प्रस्तावना
शहरी बाढ़ के मायने उन घटनाओं को इंगित करते हैं जब एक शहर में भारी वर्षा या अन्य कारणों जैसे कि तेजी से बर्फ पिघलना या चक्रवात या सुनामी के कारण आए तूफान की लहर इत्यादि की वज़ह से बड़े पैमाने पर पानी पहुंच जाए जो पूरे शहर या उसके कुछ हिस्सों को जलमग्न कर दे और साथ में ऐसी स्थिति पैदा कर दे जिसमें बाढ़ को रोकने के लिए और पानी को जल्दी से निकालने या अन्य तरीकों से स्थिति से निपटने की शहर के बुनियादी ढांचे में कमी हो.[1] जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान ने नदियों और झीलों के अतिप्रवाह को तेज कर दिया है, बर्फ पिघलने, तूफान (जैसे आंधी और चक्रवात) और असामान्य रूप से भारी बारिश भी आम हो गई है. यह सब घटना स्थानीय परिस्थितियों के साथ मिलकर शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि लाती है.[2] बाढ़ की घटनाएं सामान्य जीवन को बाधित करती हैं, आर्थिक विस्थापन का कारण बनती हैं, बुनियादी ढांचे को नष्ट कर देते हैं और यहां तक कि जानमाल का भारी नुक़सान भी हो सकता है. हाल के दशकों में कई बड़े और छोटे भारतीय शहरों को बाढ़ की घटनाओं का सामना करना पड़ा है. इनमें मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों को लगभग हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है.
यह इश्यू ब्रीफ भारत और वैश्विक स्तर पर शहरी बाढ़ के मुद्दे की जाँच करता है और समस्या से निपटने के लिए नीतिगत उपायों की सिफ़ारिश करता है.
यह इश्यू ब्रीफ भारत और वैश्विक स्तर पर शहरी बाढ़ के मुद्दे की जाँच करता है और समस्या से निपटने के लिए नीतिगत उपायों की सिफ़ारिश करता है.
शहरी बाढ़ की समस्या
शहरी बाढ़ का मुद्दा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)[3] के लिए पहले एक प्राथमिकता का विषय नहीं था और यह मुद्दा ज़्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में संकट पैदा करने वाली नदी की बाढ़ का आकलन और उसके उपाय करने पर केंद्रित था.[4] हालांकि पहले भी कई भारतीय शहरों में नियमित रूप से कई बाढ़ आई है लेकिन घटनाओं का अध्ययन करने और ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए उपाय निर्धारित करने का कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया था. 2005 को मुंबई में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने NDMA को शहरी बाढ़ के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया. यह घटना बादल फटने के कारण हुई थी और इसके कारण व्यापक विनाश हुआ था. नागरिक प्रशासन इस पैमाने की आपदा से निपटने के लिए तैयार नहीं था.[5] फलस्वरूप NDMA ने इसे अन्य प्रकार की बाढ़ से अलग किया और उसे एक अलग आपदा के रूप में देखना शुरू किया.[6] बड़े भारतीय शहर घनी आबादी वाले हैं और महत्वपूर्ण भौतिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के साथ आर्थिक गतिविधि के केंद्र हैं. इन शहरों में बाढ़ या अन्य किसी आपदा के कारण होने वाले किसी भी व्यवधान के गंभीर राष्ट्रीय और वैश्विक निहितार्थ होते है. इस हकीकत ने NDMA को 'शहरी बाढ़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश' तैयार करने के लिए प्रेरित किया ताकि 'शहरी बाढ़ आपदा प्रबंधन के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सके और “आपदा पूर्व तैयारियों और आपदा से निपटने के प्रति समर्पित एक दृष्टिकोण की ओर कदम बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय सोच को मजबूत किया जा सके.”[7]
भारत में शहरी बाढ़ का ख़तरा तेजी से बढ़ा है. हाल के वर्षों में कई शहरों में महत्वपूर्ण बाढ़ की घटनाएं दर्ज़ की गई,[8] हैदराबाद में 2020[9] और 2021,[10] नवंबर 2021 में चेन्नई में,[11] 2022 में बेंगलुरु में[12] और अहमदाबाद,[13] जुलाई 2023 में दिल्ली के कुछ हिस्सों में,[14] और सितंबर 2023 में नागपुर में बाढ़ आई जिसने कई लोगो को शहर छोड़कर जाने को मजबूर किया.[15] हरियाणा के चंडीगढ़ और गुरुग्राम, बिहार के पटना और गया, महाराष्ट्र में पुणे, राजस्थान में जयपुर और सीकर, मध्य प्रदेश में भोपाल और इंदौर, उत्तर प्रदेश में लखनऊ , केरल के कोच्चि जैसे छोटे शहरों में और पहाड़ी राज्यों में कई जगह जैसे उत्तराखंड में देहरादून और हिमाचल प्रदेश में शिमला को भी हाल के वर्षों में बाढ़ का सामना करना पड़ा है.[16] विशेष रूप से, अक्टूबर 2023 में पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम के कई शहरों में अचानक बाढ़ आई जिसमें बड़ी संख्या में मौतें और व्यापक विनाश हुआ.[17],[18]
दुनिया भर के कई देशों में शहरी बाढ़ की इसी तरह की घटनाएं हुई हैं. उदाहरण के लिए 2000 और 2009 के बीच दक्षिण अफ्रीका के कई शहरों को बाढ़ आपदाओं का सामना करना पड़ा जिससे भारी आर्थिक नुक़सान हुआ और 140 मौतें भी हुई.[19] 2005 में तूफान कैटरीना अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में बाढ़ का कारण बना, जिसके परिणामस्वरूप 1,800 से अधिक मौतें हुईं और 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुक़सान हुआ.[20] 2012 में, चीन के वुहान, नानजिंग और तियानजिन में जल निकासी प्रणाली बड़ी बारिश को झेल न सकी.[21] 2021 में तूफान हेनरी और इडा के कारण अमेरिका के पूर्वी तट पर कई शहर जलमग्न हो गए.[22] 2023 में बीजिंग ( चीन ) गंभीर बाढ़ से ग्रसित हुआ जिसने उसकी परिवहन प्रणाली को क्षतिग्रस्त कर दिया.[23] अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर बड़े पैमाने की बारिश से तबाह हो गया था जिसके चलते आपातकाल की स्थिति घोषित की गई[24] और लीबिया में डेरना ने विनाशकारी बाढ़ का अनुभव किया जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 10,000 लापता हो गए.[25]
2023 की रिपोर्ट में दोहराया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग पहले से ही दुनिया भर में कई मौसम और जलवायु संबंधित तीव्र घटनाओं का कारण बन रही है और भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के चलते वैश्विक मानसून वर्षा और भारी बारिश की घटनाओं से मानव स्वास्थ्य, आजीविका और प्रमुख बुनियादी ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट के 2021 संस्करण में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) चेतावनी के स्वर में कहती है कि बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में मानसून की भारी वर्षा होगी.[26] इसी संस्था की 2023 की रिपोर्ट में दोहराया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग पहले से ही दुनिया भर में कई मौसम और जलवायु संबंधित तीव्र घटनाओं का कारण बन रही है और भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के चलते वैश्विक मानसून वर्षा और भारी बारिश की घटनाओं से मानव स्वास्थ्य, आजीविका और प्रमुख बुनियादी ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है.[27] भारत के आंकड़ों से यह पता चलता है कि इस तरह की वर्षा की घटनाएं तीव्रता और आवृत्ति में बढ़ रही हैं. उदाहरण के लिए, भारत के कई शहरों में एक वर्ष में कई बार प्रतिदिन 50 mm से अधिक वर्षा हो रही है जिनमें से कई में प्रति घंटे 100 mm से अधिक वर्षा भी होती है.[28] चंडीगढ़, अहमदाबाद और अगरतला को 2017 में अत्यधिक वर्षा का सामना करना पड़ा,[29] जबकि मुंबई[30] और दिल्ली[31] को 2023 में इसी तरह की गंभीर बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ा.
शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनाओं से स्थानीय बुनियादी ढांचे, व्यवसायों और मानव जीवन को काफी नुक़सान होता है जिसका स्थानीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर आने वाले समय में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.[32] आर्थिक केंद्र होने के कारण शहर की गतिविधि में किसी भी रुकावट के परिणामस्वरूप भारी वित्तीय नुक़सान होता है. जैसे कि सड़कें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, मोबाइल फोन नेटवर्क निष्क्रिय हो सकते हैं और बिजली के झटके को रोकने के लिए सुरक्षा एहतियात के कारण बिजली की तारों को काट दिया जा सकता है.[33] ऐसी घटनाओं के बाद शहर के बुनियादी ढांचे को फिर से उपयोग करने से पहले पुनर्निर्मित या मरम्मत करना होता है और इसके अतिरिक्त जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम होता है, शहरों को हैजा और मलेरिया जैसी संभावित बीमारियों से बड़ी मात्रा में जूझना पड़ सकता है. [34]
शहरी बाढ़ के कारण
शहरी बाढ़ प्राकृतिक कारणों जैसे की अत्यधिक वर्षा, तेजी से बर्फ़ पिघलना, चक्रवात से तूफ़ान की लहर या तटीय स्थानों में सुनामी के कारण हो सकती है. 2000 और 2019 के बीच, भारत में 321 आपदा की घटनाएं दर्ज़ की गई जो चीन (577) और अमेरिका ( 467)[35] के बाद दुनिया भर के सभी देशों में तीसरे स्थान पर थी. जलवायु परिवर्तन की समस्या का और बदतर होना निश्चित रूप से इस स्थिति को आने वाले समय में और भयावह बना देगा. हाल के वर्षों में भारत ने आंधी और तूफानों, गर्मी की प्रकोप, शीत लहरों और कठोर सूखे और बाढ़ में वृद्धि देखी है और भारत के शहर लगभग असुरक्षित हैं. एक अध्ययन से पता चला है कि भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा ने अधिक कनेक्टिविटी यानी संवहन हासिल कर ली थी, [a] जिसके परिणामस्वरूप गर्जीले बादलों से एक क्षेत्र में तीव्र वर्षा हुई. जैसा की 2019 में केरल राज्य में देखा गया था कि शहरों में अब इस तरह की अधिक बारिश हो रही है और इन शहरों की वर्तमान जल निकासी प्रणाली उसका सामना नहीं कर पा रही जिससे बाढ़ आ रही है.[36],[37]
शहरों में एक और नई प्रथा है कि बढ़ते यातायात की भीड़ से निपटने के लिए कंक्रीट ड्रेन पाइप डालकर उन पर सड़कों का निर्माण करके पानी की निकासी वाले नालों को कवर किया जा रहा है लेकिन यह नालों की क्षमता को बाधित करता है और उनके रखरखाव को भी प्रभावित करता है.
शहरी संरचना की योजना की कमियों में शहरों में गरीबों की तरफ ध्यान की कमी शामिल है और यह तब है जब इस बात के स्पष्ट संकेत हैं, सबको पता है कि गांवों से शहरों को पलायन शहरी क्षेत्र के अवसरों के आकर्षण से ज़्यादा रोज़गार और रोज़मर्रा की आवश्यकता से अधिक प्रेरित है.[38] शहरों की योजना बनाते समय गरीबों के विषय पर विचार किए जाने के बहुत कम प्रमाण है. नतीज़तन, जबकि गरीब शहर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान करते हैं, वे शहरों में आवास ख़ोजने में असमर्थ होते हैं और अक्सर नदी के किनारे, मैंग्रोव और नदियों के किनारे वाली भूमि पर या उसके आसपास शरण ले लेते हैं.[39] इसके फलस्वरूप नदियाँ अतिक्रमण का शिकार होती है और भारी गाद वाली नालियाँ, बंद पुलिया और एक निष्क्रिय जल निकास प्रणाली उत्पन्न होती है जो वर्षा जल के लिए बहुत कम निकास की गुंजाइश होती है. इसके अलावा अपनी कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं के कारण प्रवासियों को आकर्षित करने में अधिकांश शहरों की असमर्थता के कारण कुछ ही शहरों पर प्रवासियों का पूरा भार आ जाता है जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.
एक कारण भारतीय शहरों की अत्यंत दयनीय शासन प्रणाली भी है. शहरी स्थानीय निकायों की ज़िम्मेदारियों में कटौती कर दी गई है और अलग-अलग सेवाओं के लिए कई सरकारी संस्थाओं का गठन किया गया है. उदाहरण के लिए बेंगलुरु को ही ले लीजिए, पानी और अपशिष्ट जल का प्रबंधन बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड द्वारा किया जाता है, शहर के परिवहन को बेंगलुरु महानगर परिवहन निगम द्वारा नियंत्रित किया जाता है और अग्निशमन सेवाएं कर्नाटक अग्निशमन और आपातकालीन सेवा द्वारा प्रदान की जाती हैं. योजना के स्तर पर बैंगलोर विकास प्राधिकरण बेंगलुरु शहर के लिए प्रमुख योजना निर्माण के काम को देखता है और बैंगलोर महानगर प्रबंधन प्राधिकरण बेंगलुरु महानगर क्षेत्र की योजना के लिए ज़िम्मेदार है. ऐसे में संकट के दौरान इन एजेंसियों के बीच समन्वय एक बहुत बड़ी समस्या होती है जिससे बचाव और राहत कार्य प्रभावित होता है. [40],[41]
इसके अलावा आधुनिक शहरों में पुराने शहरों की तुलना में विस्तृत पारिस्थितिकी तंत्र की भी कमी है जो शहरों को जीवित और तंदुरुस्त रखने में मदद करती थी. कई शहरों में झीलों को भर दिया गया है. और कई शहरों को धीमी गति से और गुप्त अतिक्रमण के माध्यम से झीलों को छोटा कर दिया गया है.[42] शहर के अन्य बुनियादी ढांचे जो बाढ़ की रोकथाम को प्रभावित को करते है उनका भी प्रबंधन ठीक से नहीं किया गया है. आमतौर पर सड़कों के किनारे पर बने पानी के नालों को फुटपाथ, सड़कों और छतों जैसी सतहों से अतिरिक्त पानी निकालने और इस पानी को एक बड़ी जल प्रणाली में खाली करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. भारत के अधिकांश शहरों में ये पानी की नालियां या तो नहीं हैं और जो हैं उनका रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है. समय के साथ या तो वे बंद हो जाते हैं या उनकी उपयोगिता बहुत कम हो जाती है. इसके अतिरिक्त, जल निकास प्रणाली भी शहर के विकास के साथ तालमेल रखने में विफ़ल है.[43] ठोस अपशिष्ट प्रबंधन ज़रूरत से कई मायने में कम होता है और लोगों का ठोस कचरे को अंधाधुंध इधर उधर फेंकना भी एक प्रमुख कारण हैं.
शहरों में एक और नई प्रथा है कि बढ़ते यातायात की भीड़ से निपटने के लिए कंक्रीट ड्रेन पाइप डालकर उन पर सड़कों का निर्माण करके पानी की निकासी वाले नालों को कवर किया जा रहा है लेकिन यह नालों की क्षमता को बाधित करता है और उनके रखरखाव को भी प्रभावित करता है. इसके अलावा खुले स्थानों को कॉन्क्रीट से पक्का करने का भी चलन है जिससे शहर में पानी को सोखने के लिए भूमि नहीं बची है. यह मुख्य रूप से जनसंख्या के दबाव के कारण अधिक रहने की जगह की आवश्यकता की वज़ह से होता है जिसके परिणामस्वरूप अधिक यातायात के लिए जगह की ज़रूरत होती है. इस कारण से शहरों में अब खुले स्थान निर्मित जगहों में परिवर्तित हो रहे हैं.
इसी तरह, शहरी बाढ़ का एक अन्य कारण अनाधिकृत निर्माण है क्योंकि बिल्डिंग डेवलपर्स इमारतों के निर्माण के लिए सार्वजनिक भूमि और जल निकायों को हड़प रहे हैं.[44] नदियां, झीलें, तालाब और नाले या तो गायब हो गए हैं या निर्माण के लिए तैयार होने की प्रक्रिया में जानबूझकर सूखा दिए जा रहे हैं.
नतीज़तन अब दो साफ़ पैटर्न सामने आते हैं. पहला तो यह कि शहर नए बुनियादी ढांचे के निर्माण में उत्साह से अपनी भूमिका निभा रहा है लेकिन मौजूदा संरचना को बनाए रखने की भूमिका के प्रति बड़ी उदासीनता रखता हैं. समय के साथ यह प्रवृत्ति इंफ्रास्ट्रक्चर के पतन का कारण बनता है. यह इंफ्रास्ट्रक्चर गैर-कार्यात्मक और दयनीय बन जाता है जिससे लोगों का जीवन ख़तरे में पड़ सकता है. दूसरी बात यह है कि अत्यधिक मानव घनत्व शहर के खुलेपन को बाधित करता है.[45] शहर के प्रत्येक व्यक्ति को कुछ निर्मित स्थान की आवश्यकता होती है जैसे की रहने के लिए, काम करने के लिए, चलने के लिए रास्ते, स्कूल, अस्पताल और मनोरंजन के साधन इत्यादि. इसके अतिरिक्त, शहर को पानी और सफाई की सुविधाएं भी प्रदान की जानी होती है इसलिए अधिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और जलवायु में परिवर्तन होता है. इन विरोधाभासी मांगों को तभी पूरा किया जा सकता है जब वे संतुलित तरीके से मुहैया हो और इसके लिए शहर में जनसंख्या की सीमा तय करना आवश्यक है. हालांकि अब तक शहरों में बड़े पैमाने पर जनसंख्या विस्तार यानी शहरों के अत्यधिक घनत्व जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को लगातार नज़रअंदाज किया गया है.
संभावित समाधान
NDMA ने एक व्यापक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ढांचा तैयार किया है जो अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और विकास के परस्पर संबंध को रेखांकित करता है. यह आपदा के बाद की प्रतिक्रिया, बहाली और पुनर्निर्माण के लिए तैयारी, राहत और बचाव पर जोर देता है.[46] संस्थागत रूप से, जलवायु परिवर्तन (पर्यावरण मंत्रालय) और आपदाओं (गृह मंत्रालय और NDMA ) से निपटने वाली एजेंसियां पूरी तरह से समन्वयित हैं. हालांकि, शहरी बाढ़ की घटनाओं से निपटने और कम करने के लिए, राज्यों को अपनी एजेंसियों और भारत सरकार की एजेंसियों के बीच उचित समन्वय सुनिश्चित करना चाहिए. विशेष रूप से अत्यधिक वर्षा वाले संवेदनशील राज्यों को आपदा पूर्व योजना पर अधिक ध्यान देना चाहिए और जलवायु परिवर्तन से बचाव को आपदा ज़ोख़िम प्रबंधन का एक अनिवार्य घटक बनाना चाहिए.[47]
2005 की मुंबई बाढ़ के बाद गठित एक समिति ने शहर के सुधार और बहाली के काम और नियामक कदम उठाने के लिए एक नए शासन तंत्र की स्थापना करने की सिफ़ारिश की[48] जो एक पेशेवर अफसर की अध्यक्षता में एक बहु-हितधारक और अंतर-विभागीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हो. इस समिति ने एक समोच्च मानचित्र तैयार करने का निर्देश दिया (एक मानचित्र जिस पर भूमि की सतह का आकार दिखाया गया है, जो सतह के सापेक्ष ढलान को दर्शाता है) और शहर के जल निकासी नेटवर्क का एक सर्वेक्षण कर बृहन्मुंबई जल निपटान प्रणाली के कार्यान्वयन, क्रॉस ड्रेनेज कार्यों को पूरा करने और पंपिंग और गेटेड संरचनाओं के संवर्धन की सिफ़ारिश की. हवाई अड्डे के रनवे और टैक्सी वे पुल के हाइड्रोलिक और संरचनात्मक डिजाइन की समीक्षा सहित हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए समाधान भी सुझाए गए.[49] समिति ने एक अन्य सुझाव का ढांचा भी दिया जिसमें पानी की नालियों में बाधाओं को हटाना, चार जलमार्गों की बहाली जो क्षमता में अब कम हो गई थी, तैरते मलबे के कारण होने वाली रुकावटों को हटाना, नाला प्रणाली का नवीनीकरण जो अतिक्रमण के कारण दुर्बल हो गई थी, प्रभावी कचरा हैंडलिंग, और तालाबों के रखरखाव के लिए गाद निकालने और संरक्षण के उपाय सुझाए गए. विनियामक उपायों में प्लास्टिक पर प्रतिबंध और आगे अतिक्रमण की रोकथाम शामिल थी.[50] भारत भर के अन्य शहर और राज्य मुंबई के अनुभव और समिति की सिफ़ारिशों को पैमाना बनाकर अपनी तैयारियों को माप सकते हैं.
नगर प्रशासन को भी इस ज़िम्मेदारी का भार उठाना चाहिए. भले ही शहरी विकास राज्यों की ज़िम्मेदारी है, केंद्र सरकार को शहरों की आर्थिक क्षेत्र में उसके योगदान को देखते हुए इस बात को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए कि शहर का बुनियादी ढांचा बड़े भारतीय शहरों में जीवन की आवश्यक गुणवत्ता का समर्थन करने में विफ़ल हो सकता है और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है. विशेष रूप से, केंद्र सरकार को शहरी बाढ़ से निपटने के लिए शहरों की वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए.[51]
बाढ़ से बचने के उपायों में कई नवीन विधियों का उपयोग भी किया जा सकता है. उदाहरण के लिए ग्रीन रूफ को अपनाना जिसके तहत पानी ठोस सतह से एक जगह इकट्ठा होकर जमीन में चला जाता है.
शहरों को अपने ज़मीनी हकीकतों के आधार पर अपनी जलवायु कार्य योजनाएं (CAP) तैयार करनी चाहिए. उदाहरण के लिए, मुंबई नगर निगम का CAP शहर की बाढ़ को एक प्रमुख चिंता के रूप में इंगित करता है.[52] एक बार CAP तैयार हो जाने के बाद, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें हर वर्ष क्रियान्वित भी किया जाए. वार्षिक नगरपालिका बजट में CAP को लागू करने के लिए बजटीय प्रावधान शामिल होने चाहिए जिसमें विशिष्ट कार्यों को करने के लिए सौंपे गए संबंधित विभागों को स्पष्ट मुद्रा आवंटन होना चाहिए. एक अलग निगरानी इकाई जैसे कि 'जलवायु प्रकोष्ठ' का गठन किया जा सकता है, जिसके प्रमुख नगर पालिका आयुक्त हो सकते है जो विभागों की देखरेख और मार्गदर्शन करें. चूंकि CAP वर्तमान में राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें शहरों को इस तरह की योजना को वैधानिक दायित्व बनाने के लिए अपने नगर पालिका कानूनों में संशोधन करने पर विचार करना चाहिए. राज्यों से परे भविष्य में सामुदायिक दृष्टिकोण आपदा शमन और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है.[53] इसमें स्थानीय विकास नीतियों और योजनाओं में आपदा ज़ोख़िम में कमी को शामिल करना ज़रूरी होगा.
इसके अतिरिक्त, सभी निर्माण गतिविधियों में पारगम्यता सुनिश्चित करने और छत पर वर्षा जल संचयन टैंकों के उपयोग को निर्धारित करने के लिए शहर के नियमों को कड़ा किया जाना चाहिए.
बाढ़ से बचने के उपायों में कई नवीन विधियों का उपयोग भी किया जा सकता है. उदाहरण के लिए ग्रीन रूफ को अपनाना जिसके तहत पानी ठोस सतह से एक जगह इकट्ठा होकर जमीन में चला जाता है.[54] बाढ़ से बचने के लिए आवश्यक है कि किसी भवन के निर्माण के कारण हुई पानी के जमीनी रिसाव की कमी को छत पर किए गए प्रावधानों द्वारा पूरा किया जाना चाहिए. छतों पर इंफिल्ट्रेशन बेड लगाए जा सकते है जिससे पानी भूमि के नीचे पाइपों के माध्यम से ज़मीन में आसानी से चला जाता है और वर्षा जल व्यर्थ नहीं होता और इससे निर्माण के कारण भूमि पर पारगम्यता के नुक़सान की भरपाई होती है. छत पर वर्षा जल संचयन टैंकों का उपयोग करके बाढ़ के ज़ोख़िम को कम किया जा सकता है जो बड़ी मात्रा में पानी को संभाल कर रख सकते हैं. अगर यह शहर भर में बड़ी संख्या में स्थापित किया जाता है तो बाढ़ के पानी की मात्रा को सार्थक रूप से कम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, 100 मीटर की टंकी ओवरफ्लो को 11 प्रतिशत और 1000 मीटर की टंकी को 43 प्रतिशत तक कम कर सकती है.[55] कुछ खुले क्षेत्रों को जल निरोध/धारण तालाबों के रूप में भी डिजाइन किया जा सकता है. हांगकांग ने मौजूदा नालियों को अपग्रेड करके और 7 किमी लंबी नई बॉक्स पुलियों का निर्माण करके 100,000 क्यूबिक मीटर की क्षमता के साथ ताई हैंग स्टॉर्म वाटर स्टोरेज टैंक नामक एक विशाल भूमिगत भंडारण योजना शुरू की है. पारगम्य फुटपाथ में भी अपवाह को कम करने की बड़ी क्षमता होती है.[56] इसी तरह की पहल पूरे भारत के शहरों में की जा सकती है.
निष्कर्ष
भारत को अपने शहरों के अत्यधिक घनत्व की बारीकी से जांच करनी चाहिए और एक राष्ट्रीय नीति को स्पष्ट करना चाहिए जो आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक स्थिरता के आधार पर एक स्वीकृत सीमा से परे जनसांख्यिकीय घनत्व को रोके.[57] साथ ही छोटे शहरों में निवेश और विकास के लिए एक बड़ा कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता होगी ताकि बड़े शहरों पर प्रवास और उसके परिणामस्वरूप होने वाले बोझ को कम किया जा सके. इससे अन्य शहरों के विकास को स्थायी रूप से बढ़ावा मिलेगा. नागरिकों के बीच आपदा ज़ोख़िम कम करने के व्यवहार को विकसित करने के प्रयास भी किए जाने चाहिए. देश भर के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को उनके दैनिक जीवन, आजीविका और व्यावसायिक पैटर्न में ज़ोख़िम में कमी की सोच को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इसके लिए राज्य को आपदा ज़ोख़िम शमन और प्रबंधन के लिए एक बड़े पैमाने पर शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता होगी.
Endnotes
[1]A Anna Weber, “What is Urban Flooding?”, NRDC, January 15, 2019, https://www.nrdc.org/bio/anna-weber/what-urban-flooding.
[2] Sonia I. Seneviratne and Neville Nicholas, “Changes in Climate Extremes and their Impacts on the Natural Physical Environment,” in Managing the Risks of Extreme Events and Disasters to Advance Climate Change Adaptation: Special Report of the Intergovernmental Panel on Climate Change, eds. C.B., V. Barros, T.F. Stocker,
- Qin, D.J. Dokken, K.L. Ebi, M.D. Mastrandrea, K.J. Mach, G.-K. Plattner, S.K. Allen,
- Tignor, and P.M. Midgley (Cambridge and New York: Cambridge University Press, 2012), https://archive.ipcc.ch/pdf/special-reports/srex/SREX_Full_Report.pdf
[3] National Disaster Management Authority, Government of India, National Disaster Management Guidelines: Management of Urban Flooding, 2010, https://nidm.gov.in/pdf/guidelines/new/management_urban_flooding.pdf.
[4] National Disaster Management Guidelines
[5] Pankaj Joshi, “Remember the 2005 floods? Can we prevent it happening again?”, The Hindu, July 17, 2016, https://www.thehindu.com/news/cities/mumbai/news/Remember-the-2005-floods-Can-we-prevent-it-happening-again/article14494244.ece.
[6] National Disaster Management Guidelines
[7] National Disaster Management Guidelines
[8] Luis Cea and Pierfranco Constabile, “Flood Risk in Urban Areas: Modelling, Management and Adaptation to Climate Change. A Review,” Hydrology 9, no. 3 (2022) https://doi.org/10.3390/hydrology9030050.
[9] Hirudia Raj, “Hyderabad Floods: Urgent need for better planning and reviving city Lakes”, WaterAid, November 6, 2020, https://www.wateraid.org/in/blog/hyderabad-floods-urgent-need-for-better-planning-and-reviving-city-lakes.
[10] Preeti Biswas, “2020 rerun: Hyderabad wakes up to deluge, many streets sink,” The Times of India, July 16, 2021, https://timesofindia.indiatimes.com/city/hyderabad/2020-rerun-hyd-wakes-up-to-deluge-many-streets-sink/articleshow/84458414.cms.
[11] Idrees Mohammed, “Chennai’s floods: the city has learned nothing from the past-here’s what it can do,” The Conversation, December 15, 2021, https://theconversation.com/chennais-floods-the-city-has-learned-nothing-from-the-past-heres-what-it-can-do-172254.
[12] Ramanath Jha, “The Bengaluru floods: The rising Challenge of urban floods in India,” Observer Research Foundation, October 15, 2022, https://www.orfonline.org/expert-speak/the-bengaluru-floods/.
[13] “Floods in Ahmedabad,” The Times of India, June 28, 2023, https://timesofindia.indiatimes.com/calamities/floods-in-ahmedabad/articleshow/101329964.cms?from=mdr.
[14] Alok K N Mishra, “Yamuna floods swathes of Capital after 45 years,” Hindustan Times, July 14, 2023, https://www.hindustantimes.com/cities/delhi-news/surging-waters-of-yamuna-river-cause-first-floods-in-new-delhi-in-45-years-thousands-forced-to-evacuate-homes-101689275476120.html.
[15] Reuters, “Flooding in India forces residents to flee,” YouTube video, 0:30, September 23, 2023, https://www.youtube.com/watch?v=eRiY5wOxdEg.
[16] R Krishnakumar, ”Caught in the deluge: Flooding in India’s ill-equipped cities,” Deccan Herald, July 16, 2023, https://www.deccanherald.com/india/caught-in-the-deluge-flooding-in-india-s-ill-equipped-cities-1237366.html.
[17] “Sikkim flash flood toll rises to 40 as army readies airlift rescue operations; bodies recovered in West Bengal,” The Times of India October 6, 2023, https://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata/sikkim-flash-flood-toll-rises-to-40-as-army-readies-airlift-rescue-operations-bodies-recovered-in-west-bengal/articleshow/104212522.cms?from=mdr.
[18] Joydeep Thakur, “Over 3,000 people stranded in Sikkim’s Lachen, Lachung towns; rescue ops underway,” mint, October 9, 2023, https://www.livemint.com/news/india/over-3-000-people-stranded-in-sikkim-s-lachen-lachung-towns-rescue-ops-underway-11696828925328.html.
[19] Shivali Jainer, “Urban flooding around the world: Where is India placed?”, Down To Earth, April 29, 2020, https://www.downtoearth.org.in/blog/water/urban-flooding-around-the-world-where-is-india-placed--70765.
[20] US Government Accountability Office, Natural Disasters: Economic Effects of Hurricanes Katrina, Sandy, Harvey, and Irma, GAO-20-633R, September 10, 2020, https://www.gao.gov/products/gao-20-633r.
[21] Asit K Biswas and Kris Hartley, “THROWBACK: How China’s ‘sponge cities’ aim to re-use 70% of rainwater,” Down To Earth, July 3, 2019, https://www.downtoearth.org.in/news/water/throwback-how-china-s-sponge-cities-aim-to-re-use-70-of-rainwater-65399.
[22] Rachel Ramirez, “The 7 most devastating climate disasters of summer 2021,” CNN, October 2, 2021, https://edition.cnn.com/2021/10/02/weather/climate-disasters-of-summer-2021/index.html.
[23] Rachel Liang and Dan Strumpf, “Beijing Area Hit by Deadliest Flooding in a Decade,” Wall Street Journal, August 1, 2023, https://www.wsj.com/articles/beijing-area-hit-by-deadliest-flooding-in-a-decade-73c571fc.
[24] “NYC flooding recap: Rain drenches tri-state area causing major flooding,” live blog, NBC News, September 30, 2023, https://www.nbcnews.com/news/us-news/live-blog/new-york-flooding-live-updates-rcna118055.
[25] Reuters, “Libya floods wipe out quarter of city, 10,000 feared missing,” The Indian Express, September 12, 2023, https://indianexpress.com/article/world/libya-floods-wipe-out-quarter-of-city-10000-feared-missing-8936735/.
[26] Intergovernmental Panel on Climate Change, Climate Change 2021: The Physical Science Basis: Contribution of Working Group I to the Sixth Assessment Report of the Intergovernmental Panel on
Climate Change, Cambridge and New York, IPCC, 2021, https://report.ipcc.ch/ar6/wg1/IPCC_AR6_WGI_FullReport.pdf.
[27] Intergovernmental Panel on Climate Change, Climate Change 2023: Synthesis Report. Contribution of Working Groups I, II and III to the Sixth Assessment Report of the Intergovernmental Panel on Climate Change, Cambridge and New York, IPCC, 2023, https://www.ipcc.ch/report/ar6/syr/downloads/report/IPCC_AR6_SYR_FullVolume.pdf.
[28] National Institute of Disaster Management, Ministry of Home Affairs, Government of India, “’Urban Flooding: Challenges to Solutions’ ‘Urban Flooding: Challenges to Solutions’.| NIDM | MHA | COVID-19 | DISASTER IN INDIA | PM 10 POINT’” December 28, 2020, https://www.youtube.com/watch?v=QOGmbAjEdJ4.
[29] S Gopalkrishna Warrier, “Extreme rainfall leaves cities floundering,” India Climate Dialogue, August 28, 2017, https://indiaclimatedialogue.net/2017/08/28/extreme-rainfall-leaves-cities-floundering/.
[30] “Mumbai experienced 100 mm of rainfall in the past 24 hours; ‘yellow’ alert sounded for Mumbai and Thane on Monday,” The Indian Express, July 25, 2023, https://indianexpress.com/article/cities/mumbai/mumbai-100-mm-rainfall-24-hours-yellow-alert-imd-8856910/
[31] “Highest rainfall in a day in 20 years drowns Delhi in deluge,” The Hindu, July 9, 2023, https://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/highest-rainfall-in-a-day-in-20-years-drowns-delhi-in-deluge/article67058472.ece.
[32] “What Are the Consequences Of Flooding?”, Lasko, April 8, 2019, https://lasko.com/blogs/b-air/what-are-the-consequences-of-flooding.
[33] Pooja Yadav, “Explained: What Is Urban Flooding And How Does It Impact India?”, Indiatimes, November 13, 2002, https://www.indiatimes.com/amp/explainers/news/what-is-urban-flooding-and-how-does-it-impact-india-584613.html.
[34] “Floods: How to protect your health,” World Health Organization, January 29, 2020, https://www.who.int/news-room/questions-and-answers/item/how-do-i-protect-my-health-in-a-flood?gclid=EAIaIQobChMI_bLowNvrgQMVl4VLBR1CRgE_EAAYASAAEgKQA_D_BwE#.
[35] Denis McClean, “#DRRday: UN Report charts huge rise in climate disasters,” United Nations Office for Disaster Risk Reduction, October 13, 2020, https://www.undrr.org/news/drrday-un-report-charts-huge-rise-climate-disasters#:~:text=GENEVA%2C%2012%20October%202020%20%E2%80%93%20A,in%20the%2021st%20century.
[36] Neha Madan, “Short, intense rain events up amid concrete surge: Experts,” Times of India, September 9, 2022, https://timesofindia.indiatimes.com/city/pune/short-intense-rain-events-up-amid-concrete-surge-experts/articleshow/94085394.cms.
[37] A.V. Sreenath, S. Abhilash, P. Vijaykumar, and B.E. Mapes, “West coast India’s rainfall, is becoming more convective,” npj Climate and Atmospheric Studies 5, 36 (2022), https://www.nature.com/articles/s41612-022-00258-2.
[38] Sayli Udas-Mankikar, “Redrawing city plans for poverty, welfare – first cap population growth,” Observer Research Foundation, June 5, 2020, https://www.orfonline.org/expert-speak/redrawing-city-plans-for-poverty-welfare-first-cap-population-growth-67402/.
[39] Christin Mathew Philip, “After floods, slum dwellers keen to move from river banks,” The Times of India, December 14, 2015, https://timesofindia.indiatimes.com/city/chennai/after-floods-slum-dwellers-keen-to-move-from-river-banks/articleshow/50165249.cms.
[40] Jha, “The Bengaluru floods: The rising challenge of urban floods in India”.
[41] Mathew Idiculla, “Who Governs the City? The Powerlessness of City Governments and the Transformation of Governance in Bangalore,” (paper presented at the RC21 International Conference, Urbino, Italy, August 27-29, 2015), https://www.rc21.org/en/wp-content/uploads/2014/12/G5.2-Idiculla.pdf.pdf.
[42] “Bengaluru today…Waterlogged plush areas of India’s tech capital are another grim warning to all cities,” The Times of India, September 6, 2022, https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/toi-editorials/bengaluru-today-waterlogged-plush-areas-of-indias-tech-capital-are-another-grim-warning-to-all-cities/
[43] Kapil Gupta, “The drainage systems of India’s cities,” Waterlines, 23, no.4 (2005), https://www.ircwash.org/sites/default/files/Gupta-2005-Drainage.pdf.
[44] Ramanath Jha, “Indian cities and floods,” Observer Research Foundation, October 22, 2019, https://www.orfonline.org/expert-speak/indian-cities-and-floods-56915/.
[45] Jha, “Indian cities and floods”.
[46] National Disaster Management Authority, Ministry of Home Affairs, Government of India, National Policy on Disaster Management, 2009, https://nidm.gov.in/PDF/policies/ndm_policy2009.pdf
[47] Ramanath Jha, “Lessons from Kerala Floods,” Observer Research Foundation, August 23, 2018, https://www.orfonline.org/expert-speak/43550-lessons-from-kerala-floods/
[48] Government of Maharashtra, Fact Finding Committee on Mumbai Floods Final Report, 2006, https://www.scribd.com/document/293669664/Fact-Finding-Committee-on-Mumbai-Floods-Vol1
[49] Fact Finding Committee on Mumbai Floods Final Report
[50] Fact Finding Committee on Mumbai Floods Final Report
[51] Meera Mehta, Dinesh Mehta and Dhruv Bhavsar, “Options for Strengthening Municipal Finances,” Economic & Political Weekly 58, no. 7 (2023), https://www.epw.in/journal/2023/7/commentary/options-strengthening-municipal-finances.html.
[52] Saurabh Punamiya Jain and Tanmay Takle, Mumbai Climate Action Plan 2022, Brihanmumbai Municipal Corporation, 2022, https://ghhin.org/wp-content/uploads/Mumbai-Climate-Action-Plan-2022.pdf.
[53] Sachinkumar N. Bhagat, “Community-Based Disaster Management Strategy in India: An Experience Sharing,” PDEU Journal of Energy and Management 2, no. 1 (2018), https://pdpu.ac.in/downloads/1%20Community-Based-Disaster-Management.pdf.
[54] National Institute of Disaster Management, “Urban Flooding: Challenges to Solutions,” YouTube Video, 2:23:44, December 28, 2020, https://www.youtube.com/watch?v=QOGmbAjEdJ4.
[55] National Institute of Disaster Management, “Urban Flooding: Challenges to Solutions”.
[56] Shivali Jainer, “Urban flooding around the world: Where is India placed?,” Down To Earth, April 29, 2020, https://www.downtoearth.org.in/blog/water/urban-flooding-around-the-world-where-is-india-placed--70765.
[57] Ramanath Jha, “Decentralised urbanisation holds key to healthy urban growth,” Observer Research Foundation, May 20, 2018, https://www.orfonline.org/expert-speak/decentralised-urbanisation-holds-key-to-healthy-urban-growth/.
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