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Published on May 04, 2024 Updated 0 Hours ago

भारत मेक्सिको का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का विस्तार करने और दोनों उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच तालमेल का उपयोग करने की और भी संभावनाएं हैं. 

दुनिया को जोड़ना: 'ब्रिज-बिल्डर' के रूप में भारत की भूमिका

ये लेख रायसीना क्रॉनिकल्स-2024 सीरीज़ का हिस्सा है. 


मेक्सिको के विदेश मंत्री के रूप में मेरे लगभग पांच साल के कार्यकाल के दौरान एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ नज़दीकी संबंधों का पता लगाना मेरी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक था. एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बढ़ती अहमियत को लेकर कोई विवाद नहीं है. बहुपक्षवाद और खुले व्यापार को लेकर इसकी प्रतिबद्धता से ये उजागर होता है. हम ऐसे क्षेत्र के बारे में बात कर रहे हैं जहां दुनिया की 60 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी रहती है, 40 प्रतिशत से ज़्यादा वैश्विक व्यापार होता है और दुनिया की 40 प्रतिशत से ज़्यादा GDP है. 

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक प्रमुख किरदार है जिसके साथ मेक्सिको का 70 साल से ज़्यादा पुराना कूटनीतिक संबंध है. हाल के समय में दोनों देशों के बीच रिश्ते मज़बूत और समृद्ध हुए हैं. भारत मेक्सिको का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का विस्तार करने और दोनों उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच तालमेल का उपयोग करने की और भी संभावनाएं हैं. हमारे बीच आपसी व्यापार और आर्थिक मदद बढ़ रही है. इसके साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में सफल सहयोग भी है. एरोस्पेस, स्वास्थ्य, साझा तौर पर दवा उत्पादन, अंतरिक्ष की खोज, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा- ऐसे क्षेत्र जिनमें भारत दुनिया का नेतृत्व करता है- के क्षेत्रों में पता लगाने एवं सहयोग करने और हमारी विशेष साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी में बढ़ावा देने की संभावना है. इसके साथ-साथ भारत और मेक्सिको- दोनों देश एक स्थिर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के साझा दृष्टिकोण की दिशा में प्रयास करते हैं. दोनों देश एक धाराप्रवाह राजनीतिक संवाद स्थापित करने, सहमति के क्षेत्रों की पहचान करने और बहुपक्षीय क्षेत्रों में साझा पहल में सफल हुए हैं.

मेक्सिको और भारत की अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच सार्थक और लाभदायक बातचीत के साथ ये उच्च-स्तरीय बैठक हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण रही हैं.

हाल के वर्षों में कूटनीतिक आदान-प्रदान का सिलसिला हमारी साझेदारी की विशेषता रहा है जिसने संबंधों को मौजूदा गति प्रदान की है. इस क्षेत्र के जिन देशों में विदेश मंत्री के तौर पर मैंने आधिकारिक यात्रा की है, उनमें अप्रैल 2022 और मार्च 2023 में भारत के अपने दो दौरों पर ज़ोर देना चाहता हूं. इसके अलावा भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सितंबर 2021 में मेक्सिको का दौरा किया. भारतीय विदेश मंत्री के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर हम सहमत हुए. मेक्सिको और भारत की अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच सार्थक और लाभदायक बातचीत के साथ ये उच्च-स्तरीय बैठक हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण रही हैं. 

भारत की बढ़ती भूमिका

2023 में मुंबई में मेक्सिको का नया कॉन्सुलेट खुलना मेक्सिको और भारत के बीच संपर्क को बढ़ाने की हमारी कोशिश में एक अहम कदम था. महत्वपूर्ण बात ये है कि मार्च 2023 में मेरी अंतिम यात्रा के दौरान रायसीना डायलॉग के 2023 के एडिशन में बोलने का सम्मान मिला.

रायसीना डायलॉग को दुनिया भर के नेताओं और एशिया-प्रशांत क्षेत्र और उससे अलग क्षेत्रों के विद्वानों के द्वारा सम-सामयिक मामलों पर उच्च-स्तरीय विचारों के आदान-प्रदान के लिए सबसे बड़े मंचों में से एक माना जाता है. दुनिया में भारत के बढ़ते असर के अनुरूप ये मंच भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर एक प्रमुख सम्मेलन बन गया है.

रायसीना डायलॉग का 2023 का एडिशन समय के अनुकूल था क्योंकि ये भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के ठीक बाद आयोजित हुआ. इसकी वजह से वक्ताओं और भाग लेने वालों- दोनों को मौजूदा समय में दुनिया के मामलों का आकलन करने में एक लाभदायक और समृद्ध अनुभव प्राप्त करने की अनुमति मिली. इस सौभाग्यशाली संयोग में मैं " न्यू हाई-टेबल:रिअलाइनिंग G20 इन चेंजिंग वर्ल्ड' शीर्षक के एक सेशन में अपने विचारों और योजनाओं को साझा करने में सफल रहा. ये सेशन G20 और मेक्सिको की मूल्य वर्धित (वैल्यू एडेड) हिस्सेदारी को लेकर था. 2023 में G20 की अध्यक्षता भारत के पास होने को देखते हए ये सेशन विशेष रूप से प्रासंगिक था. मुझे बहुपक्षीय प्रणाली की रक्षा और मज़बूती को लेकर मेक्सिको के दृढ़ विश्वास पर ज़ोर देने का अवसर मिला. इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने और वैश्विक शासन व्यवस्था में सकारात्मक योगदान के लिए G20 एक सामरिक मंच है.

भारत ने वैश्विक महामारी के असर से बुरी तरह प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण समय में G20 की अध्यक्षता की. इसी दौरान एक युद्ध भी चल रहा था जिसने खाद्य आपूर्ति को ख़तरे में डाल दिया है और 70 के दशक से अब तक का सबसे गंभीर ऊर्जा संकट बनाया है.

मेक्सिको ने भारत की G20 की अध्यक्षता का पूरा समर्थन किया और नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के सकारात्मक नतीजों को सुनिश्चित करने के लिए दूसरे सदस्य देशों के साथ नज़दीकी तौर पर काम किया. मेक्सिको संवाद और सर्वसम्मति के लिए एक मंच के रूप में G20 की भूमिका को बढ़ाने का काम जारी रखेगा.

ये चिंताजनक है कि वैश्विक शासन व्यवस्था को लेकर कम-से-कम दो विरोधी दृष्टिकोणों के बीच भू-राजनीतिक टकराव सबसे गंभीर वैश्विक संकटों पर समझौते के मामले में बाधा बन रहे हैं. इसके साथ-साथ हम चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं के द्वारा G20 की अध्यक्षता की अवधि देख रहे हैं- इंडोनेशिया (2022), भारत (2023), ब्राज़ील (2024) और दक्षिण अफ्रीका (2025)- और ये बेशक G20 का एजेंडा तैयार करने में विकासशील देशों के असर को बढ़ाने का एक अवसर है

भारत ने वैश्विक महामारी के असर से बुरी तरह प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण समय में G20 की अध्यक्षता की.

इस संदर्भ में पिछले साल के रायसीना डायलॉग, जो कि संयोगवश भारत की G20 अध्यक्षता के साथ आयोजित हुआ, ने ग्लोबल साउथ (विकासशील देश) और अलग-अलग देशों के इस संगठन की समस्याओं और प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया. रायसीना डायलॉग ने जलवायु परिवर्तन, ग़रीबी, ऋण संकट और सतत विकास जैसे प्रगति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान बरकरार रखते हुए विकासशील देशों की आवाज़ को तेज़ किया. ये महत्वपूर्ण है क्योंकि उभरते देशों की सक्रिय भागीदारी वैश्विक सार्वजनिक सामानों (ग्लोबल पब्लिक गुड्स) के प्रावधान में योगदान देती है और कम आमदनी वाले और विकासशील देशों- जो कि वैश्विक संकट के सबसे ख़राब असर को झेल रहे हैं- के स्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण का समर्थन करती है. इस तरह रायसीना डायलॉग प्रमुख सामाजिक, सुरक्षा, पर्यावरण और वित्तीय चुनौतियों पर सामरिक संवाद के साथ-साथ एजेंडा तय करने और सुविधा प्रदान करने वाले एक मंच के रूप में बदल गया है. 

इसके साथ-साथ G20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने ख़ुद को विकसित और विकासशील देशों के बीच एक पुल के तौर पर पेश किया है. रायसीना डायलॉग 2023 में थीम, रचना और व्यापक प्रतिनिधित्व के मामले में अलग-अलग पैनल ने भारत और मेक्सिको जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को गुटों के निर्माण और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के द्वारा परिभाषित संदर्भ में बढ़ते असर के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में दूरी पाटने वालों के रूप में स्वीकार किया

आज के बहुध्रुवीय विश्व में ये पहले से अधिक आवश्यक हो गया है कि संवाद, सहयोग और एकजुटता हमारी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाएं. स्थिरता, शांति और समृद्धि कूटनीति और संवाद पर निर्भर करती हैं. दुनिया के निर्णय लेने वालों, नीति बनाने वालों और विचारकों को एक छत के नीचे लाकर रायसीना डायलॉग संवाद और मतभेदों की इस भावना का एक प्रतीक है. मेक्सिको भी किसी संघर्ष में बातचीत के उपयोग और अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे की वकालत करता है

रायसीना डायलॉग का महत्व

रायसीना डायलॉग भी उन आवाज़ों को शामिल करने की कोशिश करता है जिन्हें चर्चाओं और नीति निर्माण की प्रक्रिया में ऐतिहासिक रूप से नज़रअंदाज़ किया गया है. इनमें महिलाओं, युवाओं और प्रवासियों की आवाज़ शामिल हैं जो विकास के कई पहलुओं को प्रभावित करने वाले विषयों के रूप में लैंगिक समानता और मानवाधिकारों की रक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देती हैं. रायसीना यंग फेलो प्रोग्राम समावेशन के इस प्रयास का सबूत है. आख़िरकार, वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए समावेशन और संवाद की आवश्यकता होती है, बहिष्कार और अलग-थलग करने की नहीं. इस परिदृश्य में रायसीना डायलॉग बातचीत को बढ़ावा देने में एक रचनात्मक भूमिका निभाता है और वर्तमान एवं भविष्य की वैश्विक चुनौतियों के स्थायी समाधान में योगदान देता है. 

इस परिदृश्य में रायसीना डायलॉग बातचीत को बढ़ावा देने में एक रचनात्मक भूमिका निभाता है और वर्तमान एवं भविष्य की वैश्विक चुनौतियों के स्थायी समाधान में योगदान देता है. 

मैं रायसीना डायलॉग में भागीदारी करने वाला मेक्सिको का पहले विदेश मंत्री होने के लिए बहुत कृतज्ञ और सम्मानित महसूस कर रहा हूं. अपना पहला दशक पूरा करने की पूर्व संध्या पर रायसीना डायलॉग अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने मौजूद ज़्यादातर चुनौतीपूर्ण मुद्दों के समाधान में एक ताकत बन गया है. G20 के साथ-साथ रायसीना डायलॉग और दूसरे मंचों पर मेक्सिको बहुपक्षीय प्रणाली की रक्षा और मज़बूती के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता रहेगा.  

इस मुश्किल समय में मेक्सिको के दृष्टिकोण को साझा करने का आमंत्रण देने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. समीर सरन का विशेष आभार

 

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