
[2] Edward Thomas, “Did Y2K Cause the Dot Com Crash?” February 27, 2017, https://www.edwardthomasauthor.com/single-post/2016/08/21/did-y2k-cause-the-dot-com-crash
[3] Josh Drake, “How We Can Finally Evolve from Web2 to Web3.”
[4] Y Zhou et al., “Cyber-Physical-Social Systems: A State-of-the-Art Survey, Challenges and Opportunities,” IEEE Communications Surveys & Tutorials, December 12, 2019, https://ieeexplore.ieee.org/document/8931796.
[5] Henrique Centieiro, “The Roles of VR, AR and MR on the Metaverse,” Medium, March 9, 2022, https://medium.datadriveninvestor.com/the-roles-of-vr-ar-and-mr-on-the-Metaverse-593569cfb686
[6] McKinsey and Company, “Value Creation in the Metaverse,” McKinsey and Company, June 2022, https://www.mckinsey.com/~/media/mckinsey/business%20functions/marketing%20and%20sales/our%20insights/value%20creation%20in%20the%20Metaverse/Value-creation-in-the-Metaverse.pdf.
[7] “Haptic VR Suit and Glove with Force Feedback,” Teslasuit, June 29, 2022, https://teslasuit.io/.
[8] Henrique Centieiro, “The Roles of VR, AR and MR on the Metaverse.”
[9] “Fingerprint, Face, Eye Iris, Voice and Palm Print Identification, Speaker and Object Recognition Software,” Neurotechnology, June 27, 2022, https://www.neurotechnology.com/.
[10] Shahnaz Shahrbanian et al., “Use of Virtual Reality (Immersive vs. Non Immersive) for Pain Management in Children and Adults: A Systematic Review of Evidence from Randomized Controlled Trials,” European Journal of Experimental Biology (2012), https://www.researchgate.net/profile/Shahnaz-Shahrbanian/publication/315740184_Use_of_virtual_reality_immersive_vs_non_immersive_for_pain_management_in_children_and_adults_A_systematic_review_of_evidence_from_randomized_controlled_trials/links/5a340974a6fdcc769fd22817/Use-of-virtual-reality-immersive-vs-non-immersive-for-pain-management-in-children-and-adults-A-systematic-review-of-evidence-from-randomized-controlled-trials.pdf.
[11] Neuralink, “Potential Impact,” Neuralink, https://neuralink.com/.
[12] Henrique Centieiro, “The Roles of VR, AR and MR on the Metaverse.”
[13] Wang et al., “A Survey on Metaverse: Fundamentals, Security, and Privacy,” TechRxiv, March 6, 2022, https://doi.org/10.36227/techrxiv.19255058.v1.
[14] McKinsey and Company, “Value Creation in the Metaverse.”
[15] McKinsey and Company, “Value Creation in the Metaverse.”
[16] Osman Gazi Gucluturk, "The Role of the Law in Metaverse Regulation," Metaverse: Technologies, Opportunities and Threats (2023), https://link.springer.com/chapter/10.1007/978-981-99-4641-9_18.
[17] Shravishtha Ajaykumar, “Gender-Based Violence in Private Online Spaces,” Observer Research Foundation, June 23, 2022, http://20.244.136.131/expert-speak/gender-based-violence-in-private-online-spaces.
[18] Vikram Rao et al., “To Share or Not to Share,” Deloitte Insights, September 25, 2017, https://www2.deloitte.com/us/en/insights/industry/retail-distribution/sharing-personal-information-consumer-privacy-concerns.html.
[19] Morgan Stanley, “Should Investors Take the Metaverse Seriously?” Morgan Stanley, November 14, 2021, https://www.morganstanley.com/ideas/Metaverse-investing.
[20] Bhavishya Ravi, "Privacy Issues in Virtual Reality: Eye Tracking Technology." Bloomberg Law (2017). https://www.academia.edu/download/77883748/Privacy_Issues_in_Virtual_Reality_Eye_Tracking_Technology.pdf.
[21] Matthew Gault, “The Metaverse Is the Ultimate Surveillance Tool,” VICE, November 12, 2021, https://www.vice.com/en/article/bvnxbm/the-Metaverse-is-the-ultimate-surveillance-tool.
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[23] Kate Crawford, “Artificial Intelligence is Misreading Human Emotion,” The Atlantic, April 27, 2021, https://www.theatlantic.com/technology/archive/2021/04/artificial-intelligence-misreading-human-emotion/618696/.
[24] Ernst and Young, “Insights on the Metaverse and the Future of Gaming.” Ernst and Young, 2022, https://www.ey.com/en_us/tmt/what-s-possible-for-the-gaming-industry-in-the-next-dimension/chapter-3-insights-on-the-metaverse-and-the-future-of-gaming.
[25] Andrea Vittorio, “Metaverse Technology Opens Up a Wider World of Privacy Concerns,” Bloomberg Law, August 30, 2022, https://news.bloomberglaw.com/privacy-and-data-security/metaverse-technology-opens-up-a-wider-world-of-privacy-concerns.
[26] Thomas Macaulay, “Why Emotion Recognition AI Can't Reveal How We Feel,” TNW | Neural, August 23, 2021, https://thenextweb.com/news/emotion-recognition-ai-cant-determine-how-people-feel.
[27] Isobel Asher Hamilton, “Meta Wants to Track Your Eye Movements and Facial Expressions as You Roam the Metaverse, Patents Suggest,” Business Insider, January 18, 2022, https://www.businessinsider.in/tech/news/meta-wants-to-track-your-eye-movements-and-facial-expressions-as-you-roam-the-Metaverse-patents-suggest/articleshow/88977447.cms.
[28] Klein et al., “Pathways to Conspiracy: The Social and Linguistic Precursors of Involvement in Reddit’s Conspiracy Theory Forum,” PLoS ONE, November 18, 2019, https://doi.org/10.1371/journal.pone.0225098.
[29] Pin Lean Lau, “From Data to User Interactions: Legal Issues Facing the Metaverse,” The Fashion Law, February 2022, https://www.thefashionlaw.com/from-data-to-user-interactions-legal-issues-facing-the-Metaverse/.
[30] “Metaverse in Gaming Market Share, Forecast: Growth Analysis Opportunities [2023-2031],” MarketsandMarkets, https://www.marketsandmarkets.com/Market-Reports/metaverse-in-gaming-market15811534.html#:~:text=The%20Metaverse%20in%20Gaming%20Market,projected%20to%20reach%20%24119.2%20billion.
[31] Mary Anne Franks, “Unwilling Avatars: Idealism and Discrimination in Cyberspace,” Columbia Journal of Gender and Law, Vol. 20, October 21, 2009, https://ssrn.com/abstract=1374533.
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[33] J.J. Bryson et al., “Of, For, and By the People: The Legal Lacuna of Synthetic Persons,” Artificial Intelligence and Law, September 8, 2017,https://doi.org/10.1007/s10506-017-9214-9.
[34] Danielle Garno, “Trademarks Meet NFTs: Hermès Sues NFT Creator Over MetaBirkins,” Reed Smith, January 26, 2022, https://www.adlawbyrequest.com/2022/01/articles/in-the-courts/trademarks-meet-nfts-hermes-sues-nft-creator-over-metabirkins.
[35] Rahul Sharma, “Case Summary: Lee vs. Lee Air Farming Limited, 1960,” LawLex.Org, July 15, 2020, https://lawlex.org/lex-bulletin/case-summary-lee-vs-lee-air-farming-lee-limited-1960/24542.
[36] B.C. Cheong, “Avatars in the Metaverse: potential legal issues and remedies,” International Cybersecurity Law Review, June 7, 2022, https://doi.org/10.1365/s43439-022-00056-9.
[37] B.C. Cheong, “Avatars in the Metaverse: potential legal issues and remedies.”
[38] B.C. Cheong, “Avatars in the Metaverse: potential legal issues and remedies.”
[39] Rachel Schraer, “Should Bad Science Be Censored on Social Media?” BBC News, January 19, 2022, https://www.bbc.com/news/technology-60036861.
[40] Rachel Schraer, “Should Bad Science Be Censored on Social Media?” BBC News, January 19, 2022, https://www.bbc.com/news/technology-60036861.
[41] “How I Temporarily Became a Griefer,” VentureBeat, July 24, 2012, https://venturebeat.com/gbunfiltered/how-i-temporarily-became-a-griefer/.
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[43] Elizabeth Picarra, “Avatars and Virtual Worlds: Unsettling the Rules of Porn,” Empowering Women for Gender Equity, October 29, 2022, https://www.jstor.org/stable/pdf/43824480.pdf?ab_segments=0%2Fbasic_search_gsv2%2Fcontrol&initiator=search-results.
[44] Matt Roper, “Predators Use Virtual Reality Chatroom to Target Kids on Popular Gaming Device,” Mirror, February 9, 2022, https://www.mirror.co.uk/news/uk-news/predators-use-virtual-reality-chatroom-26186533.
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[47] “Cryptocurrencies Are on Track to Dominate Online Video Gaming,” Medium, March 19, 2018, https://medium.com/wax-io/cryptocurrencies-are-on-track-to-dominate-online-video-gaming-and-here-are-the-numbers-that-show-cbe81dc397b0.
[48] Matthew Petkov, “How Virtual Fashion is Changing the Industry,” LandVault May 30, 2023, https://landvault.io/blog/virtual-fashion
[49] “Unemployed Gamers Turn to Crypto Game Axie Infinity to Make Hay,” The Times of India, August 30, 2021, https://timesofindia.indiatimes.com/business/cryptocurrency/etherum/unemployed-gamers-turn-to-crypto-game-axie-infinity-to-make-hay/articleshow/85760211.cms.
[50] Amanda Holpuch, “Gaming Is Booming. That’s Catnip for Cybercriminals,” The New York Times, October 13, 2022, https://www.nytimes.com/2022/10/13/technology/gamers-malware-minecraft-roblox.html.
[51] “Crypto Collector Spends $450,000 on Land Next to Snoop Dog,” The Express Tribune, December 9, 2021, https://tribune.com.pk/story/2333136/crypto-collector-spends-450000-on-virtual-land-next-to-snoop-dogg.
[52] B.C. Cheong, “Avatars in the Metaverse: potential legal issues and remedies.”
[53] Danielle Garno, “Trademarks Meet NFTs: Hermès Sues NFT Creator Over MetaBirkins.”
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[76] Matt Roper, “Predators Use Virtual Reality Chatroom to Target Kids on Popular Gaming Device.”
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[80] ayanth Murali, “Should We've Virtual Version of Interpol to Police the Metaverse?” DT next, January 9, 2022, https://www.dtnext.in/technology/2022/01/09/should-weve-virtual-version-of-interpol-to-police-the-Metaverse.
[81] Wang et al., “A Survey on Metaverse: Fundamentals, Security, and Privacy,” IEEE Communications Surveys & Tutorials, September 8, 2022, https://arxiv.org/abs/2203.02662v2.
[82] Office of the High Commissioner for Human Rights, United Nations, “Guiding Principles on Business and Human Rights.”
[83] Don C. Weber, “Confirmation of a Coordinated Attack on the Ukrainian Power Grid,” SANS Industrial Control Systems Security, May 6, 2021, https://www.sans.org/blog/confirmation-of-a-coordinated-attack-on-the-ukrainian-power-grid/.
[84] Andy Greenberg, “The Untold Story of Notpetya, the Most Devastating Cyberattack in History,” Wired, August 22, 2018, https://www.wired.com/story/notpetya-cyberattack-ukraine-russia-code-crashed-the-world/.
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