प्रस्तावना2015 के अंत में, यूनेस्को ने 28 सितंबर को सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDUAI) के रूप में घोषित किया और चार साल बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मान्यता दी. प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला IDUAI सूचना तक निर्बाध पहुंच के महत्व और पारदर्शी शासन को बढ़ावा देने, विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और समावेशी ज्ञान समाजों के निर्माण में इसकी मूलभूत भूमिका के बारे में खुद को याद दिलाने के अवसर के रूप में कार्य करता है.ये एक सामान्य सोच हो सकती है कि डिजिटल रूप से संचालित और हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में, सूचना तक पहुंचने की प्रक्रिया एक व्यक्ति के लिये पहले से कहीं ज़्यादा आसान होनी चाहिए. और कई मायनों में ऐसा होता भी है. हालांकि, ये भी सच है कि टेक्नोलॉजी और सूचना प्रवाह लोगों और देशों को उतना ही बांटते हैं जितना कि वे उन्हें एकजुट करते हैं. उच्च संसाधन और भौगोलिक शक्ति वाले देश आगे हैं जबकि अन्य छोटे देश, डेटा और सूचना की कमी से त्रस्त हैं, और इसे बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं. ऑनलाइन दुष्प्रचार का बढ़ते तूफान से प्रामाणिक सामग्रियों के निगल लिये जाने का ख़तरा पैदा होता है और पत्रकारिता, प्रकाशकों और मंचों में विश्वास को कम करता है. और उत्पादक AI जैसी उभरती टेक्नोलॉजी एक तरफ तो आम जनता और असंख्य आबादी को सशक्त बनाने का काम करती है लेकिन दूसरी तरफ वो उनके खतरनाक पूर्वाग्रहों को छिपाने का काम भी करती है, जिसके चलते कई तरह के विषम और बहिष्कृत सोच मुख्यधारा में शामिल हो जाती है.IDUAI 2024 के मौके पर लिखे गए तकनीक को केंद्र में रखकर लिखी गई यह श्रृंखला मुद्दों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम की पड़ताल करती है. इसकी शुरूआत सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए वैश्विक डिजिटल विभाजन के प्रभावों की जांच के साथ शुरू होती है और फिर ऑनलाइन समाचार और सूचना तक पहुंच के वादे और खतरे की पड़ताल करती है. इसके बाद ओपन डेटा को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों का विश्लेषण किया जाता है. तीन निबंध AI पर ध्यान केंद्रित करते हैं, विशेष रूप से उभरती चुनौतियों के संदर्भ में जैसे कि उत्पादक AI और सोशल मीडिया द्वारा आसानी से सूचना पैदा करने में कम लागत के कारण होने वाला सूचना की अधिकता; और ज़्यादा एल्गोरिदमिक पारदर्शिता की आवश्यकता; और एआई-संचालित सूचना पहुंच से जुड़ी नैतिक चिंताएं. यह श्रृंखला दो विशिष्ट क्षेत्रों की जांच के साथ समाप्त होती हैः डिजिटल वित्तीय समावेशन को मज़बूत करने के लिए फिनटेक फर्मों द्वारा वित्तीय और ऋण से संबंधित डेटा तक पहुंच; और विकलांग व्यक्तियों के लिए पहुंच को बढ़ावा देना.
अनिर्बान शर्मा