Author : Aditya Bhan

Published on Sep 29, 2022 Updated 0 Hours ago

सर्दियों के निकट आने के साथ ही एलपीआर और डीपीआर की ओर से की जा रही जनमत संग्रह की घोषणाओं के बीच क्रेमलिन की ओर से डोनबास औद्योगिक क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए की जा रही कोशिशों में दोगुना तेजी लाए जाने की संभावना है.

यूक्रेन का जवाबी हमला और रूस की प्रतिक्रिया

यूक्रेन में रूसी सेनाओं के सामने पेश आने वाली असफलताओं की बढ़ती सूची में एक रूसी नौका का विनाश भी शामिल हो गया है. यह नौका यूक्रेनी शहर नोवा काखोवका के पास नीप्रो नदी के पार सैन्य हार्डवेयर और सैनिकों को ले जा रही थी. यह उस दिन हुआ जब एक यूक्रेनी अधिकारी ने दावा किया था कि रूसी सेना खेरसॉन क्षेत्र में यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई के कारण नदी में फंस गई हैं और उन्हें और दक्षिण की ओर धकेल दिया गया है. यूक्रेनियन डिफेंस फोर्सेस ऑफ द साऊथ के संयुक्त प्रेस केंद्र की प्रमुख नतालिया हुमेन्युक के अनुसार, ‘‘यूक्रेनी सेना, नीप्रो नदी के उपर से होने वाली घुसपैठ और हथियारों की आपूर्ति पर गोलीबारी करके जो नियंत्रण हासिल कर रही है, उसकी वजह से रूसी सेना को यह समझ में आ रहा है कि वह यूक्रेन की सेना और नदी की दाईं ओर खेरसॉन क्षेत्र में तैनात यूनिट्स के बीच दो पाटों में फंस गई हैं.’’ फिगर एक में उन क्षेत्रों को दर्शाया गया है, जहां दक्षिण में यूक्रेन के जवाबी हमले की वजह से 6 से 13 सितंबर, 2022 के बीच घमासान लड़ाई देखी गई है.

फिगर 1 : यूक्रेन के दक्षिण अक्ष में चल रहा जवाबी हमला.

हालांकि सितंबर की शुरूआत से ही रूसी सेना को उत्तरपूर्वी इलाके में काफी तगड़े झटके लगे हैं. खारकीव क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा उसके हाथ से निकल गया है. यूक्रेनी सेना ने जोरदार हमला करते हुए रूसी सेना की रणनीति को गहरा आघात पहुंचाया है. यूक्रेन ने इजयूम शहर के काफी हिस्से को दोबारा अपने कब्जे में ले लिया है. (देखें फिगर 2). यूक्रेन की सेना को इस हिस्से में मिली सफलता का श्रेय काफी हद तक दक्षिण में उसकी ओर से की गई छोटी कार्रवाई को जाता है, जिसकी वजह से रूस को अपनी सेना को दक्षिणी अक्ष और दोनेत्स्क की ओर भेजना पड़ा था. इसकी वजह से उत्तरपूर्वी क्षेत्र में वह कमजोर हुई, जिसका लाभ यूक्रेन के लड़ाकों ने बखूबी उठाया है.

फिगर 2 : उत्तर-पूर्वी इलाके में यूक्रेन का जवाबी हमला.

क्रेमलिन समर्थित कमांडर अलेक्जेंडर खोडाकोवोस्की ने यूक्रेनी रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक को ‘‘एक दिलचस्प तकनीक’’ निरुपित किया है. अलेक्जेंडर के अनुसार उन्होंने (यूक्रेन) खेरसॉन क्षेत्र में सफलता हासिल करते हुए हमें एक ऐसी स्थिति में लाकर रख दिया, जहां हम इस दिशा से किसी आक्रमण के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. यहाँ हम केवल अग्रिम मोर्चे को स्थिर करने का ही विचार कर रहे थे. और दूसरी ओर यूक्रेन ने, उसके आक्रमण को मिली सफलता को दूसरे क्षेत्र (खारकीव क्षेत्र) में स्थानांतरित कर दिया.’’ पूर्वी यूक्रेन के स्वयंघोषित दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) के पूर्व राजनीतिक नेता ने आगे कहा कि, ‘‘विकसित परिवहन का बुनियादी ढांचा उन्हें सीमित बलों के साथ वहां पैंतरेबाजी करने की अनुमति देता है, जहां यह योजना के अनुसार आवश्यक है. इसके अलावा एक योजना का मौजूद होना और उसके कार्यान्वयन में मिली सफलता, आपको एक रणनीतिक पहल का अधिकार प्रदान करती है.’’

जनमत संग्रह

खारकीव क्षेत्र से अपने तेज पलायन के बाद रूसी सेना अब कुछ वक्त लेकर डोनबास क्षेत्र में अपनी सुरक्षा को मजबूत और गहरा करने का काम करेगी. इसकी वजह से रूसी सेना को अपने हथियारों को दोबारा एकत्रित कर पुन: संगठित होने का अवसर मिलेगा, जिसकी वजह से वह वर्तमान संघर्ष को एक लंबी लड़ाई में तब्दील कर सकेगा.इसके अलावा रूस समर्थित स्वयंघोषित लुहान्स्क पीपुल्स  रिपब्लिक (एलपीआर) और डीपीआर की ओर से घोषित जनमत संग्रह का मकसद यह है कि इस घोषणा के कारण यूक्रेनी सेना उतावली होकर रूसी कब्जे वाले इलाकों के भीतर प्रवेश की कोशिश करें. अपनी सुरक्षा के पर्याप्त उपाय और हथियारों को साथ रखे बगैर, यूक्रेन की इस तरह की कोई भी कोशिश घातक साबित हो सकती है.

यूक्रेन ने यह आशंका जताई है कि रूसी सेना उसकी ऊर्जा व्यवस्था पर हमला कर सकती है, जिसकी वजह से वह सर्दियों में कीएव पर कब्जे की दोबारा कोशिश कर सके.

यूक्रेन ने यह आशंका जताई है कि रूसी सेना उसकी ऊर्जा व्यवस्था पर हमला कर सकती है, जिसकी वजह से वह सर्दियों में कीएव पर कब्जे की दोबारा कोशिश कर सके.यह तो शुक्र है कि यूक्रेनी सेना अपने कब्जे को और मजबूत बनाने की दिशा में ही काम कर रही है. दूसरी ओर रूसी सेना उनके बिजली आपूर्ति के ढांचे पर हमला कर उसे बर्बाद करने में जुटा हुआ है. रूस के इस पैंतरे की वजह से देश में सभी को पॉवर कट्स का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन यूक्रेन ने यह आशंका जताई है कि रूसी सेना उसकी ऊर्जा व्यवस्था पर हमला कर सकती है, जिसकी वजह से वह सर्दियों में कीएव पर कब्जे की दोबारा कोशिश कर सके.

कब्जा

इस बात की भी काफी संभावना है कि रूस, जनमत संग्रह के माध्यम से वर्तमान में उसके कब्जे वाले क्षेत्रों को आधिकारिक रूप से अपने अधिपत्य में ले लेगा. इसके बाद अगर यूक्रेन की ओर से रूस के कब्जे वाले क्षेत्र को पुन: हासिल करने की कोई भी कोशिश हुई तो, रूस को यूक्रेन के खिलाफ आधिकारिक युद्ध की घोषणा करने का बहाना मिल जाएगा. इसके साथ ही रूस बड़ी मात्रा में अपनी सेना को युद्ध के मैदान पर मोर्चा संभालने को कह सकता है. यूक्रेन के सैन्य गुप्तचर विभाग के डेप्यूटी हेड वादिम स्किबिट्स्की यह तर्क देते हैं कि, ‘बड़ी संख्या में सेना को एकत्रित होने का आदेश देना इस बात की पुष्टि करेगा कि रूस, अपने उन लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहा है, जिसकी उसने घोषणा की थी. इसका मतलब यह होगा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के कथित स्पेशल ऑपरेशन को यथोचित परिणाम नहीं मिला है और अब असल युद्ध चल रहा है.” लेकिन यूक्रेन के रणनीतिक हल्कों में इस तरह सेना के एकत्रित होने की वजह से भविष्य में होने वाले संभावित परिणामों को लेकर घबराहट तो निश्चित रूप से होगी.

एक टेलीग्राम पोस्ट में उन्होंने कहा,‘‘रूसी इलाके पर अतिक्रमण एक अपराध है, जो आपको अपनी भूमि की पूर्ण शक्ति के साथ आत्मरक्षा करने का अधिकार प्रदान करता है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसी वजह से कीएव और पश्चिम, इन जनमत संग्रहों को लेकर बेहद चिंतित हैं.’’

रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में सुरक्षा परिषद के उपसभापति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि जनमत संग्रह के परिणाम स्थायी होंगे. इसकी वजह से दुनिया में परमाणु हथियारों का सबसे ज्यादा भंडार संभालने वाला रूस कानूनी रूप से अपने कब्जे वाले क्षेत्र की रक्षा करने का अधिकार हासिल कर लेगा. एक टेलीग्राम पोस्ट में उन्होंने कहा,‘‘रूसी इलाके पर अतिक्रमण एक अपराध है, जो आपको अपनी भूमि की पूर्ण शक्ति के साथ आत्मरक्षा करने का अधिकार प्रदान करता है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसी वजह से कीएव और पश्चिम, इन जनमत संग्रहों को लेकर बेहद चिंतित हैं.’’ उन्होंने कहा कि भविष्य में रूस का कोई भी नेता संवैधानिक रूप से इस परिणाम को बदल नहीं सकेगा.

दृष्टिकोण

हालांकि युद्धक्षेत्र में यूक्रेन की हालिया सफलताओं का श्रेय काफी हद तक कीएव की सैन्य योजना, कुशल रसद प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहायता और उसकी रणनीतिक सरलता को दिया जा सकता है. लेकिन युद्ध में हुई यूक्रेन की इस प्रगति को आपूर्ति लाइनों में कमजोरियों को छोड़े बगैर बनाए रखना मुश्किल होगा. इसके अलावा यूक्रेन को हाल ही में रूसी कब्जे से छुड़वाए गए क्षेत्र को रूसी पलटवार से भी सुरक्षित रखने के बारे में रणनीति बनानी होगी. सर्दियों के आगमन के साथ ही यह काम और भी मुश्किल हो जाएगा. सर्दियों में दोनों ही ओर के युद्ध से जुड़े रणनीतिकारों को अपने सैन्य दुस्साहस की बजाय जवानों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

दूसरी ओर यदि सर्दियों से पहले यूक्रेन डोनबास के अधिकांश हिस्से पर दोबारा कब्जा नहीं कर पाया तो उसके सामने उपलब्ध मुश्किल विकल्प और बढ़ जाएंगे. यूरोपीय एवं अन्य सहायक देशों को रूस की ओर से घटती ऊर्जा आपूर्ति की वजह से यूक्रेन को पश्चिम की ओर से मिलने वाली सहायता प्रभावित हुई तो यूक्रेन पर रूस को और ज्यादा महत्वपूर्ण क्षेत्र सौंपने का दबाव बढ़ जाएगा या फिर यूक्रेन सर्दियों के बाद एक लंबी लड़ाई में फंस जाएगा, क्योंकि इस दौरान रूस को अपनी सैन्य शक्ति दोबारा एकत्रित करने का अवसर मिल जाएगा. ऐसा हुआ तो रूस डोनबास पर अपने कब्जे को और भी मजबूत करने के कदम उठा लेगा. रूस संभवत: उस क्षेत्र पर औपचारिक रूप से कब्जा भी कर लेगा.

यूक्रेन मामले को लेकर रूस के अंदरुनी विरोध और रूस के महत्वपूर्ण सहयोगियों चीन तथा भारत की ओर से हो रही खुली आलोचनाओं की वजह से पश्चिम के कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अब रूस के रणनीतिक योजनाकारों के पास कुछ नया करने की सीमित जगह ही बची है. इस वजह से क्रेमलिन के डोनबास औद्योगिक क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को और सुरिक्षत करने के अपने प्रयासों को दोगुना करने की संभावना है. क्रेमलिन इस क्षेत्र को यूक्रेन के ‘‘दास’’ (गुलाम) के रूप में देखता है. रूस ने अपने सैन्य अभियान का समर्थन करने के लिए अपने आरक्षी सैन्य बल से 300,000 कर्मियों को आंशिक रूप से जुटाने की घोषणा की है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि रूस किसी कमजोर स्थिति से कीएव के साथ बातचीत की जल्दबाजी नहीं करने जा रहा है.

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