Author : Saranya

Published on Apr 30, 2024 Updated 0 Hours ago

इस पूरी क़वायद का मकसद निजी क्षेत्र में काम कर रहे कामगारों के घटिया हालात से उपजे असंतोष और बढ़ते विरोध का निपटारा करना है.

चीन: टेक कंपनियों में कामकाज के अनुचित तौर-तरीक़ों के ख़िलाफ़ चीन की सरकार की मुहिम

चीन ने “996” वर्क कल्चर के ख़िलाफ़ अबतक की सबसे व्यापक चेतावनी जारी की है. इस पूरी क़वायद का मकसद निजी क्षेत्र में काम कर रहे कामगारों के घटिया हालात से उपजे असंतोष और बढ़ते विरोध का निपटारा करना है. चीनी सरकार ने इस मसले पर तफ़सील से चेतावनी जारी करने के लिए अदालतों में चल रहे वास्तविक विवादों का सहारा लिया है.

28 अगस्त को चीन के सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट और मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय ने श्रम अधिकारों के हनन और ओवरटाइम के नामुनासिब और बेसमझी भरे तौर-तरीक़ों को लेकर एक साझा बयान प्रकाशित किया. चीन में ओवरटाइम को अक्सर 996 का नाम दिया जाता है. दरअसल इसका मतलब होता है- हफ़्ते में 6 दिन सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक काम करना. बयान में ऐसे तौर-तरीक़ों की निंदा करते हुए इसे ग़ैर-क़ानूनी बताया गया. साझा बयान के मुताबिक, “क़ानूनी तौर पर कामगारों को ओवरटाइम में किए गए परिश्रम के बदले उचित मेहनताने और आराम के वक़्त या छुट्टियों का हक़ है.” इसमें आगे कहा गया है कि “काम के घंटों से जुड़े राष्ट्रीय नियम-क़ायदों का पालन करना रोज़गार देने वालों की ज़िम्मेदारी है. ओवरटाइम के चलते जब-तब विवाद खड़े हो सकते हैं. इन विवादों का कामगार और मालिक के बीच के रिश्तों और सामाजिक स्थिरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है.” ग़ौरतलब है कि चीन के श्रम क़ानूनों के तहत प्रतिदिन तीन घंटे के ओवरटाइम (ऐसे में अगर एक घंटे के लंच ब्रेक को जोड़ा जाए तो 12 घंटे की शिफ़्ट वैध बन जाती है) की इजाज़त दी गई है. हालांकि इसी क़ानून में हर महीने ज़्यादा से ज़्यादा 36 घंटे के ओवरटाइम की मंज़ूरी दी गई है. लिहाज़ा कामकाज का 996 मॉडल अपने आप ग़ैर-क़ानूनी बन जाता है.

चीन में ओवरटाइम को अक्सर 996 का नाम दिया जाता है. दरअसल इसका मतलब होता है- हफ़्ते में 6 दिन सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक काम करना. बयान में ऐसे तौर-तरीक़ों की निंदा करते हुए इसे ग़ैर-क़ानूनी बताया गया

ज़हरीले वातावरण में काम-काज

बयान में श्रम क़ानूनों के उल्लंघन से जुड़े 10 मामलों की अदालती समीक्षा को शामिल किया गया है. इनमें से एक मामले में एक टेक फ़र्म ने अपने कर्मचारियों से ओवरटाइम के बदले किसी भी तरह के भुगतान का दावा छोड़ने से जुड़े समझौते पर दस्तख़त करने को कहा था. बाद में अदालत ने अपने फ़ैसले में इसे ग़ैर-क़ानूनी ठहराया था. एक अन्य मामला एक मीडिया फ़र्म में काम करने वाले कर्मचारी की अपने दफ़्तर में हुई मौत से जुड़ा था. काफ़ी लंबे वक़्त तक दफ़्तर में काम करने को मजबूर किए जाने के चलते उसकी जान चली गई थी. कोर्ट के मुताबिक उसकी मौत की वजह काम से जुड़ा दबाव था. लिहाज़ा अदालत ने कंपनी से मृतक के परिवार को तक़रीबन 4 लाख युआन (61,710 अमेरिकी डॉलर) अदा करने को कहा. साझा बयान में उस परंपरा का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें मालिक द्वारा ओवरटाइम के बदले भुगतान करने से मना करने पर इसके लिए ज़रूरी सबूत देने की ज़िम्मेदारी भी उसी की होती है. दरअसल, अगर कामगार काम के घंटों से ज़्यादा काम करने के प्रमाण पेश कर देता है तो मालिकों को भी अपनी ओर से सबूत देने होते हैं. यहां एक अहम बात ये है कि इन तमाम अदालती मामलों में अर्ज़ी लगाने वाले सभी लोगों को मुआवज़ा हासिल हुआ है. इनमें अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ टेक इंडस्ट्री के कर्मचारी भी शामिल हैं. ज़ाहिर है कि इससे टेक कंपनियों में काम कर रहे तमाम कर्मचारियों को अपने हक़ का भुगतान पाने के लिए अदालती व्यवस्था का इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिलेगी.

एक अन्य मामला एक मीडिया फ़र्म में काम करने वाले कर्मचारी की अपने दफ़्तर में हुई मौत से जुड़ा था. काफ़ी लंबे वक़्त तक दफ़्तर में काम करने को मजबूर किए जाने के चलते उसकी जान चली गई थी. कोर्ट के मुताबिक उसकी मौत की वजह काम से जुड़ा दबाव था. 

चीन की तकनीकी कंपनियों और स्टार्ट अप्स में 996 की कार्य संस्कृति बेहद लोकप्रिय है. अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक और टेक जगत के बादशाह जैक मा कामकाज से जुड़े इस कठोर  शेड्यूल के कट्टर समर्थक हैं. 2019 में उन्होंने टेक कंपनियों की कामयाबी के पीछे कुछ हद तक इसी कार्य संस्कृति का हाथ बताया था. उनका कहना था कि “कई कंपनियों और कर्मचारियों को ऐसा मौका नहीं मिलता है जो हमें हासिल है और ये हमारे लिए एक बड़े वरदान जैसा है.” JD.com के संस्थापक रिचर्ड लियु का कहना है कि जो लोग अपना वक़्त यूं ही ज़ाया करते हैं वो “हमारे भाई नहीं हो सकते”. साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र की विशाल कंपनी Qihoo360 के सीईओ झाऊ होंग्यी ने कामकाज के इस थकाऊ शेड्यूल का बचाव किया है. उनका दो टूक विचार है कि कामकाज और निजी जीवन के बीच संतुलन बिठाना नामुमकिन है क्यों ऐसा संतुलन हमारी पहुंच के बाहर है.

लगातार होती मौतों से कोहराम

चीन की सरपट दौड़ती टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के कामकाज का स्याह पक्ष पहली बार 2019 में सुर्ख़ियों में आया था. उस समय एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने प्रोजेक्ट “996.ICU” तैयार किया था. दरअसल. आईसीयू या इंटेंसिव केयर यूनिट जैसी शब्दावली के ज़रिए उन कार्यक्षेत्रों की ओर इशारा किया गया था जहां इंजीनियरों से लंबे घंटों तक काम करवाया जाता है. Github पर इस प्लैटफ़ॉर्म पर ऐसी कार्य संस्कृति के आलोचकों ने ऐसे अनुचित ओवरटाइम के कई उदाहरण पेश किए. इतना ही नहीं उन्होंने ऐसे तौर-तरीक़े अपनाने वाली कंपनियों को काली सूची में भी डाल दिया. आगे चलकर QQ ब्राउज़र और वीचैट (टेंशेंट के प्रोडक्ट), यूसी ब्राउज़र (अलीबाबा का प्रोडक्ट), 360 ब्राउज़र (Qihoo 360 का प्रोडक्ट) समेत क्रोमियम-आधारित अन्य कई चीनी ब्राउज़रों ने 996.ICU के संग्रह को GitHub पर ब्लॉक कर दिया है. उन्होंने इसे “ग़ैर-क़ानूनी और फ़र्जी साइट” करार दिया. चीनी मीडिया में ये ख़बर ज़ोर शोर से छाई रही थी. दिसंबर 2020 में “996” को लेकर एक बार फिर विरोध की आग भड़क उठी. Pinduoduo के एक कर्मचारी की मौत के बाद दोबारा वही हालात बन गए. बताया गया कि कामकाज से जुड़ी वजहों के चलते ही उसकी जान चली गई. ये मामला इतना भड़का कि शंघाई के अधिकारियों ने कंपनी के ख़िलाफ़ जांच शुरू की. इतना ही नहीं चीन की सरकारी प्रसारण संस्था CCTV ने भी इस घटना की निंदा की. इस हादसे के एक महीने के भीतर ही Pinduoduo के एक और कर्मचारी की मौत से तो जैसे चीनी सोशल मीडिया पर तूफ़ान मच गया. लोगों का मानना है कि कोरोना महामारी ने गलाकाट प्रतिस्पर्धा वाले बाज़ार में कामकाज से जुड़े हालातों को और बदतर बना दिया है.

ये मामला इतना भड़का कि शंघाई के अधिकारियों ने कंपनी के ख़िलाफ़ जांच शुरू की. इतना ही नहीं चीन की सरकारी प्रसारण संस्था CCTV ने भी इस घटना की निंदा की. इस हादसे के एक महीने के भीतर ही Pinduoduo के एक और कर्मचारी की मौत से तो जैसे चीनी सोशल मीडिया पर तूफ़ान मच गया. 

विशाल टेक कंपनियों पर शिकंजा कसना, श्रम अधिकारों की रक्षा करना और असमानता को कम करना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के व्यापक लोकप्रियतावादी अभियान के प्रमुख लक्ष्य हैं. 996 की बेरहम कार्य संस्कृति पर लगाम लगाना इसी मुहिम का हिस्सा है. चीन ने हाल ही में तीन बच्चों की नीति की शुरुआत की है. इसके अलावा वहां की सरकार ने शिक्षा-तकनीकी क्षेत्र पर कठोर कार्रवाई की मुहिम भी छेड़ रखी है. दरअसल इन तमाम वजहों के चलते चीनी मध्यम वर्ग के निजी जीवन पर साफ़ तौर से बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में 996 कार्य संस्कृति के ख़िलाफ़ उठाए गए ताज़ा क़दम को देश की सबसे ज्वलंत समस्या यानी घटते जन्म दर से निपटने को लेकर व्यवस्थित रुख़ और प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है.

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