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शहरों में रहने वालों के जीवनस्तर में सुधार के लिए शहरी विकास के लिए आवंटित बजट में 12 फीसदी की वृद्धि किए जाने की उम्मीद है, इससे शहरों के विकास को लेकर एक नई आशा जगी है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को साल 2024-25 का अंतरिम बजट पेश किया. अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण बजट जुलाई में पेश किए जाने की संभावना है. शहरों में रहने वालों की बेहतरी के लिए इस अंतरिम बजट में शहरी आवास और विकास मंत्रालय को 775.24 अरब रूपये आवंटित किए गए हैं. ये रकम केंद्रीय संस्थागत व्यय जैसे कि सचिवालय, उससे जुड़े दफ्तरों और दूसरे स्वायत्त संगठनों पर खर्च की जाएगी. इसके अलावा ये राशि नगर निगम के कर्मचारियों के प्रशिक्षण, केंद्र सरकार की योजनाओं/परियोजनाओं पर भी खर्च की जाएगी. इन योजनाओं में त्वरित परिवहन प्रणाली, शहरों के भीतर की परिवहन सेवा की मौजूदा क्षमता को बढ़ाने, रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों की मदद का बजट शामिल है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार की प्रायोजित प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), राष्ट्रीय शहरी रोजगार मिशन (एनयूएलएम), शहरों के पुनरुद्धार और परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन, शहरों के सतत और पूर्ण विकास के लिए निवेश (CITIIS), राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) और प्रधानमंत्री इलेक्ट्रॉनिक बस सेवा के लिए भी इसी 775 अरब रूपये के बजट आवंटन से पैसे खर्च किए जाएंगे.
अगर हम 2024-25 के बजट में शहरी विकास के लिए आवंटित राशि की तुलना 2023-24 के बजट में किए गए आवंटन से करें तो कुछ बातें एकदम स्पष्ट हो जाती हैं. पिछली बार इस मद के लिए 693 अरब रूपये आवंटित किए गए थे और इस बार 775 अरब. यानी पिछले बजट की तुलना में इसमें 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.
अगर हम 2024-25 के बजट में शहरी विकास के लिए आवंटित राशि की तुलना 2023-24 के बजट में किए गए आवंटन से करें तो कुछ बातें एकदम स्पष्ट हो जाती हैं. पिछली बार इस मद के लिए 693 अरब रूपये आवंटित किए गए थे और इस बार 775 अरब. यानी पिछले बजट की तुलना में इसमें 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. सबसे ज़्यादा 33 फीसदी की वृद्धि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी ) और मेट्रो रेल परियोजना में की गई है. इसके बाद अमृत मिशन के बजट में 10 प्रतिशत और स्वच्छता के बजट में 6.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. अगर सिर्फ प्रतिशत के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे ज़्यादा वृद्धि शहरी स्वच्छता मिशन के बजट में की गई. 2023-24 के बजट में इसके लिए 26 अरब रूपये आवंटित थे जो 2024-25 के बजट में करीब दोगुने यानी 50 अरब रूपये हो गए हैं.
वहीं दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी मिशन के बजट में कमी की गई है. पिछली बार इसके लिए 80 अरब रूपये का बजट था जो इस बार घटाकर 24 अरब रूपये कर दिया गया है. राष्ट्रीय शहरी रोजगार मिशन के लिए भी इस बार कम राशि आवंटित की गई है जबकि अगस्त 2023 में मंत्रिमंडल ने जिस इलेक्ट्रिक बस योजना को मंजूरी दी थी, उसके बजट में पर्याप्त वृद्धि की गई है और इसके लिए 13 अरब रूपये आवंटित किए गए हैं.
निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में मेट्रो रेल, नमो भारत और क्षेत्रीय त्वरित परिवहन प्रणाली जैसी योजनाओं पर ज़्यादा ज़ोर था. इनका मकसद तेज़ी से विकास कर रहे भारत के शहरी और अर्द्धशहरी इलाकों के बीच आवागमन की गति बढ़ाना है..फिलहाल कई शहरों में मेट्रो रेल और उससे जुड़ी दूसरी परिवहन सेवाएं चल रही हैं. दिल्ली और मेरठ के बीच करीब 82 किमी लंबी देश की पहली क्षेत्रीय त्वरित परिवहन प्रणाली काम पूरा होने वाला है.
इस अंतरिम बजट में समाज के कमज़ोर वर्गों में माने जाने वालों लोगों, खासकर महिलाओं, रेहड़ी-पटरी वाले, आदिवासी, कलाकार, शिल्पकार, दिव्यांग और किन्नरों के शैक्षणिक, वित्तीय और कौशल विकास की दशा सुधारने पर भी ज़ोर दिया गया है. एक और क्षेत्र जिस पर इस बजट में ध्यान केंद्रित किया गया है, वो है गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (गिफ्ट) का सर्वांगीण विकास और बिजली से चलने वाली गाड़ियों (EVs) को तेज़ी से बढ़ावा देना. सरकार की कोशिश है कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में बिजली चालित बसों का बेड़ा तो बढ़ाया ही जाए साथ ही बिजली से चलने वाली गाड़ियों के चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी बढ़ें. हरित ऊर्जा बढ़ाने पर भी सरकार का ज़ोर है. सरकार चाहती है कि सरकारी और निजी इमारतों की छतों पर सौर ऊर्जा के पैनल लगें, हवा से बिजली के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो. सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्योग के क्षेत्र में जैविक ईधन का इस्तेमाल बढ़े.
शहरों के विकास के लिए आवंटित बजट में 12 प्रतिशत की अपेक्षित बढ़ोत्तरी एक स्वागतयोग्य कदम है. ज्य़ादा राशि मिलने से शहरी क्षेत्र में रहने वाले कमज़ोर वर्गों का विकास तो होगा ही साथ ही अमीर और गरीबों के जीवनस्तर में जो असमानता है, वो भी कम होगी.
शहरों के विकास के लिए आवंटित बजट में 12 प्रतिशत की अपेक्षित बढ़ोत्तरी एक स्वागतयोग्य कदम है. ज्य़ादा राशि मिलने से शहरी क्षेत्र में रहने वाले कमज़ोर वर्गों का विकास तो होगा ही साथ ही अमीर और गरीबों के जीवनस्तर में जो असमानता है, वो भी कम होगी.
शहरों में मध्यम वर्ग की भी एक बड़ी आबादी किराए के मकानों, अवैध कॉलोनियों में रहती है. नई योजना से इन्हें अपना घर खरीदने या बनाने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के बजट में ही सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी की गई है. इससे ना सिर्फ बेघरों को घर मिलेंगे बल्कि ज़मीन-जायदाद से जुड़े लोगों और बिल्डरों को भी फायदा होगा. रोजगार बढ़ेंगे.
बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन से शहरीकरण को लेकर बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसका मुकाबला करने का बेहतरीन तरीका डिजिटल तकनीकी, हरित ऊर्जा और बिजली से चलने वाली गाड़ियों को अपनाना है.
बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन से शहरीकरण को लेकर बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसका मुकाबला करने का बेहतरीन तरीका डिजिटल तकनीकी, हरित ऊर्जा और बिजली से चलने वाली गाड़ियों को अपनाना है. इन सबके लिए ज्य़ादा बजट मिलने से उम्मीद है कि इस प्रक्रिया में तेजी आएगी. डिजिटल तकनीक़ी तो तेजी से सफलतापूर्वक लागू हो भी रही है लेकिन हरित ऊर्जा और बिजली से चलने वाली गाड़ियों के प्रचलन में आने में अभी लंबा वक्त लगेगा
2024-25 के बजट में शहरों के विकास के लिए आवंटित राशि में जिस तरह की बढ़ोत्तरी की गई है, उससे एक बेहतर कल की आशा तो जगी है लेकिन अब भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि रोजगार को बढ़ाने, कमज़ोर वर्ग के विकास और आपदा प्रबंधन के लिए ज़्यादा बजट का इंतजाम किया जाए..ये भी जरूरी है कि आवंटित राशि वक्त पर दी जाए और इसका सदुपयोग हो
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Rumi Aijaz is Senior Fellow at ORF where he is responsible for the conduct of the Urban Policy Research Initiative. He conceived and designed the ...
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