Author : Mannat Jaspal

Published on Dec 10, 2021 Updated 0 Hours ago

ग्रीन बॉन्ड की तरह ही ब्लू बॉन्ड हमारे समंदर की पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए वैश्विक पूंजी को बढ़ावा दे सकता है.

Bleed Blue : समुद्री संरक्षण का समर्थन करने के लिए एक नए नैरेटिव का निर्माण

“ब्लीड ब्लू” एक ऐसी अवधारणा है जो क्रिकेट प्रेमियों के बीच भारतीय क्रिकेट से जुड़े जुनून, जोश और उत्साह का प्रतीक है. दुनिया के एक बड़े जूते के ब्रांड द्वारा शुरू किया गया यह अभियान अब दुनिया भर के लाखों प्रशंसकों के उन्माद को भुनाने में सफल हो रहा है.

हालांकि, पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में, “ब्लीड ब्लू” शब्दावली हमारे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की ख़स्ताहाल होती स्थिति और मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की व्याख्या करने के लिए ज़्यादा उपयुक्त शब्द लगता है.  यह शायद अधिक उपयोगी साबित हो सकता है यदि हम “ब्लीड ब्लू” के इर्द-गिर्द नैरेटिव को बुन सकें और भारत की ब्लू इकोनॉमी को संरक्षित और बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम और निवेश को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए एक अभियान की शुरुआत कर सकें.

बढ़ते प्रदूषण के स्तर और मछली पकड़ने के जो तरीके हैं उसके चलते भी समुद्री पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से ख़तरा पैदा हुआ है और काफी हद तक यह क्षतिग्रस्त हो चुका है. 

यूएन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंद महासागर वैश्विक औसत से अधिक और प्रशांत महासागर से लगभग तीन गुना की दर से लगातार गर्म हो रहा है. भविष्य में इससे तटीय इलाकों में समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी होगी जिससे तटीय कटाव की हालत पैदा होगी जिससे बार-बार बाढ़ आएगी.  7,517  किमी की तटरेखा के साथ भारत प्राकृतिक आपदाओं के लिए वैसे भी बेहद संवेदनशील होगा, जिसमें भूमि को जलमग्न करने और लाखों लोगों के जीवन और आजीविका दोनों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है. यहां तक कि खाद्य सुरक्षा पर भी इसका गंभीर असर पड़ सकता है.

समुद्री जैव विविधता पहले से ही ख़त्म होती जा रही है और यह लगातार वनस्पतियों और जीवों से ख़तरे में है. वर्षा वन, समुद्री चट्टानें और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र सभी पर लगातार बढ़ते तापमान का असर हो रहा है. बढ़ते प्रदूषण के स्तर और मछली पकड़ने के जो तरीके हैं उसके चलते भी समुद्री पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से ख़तरा पैदा हुआ है और काफी हद तक यह क्षतिग्रस्त हो चुका है. ऐसे में यह हैरानी नहीं होगी अगर भारत समुद्री कचरे का 12वां सबसे बड़ा स्रोत होने का गलत गौरव रखता है और जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 70 प्रतिशत तक जल प्रदूषण दर के साथ भारत का स्थान 120वां है. भारत के महासागर, समुद्र और समुद्री संसाधन, वास्तव में ख़राब हालत में हैं.

बढ़ते तटीय ख़तरे के साथ-साथ एक गंभीर जल संकट भारत के लिए समुद्री सुरक्षा के जोख़िम को आने वाले दिनों में बढ़ा देगा, ख़ास कर भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के ख़ुद के वर्चस्व को स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के संदर्भ में इसे देखे जाने की ज़रूरत है. भारत की व्यापारिक और आर्थिक भागीदारी पर भी  इसका अपरिहार्य प्रभाव पड़ सकता है.

समुद्री संरक्षण पर रणनती

हाल ही में संपन्न कॉप26 (COP26) सम्मेलन के बाद  समुद्री संरक्षण पर हमारी रणनीतियों पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए इससे अधिक उपयुक्त कोई समय नहीं हो सकता है. जलवायु परिवर्तन के दावों को कम करने के लिए आम सहमति, जागरूकता और प्रतिबद्धता के साथ और 2070 के लिए भारत की हाल में कार्बन उत्सर्जन को ज़ीरो स्तर पर लाने की घोषणा के साथ हमारे प्राकृतिक ब्लू कार्बन सिंक का संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.  यह समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग पर जोर देते हुए SDG14 को साकार करने के मुताबिक भी बेहतर होगा.

कॉप26 (COP26) सम्मेलन के बाद  समुद्री संरक्षण पर हमारी रणनीतियों पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए इससे अधिक उपयुक्त कोई समय नहीं हो सकता है

हमारे तटीय इलाकों और जल निकायों के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी लेकिन साथ ही इससे राजस्व पैदा करने, स्थानीय आजीविका बढ़ाने और मानव पूंजी को बढ़ाने के चलते ज़बर्दस्त अवसर भी पैदा होंगे. इस संबंध में नए तरह की निवेश प्रक्रिया को इस्तेमाल करना उपयोगी हो सकता है ब्लू बॉन्ड जैसे ब्लू फाइनेंसिंग प्रक्रिया लगातार इस्तेमाल में लाये जा रहे हैं और निवेशकों को स्थायी जल प्रबंधन और महासागर विकास का समर्थन करने वाले प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए पूंजी बाज़ार को नियोजित करने के लिए भी एक प्रभावी प्रक्रिया के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

ग्रीन और टिकाऊ बॉन्ड की हाल की कामयाबी के साथ ब्लू बॉन्ड, ब्लू इकोनॉमी में निवेश को आगे बढ़ाने की कोशिश में पहले के लिए प्रेरक के तौर पर सामने आया है. अब तक, 2018 में सेशेल्स सरकार द्वारा अग्रणी वैश्विक स्तर पर लगभग छह ब्लू बॉन्ड जारी किए गए हैं. इस सेटअप में आम तौर पर सरकार, निजी निवेशकों और एक बहुराष्ट्रीय विकास बैंक के बीच एक त्रि-पक्षीय व्यवस्था शामिल की जाती रही है जो एक अंडरराइटर के रूप में अपनी भूमिका अदा करता है.  सेशेल्स के संबंध में, विश्व बैंक ने ब्लू बॉन्ड ढांचे को विकसित करने में मदद की और तीन प्राथमिक निवेशकों से 15 मिलियन यूएस डॉलर जुटाने में सफल रहा: कैल्वर्ट इम्पैक्ट कैपिटल, नुवेन, और यूएस मुख्यालय प्रूडेंशियल फाइनेंशियल, आईएनसी.
इस तरह के तमाम बहुपक्षीय विकास बैंकों की भूमिका अहम है.  इस संबंध में वो गारंटर और जोख़िम कम करने वाले के तौर पर काम करते हैं जो विशेष रूप से विकासशील देश के संदर्भ में निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.

यह प्रक्रिया भारत में भी ब्लू बॉन्ड जारी करने के लिए एक समान व्यवस्था बनाने के लिए मदद कर सकता है जो समुद्री संसाधनों के संरक्षण और इसके संरक्षण में निवेश के लिए वैश्विक पूंजी बाज़ार से पर्याप्त निजी वित्त जुटाने में सहायक साबित हो सकता है. अपेक्षित फंडिंग को आकर्षित करने के लिए स्केलेबल प्रोजेक्ट की एक रूपरेखा को अनुकूल रिस्क-रिवॉर्ड प्रोफाइल के साथ इसे लेकर एक अवधारणा और डिज़ाइन तैयार किया जाना चाहिए.  निवेश के संभावित क्षेत्र, तटीय संरक्षण और बहाली, बाढ़ की रोकथाम और प्रबंधन, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता की सुरक्षा, जल बुनियादी ढांचे, समुद्री ऊर्जा, अपशिष्ट जल उपचार और प्रबंधन, टिकाऊ भूमि उपयोग, प्रदूषित जल उपचार, टिकाऊ मत्स्य पालन हो सकते हैं. यह न केवल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की परिस्थितियों में सुधार करेगा बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए एक अधिक स्थायी रोज़गार के मौके भी पैदा करेगा जो जलवायु की अनिश्चितताओं के प्रति कम संवेदनशील हो सकता है.

जिस तरह एक अभियान के रूप में ब्लीड ब्लू ने दुनिया भर के भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के बीच जुनून और जुड़ाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

अधूरे, असंगत और अतुलनीय रिपोर्टिंग की जानकारी के चलते इसके प्रभाव की माप और  प्रबंधन में यहां वास्तविक चुनौतियां निहित होती हैं. इसे फिर से शुरू करने की बजाय, कई ग्रीन बॉन्ड टैक्सोनॉमी और मानक पहले से मौजूद हैं, जिन्हें “ब्लू इम्पीरेटिव” के संबंध में और रेखांकित किया जा सकता है.  इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक रिपोर्टिंग मानकों और पारिस्थितिकी तंत्रों को सुसंगत बनाना महत्वपूर्ण है.

ब्लू-बॉन्ड की संरचना में शामिल बहुआयामी हितधारक होने की वजह से चिंता पैदा हो सकती है जिसके समन्वय में और बढ़ावा देने में मुश्किल हो सकती है. हालाँकि, जिस तरह एक अभियान के रूप में ब्लीड ब्लू ने दुनिया भर के भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के बीच जुनून और जुड़ाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उसी तरह, हमारे ब्लीडिंग ब्लू संसाधनों को वैश्विक सहयोग का कारण ज़रूर बनना चाहिए.  पूंजी बाज़ार एजेंटों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, गैर-लाभकारी एजेंसियों, सरकार और बड़े पैमाने पर समुदाय के बीच सहयोग, समुद्री कचरे को ख़त्म करने और अनुकूलन उपायों को बढ़ावा देना ब्लू इकोनॉमी की  वो क्षमता है जिसका दोहन नहीं हो सका है, उसका इस्तेमाल करने में यह बेहद महत्वपूर्ण होगा.

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Mannat Jaspal is an Associate Fellow with the Geoeconomics Studies Programme at ORF. Mannat is deeply interested in exploring matters on sustainability and development – ...

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