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यह लेख " जानकारी पाने की आज़ादी: सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस 2024" निबंध श्रृंखला का हिस्सा है.
डिजिटल डिवाइड या बंटवारा उन लोगों के बीच असमानताओं के बारे में बताता है जिनके पास सूचना संचार तकनीक यानी इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) तक पर्याप्त पहुंच है और जिनकी पहुंच नहीं है. ये दूरी अलग-अलग तत्वों का प्रतीक है जिनमें सार्थक कनेक्टिविटी, उपलब्धता की गुणवत्ता, इंटरनेट कनेक्टिविटी की गति एवं विश्वसनीयता, सामर्थ्य, डिवाइस की उपलब्धता, डिजिटल कौशल एवं साक्षरता और महत्वपूर्ण कंटेंट तक पहुंच शामिल हैं. डिजिटल बंटवारे का समाज के अलग-अलग पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है जिनमें शिक्षा तक पहुंच, लोक सेवा, रोज़गार के अवसर, स्वास्थ्य, आवागमन, सुरक्षा और वित्तीय समावेशन शामिल हैं.
इस बार सूचना की सार्वभौमिक पहुंच के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर इस लेख का उद्देश्य सूचना की उपलब्धता पर डिजिटल बंटवारे के असर की समीक्षा और ऐसे कदमों की सिफारिश करना है जो डिजिटल डिवाइड के द्वारा पहुंचाए जाने वाले नुकसानों को कम कर सकता है.
डिजिटल बंटवारा और सूचना की कमी
डिजिटल बंटवारा सूचना तक पहुंच की दिशा में एक बड़ी बाधा है. उचित कनेक्टिविटी और ज़रूरी कौशल के बिना वंचित लोग कीमती सूचना तक पहुंचने में असमर्थ हैं. इसकी वजह से सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बढ़ती हैं. डिजिटल डिवाइड सूचना की कमी को बढ़ाता है यानी वो स्थिति तैयार करता है जहां लोगों या समुदायों के पास सूचना की उपलब्धता हासिल करने या इसका उचित इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक क्षमता या कौशल नहीं होता है.
समाज का बढ़ता डिजिटलाइज़ेशन और समाज एवं शासन व्यवस्था के हर पहलू में ICT का शामिल होना किसी व्यक्ति के द्वारा सूचना मांगने एवं प्राप्त करने की क्षमता को प्रभावित करता है. इस तरह सूचना तक उपलब्धता के रास्ते में बाधा उत्पन्न होती है. ये बाधाएं चुनाव या कोविड-19 जैसे आपातकाल की स्थिति में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं जहां जीवित रहने के लिए सूचना की उपलब्धता अहम हो जाती है. सूचना की उपलब्धता तेज़ी से लोगों और संगठनों को सोच-समझकर विकल्प चुनने की अनुमति देती है जो निर्णय लेने को प्रभावित कर सकती है.
सटीक और विश्वसनीय सूचना पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है. इस तरह न्याय और सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन मिलता है. सूचना को ऑनलाइन प्रकाशित करके सरकारें सार्वजनिक संस्थानों में भरोसे को बढ़ा सकती है और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिकों की भागीदारी बढ़ा सकती हैं. कोविड-19 के आंकड़े, स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह और वैक्सीन की उपलब्धता के प्रकाशन ने महामारी के दौरान लोगों का विश्वास बनाने में मदद की. इस तरह सूचना तक पहुंच की अनुमति देने से जनता को अच्छी तरह से जानकार और सशक्त बनाने में मदद मिल सकती है. हालांकि ऐसे प्रयास तभी सार्थक हैं जब नागरिक इस प्रक्रिया में प्रभावी ढंग से भागीदारी कर सकते हैं.
डिजिटल सूचना की कमी को दूर करना
सूचना की उपलब्धता में डिजिटल बंटवारा बाधा न बने, इसको सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्थानीय भाषाओं में कंटेंट: कंटेंट की भाषा एक प्रमुख फैक्टर है जो जानकारी तक किसी व्यक्ति की पहुंच को प्रभावित कर सकती है. अक्सर वेबसाइट पर कंटेंट सिर्फ अंग्रेज़ी में उपलब्ध होते हैं. इससे वो लोग सूचना से दूर हो जाते हैं जो अंग्रेज़ी भाषा नहीं जानते हैं. इस तरह के कंटेंट को स्थानीय भाषाओं में पेश करने से उपलब्धता में सुधार हो सकता है. इसके अलावा, ये सुनिश्चित करने की कोशिश ज़रूर होनी चाहिए कि कंटेंट अलग-अलग समुदायों की आवश्यकताओं को दिखाता है.
- डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: डिजिटल कुशलता के कार्यक्रम लोगों को ऑनलाइन संसाधनों का प्रभावी ढंग से मार्ग-निर्देशन और उपयोग करने में सक्षम बना सकते हैं. इस तरह ऑनलाइन जानकारी तक उनकी पहुंच में सुधार होता है.
- जागरूकता अभियान: सूचना की उपलब्धता के महत्व को उजागर करने के लिए अधिक प्रयास अवश्य होने चाहिए और सूचना की सार्वभौमिक पहुंच पर कानून के तहत नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में ज़रूर बताना चाहिए. इस तरह के अभियानों को डिजिटल सॉल्यूशन पर ध्यान देना चाहिए और जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट के उपयोग के बारे में नागरिकों को बताना चाहिए.
- बेहतर कनेक्टिविटी के लिए उपाय: स्थिर और किफायती इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इंटरनेट के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो वंचित हैं. इंटरनेट की पहुंच दूर-दराज के क्षेत्रों में भी बढ़नी चाहिए.
- दुष्प्रचार, झूठी जानकारी और नफरती भाषण का मुकाबला: इंटरनेट जहां सूचना तक बेहतर पहुंच की अनुमति देता है, वहीं इंटरनेट तक ज़्यादा पहुंच के साथ दुष्प्रचार और झूठी जानकारी का ख़तरा बढ़ता है. दुष्प्रचार और गलत जानकारी का मुकाबला करने और उन्हें कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि लोग इससे धोखा नहीं खाएं.
- फ्रेंडली यूज़र इंटरफेस का विकास: सरकारी वेबसाइट और दूसरे सॉल्यूशन को विकसित करते समय इंटरफेस हर हाल में इस्तेमाल में आसान होना चाहिए. सूचना हासिल करने के लिए डिज़ाइन और प्रक्रिया किसी भी हाल में जटिल नहीं होनी चाहिए.
- सूचना के लिए सार्वजनिक बिंदुओं की स्थापना: सामुदायिक केंद्र या पुस्तकालयों जैसे सार्वजनिक बिंदुओं की स्थापना किसी व्यक्ति को इंटरनेट पर सूचना तक पहुंचने में मदद कर सकती है. इससे सूचना की कमी के नुकसान को कम करने में मदद मिलती है.
- असुरक्षित स्थिति वाले लोगों के लिए विशेष प्रयास: असुरक्षित स्थिति में लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रखने को सुनिश्चित करने के लिए विशेष कार्यक्रमों और योजनाओं की शुरुआत की जानी चाहिए. हर प्रकार के दिव्यांग लोगों की पहुंच सरकारी वेबसाइट और एप्लिकेशन तक होनी चाहिए.
आगे का रास्ता
विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत आइरीन ख़ान ने बताया कि “हर किसी के लिए सार्वभौमिक और सार्थक कनेक्टिविटी के बिना सूचना का अधिकार दुनिया भर के अरबों लोगों के लिए एक खोखला भरोसा है.” डिजिटल सूचना की कमी असमानता को मज़बूत करती है और समाज में सार्थक ढंग से भागीदारी करने की किसी व्यक्ति की क्षमता को बाधित करती है. इस प्रकार डिजिटल पहुंच, कौशल और साक्षरता में दूरी को पाटकर बिना किसी भेदभाव के हर किसी तक सूचना की वास्तव में पहुंच को सुनिश्चित करना सबसे बड़ा काम है.
(बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं).
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