Published on Jan 08, 2024 Updated 0 Hours ago

महासमुंद में एकीकृत कोविड कैंपस की सफलता वैश्विक महामारी से निपटने के लिए एक विशेष और एकीकृत दृष्टिकोण के महत्व पर ज़ोर देती है.

स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता का निर्माण: कोविड-19 से निपटने के लिए महासमुंद का एकीकृत दृष्टिकोण

कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल की प्रणाली की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया है, ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इनोवेटिव और लचीले समाधान की ज़रूरत को सामने ला दिया है. भारत में संकट के जवाब ने कोविड केयर सेंटर (CCC) के निर्माण को प्रेरित किया ताकि शहरी स्वास्थ्य देखभाल की प्रणाली (हेल्थकेयर सिस्टम) पर दबाव को कम किया जा सके. हालांकि साजो-सामान (लॉजिस्टिक) और तकनीकी कार्यान्वयन की चुनौतियों के कारण रणनीति की फिर से समीक्षा हुई है. ये लेख एकीकृत (इंटीग्रेटेड) कोविड कैंपस के विचार की पड़ताल करता है. इसके लिए महासमुंद ज़िले को एक केस स्टडी के तौर पर इस्तेमाल किया गया है ताकि ये दिखाया जा सके कि कैसे एक एकीकृत दृष्टिकोण ज़मीनी स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी कर सकता है. 

महासमुंद ज़िले को एक केस स्टडी के तौर पर इस्तेमाल किया गया है ताकि ये दिखाया जा सके कि कैसे एक एकीकृत दृष्टिकोण ज़मीनी स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी कर सकता है. 

पृष्ठभूमि

महामारी की चुनौतियों के जवाब में भारत समेत दुनिया भर की सरकारों ने कोविड केयर सेंटर (CCC) की स्थापना की. इन केंद्रों का मक़सद बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए आइसोलेशन (अलग रखने) की सुविधा प्रदान करके अस्पतालों पर बोझ को कम करना था. लेकिन CCC को इस्तेमाल में लाने का काम लॉजिस्टिक और तकनीकी मुश्किलों से भरा था. इसकी वजह से असरदार ढंग से मरीज़ों को आइसोलेट करने और उनके इलाज में बाधाएं थीं, ख़ास तौर पर ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में

महासमुंद का सक्रिय एकीकृत दृष्टिकोण 

भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद ज़िले ने एक एकीकृत कोविड कैंपस की स्थापना के ज़रिए महामारी की चुनौतियों का सक्रिय तौर पर जवाब दिया. इस मॉडल का मक़सद कोविड-19 के मामलों का प्रबंधन आसान बनाना था. इसके लिए एक सुविधा केंद्र के भीतर तीन तरह के केंद्रों को जोड़ा गया: एक कोविड केयर आइसोलेशन सेंटर बिना लक्षण वाले मरीज़ों के लिए, एक विशेष कोविड अस्पताल लक्षण वाले मरीज़ों के लिए और एक रिहायशी-सह-क्वॉरंटीन हॉस्टल स्वास्थ्य कर्मियों के लिए.  

एकीकृत कोविड कैंपस की जगह के तौर पर ज़िला अस्पताल (DH) का चयन एक महत्वपूर्ण फैसला था. मुख्य शहर के बाहर स्थित ज़िला अस्पताल में घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों से दूर पर्याप्त जगह थी. इसमें पहले से स्टाफ हॉस्टल था जिसका दूसरे काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था और संसाधनों को गैर-कोविड सुविधा केंद्रों के साथ साझा किया जा सकता था. इस तरह ये एक आदर्श जगह थी. हालांकि इस फैसले की वजह से कई चुनौतियां भी थीं, विशेष रूप से ज़िला अस्पताल के द्वारा प्रदान की जाने वाली गैर-कोविड सेवाओं को बिना किसी परेशानी के जारी रखने में. 

ज़िला अस्पताल का कैंपस, जो कि पहले एक सेकेंडरी केयर कम्युनिटी हॉस्पिटल के तौर पर काम कर रहा था, नियमित गैर-कोविड मामलों से निपटने और इमरजेंसी इलाज की सेवाओं के लिए जवाबदेह था. इन महत्वपूर्ण सेवाओं में रुकावट डालना कोई विकल्प नहीं था. ऐसे में एक ही कैंपस के भीतर कोविड और गैर-कोविड सुविधाओं का इंतज़ाम करने के लिए सावधानी से योजना बनाने की ज़रूरत हुई. कोविड-19 के रोगियों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करते समय मैटरनिटी (मातृत्व) और नियोनेटल (नवजात) केयर यूनिट की सेवाओं को बनाए रखना और एक-दूसरे से संक्रमण को रोकने के लिए अलग-अलग एंट्री प्वाइंट को डिज़ाइन करने जैसी चुनौतियां शामिल थीं.  

 इन महत्वपूर्ण सेवाओं में रुकावट डालना कोई विकल्प नहीं था. ऐसे में एक ही कैंपस के भीतर कोविड और गैर-कोविड सुविधाओं का इंतज़ाम करने के लिए सावधानी से योजना बनाने की ज़रूरत हुई. 

महासमुंद ने एकीकृत दृष्टिकोण अपनाकर अपने हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफलतापूर्वक कायापलट किया. ज़िला अस्पताल के परिसर को दो ज़ोन में बांटा गया: ख़ास कोविड-19 कैंपस और गैर-कोविड ज़रूरी सेवा क्षेत्र. इस रणनीतिक बंटवारे ने एक स्वतंत्र एंट्री/एग्ज़िट रोड का निर्माण किया जो हाईवे को कोविड-19 कैंपस से जोड़ रहा था. इस तरह ज़रूरी गैर-कोविड सेवाओं के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित किया गया. ज़िला अस्पताल के परिसर में मौजूदा सुविधाओं को दूसरा रूप दिया गया, जैसे कि दो हॉस्टल में से एक को कोविड आइसोलेशन सेंटर में और दूसरे को स्वास्थ्य कर्मियों के लिए रिहायशी-सह-क्वॉरंटीन हॉस्टल में तब्दील कर दिया गया

संसाधनों के उपयोग और सुविधाओं के प्रबंधन का बेहतरीन इस्तेमाल

एकीकृत दृष्टिकोण का एक प्रमुख लाभ ये था कि उपलब्ध संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता था. महासमुंद प्रशासन ने मौजूदा संसाधनों के विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (मानक संचालन की प्रक्रिया या SOP) और एक व्यापक चेकलिस्ट विकसित किया. कैंपस के भीतर पहले से मौजूद सुविधाओं और संसाधनों का लाभ उठाकर ज़िला अस्पताल के प्रशासन ने अपनी क्षमता अधिकतम कर ली ताकि मरीज़ों को अच्छी देखभाल प्रदान की जा सके

स्थानीय तौर पर विकसित कोविड-19 फैसिलिटीज़ मैनेजमेंट सिस्टम मरीज़ों की देखभाल और सुविधाओं के इंतज़ाम को आसान बनाने में महत्वपूर्ण था. इस सॉफ्टवेयर ने सेंटर में बेड की उपलब्धता पर रियल-टाइम अपडेट की सुविधा मुहैया कराई और मरीज़ों के डिजिटल रिकॉर्ड को बनाए रखा. इस तरह कार्य-कुशलता के साथ मरीज़ों की निगरानी और प्रबंधन सुनिश्चित किया गया. सिस्टम ने भारत सरकार के द्वारा निर्धारित कोविड-19 मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उम्र, जेंडर और पहले के इलाज (क्लिनिकल हिस्ट्री) के आधार पर मरीज़ों के लिए डिफॉल्ट प्रिस्क्रिप्शन भी जनरेट किया. 

स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करना

बदले हुए ज़िला अस्पताल के कैंपस में हेल्थकेयर वर्कर (स्वास्थ्य कर्मियों) के कल्याण और सुरक्षा को सर्वोपरि महत्व दिया गया. कोविड-19 सुविधा केंद्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक विशेष कोविड-19 टीम गठित की गई. केंद्रीकृत ढंग से काम-काज का आवंटन किया गया, काम का एक समान वितरण सुनिश्चित किया गया और स्वास्थ्य कर्मियों को अलग-अलग कोविड-19 केंद्रों में रोटेशन के आधार पर तैनात किया गया ताकि वो काम के बोझ तले दब नहीं जाएं और कोविड की देखभाल के अलग-अलग क्षेत्रों में अनुभव बेहतरीन बनाया जा सके

स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) के उचित उपयोग और सख्त स्वच्छता की आदत का पालन करने के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया. ज़िला अस्पताल प्रशासन ने PPE किट पहनने और उसे उतारने, हाथ की स्वच्छता, सांस की स्वच्छता और बायोमेडिकल कचरे के निपटारे का समाधान करने के लिए व्यापक ट्रेनिंग प्रदान की. इन ट्रेनिंग सेशन ने स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक जानकारी और हुनर दिया ताकि वो ख़ुद की रक्षा कर सकें और असरदार ढंग से कोविड-19 के मामलों का निपटारा कर सकें

नतीजे

महासमुंद ज़िले में एकीकृत कोविड कैंपस तैयार करने से कोविड-19 के मरीज़ों का कुशल प्रबंधन और देखभाल संभव हो सकी है. इंटीग्रेटेड कोविड कैंपस ने 83.18 प्रतिशत की उच्च रिकवरी दर के साथ कोविड-19 के मामलों के निपटारे में अपने असर का प्रदर्शन किया है. कोविड कैंपस में लागू किए गए प्रबंधन दृष्टिकोण का नतीजा व्यवस्थित देखभाल और उच्च रिकवरी दर के रूप में निकला है. कोविड आइसोलेशन सेंटर में भर्ती मरीज़ों के केवल एक छोटे से हिस्से (5.36 प्रतिशत) को ही ऑक्सीज़न सपोर्ट के लिए विशेष कोविड अस्पताल में ले जाने की ज़रूरत पड़ी. ये मरीज़ों की स्थिति की गंभीरता के आधार पर उचित देखभाल मुहैया कराने में एकीकृत दृष्टिकोण के असर का संकेत देता है

सीखे गए सबक और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की तैयारी के लिए मॉडल

महासमुंद का अनुभव स्वास्थ्य क्षमता के निर्माण और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की तैयारी के लिए अहम सबक मुहैया कराता है. प्रमुख रणनीतियों में ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में मज़बूत हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना, लोक प्रशासन की टीम एवं हेल्थकेयर प्रोफेशनल के बीच असरदार तालमेल, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए लगातार ट्रेनिंग एवं क्षमता निर्माण और एक कोविड-19 फैसिलिटीज़ मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करना शामिल है

तैयारी की योजनाएं लागू होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी महामारी के प्रकोप का समाधान किया जा सके और हेल्थकेयर सिस्टम पर उसके असर को हल्का किया जा सके.

स्वास्थ्य कर्मियों के लिए लगातार ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण प्रभावी आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण घटक हैं. तैयारी की योजनाएं लागू होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी महामारी के प्रकोप का समाधान किया जा सके और हेल्थकेयर सिस्टम पर उसके असर को हल्का किया जा सके. पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) के उचित उपयोग और सख्त स्वच्छता के व्यवहार का पालन करने को लेकर ट्रेनिंग सेशन प्रदान करने की प्रतिबद्धता स्वास्थ्य कर्मियों को ख़ुद की रक्षा करने और प्रभावी ढंग से कोविड-19 के मामलों का निपटारा करने के लिए ज़रूरी जानकारी और कौशल से लैस करने के महत्व को दिखाती है

इसके अलावा, कोविड-19 फैसिलिटीज़ मैनेजमेंट सिस्टम के विकास और कार्यान्वयन ने कैंपस के भीतर मरीज़ों की देखभाल और फैसिलिटी मैनेजमेंट को आसान बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई. इस डिजिटल मैनेजमेंट सिस्टम ने हेल्थकेयर की टीम के बीच समस्त रूप से तालमेल एवं बातचीत को बेहतर किया और रोगी की देखभाल में सुधार किया. बेड की उपलब्धता को लेकर रियल-टाइम अपडेट, मरीज़ों के डिजिटल रिकॉर्ड और मरीज़ों को दूसरे केंद्र में ट्रांसफर करने के लिए इन-बिल्ट अलर्ट सिस्टम ने प्रभावी निगरानी और प्रबंधन को सुनिश्चित किया

निष्कर्ष

निष्कर्ष ये है कि इंटीग्रेटेड कोविड कैंपस तैयार करने में महासमुंद का अनुभव किसी वैश्विक महामारी की स्थिति में स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता के निर्माण में उम्मीद की किरण दिखाता है. महासमुंद के एकीकृत दृष्टिकोण ने असरदार ढंग से कोविड-19 के मामलों का प्रबंधन किया और गैर-कोविड ज़रूरी सेवाओं का जारी रखना सुनिश्चित किया. महासमुंद के अनुभव से सीखकर और उसकी रणनीतियों को दोहराकर दूसरे ज़िले भविष्य में किसी स्वास्थ्य संकट के लिए अपनी तैयारी और प्रतिक्रिया को बेहतर कर सकते हैं और इस तरह अपने निवासियों को अच्छी स्वास्थ्य देखभाल मुहैया करा सकते हैं

जैसे कि ऊपर बताया गया है, स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता मौजूदा चुनौतियों और भविष्य की अनिश्चितताओं का सामना करने में सक्षम एक मज़बूत हेल्थकेयर सिस्टम के निर्माण का आधार है. महासमुंद में इंटीग्रेटेड कोविड कैंपस की सफलता कोविड-19 के मरीज़ों के कुशल प्रबंधन और देखभाल मुहैया कराने के लिए एक विशेष और एकीकृत दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करती है. इससे जो सबक सीखे गए हैं वो इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे दूसरे क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण के तौर पर काम कर सकते हैं. ये स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े किसी भी आपातकाल में मिली-जुली कोशिश और व्यापक देखभाल के महत्व पर ज़ोर देता है. स्वास्थ्य क्षमता का निर्माण केवल एक संकट का जवाब नहीं है बल्कि ये ऐसा हेल्थकेयर सिस्टम तैयार करने की सतत प्रतिबद्धता है जो ख़ुद को बदल सकता है, इनोवेट कर सकता है और लोगों की सेहत से जुड़ी ज़रूरतों में बदलाव का असरदार ढंग से समाधान कर सकता है. महासमुंद की यात्रा ये क्षमता हासिल करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करती है और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी असरदार तैयारी के लिए एक मॉडल है

रवि मित्तल भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं और वर्तमान में वो छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के ज़िलाधिकारी के रूप में तैनात हैं

सुरभि जैन बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेज़ (NIMHANS) में न्यूरोलॉजी की DM रेज़िडेंट हैं

कार्तिकेय गोयल IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में वो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले के ज़िलाधिकारी के रूप में तैनात हैं.

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Authors

Ravi Mittal

Ravi Mittal

Dr Ravi Mittal is an Indian Administrative Services (IAS) officer currently posted as the District Collector of the District Jashpur Chhattisgarh. He has an academic ...

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Surbhi Jain

Surbhi Jain

Dr Surbhi Jain is a DM Resident in Neurology at the National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences (NIMHANS) Bangalore. She did her post-graduation in ...

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Kartikeya Goel

Kartikeya Goel

Kartikeya Goel is an IAS officer of the 2010 batch from Chhattisgarh cadre. He has served in different field positions as SDM (Sub Divisional Magistrate), ...

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