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हमारे सामने तो बराबर के मज़बूत नैरेटिव हैं, जो भारत के ऊर्जा परिवर्तन को परिभाषित करते हैं.
एक तरफ़ तो भारत का 2030 तक नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोतों से 500 गीगावाट (GW) बिजली पैदा करने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है. ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य 15 प्रतिशत सालाना की दर से आगे बढ़ रहा है. इससे स्थायी तरीक़ों से बिजली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई तरह की सब्सिडी दी जा रही हैं, ताकि उपयोगिता पर आधारित टेंडर और कारोबारी एवं औद्योगिक क्षेत्रों (C&I) को मुक्त रूप से उपलब्ध परियोजनाओं के ज़रिए क्षमता निर्माण को बढ़ावा दिया जा सके. हर औद्योगिक समूह C&I और सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (CTU) ग्रिड और ओपेन एक्सेस मार्केट के ज़रिए अपनी ऊर्जा परिवर्तन की योजनाओं को रफ़्तार दे रहा है. कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था के निर्माण 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण नए सेक्टर भी उभर रहे हैं. मिसाल के तौर पर, ऐसी बहुत सी स्टार्ट-अप और कॉरपोरेट हैं, जो जलवायु के लिए उपयुक्त इनोवेटिव तकनीकें विकसित कर रहे हैं, ताकि ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन वाले उन उद्योगों में उत्सर्जन कम किया जा सके, जहां ऐसा करना मुश्किल है. इसके अलावा फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCG) की प्रोडक्ट श्रृंखला में हाइड्रोकार्बन का उपयोग कम करने के लिए ग्रीन केमिस्ट्री का इस्तेमाल किया जा रहा है और निर्माण क्षेत्र के उद्योगों में केमिकल बर्नर्स की जगह ग्रीन हाइड्रोन के उपयोग को तरज़ीह दी जा रही है.
वहीं दूसरी ओर, बिजली वितरण कंपनियां (Discoms) पहले ही 6.11 अरब डॉलर के घाटे के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं. पिछले दस वर्षों के दौरान, सरकारी बिजली वितरण कंपनियां लगातार दबाव में रही हैं. इसकी वजह, नियमों के विपरीत बिजली वितरण कंपनियों का कुल तकनीकी कारोबारी और वसूली (ATC&C) के उच्च स्तर के घाटे में रहना है. पूरे देश में इस घाटे का औसत 24 प्रतिशत के आस-पास है; बिजली आपूर्ति की लागत की तुलना में बिजली की दरें (ख़राब बिजली आपूर्ति की वजह से ग्राहकों से नक़द वसूली में कमी) भी कम हैं. ओपेन एक्सेस के विकल्प तलाश रहे बड़े औद्योगिक घराने बिजली वितरण कंपनियों के घाटे और वित्तीय स्थिति को और बिगाड़ने का काम करेंगे और इनसे संपत्ति के उपयोग (कोयले से बिजली बनाने और वितरण) की पहले से बुरी स्थिति पर और भी विपरीत असर पड़ेगा.
जब हम इस समस्या की गहराई से पड़ताल करते हैं, तो हमें उन समाधानों पर भी नज़र डालनी चाहिए जो दोनों ही पक्षों की सहायता करके उनके बीच संतुलन स्थापित कर सकें. भारत में ऊर्जा परिवर्तन के प्रयास, बिजली वितरण कंपनियों की उस ख़राब वित्तीय स्थिति की अनदेखी नहीं कर सकते, जिनका आज हम सामना कर रहे हैं. एजग्रिड (EdgeGrid) में हमने, डेटा पर आधारित ऊर्जा परिवर्तन की अगुवाई करते हुए, बिजली वितरण कंपनियों ग्रिड को टिकाऊ बनाने का विकल्प चुना है.
मोटा-मोटी कहें तो, ऊर्जा परिवर्तन कुछ ज़्यादा ही बड़ी और वैश्विक कंपनियों पर केंद्रित रहा है. इसकी वजह से ‘आख़िरी कड़ी’ के बाज़ार और इस बाज़ार में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले सेक्टर की अनदेखी की गई है. जलवायु के लिए मुफ़ीद अर्थव्यवस्था बनाने के लिए बिजली के बाज़ार की इस ‘आख़िरी कड़ी’ की अनदेखी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए और ऊर्जा परिवर्तन प्रभावी और मुनाफ़ेवाला, दोनों ही होना चाहिए. जैसे जैसे, ऊर्जा परिवर्तन में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया गाड़ियां अपनी भूमिका बढ़ा रही हैं और इसके बाद कारों के बेड़े चलाने वाले और कारोबारी गाड़ियां भी इस रास्ते पर चलेंगी, तो बिजली के उपभोक्ताओं की बढ़ी हुई तादाद (और उसके साथ) ‘आख़िरी कड़ी’ के बाज़ार में बिजली की मांग भी तेज़ी से बढ़ेगी. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से प्रभावी तरीक़े से निपटने के लिए केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) को बढ़ावा देने से काम नहीं चलने वाला; इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए स्वच्छ और ऊर्जा के टिकाऊ स्रोतों (कोयले से पैदा होने वाली बिजली के बजाय नवीनीकरण योग्य स्रोतों) से बनी बिजली उपलब्ध कराना भी ज़रूरी होगा.
ग्राहक जिस तरह ग्रिड से लेन-देन करते हैं, वो बुनियादी तौर पर बदल रहा है. अब आपस में बिजली ख़रीद के सौदे और सरकार की अगुवाई में बिजली निर्माण के बजाय लोकतांत्रिक और बिना लाइसेंस के ऊर्जा तक पहुंच को बढ़ावा मिल रहा है, जहां कारोबारी, औद्योगिक और रिहाइशी लोग भी अपनी ख़ुद की बिजली बनाने के साथ साथ, उसे ख़रीद और बेच सकते हैं. इससे, एक नए समाधान के उभरने का अवसर पैदा होता है: ऐसा समाधान जो अंतिम छोर पर खड़े ग्राहकों के लिए लागत कम करे, ग्रिड में नवीनीकरण योग्य स्रोतों को जोड़े और सबसे अहम बात, टिकाऊ बिजली निर्माण और ऊर्जा से मुनाफ़े के मामले में ग्राहकों के लिए नए वित्तीय अवसरों का निर्माण करे.
Edgegrid में हम डिस्ट्रीब्यूटेड ग्रिड के लिए डिजिटल मूलभूत ढांचे का निर्माण कर रहे हैं, ताकि ज़ीरो कार्बन के भविष्य की ओर तेज़ी से क़दम बढ़ाया जा सके और, डेटा पर आधारित विद्युत परिवर्तन के ज़रिए अंतिम छोर के ग्राहक की ज़रूरतें भी पूरी की जा सकें. ऐतिहासिक रूप से ग्रिडों को इस तरह बनाया गया था कि बिजली निर्माण केंद्रीकृत हो और बिजली का प्रवाह एक ही दिशा में हो. ये काम मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के ज़रिए किया जा रहा था. हालांकि, नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोतों से बिजली बनाने की लागत में गिरावट, इलेक्ट्रिक गाड़ियों की आमद और डिस्ट्रीब्यूटेड एनर्जी रिसोर्सेज़ (DERs) के उभार के साथ ही एक बड़ा बदलाव हो रहा है.
Edgegrid का विज़न इस विश्वास के इर्द-गिर्द विकसित किया गया है कि, ‘’सॉफ्टवेयर कार्बन को निगल सकता है’. इसका मतलब है कि ऊर्जा के प्रबंधन के लिए डेटा की एक परत और स्मार्ट सॉफ्टवेयर समाधान बनाने से ग्रिड और ग्राहकों की लागत अधिक टिकाऊ और कुशल बनाई जा सकती है.
आज कारोबारियों के बीच अपने ऊर्जा प्रबंधन के लक्ष्य हासिल करने के लिए, ऊर्जा के वितरित संसाधनों जैसे कि स्थानीय सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बैटरी के भंडारण के साथ साथ इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चार्जर और माइक्रोग्रिड का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. हाल के वर्षों में DER की लागत में काफ़ी गिरावट आई है, जिससे ये संसाधन ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों को नीतिगत प्रोत्साहन के बग़ैर भी पछाड़ सकते हैं. औद्योगिक ग्राहकों द्वारा ऊर्जा प्रबंधन के लिए लगातार उन्नत व्यवस्थाओं को अपनाने के कारण बिजली वितरण कंपनियां, बिजली के उपभोग या मांग में असाधारण बढ़ोत्तर से निपटने के लिए इन संसाधनों का उपयोग कर सकती हैं और इस नए लचीलेपन का इस्तेमाल करके, बिजली की मांग को पूरा कर सकती हैं. क्योंकि बिजली बनाने में बड़े स्तर पर सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है. (हालांकि इससे बिजली आपूर्ति अनियमित भी होती है).
Edgegrid का लक्ष्य इस औद्योगिक बदलाव का इस्तेमाल करके डेटा और बाज़ार का ऐसा प्लेटफ़ॉर्म विकसित करना है, जो ऊर्जा के वितरित स्रोतों (DERs) को एकजुट करके उसका प्रबंधन और अधिकतम प्रभावी इस्तेमाल कर सके, जिससे ये परिसंपत्तियां सामूहिक रूप से इलेक्ट्रिक ग्रिड में योगदान देते हुए अंतिम पायदान के ग्राहक को अधिक कुशलता से सुविधा दे सकें. एजग्रिड चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है:
जब इन सघन प्रयासों और रणनीतिक पहलों के ज़रिए इन चुनौतियों से पार पा लिया जाएगा, तो इससे ऊर्जा के अधिक टिकाऊ और समावेशी इकोसिस्टम की दिशा में आगे बढ़ने की रफ़्तार अधिक तेज़ और आसान हो सकेगी.
वितरित ग्रिड के लिए एजग्रिड का डिजिटल मूलभूत ढांचा, स्वच्छ ऊर्जा के लोकतांत्रीकरण का प्रयास कर रहा है, जिससे ग्राहकों को स्थायित्व वाले विकल्प मुहैया कराए जा सकें. जैसे जैसे रिन्यूएबल एनर्जी का निर्माण और उपयोग बढ़ेगा और ग्राहक टिकाऊ विकल्प तलाशेंगे, वैसे वैसे वितरित ग्रिड भविष्य की ऊर्जा की नुमाइंदगी करेगी. लागत में कमी लाकर, नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के एकीकरण और कारोबारी, औद्योगिक एवं रिहाइशी ग्राहकों को सशक्त बनाते हुए, एजग्रिड आख़िरी पायदान पर मानव केंद्रित ऊर्जा परिवर्तन की राह आसान बना रही है, जिससे सबके लिए टिकाऊ ऊर्जा के भविष्य को बढ़ावा मिल रहा है.
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