Author : Manoj Joshi

Expert Speak Raisina Debates
Published on Mar 01, 2023 Updated 0 Hours ago

दुनिया को भले ही चीन की तरफ़ से जारी डेटा को लेकर शक है लेकिन चीन दावा करता है कि उसने कोविड को मात दे दी है.   

China: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने किया कोविड के ख़िलाफ़ जीत का ऐलान!

23 दिसंबर 2022 को जब फाइनेंशियल टाइम्स ने अपना कोविड ट्रैकर बंद किया तो चीन में कोविड-19 की वजह से नई मौतों का आंकड़ा प्रति एक लाख की आबादी पर 0 औसत मौत थी. भारत के लिए भी यही आंकड़ा था. लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के लिए ये आंकड़ा 0.1कम्युनिस्ट 2 था. ये चीन की कठोर ज़ीरो कोविड नीति का युग था जिसके बारे में चीन ने कहा था कि ये लोगों के जीवन को किसी भी अन्य चीज़ के ऊपर रखने से प्रेरित थी. 

लेकिन उसी वक़्त ओमिक्रॉन की लहर आई जिसकी वजह से मजबूर होकर चीन को अपनी पाबंदियों में ढील देनी पड़ी और आमने-सामने होकर कोविड का मुक़ाबला करना पड़ा क्योंकि वायरस चीन की जनसंख्या के 80 प्रतिशत लोगों तक फैल चुका था जिनमें से ज़्यादातर बुजुर्ग नागरिक थे. 

जनवरी महीने के मध्य तक चीन के अधिकारियों ने कहा कि चीन के अस्पतालों में कोविड के गंभीर मरीज़ों की संख्या चरम पर पहुंच चुकी थी और चीन लूनर नये वर्ष की छुट्टियों के लिए लाखों लोगों के आवागमन की तैयारी कर रहा था.

8 जनवरी को, जब वायरस पूरे देश में तेज़ी से फैल रहा था, चीन ने अपनी सीमाओं को यात्रियों के लिए खोल दिया और आने वाले लोगों के लिए क्वॉरंटीन की आवश्यकता को ख़त्म कर दिया. जनवरी महीने के मध्य तक चीन के अधिकारियों ने कहा कि चीन के अस्पतालों में कोविड के गंभीर मरीज़ों की संख्या चरम पर पहुंच चुकी थी और चीन लूनर नये वर्ष की छुट्टियों के लिए लाखों लोगों के आवागमन की तैयारी कर रहा था. 

इसके एक महीने से कुछ ज़्यादा समय के बाद 16 फरवरी को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) के फ़ैसला लेने वाले सबसे बड़े अंग यानी पोलितब्यूरो की स्थायी समिति की बैठक हुई. इस बैठक में एलान किया गया कि “चीन ने नवंबर 2022 से कोविड-19 की रोकथाम के मामले में एक बड़ी और निर्णायक जीत हासिल की है.” इसमें आगे ये भी जोड़ा गया कि चीन ने अतीत के ज़ीरो कोविड दृष्टिकोण से जल्दी में परिवर्तन किया. इसमें “अपेक्षाकृत कम समय लगा और इस दौरान 20 करोड़ से ज़्यादा लोगों को चिकित्सा सुविधा मिली और 8,00,000 गंभीर मरीज़ों को उचित इलाज मिला.”

चमत्कार का दावा

CPC ने दावा किया कि चीन में मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम रही और “चीन ने मानव इतिहास में एक चमत्कार किया.” जहां तक बात CPC की है तो उसके मुताबिक़ चीन जीत गया है और हालात से निपटने को लेकर किसी सवाल के लिए कोई जगह नहीं है. दुनिया के लिए सकारात्मक घटनाक्रम ये रहा कि चीन में तबाही फैलाने के बाद कोविड का कोई नया वेरिएंट सामने नहीं आया है. 

लेकिन वास्तव में चीन कई सवालों से असहज होगा. लगता है कि चीन ये भूल गया है कि उसे देश भर में अभूतपूर्व ‘व्हाइट पेपर’ प्रदर्शन का सामना करना पड़ा जिसने CPC को अपनी कठोर ज़ीरो कोविड नीति छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. ये ऐसी नीति थी जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत तो नहीं हुई लेकिन इसकी सामाजिक और आर्थिक क़ीमत बहुत ज़्यादा थी. करोड़ों लोगों को कभी-कभी महीनों तक सख़्त लॉकडाउन में रखने के अलावा ज़ीरो कोविड नीति के कारण महामारी को नियंत्रण में रखने के लिए विशाल मात्रा में संसाधनों को लगाना पड़ा. इसमें केवल PCR टेस्ट पर 29.2 अरब अमेरिकी डॉलर की भारी-भरकम रक़म खर्च करना शामिल है. अंत में ये रणनीति बड़ी संख्या में मौतों की रोकथाम में नाकाम हो गई. 

आधिकारिक रूप से चीन ने कहा कि 9 फरवरी तक कोविड की वजह से 83,150 लोगों की मौत हुई है. लेकिन स्पष्ट रूप से मौत को काफ़ी कम करके गिना गया है. इसका कारण ये है कि सिर्फ़ अस्पताल में मरने वालों की गिनती की गई है, घर पर मरने वालों को इस आंकड़े में शामिल नहीं किया गया है.

आधिकारिक रूप से चीन ने कहा कि 9 फरवरी तक कोविड की वजह से 83,150 लोगों की मौत हुई है. लेकिन स्पष्ट रूप से मौत को काफ़ी कम करके गिना गया है. इसका कारण ये है कि सिर्फ़ अस्पताल में मरने वालों की गिनती की गई है, घर पर मरने वालों को इस आंकड़े में शामिल नहीं किया गया है.फिर, चीन के अधिकारियों ने केवल सांस की बीमारी से मरने वालों को गिना है, दूसरे अंग के काम न करने की वजह से मरने वालों को शामिल नहीं किया है. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, चार अलग-अलग अकादमिक टीम इस अनुमान पर पहुंची कि 10 से 15 लाख के बीच लोगों की मौत हुई है. 

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यानझोंग हुआंग ने चाइनीज़ सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र) के मुख्य महामारी विशेषज्ञ वू ज़ूनयू के हवाले से ये लिखा कि 21 जनवरी तक चीन की 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कोविड से संक्रमित हो चुकी थी. वू ने कहा कि ठंड के महीने में मृत्यु दर का अनुपात 0.09 प्रतिशत से लेकर 0.16 प्रतिशत के बीच रहा और इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि चीन में लगभग 10 लाख लोगों की मौत हुई होगी. 

हुआंग कहते हैं कि चीन के दूसरे मॉडल ने भी अनुमान लगाया है कि 10 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा क्लिनिक, अस्पताल और सरकारी संस्थानों के द्वारा प्रकाशित शोक संदेशों जैसे प्रमाणों से भी ज़्यादा मौत के अनुमान का संकेत मिलता है. 

CPC चीन के भीतर कोविड पर नियंत्रण के विमर्श का प्रबंधन करने में सफल रहती है या नहीं, ये देखना अभी बाक़ी है. लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी कोविड नीति के उतार-चढ़ाव का खामियाज़ा उठाने वाले देश के नागरिकों के बीच भरोसे में गंभीर कमी आई है. 

जांच के घेरे में ‘चीन’

हालांकि, कोविड के एक और मोर्चे पर ऐसा लगता है कि चीन वो हासिल करने में सफल रहा जो वो चाहता था. नेचर मैगज़ीन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ऐलान किया है कि वायरस की उत्पति को लेकर छानबीन के लिए चीन में आवश्यक अध्ययन करना काफ़ी चुनौतीपूर्ण है और वो अपनी जांच के दूसरे चरण को छोड़ रहा है

नेचर की रिपोर्ट को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेबिन ने बयान दिया कि वायरस की उत्पति को लेकर छानबीन के मामले में चीन की नीति एक समान रही है. वेबिन ने कहा, “हम हमेशा विज्ञान आधारित वैश्विक उत्पति पर निगरानी का समर्थन और उसमें भागीदारी करते हैं. लेकिन चीन सभी तरह की राजनीतिक चालबाज़ी का विरोध करता है.” उन्होंने कहा कि चीन ने WHO का सहयोग किया है और उसके साथ मिलकर एक “वैज्ञानिक और प्रामाणिक” साझा रिपोर्ट तैयार की है. चीन ने WHO और नये प्रकार के रोगाणु की उत्पति को लेकर वैज्ञानिक सलाह देने वाले समूह (SAGO) के साथ भी भागीदारी की है. 

लेकिन उसके बाद कुछ भ्रम रहा है क्योंकि WHO के प्रमुख ने घोषणा की है कि कोविड की उत्पति को लेकर उनका संगठन उस समय तक “पूरी कोशिश करता रहेगा जब तक कि हमें जवाब नहीं मिलेगा.” उन्होंने ये भी कहा कि हाल के दिनों में चीन के एक बड़े अधिकारी को चिट्ठी भेजकर “सहयोग की मांग” की गई है. 

चीन कहता है कि वो जल्द ही अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आएगा. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होगा. चीन की कोविड नीति के कारण जिस एक क्षेत्र पर काफ़ी असर पड़ा है वो है प्रवासी मज़दूर जिन्होंने ज़ीरो कोविड नीति की वजह से लंबे समय तक लॉकडाउन और घर से दूर बेरोज़गारी को झेला.

कोविड नीति को लेकर बदलाव के मामले में अपनी पीठ थपथपाने और बड़े पैमाने पर संक्रमण एवं मौत को लेकर जानकारी छिपाने के बाद CPC अब चीन की बीमार अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने और अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों के असर से निपटने की तैयारी कर रही है. चीन कहता है कि वो जल्द ही अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आएगा. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होगा. चीन की कोविड नीति के कारण जिस एक क्षेत्र पर काफ़ी असर पड़ा है वो है प्रवासी मज़दूर जिन्होंने ज़ीरो कोविड नीति की वजह से लंबे समय तक लॉकडाउन और घर से दूर बेरोज़गारी को झेला. वो काफ़ी हद तक भारतीय मज़दूरों की तरह फिर से औद्योगिक क्षेत्रों की तरफ़ जाने से हिचक रहे हैं

एक क्षेत्र जो बदलाव को देख सकता है वो है प्राइवेट सेक्टर जिसे पिछले दो वर्षों में CPC ने पस्त कर दिया है. CPC के अख़बार चोशे में प्रकाशित एक लेख में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घरेलू मांग बढ़ाने और खपत एवं निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए क़दम उठाने का आह्वान किया. सरकारी क्षेत्रों में सुधार को तेज़ करने के आह्वान के अलावा शी ने कहा कि प्राइवेट कंपनियों के लिए माहौल को आशावादी करने और “प्राइवेट अर्थव्यवस्था के विकास एवं वृद्धि को प्रोत्साहन देने” की आवश्यकता है. उन्होंने सरकारी और प्राइवेट कंपनियों को एक समान सुविधा देने और “प्राइवेट कंपनियों की संपत्ति के अधिकारों और कारोबारियों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा करने” की बात भी कही. 

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