Published on Nov 18, 2020 Updated 0 Hours ago

अगर हम आर्थिक रूप से कमज़ोर तबक़े के ग्राहकों के घरों में बिजली की आपूर्ति बनाए रखना चाहते हैं, तो इसके लिए, बिजली ख़रीदने की सामर्थ्य का मसला काफ़ी पेचीदा है

ग्रामीण इलाक़ों के घरों में 100% विद्युतीकरण के बाद — आगे क्या?

भारत ने अपने 99.99 प्रतिशत[1] घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. ये एक बड़ा मील का पत्थर है, जो भारत ने छुआ है. इससे भारत को स्थायी विकास के लक्ष्य 7.1 (SDGs 7.1) के एक मानक को प्राप्त करने में मदद मिली है. जिसके तहत वर्ष 2030 तक हर घर को सस्ती, भरोसेमंद और आधुनिक ऊर्जा सेवा उपबल्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. भारत के वर्ष 2020 के बजट में भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सेवा देने के लिए 22 हज़ार करोड़ की रक़म निर्धारित की गई है (ET गवर्नमेंट, 2 फ़रवरी 2020). लेकिन, देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली सप्लाई करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार को ऊर्जा क्षेत्र के मूलभूत ढांचे को और मज़बूत बनाना होगा. इस प्रक्रिया के साथ साथ, ज़रूरी ये भी है कि जिन घरों तक बिजली के कनेक्शन पहुंच गए हैं, वहां बिजली की आपूर्ति जारी रखी जाए.

इस सर्वे में पता चला था, कि इन में से दो तिहाई घरों में जहां बिजली नहीं थी, उसके पीछे वजह ये थी कि या तो वो बिजली का बिल भर पाने की हालत में नहीं थे. या फिर वो बिजली का बिल भरना ही नहीं चाहते थे

सेंटर फॉर एनर्जी, एनवायरमेंट, ऐंड वाटर (CEEW) ने बिजली की किल्लत वाले देश के छह राज्यों के 8500 ग्रामीण खरों का एक सर्वे किया था. इस सर्वे में पता चला था, कि इन में से दो तिहाई घरों में जहां बिजली नहीं थी, उसके पीछे वजह ये थी कि या तो वो बिजली का बिल भर पाने की हालत में नहीं थे. या फिर वो बिजली का बिल भरना ही नहीं चाहते थे (CEEW, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, प्रैक्टिकल एक्शन 2016). इस सर्वे से ये निष्कर्ष भी निकला था कि जिन घरों में बिजली के कनेक्शन हैं और जहां नहीं हैं. उन दोनों ही घरों के औसत मासिक ख़र्च में क़रीब 30 प्रतिशत का फ़र्क़ था. यहां तक कि जिन गांवों में हाल ही में बिजली पहुंची थी (मतलब दो या तीन महीने पहले), वहां के घरों में भी बिजली के कनेक्शन वाले घरों की शिकायत ये थी कि उनके बिजली के बिल बहुत ज़्यादा आ रहे हैं और वो इन्हें भर पाने की हालत में नहीं हैं. घर घर बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ साथ[2], बिजली का बिल भर पाने की क्षमता और नीयत भी एक महत्वपूर्ण कारक है. तभी हम उन घरों में बिजली के कनेक्शन को स्थायी बनाए रख पाएंगे, जहां पर बिजली पहुंच चुकी है. वरना वो दोबारा बिना बिजली वाले घरों की श्रेणी में पहुंच जाएंगे.

(एनर्जी सेक्टर मैनेजमेंट असिस्टेंस प्रोग्राम) के बिजली की आपूर्ति संबंधी अलग अलग स्तर पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि घरों में बिजली के उपयोग के मानक यानी 365 kWh[3]  प्रति वर्ष की लागत किसी भी औसत घर के वार्षिक ख़र्च का महज़ पांच प्रतिशत आती है (ESMAP, 2015).  भारत में घरेलू बिजली ग्राहकों के लिए अलग बिजली की दरों[4] और ग़रीबी रेखा के नीचे (BPL) रहने वालों के लिए और भी सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाती है. जिससे कि लोग बिजली के उपयोग का बोझ उठा सकें. ज़्यादातर राज्यों में उपभोग की जाने वाली बिजली की पहली 30 से 50 यूनिट मुफ़्त होती है. जिसे बुनियादी तौर पर घरों को रौशन करने की ज़रूरत पर ख़र्च किया जाता है. इन उपायों के बावजूद, बहुत से घरों के लोग बिजली का बिल नहीं भरते हैं.[5] इसका एक कारण कृषि क्षेत्र की अनियमित या सीज़नल आमदनी, नियमित आय का अभाव, भारी भरकम बिजली के बिल और घरों में अचानक होने वाले ख़र्च माने जाते हैं. ऐसे में बिजली का बिल भरने के लिए और अधिक समय देने, जैसे कि बिल न भरने पर कनेक्शन काटने की अवधि छह महीने तक बढ़ाने जैसे उपायों से ग़रीब ग्राहकों को थोड़ी राहत मिल सकती है. एक और विकल्प ये हो सकता है कि लोगों को किस्तों में बिजली का बिल भरने की इजाज़त दे दी जाए. या फिर बिजली के बिल भरने के लिए छोटे छोटे क़र्ज़ की सुविधा उपलब्ध कराने का विकल्प भी आज़माया जा सकता है.

नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) ने द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के साथ मिलकर असम के गोलाघाट ज़िले के उन घरों में सोलर पैनल से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की है, जहां पर बिजली के कनेक्शन नहीं लगे थे. इसके लिए नुमालीगढ़ रिफ़ाइनरी लिमिटेड ने अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड का इस्तेमाल किया है 

बिल भुगतान को लेकर दुविधा

बिजली का बिल ग्राहकों द्वारा न भरने की एक और वजह[5] ये होती है कि अक्सर उन्हें लगता है कि बिजली का बिल ज़्यादा आया है. ऐसे मामलों में ग्राहकों को ये समझ में नहीं आता कि आख़िर उनका बिजली का बिल इतना अधिक कैसे बढ़ गया. और बिजली विभाग के दफ़्तरों से उन्हें जो जवाब मिलता है, वो तसल्लीबख़्श नहीं होता. बिजली की दरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बिलिंग व्यवस्था में गड़बड़ी की जानकारी पहले से देने से ग्राहकों का विश्वास जीतने में मदद मिलेगी. गांव के स्तर पर शिकायतों के निवारण के लिए अधिकारियों का दौरा या फिर शिकायतें दूर करने के लिए ग्राहकों की सहूलियत वाली व्यवस्था को स्थायी बिजली दफ़्तरों पर लागू करने से कम से कम ग्राहकों को इस बात की तसल्ली दिलाई जा सकेगी कि उनका बिजली का बिल बढ़ा हुआ क्यों आया है. बिजली बिल की यदा कदा निगरानी और मीटर की पड़ताल को भी अनियमित रूप से जांचा परखा जाना चाहिए. इससे बिजली का बिल बनाने में होने वाली गड़बड़ियां दूर की जा सकेंगी.

वर्ष 2018 में सरकार ने एलान किया था कि अगले तीन वर्षों में हर बिजली मीटर को स्मार्ट और प्री-पेड बनाया जाएगा (ET एनर्जी वर्ल्ड, 24 दिसंबर 2018). प्री-पेड मीटर की व्यवस्था से ग्राहकों को बिल भरने के विकल्प तो मिल जाएंगे. लेकिन, प्री-पेड मीटर लगाने में डर इस बात का भी है कि अगर ग्राहकों ने उसे समय पर रिचार्ज न किया, तो कनेक्शन कटने की आशंका बढ़ जाएगी. ग्राहकों के बिजली का बिल भरने या न भरने की इच्छा के पीछे, घरों को बिजली की भरोसेमंद आपूर्ति भी एक बड़ा कारण है. हालांकि, लंबे समय तक बिजली कटने की समस्या तो काफ़ी कम हो गई है. लेकिन कई बार बाढ़ या किसी अन्य कारण से कई कई दिनों तक बत्ती गुल रहती है.

बिजली का बिल भरने की सामर्थ्य और बिजली आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने का एक तरीक़ा ये हो सकता है कि घरों को बिजली की सप्लाई पारंपरिक तरीक़ों से करने के साथ साथ इसे सोलर एनर्जी की व्यवस्था से भी जोड़ा जाए. नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) ने द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के साथ मिलकर असम के गोलाघाट ज़िले के उन घरों में सोलर पैनल से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की है, जहां पर बिजली के कनेक्शन नहीं लगे थे. इसके लिए नुमालीगढ़ रिफ़ाइनरी लिमिटेड ने अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड का इस्तेमाल किया है (The Energy and Resources Institute 2020). और आख़िर में बिना बिजली के कनेक्शन वाले घरों को पारंपरिक तरीक़े से बिजली की आपूर्ति करने के लिए वहां बिजली के कनेक्शन लगाए गए. जिन घरों में सौर ऊर्जा के ज़रिए बिजली सप्लाई की जाती है और जिन घरों में पारंपरिक तरीक़े से बिजली पहुंचाई जाती है, उन्हें मिलाकर संकेत ये मिलता है कि ग़ैर पारंपरिक स्रोतों से बिजली आपूर्ति वाले घरों का बिजली का बिल, नियमित बिजली कनेक्शन वाले घरों से कम आता है. लेकिन, सोलर पैनल से बिजली पाने वाले घरों का कहना था कि उनकी बिजली की आपूर्ति भरोसेमंद थी. जबकि केवल नियमित बिजली के कनेक्शन वाले घरों में बिजली की सप्लाई अक्सर बाधित होती थी. फिर उन्हें रौशनी के लिए केरोसिन का इस्तेमाल करने को मजबूर होना पड़ता था.

अगर हम सिर्फ़ उन घरों की गिनती करेंगे जहां पर बिजली के कनेक्शन लगा दिए गए हैं, तो सबको बिजली आपूर्ति करने के लक्ष्य को वास्तविक तौर पर हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए बिजली के बिल के भुगतान में लचीलापन लाने और स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने की ज़रूरत है. 

नियमित बिजली की सप्लाई

स्थायी विकास के लक्ष्य 7.1 (SDGs 7.1) का ज़ोर सस्ती दरों पर भरोसेमंद तरीक़े से बिजली आपूर्ति करने का है. लेकिन, जहां भरोसेमंद बिजली सप्लाई, कंपनियों पर निर्भर करती है. वहीं सस्ती दरों पर बिजली पाने और बिजली का बिल भरने की बात, ग्राहकों पर निर्भर करती है. ऐसे में, अगर हम आर्थिक रूप से कमज़ोर तबक़े के ग्राहकों के घरों में बिजली की आपूर्ति बनाए रखना चाहते हैं, तो इसके लिए, बिजली ख़रीदने की सामर्थ्य का मसला काफ़ी पेचीदा है. अगर हम सिर्फ़ उन घरों की गिनती करेंगे जहां पर बिजली के कनेक्शन लगा दिए गए हैं, तो सबको बिजली आपूर्ति करने के लक्ष्य को वास्तविक तौर पर हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए बिजली के बिल के भुगतान में लचीलापन लाने और स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने की ज़रूरत है. और इसके साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अबाध गति से बिजली की सप्लाई भी सुनिश्चित करनी पड़ेगी.

ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने के बाद, अगला क़दम चौबीसों घंटे बिजली पहुंचाने के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने का होना चाहिए. इसके अलावा, ज़ोर इस बात पर भी दिया जाना चाहिए कि जहां बिजली के कनेक्शन लग गए हैं, वहां से कनेक्शन कटें नहीं.


References

CEEW, Columbia University, Practical Action. (2016). Measuring Energy Access in India.

ESMAP. (2015). Beyond Connections – Energy Access Redefined. Retrieved October 03, 2020.

ET Energy World. (December 24, 2018). Government plans to make all electricity meters smart prepaid in 3 years. Retrieved October 08, 2020.

ET Government. (February 02, 2020). Budget 2020: Govt to convert all electricity meters into smart prepaid meters by 2022. Retrieved October 08, 2020.

The Energy and Resources Institute. (2020). TERI Reports.


[1] https://saubhagya.gov.in/

[2] Author’s interaction in the villages of Golaghat district of Assam during early March 2020.

[3] Kilowatt-hour

[4] Different electricity rates based on the consumption of the number of units. For example, for the consumption of the first 5 units, the tariff may be INR 4 per unit and for the consumption of the next 10 units, the tariff may increase to INR 6 per unit.

[5] Based on interaction with a power sector expert.

[6] Author’s interaction with the rural communities across various states over a decade in the context of different studies

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