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चीन की सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, वहां बार बार हो रहे खाद्य पदार्थों की सुरक्षा से जुड़े घोटाले अतिरिक्त क़दमों की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं.
ये हमारी चाइना क्रॉनिकल्स सीरीज़ का 160वां लेख है
खाने के लिए सुरक्षा खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और उनकी पहुंच, अच्छी सेहत और खाद्य सुरक्षा के लिए सबसे अहम तत्व हैं. खाद्य पदार्थों की सुरक्षा का मतलब, ‘खाने के सामान का रख-रखाव, उन्हें तैयार करना और उनका भंडारण इस तरह से करना होता है, जिससे कोई वो खाद्य पदार्थ खाने की वजह से बीमार न पड़े.’
असुरक्षित खाना खाने से दुनिया भर में लगभग 60 करोड़ लोग (हर दस में से एक शख़्स) बीमार पड़ते हैं, और 4 लाख 20 हज़ार लोगों की जान चली जाती है. यही नहीं निम्न और मध्यम आमदनी वाले देशों में असुरक्षित खान-पान की वजह से 3.3 करोड़ स्वस्थ जीवन वर्षों का नुक़सान होता है और इससे 110 अरब डॉलर की आर्थिक क्षति भी होती है. पांच साल से कम उम्र के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे खाने पीने के सामान से पैदा होने वाली बीमारियों के झटके झेलते हैं. असुरक्षित खाना खाने से सामाजिक आर्थिक विकास में बाधा आती है. क्योंकि, खाद्य पदार्थों की वजह से होने वाली बीमारियां स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ाती हैं और अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाती हैं.
असुरक्षित खाना खाने से दुनिया भर में लगभग 60 करोड़ लोग (हर दस में से एक शख़्स) बीमार पड़ते हैं, और 4 लाख 20 हज़ार लोगों की जान चली जाती है.
विश्व स्वास्थ्य महासभा के 75वें सत्र के दौरान, खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक रणनीति (2022-2030) को अपनाया गया था, ताकि खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बनाने वाली व्यवस्था को मज़बूत किया जा सके. इसे WHA के 73.5वें प्रस्ताव के बाद लागू किया गया था. ‘खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के प्रयासों को मज़बूत करने’ पर ज़ोर देने वाले इस प्रस्ताव में सदस्य देशों से अपील की गई है कि वो नई उभरती हुई चुनौतियों को देखते हुए खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की मौजूदा रणनीति में संशोधन करें. खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के संदर्भ में ‘वन हेल्थ’ का तरीक़ा बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि ये इंसानों, जानवरों और पारिस्थितिकी के बीच संतुलत को एकीकृत करता है, ताकि खाने पीने के सामान से पैदा होने वाली बीमारियों को रोका जा सके.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने की वजह से चीन में दुनिया भर का 23 प्रतिशत खाद्यान्न पैदा किया जाता है. चीन, हर साल 109.5 करोड़ टन कृषि उत्पाद उगाता है. इस तरह वो दुनिया का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक भी है. इसके अतिरिक्त, मौद्रिक मूल्य के हिसाब से चीन दुनिया में कृषि उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश और प्रमुख निर्यातक भी है. पूरे विश्व में पैदा होने वाले गेहूं और चावल के मामले में चीन एक प्रमुख भूमिका अदा करता है और वो मक्का, जौ और तिलहन के उत्पादन के मामले में भी दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है. कृषि उत्पादन की ऊंची दर और खाद्य वस्तुओं के संक्रमण की वजह से खाद्य पदार्थों की सुरक्षा चीन के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है. मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए मिलावट, रंग रूप बदलने वाले पदार्थों और कीटनाशकों को खाद्य वस्तुओं में मिलाने के लिए चीन के उत्पादक पूरी दुनिया में बदनाम हैं.
2003 में चाइना स्टेट फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की स्थापना करने के बाद से ही, पिछले कई वर्षों से चीन की सरकार खाद्य वस्तुओं को सुरक्षित बनाने के नियमों को सख़्त बनाती रही है. 2015 में चीन में खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा का क़ानून बनाया गया था, ताकि चीन खाद्य पदार्थों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ साथ, अपने नागरिकों की सेहत और उनकी ज़िंदगी की हिफ़ाज़त सुनिश्चित कर सके. इसके बाद, 2017 चीन ने अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयोग के अंतर्गत, ‘खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के मानकों के लिए राष्ट्रीय योजना’ को जारी किया था, जिससे खाद्य वस्तुओं के मानकों में संशोधन किया जा सके. ये नियम खाद्य उत्पादों और विशेष आहार वाले खाने से संबंधित हैं और खाद्य उत्पादन और संचालन के व्यवहार को भी एक मानक में ढालने वाले हैं. चीन की खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की राष्ट्रीय रणनीति को 2016 में स्थापित किया गया था. इसका साफ़ मक़सद और कार्ययोजना, 2020 तक खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के जोखिमों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस को हासिल करना और ये लक्ष्य सुनिश्चित करना था कि चीन के नागरिक ‘आराम से सुरक्षित आहार ले सकें’. इसका एक लक्ष्य 2050 तक खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के मानक और प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना करना भी है.
चीन में असुरक्षित खान पान की वजह से कई घटनाएं देखने में आई हैं. 1988 में शंघाई में हेपेटाइटिस A की बीमारी उस वक़्त फैल गई थी, जब लोगों ने कच्चे घोंघे खा लिए थे. इसकी वजह से बहुत से लोगों को संक्रमण हो गया था और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. एक और घटना 2008 में चीन में दूध के घोटाले की हुई थी, जब नवजात बच्चों के लिए कृत्रिम दूध और दूसरी वस्तुओं में मेलामाइन की मिलावट पाई गई थी. इसकी वजह से लगभग तीन लाख बच्चों में गुर्दे और पेशाब की नली का संक्रमण फैल गया था. इस घटना के बाद चीन ने खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा का क़ानून बनाया था. इस क़ानून की धारा 19 में कहा गया है कि, ‘खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के मानक अपनाना अनिवार्य है. खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के अलावा कोई अन्य अनिवार्य मानक खान पान की चीज़ों के लिए नहीं अपनाया जाएगा.’ इसके बावजूद, पिछले दो दशकों के दौरान चीन में खाने पीने के सामान की ख़राबी से जुड़ी कई घटनाएं हुई हैं; इनमें से सबसे ताज़ा तो वुहान के जानवरों के बाज़ार में असुरक्षित माहौल की वजह से फैली कोविड-19 की महामारी थी.
एक और घटना 2008 में चीन में दूध के घोटाले की हुई थी, जब नवजात बच्चों के लिए कृत्रिम दूध और दूसरी वस्तुओं में मेलामाइन की मिलावट पाई गई थी. इसकी वजह से लगभग तीन लाख बच्चों में गुर्दे और पेशाब की नली का संक्रमण फैल गया था.
चीन में खाद्य वस्तुओं से होने वाली बीमारियों की घटनाओं के बार बार होने की बड़ी वजह सरकार द्वारा निगरानी और नियम लागू करने में सख़्ती का अभाव और मुनाफ़े के चक्कर में खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनियों में नैतिकता का भारी अभाव रहा है. पर्यावरण से जुड़े मसले भी फ़सल की उपज, खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और खान पान की सुरक्षा पर असल डालते हैं. भारी धातुओं की वजह से मिट्टी के प्रदूषण के चलते 1.2 करोड़ टन खाद्यान्न हर साल प्रदूषित हो जाता है, जो खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा और इंसान की सेहत के लिए ख़तरा होता है.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा नक़ली या फर्ज़ी उत्पाद बेचने की बढ़ती घटनाएं ही खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा को ख़तरे में डाल रही हैं. खाद्य वस्तुओं की पैकेजिंग के दौरान उसके तत्वों की सही सही जानकारी न देने (food labelling) या अधूरी जानकारी देने से भी खाद्य पदार्थों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाती है, क्योंकि ग्राहक को उस खाद्य वस्तु के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है. वैसे तो चीन ने पैकेज्ड फूड की लैबेलिंग के मानक 2011 से ही लागू कर रखे हैं और इनमें कई बार संशोधन में भी किए हैं. खाद्य वस्तुओं के घोटाले ये दिखाते हैं कि पैकेट की लैबेलिंग के क़ानूनों के साथ साथ खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले सख़्त नियम बनाकर उन्हें कड़ाई से लागू करने की भी ज़रूरत है.
खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के लिए भविष्य की रणनीतियों को खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के क़ानूनों को मज़बूत बनाने और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने पर ज़ोर देना चाहिए.
इसके अलावा खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की वैश्विक रणनीति के नए संस्करण (2022-2030) को लागू करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने की भी ज़रूरत है, ताकि चीन में खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था मज़बूत करके इसकी चिंताओं को दूर किया जा सके. खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के लिए भविष्य की रणनीतियों को खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के क़ानूनों को मज़बूत बनाने और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने पर ज़ोर देना चाहिए. ग्राहकों के बीच जागरूकता पैदा करने और पैकेज्ड फूड की लैबेलिंग में सुधार करके सारी जानकारी देने की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए. इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं के उत्पादकों, कारोबारियों और अधिकारियों के लिए खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के निर्देशों को भी विकसित किया जाना चाहिए, ताकि पूरी खाद्य श्रृंखला में सुरक्षा के मानकों को बनाए रखा जा सके.
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Dr. Shoba Suri is a Senior Fellow with ORFs Health Initiative. Shoba is a nutritionist with experience in community and clinical research. She has worked on nutrition, ...
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