Published on Aug 05, 2023 Updated 0 Hours ago

ब्रह्मांड से मेटावर्स की दुनिया की ओर ये परिवर्तन असल में एक ख़तरनाक बदलाव है, जिसमें दांव पर हमारी संस्कृति है: जो सॉफ्ट पावर के एक संसाधन से हार्ड पावर का हथियार बन सकती है.

मेटा सॉफ्ट पॉवर: कला और संस्कृति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश!
मेटा सॉफ्ट पॉवर: कला और संस्कृति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश!

ये लेख हमारी सीरीज़- रायसीना फाइल्स 2022 का एक हिस्सा है.


कला किस तरह धन को भ्रष्ट करती है?

दस हज़ार पेंटिंग्स- जो ऊपर से एक जैसी दिखती हैं- जो एक दूसरे से एक ही आकार के पोल्का डॉट्स में नक़ल करती हैं, और जिनके बीच केवल एक छुपे हुए होलोग्राम में अंकित वाटरमार्क से अंतर किया जा सकता है. बैंक के नोटों की तरह ही नक़ली कैनवास बनाना भी मुश्किल होता है. यही बात नॉन फंजिंग टोकेन यानी NFT पर भी लागू होती है. 14 जुलाई 2021 को डेमियन हिर्स्ट की मशहूर पेंटिग सीरीज़ द करेंसी प्रोजेक्ट की हर कलाकृति के लिए एक NFT बनाया गया था. इन पेंटिंग की नीलामी के एक साल के अंदर हर ख़रीदार को ये तय करना था कि वो हिर्स्ट की असली पेंटिंग अपने पास रखेगा, या फिर ख़ास उस पेंटिंग के लिए तैयार की गई NFT को. ख़रीदार के चुनाव के आधार पर दूसरे विकल्प को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया जाएगा. 27 जुलाई 2022 को ये नीलामी पूरी हो जाएगी. इस तरह से कला के क्षेत्र में भी NFT या सामान्य बोलचाल में कहें तो मेटावर्स का आगमन हो जाएगा. ये NFT एक ऐसे डैशबोर्ड का काम करेंगे, जहां पर डिजिटलीकरण का हर दिन विकास होता जाएगा. ये बदलाव आना 23 अगस्त 2021 से ही शुरू हो गया था, जब पहली बार इस प्रोजेक्ट के लिए 2.5 करोड़ डॉलर जुटाए गए थे. डेमियन हिर्स्ट ने इस रक़म का राज़ अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर खोला था. अपनी मशहूर पेंटिंग शार्क इन फॉर्मेल्डिहाइड की रूप-रेखा बिक्री के चार्ट पर उकेरते हुए, हिर्स्ट ने लिखा था कि, ‘जब आप ये सोच रहे थे कि पानी में वापस जाना सुरक्षित होगा’. [1] सपाट शब्दों में कहें, तो मेटावर्स कला की दुनिया में अवसरों का विशाल समंदर है, जो हिर्स्ट की शार्क की तरह, ‘उस वक़्त ज़िंदा मालूम होती है, जब वो मर जाती है और मुर्दा मालूम होती है, जब वो जीवित रहती है’. [2] महामारी के बाद के युग में जीते हुए, एक वैकल्पिक ब्रह्मांड हमें अब ऐसी अनछुई दुनिया में पहुंचा रहे हैं, जहां हम ख़ुद को पेश करके मुनाफ़ा कमा सकते हैं और सांस्कृतिक दुनिया को पूरी तरह से बदल सकते हैं. आज ‘डिजिटल पुनरुत्पादन’ और वर्चुअल रियलिटी के युग में NFT हमें एक ऐसा अनूठा और प्रामाणिक अवसर मुहैया कराते हैं, जहां पर हम ब्लॉकचेन तकनीक और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए किसी कलाकृति का मालिकाना हक़ हासिल कर सकते हैं. [3]

आज ‘डिजिटल पुनरुत्पादन’ और वर्चुअल रियलिटी के युग में NFT हमें एक ऐसा अनूठा और प्रामाणिक अवसर मुहैया कराते हैं, जहां पर हम ब्लॉकचेन तकनीक और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए किसी कलाकृति का मालिकाना हक़ हासिल कर सकते हैं. 

इस संदर्भ के दायरे में रहते हुए, कला और संस्कृति पर केंद्रित NFT एक पूरक मुद्रा की भूमिका निभा सकते हैं. हेनी ग्रुप के संस्थापक और हिर्स्ट की महान कलाकृतियों के प्रकाशक ने कहा कि, ‘अक्सर ये कहा जाता है कि धन से कला भ्रष्ट हो जाती है. लेकिन, ये तो कला द्वारा धन को भ्रष्ट करने का प्रयास है’ [4]– ये एक ऐसी राय या नज़रिया है, जो द करेंसी प्रोजेक्ट से भी आगे जाता है और कला की अभिव्यक्ति, संस्कृति और मेटावर्स को प्रभावित करने की संभावना रखता है.

एक मुद्रा के तौर पर संस्कृति: क्या यही असली हक़ीक़त है?

संस्कृति, सत्ता का सबसे प्रासंगिक और अस्पष्ट स्वरूप है- और ये सदियों से ऐसी ही रही है. यहां ये बताना उपयोगी होगा कि- सॉफ्ट पावर किसी भी देश की वो क्षमता है, जिससे वो अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एक ख़ास स्तर का असर डाल कर लोगों की प्राथमिकताओं को आकार देते हैं. ये ऐसी क्षमता है, जो अप्रत्यक्ष मुद्रा के माध्यम से ‘समझा- बुझाकर अन्य लोगों को अपना बर्ताव अपेक्षित दिशा में बदलने को मजबूर करती है’. [5] परिकल्पना के तौर पर आकर्षक और इसके नतीजे में प्रभावी माध्यम के तौर पर संस्कृति, हमारे समकालीन दौर की हक़ीक़तों को समझने में बहुत अहम भूमिका निभाती है. प्रमुख आर्टरीव्यू रैंकिंग ने ये साबित किया है कि कला की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक व्यक्ति पहली पायदान पर आने में नाकाम रहा. इसके बजाय, इतिहास में पहली बार, एक एल्गोरिद्म ERC-721 ने पहला पुरस्कार जीता, जो इथीरियम में NFT का एक मानक है. ये इस बात का साफ़ प्रतीक है कि किस तरह मेटावर्स में फल-फूल रही संस्कृति वास्तविक दुनिया के अन्य आयामों में भी अपना अस्पष्ट असर रखती है. आने वाले समय में वैश्विक नागरिक और उनके देश भी हक़ीक़त के इस दोहरे रास्ते का सामना करने वाले हैं. इस संदर्भ में सरकारों को सॉफ्ट पावर में निवेश करना होगा, और भौतिक दुनिया में अपनी छवि से आगे बढ़ना होगा और अपने ब्रैंड और मूल्यों को मेटावर्स में भी प्रचारित करना होगा.

आने वाले समय में वैश्विक नागरिक और उनके देश भी हक़ीक़त के इस दोहरे रास्ते का सामना करने वाले हैं. इस संदर्भ में सरकारों को सॉफ्ट पावर में निवेश करना होगा, और भौतिक दुनिया में अपनी छवि से आगे बढ़ना होगा और अपने ब्रैंड और मूल्यों को मेटावर्स में भी प्रचारित करना होगा.

वर्चुअल आयामों के उभार से पहले तमाम देश अपनी विदेश नीतियों और बाहरी दुनिया से संवाद में लगातार बदलाव ला रहे थे. हालांकि इस उभरती हुई और तेज़ी से प्रासंगिक बनती जा रही हक़ीक़त ने वैश्विक नेताओं को एक वैकल्पिक आयाम में भी भागीदार बनने को मजबूर कर दिया है. डैपरडार की विश्लेषण वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में NFT का बाज़ार 10.67 अरब डॉलर का हो गया है, यानी दूसरी से तीसरी तिमाही के दौरान इसमें 704 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है. [6] जब साल 2021 ख़त्म हुआ तो ये उद्योग 23 अरब डॉलर की शानदार उपलब्धि के मकाम तक पहुंच चुका था. [7] सबसे अहम बात ये है कि जनवरी 2022 में क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट के बाद भी इसकी विकास दर बहुत तेज़ रही है. अपनी गतिविधियों, अभिव्यक्ति और मुनाफ़े के साथ साथ बाज़ार में बढ़त की संभावनाओं का फ़ायदा उठाने के लिए सरकारों को अपनी मौजूदा सॉफ्ट पावर रणनीतियों को मेटावर्स की दुनिया तक ले जाना होगा. ये लक्ष्य, संस्कृति को एक ऐसी अस्पष्ट करेंसी के तौर पर इस्तेमाल करते हुए हासिल किया जा सकता है, जिसमें हक़ीक़त और आभासी दोनों ही दुनिया में मापने लायक़ मूल्यों को बनाया जा सके.

वास्तविक दुनिया की सीमाओं के परे, मेटा सॉफ्ट पॉवर

आज की तारीख़ तक सॉफ्ट पावर के राजनीतिक विस्तार को अहम संग्रहालयों को अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों तक पहुंचाकर हासिल किया जाता है. जैसे कि फ्रांस के मशहूर लूवर म्यूज़ियम की एक शाखा अबू धाबी में स्थापित करना या फिर पॉम्पिडू की ब्रांच शंघाई में खोलना. अब मेटा बिना क्षेत्रीय और भौगोलिक सरहदों वाले मेटावर्स के उभार के साथ- कम से कम सैद्धांतिक रूप से संग्रहालय सबकी पहुंच में आ गए हैं. महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान, संग्रहालयों और आर्ट गैलरी के बंद होने के चलते, उन्हें वर्चुअल दुनिया में ले जाना ज़रूरी हो गया है. वास्तविक जगहों की तरह 3D के अनुभवों का इस्तेमाल, कला और संस्कृति की विरासत को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे आख़िरकार वास्तविक दुनिया को प्रेरित और प्रभावित किया जा रहा है. ये महज़ इत्तिफ़ाक़ ही नहीं है कि मेटा द्वारा बनाया गया पहला कमर्शियल, जिसे मार्क ज़करबर्ग ने अपने खाते में पोस्ट किया था, वो एक म्यूज़ियम पर आधारित था, जिसमें चार छात्र हेनरी रूसो की एक कलाकृति के सामने डूब जाने वाली आभासी हक़ीक़त का तजुर्बा कर रहे हैं. दुनिया भर के कई, संग्रहालयों, जिनमें से ज़्यादातर सरकार के मालिकाना हक़ वाले हैं, ने इस कला संबंधी और आर्थिक अवसर का लाभ उठाने के लिए नए वर्चुअल बाज़ार को पूरी तरह अपना लिया है. मेटावर्स में प्रवेश करने वाली दुनिया की पहली आर्ट गैलरी रूस की हर्मिटेज है. जिसने NFT डिजिटल कलाकृतियों वाली देयर इथिरियल एथर नुमाइश को अपने भौतिक मंच के वर्चुअल स्वरूप में पेश किया था. [8] ब्रिटिश म्यूज़ियम ने एक NFT का बाज़ार बनाकर अपने अनूठे कलेक्शन की 200 मास्टरपीस बेची है. अन्य प्रमुख मिसालों में जापान के कलाकार होकुसाई द्वारा अपनी 200 कलाकृतियों को (LaCollection.io platform के साथ मिलकर) टोकन में तब्दील किया. [9] इसी तरह हाल ही में क्लिम्ट के लिमिटेड एडिशन वाली कलाकृति द किस को 10 हज़ार डिजिटल टाइल में बांटा गया था [10]– इसमें से हर एक खांचा मूल पेंटिंग की नक़ल था- जिसे वैलेंटाइंस डे पर वियना के बेलवेडेयर म्यूज़ियम ने लॉन्च किया था. संग्रहालयों ने अपनी जानकारी और विकास की रणनीतियों को न केवल आर्थिक नज़रिए से सुधारा है, बल्कि कला के नज़रिए से भी ऐसा किया है. इसके ज़रिए उन्होंने मेटावर्स की प्रामाणिकता और अनूठेपन की संभावनाएं भी सामने रखी हैं.

महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान, संग्रहालयों और आर्ट गैलरी के बंद होने के चलते, उन्हें वर्चुअल दुनिया में ले जाना ज़रूरी हो गया है. वास्तविक जगहों की तरह 3D के अनुभवों का इस्तेमाल, कला और संस्कृति की विरासत को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे आख़िरकार वास्तविक दुनिया को प्रेरित और प्रभावित किया जा रहा है. 

वर्तमान को गुज़र चुके वक़्त से जोड़कर, दुनिया भर के म्यूज़ियम जनता के सामने कला का बिल्कुल नया स्वरूप पेश कर रहे हैं. इंप्रेशनिज़्म या अभिव्यक्तिवादी नई कला ‘डाई ब्रुक’ जैसी आधुनिक और समकालीन कला को देखकर जिस तरह लोग पहले हैरान हुआ करते थे, उसे अब क्रिप्टोआर्ट के ज़रिए बनाया जा रहा है- जो कला, तकनीक और धन का मेल है- जो अपनी ख़ास ख़ूबियों को महज़ अपने नाम से ही ज़ाहिर कर देती है. हालांकि, क्रिप्टोआर्ट की कामयाबी की सबसे शानदार मिसाल तो नीलामघर क्रिस्टी है, जिसने बीपल (माइक विंकलमान) द्वारा बनाई गई डिजिटल कलाकृति एवरीडेज़: द फर्स्ट 500 डेज़ को 6.9 करोड़ डॉलर में बेचा, [11] और पाक की बनाई द मर्ज को 9.18 करोड़ डॉलर में नीलाम किया. [12]

रचनाशीलता का उद्योग: विजय का नया मोर्चा

हमारी वास्तविक दुनिया की तरह, सॉफ्ट पावर को पहचाने जा सकने वाले प्रतीकों के ज़रिए आभासी दुनिया में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इटली की स्टार्ट-अप कंपनी रीज़न्ड आर्ट के साथ मिलकर वर्चुअल दुनिया में प्रवेश करने वाला पहला स्मारक मिलान का आर्को डेला पेस था. [13] पहले उन्होंने वास्तुकला की कृति डेटा से गढ़ी और फिर इसे NFT में तब्दील कर दिया. इससे हुई आमदनी का इस्तेमाल डिजिटल कला और तकनीक का शिक्षण संस्थान बनाने में किया गया. मेटावर्स पर केंद्रित इस अकेली पहल ने सॉफ्ट पावर के मौजूदा प्रभाव को और मज़बूती दी है और इसके साथ ही साथ इटली के प्रति लोगों में और दिलचस्पी भी जगाई है- ये एक ऐसी रणनीति है जिसे दुनिया में कहीं भी अपनाया जा सकता है. स्मारक किसी भी तरह का हो, वास्तुकला और मेटावर्स धीरे- धीरे एक दूसरे पर निर्भरता को ज़ाहिर कर रहे हैं. इस पर मुहर लगाते हुए 2021 की आर्ट बेसल मयामी बीच ने वर्चुअल गैलरी ‘NFTism’ [14] को पेश किया, जिसे ज़ाहा हदीद आर्किटेक्ट्स ने डिज़ाइन किया था, ताकि आकाशीय और परस्पर संवाद वाले तजुर्बे को दिखाया जा सके.

नई वर्चुअल हक़ीक़त में संगीत का प्रवेश

कोविड-19 महामारी ने संगीत की दुनिया में पड़ चुकी तकलीफ़देह दरारों को उजागर किया है. चुनौतियों के बीच कलाकारों और रिकॉर्ड कंपनियों ने मुनाफ़े और अपनी पेशकश का दायरा बढ़ाने के लिए वर्चुअल दुनिया में उभर रहे अवसरों को समझा है. वार्नर म्यूज़िक ग्रुप ने द सैंडबॉक्स [15] में संगीतमय थीम पार्क का आग़ाज़ किया है. ये एक वर्चुअल दुनिया है, जहां पर कार्यक्रम और कॉन्सर्ट आयोजित किए जा सकते हैं, जिन्हें दुनिया भर में कहीं से भी देखा जा सकता है. इसके अलावा कंपनी ने चीन में भी वर्चुअल DJ और संगीतकारों के साथ NFT [16] में तब्दील की जा सकने वाली एक परियोजना शुरू की है. यूनिवर्सल म्यूज़िक ने भी अवतार तकनीक कंपनी जेनीस के साथ एक सौदा किया है, ताकि बिली एइलिश और टेलर स्विफ्ट जैसे मशहूर कलाकारों को मेटावर्स की दुनिया में लाया जा सके. [17] जस्टिन बीबर जैसे कलाकारों ने पहले ही इस नए मंच पर रियल टाइम मोशन कैप्चर के साथ अपनी प्रस्तुति दी है. [18] इसी तरह ABBA ने भी अपने आने वाले वर्चुअल टूर का एलान किया है. तो इस संदर्भ में क्रिप्टोआर्ट की परिभाषा संगीत पर भी लागू हो सकती है: जब बात सॉफ्ट पावर की आती है, तो इसके फ़ायदों में NFT में बिक्री की संभावनाएं और कम लागत वाले मंच के ज़रिए विश्व स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ाना शामिल है. ये बात उन कलाकारों- और उनके देशों के लिए तो ख़ास तौर से फ़ायदेमंद साबित हो सकती है, जिनकी पहुंच नहीं है और जिनकी कला बहुत मशहूर नहीं है. इसमें कामयाबी का मूल मंत्र यही है कि मौजूदा मगर छुपी हुई विरासत को नए आयाम के साथ पेश किया जाए.

मेटावर्स पर केंद्रित इस अकेली पहल ने सॉफ्ट पावर के मौजूदा प्रभाव को और मज़बूती दी है और इसके साथ ही साथ इटली के प्रति लोगों में और दिलचस्पी भी जगाई है- ये एक ऐसी रणनीति है जिसे दुनिया में कहीं भी अपनाया जा सकता है. 

मेटावर्स ने सिनेमा के भविष्य में उठा-पटक पैदा कर दी है

कई दशकों से दुनिया की फिल्म संस्कृति को विदेशी नागरिकों और घरेलू मुसाफ़िरों को स्क्रीन पर्यटन [19] के ज़रिए आकर्षित करने वाली सॉफ्ट पावर का लाभ मिलता रहा है. ऐसा लगता है कि इमर्सिव सिनेमा ने बीसवीं सदी के उस नए आंदोलन के आदर्श लोक को हासिल कर लिया है, जो अधिक इमर्सिव और सिंथेस्थेटिक कलाकृतियों के तलबगार हैं. जब कोई दर्शक वर्चुअल रियलिटी के हेडसेट लगाकर एक नई कहानी में सक्रियता से भागीदार बनता है, तो इससे सिनेमाघरों में अब ख़ाली रह रही सीटों को भरने का एक अवसर भी निकलता है. हालांकि एक समानांतर दुनिया भी में जहां हमारे अवतार सिनेमा देखने जाते हैं: इसकी मिसाल, जून 2020 में क्रिस्टोफर नोलान की फिल्म टेनेट को फोर्टनाइट पर दिखाया जाना है. [20] ये आने वाले दौर की झलक है, जो फिल्म और टीवी की दुनिया की उन संभावनाओं को पेश करता है, जिनका अब तक लाभ नहीं उठाया गया है. आज मीडिया स्ट्रीमिंग को सिनेमा से अलग नहीं किया जा सकता है. इसके संदर्भ में भविष्य की अटकल लगाना मुमकिन नहीं है. फिर भी ब्लॉकचेन चलाने वाले DAO के निवेशकों का एक समूह- डिश नेटवर्क से ब्लॉकबस्टर ब्रैंड ख़रीदने की योजना बना रहा है, ताकि इस प्लेटफॉर्म को ऑन डिमांड वर्चुअल स्ट्रीमिंग सेवा के तौर पर फिर से लॉन्च कर सकें. [21]

साहित्यिक कृतियां भी 3D हो रही हैं

आख़िर में हमारे लिए साहित्य की भूमिका के बारे में विचार करना भी उपयोगी होगा, क्योंकि साहित्य ने लोगों की साझा कल्पना और दूर-दराज़ के देशों के सफ़र की इच्छा को बढ़ावा दिया है. आज साहित्य और मेटावर्स का मेल बहुत दुर्लभ है. लेकिन यहां कई दिलचस्प जानकारियां साझा करनी ज़रूरी हैं. अलेसांद्रो बैरिको पहले लेखक हैं, जिन्होंने अपने मशहूर उपन्यास- नोवोसेंटो को NFT में तब्दील कर दिया है, जो उनकी प्रकाशित किताब की तुलना में कहीं ज़्यादा क़ीमत (आज की तारीख़ में ओपनसी पर 179.73 डॉलर) पर बिकी. [22] मियूकी वन ने प्योर को NFT में प्रकाशित किया, जिससे उनकी किताब कई भाषाओं में उपलब्ध हो सके- ये जापानी साहित्य के लिए बहुत दुर्लभ बात है- और वो दुनिया के तमाम देशों तक पहुंच सके. [23] इन मिसालों से दूसरे लेखक भी, ख़ास तौर से संपादकीय बिचौलिए की फ़ीस देने से बचने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक अपनाने की शुरुआत कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर NFTBooks [24] जो कम क़ीमत वाला डिजिटल बुक स्टोर चलाती है, वो अब इस दिशा में आगे बढ़ रही है.

विकेंद्रीकरण, उभरती अर्थव्यवस्थाएं और नए जोख़िम

संरचना और बिक्री, दोनों ही प्रक्रियाओं में डिजिटल का लाभ उठाकर कलाकार मेटावर्स से बहुत फ़ायदे उठा लेते हैं. फिर चाहे अपने चाहने वालों से लगाव हो या अपनी कला का वितरण करना. पहला तो NFT के कारण, कला की नुमाइश की ये वैकल्पिक जगह मालिकाना हक़ और पहले न बिकी रचनाओं की समस्या से पार पा लेती है: पहले की तुलना में अब आभासी दुनिया में संपत्तियों को प्रमाणित कर पाना मुमकिन है. क्रिप्टोआर्ट की रचना करने वाले अपनी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने चाहने वालों के सामने पेश कर सकते हैं. इससे उनकी कला की बिक्री या रॉयल्टी बढ़ेगी. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए हासिल किया गया ये ‘कॉपीराइट’ अमेरिकी कलाकारों के लिए तो ख़ास तौर से प्रासंगिक है, जिन्हें किसी ख़ास संघीय क़ानून से संरक्षण नहीं मिलता है. मेटावर्स में नीलामघरों की बढ़ती मौजूदगी (मिसाल के तौर पर सोदबी का मेटावर्स) और इस बाज़ार की विशाल कंपनियों (उदाहरण के लिए सुपररेयर, ओपन सी, निफ्टी, रेरिबल) की मौजूदगी के चलते आज भी क्रिप्टोआक्रट, दलालों के शिकंजे से आज़ाद हैं. पारंपरिक आर्ट गैलरी और नीलामघरों के शिकंजे से आज़ाद और विकेंद्रीकृत होने के चलते आज कम मशहूर कलाकार भी ज़्यादा क़ीमत हासिल कर पा रहे हैं. ये लेखक स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, अक्सर इन्हें मेटावर्स बाज़ार के उन्हीं प्लेटफॉर्म से सहयोग मिलता है, जो शौकिया कलाकारों को अपने NFT भुनाने में मदद करते हैं (मिसाल के तौर पर आर्टस्टेड).

एक समानांतर दुनिया भी में जहां हमारे अवतार सिनेमा देखने जाते हैं: इसकी मिसाल, जून 2020 में क्रिस्टोफर नोलान की फिल्म टेनेट को फोर्टनाइट पर दिखाया जाना है. [20] ये आने वाले दौर की झलक है, जो फिल्म और टीवी की दुनिया की उन संभावनाओं को पेश करता है, जिनका अब तक लाभ नहीं उठाया गया है. 

आख़िर सरकारों को कला के इस आधुनिक स्वरूप में क्यों भागीदार बना चाहिए? ऐसे निवेश से उनकी सॉफ्ट पावर कैसे बढ़ेगी. इन सवालों के जवाब देने के लिए फाइंडर एडिटोरियल रिव्यू बोर्ड द्वारा इकट्ठे किए गए प्रासंगिक आंकड़ों पर रौशनी डालना उपयोगी होगा. आज की तारीख़ में, 20 अन्य देशों की तुलना में NFT का सबसे ज़्यादा मालिकाना हक़ फिलीपींस में (32%) देखा जा रहा है. इसके बाद थाईलैंड (27%), मलेशिया (24%) संयुक्त अरब अमीरात (23%) और वियतनाम (17%) का नंबर आता है. इसकी तुलना में जापान में सबसे कम (2%) नमूने हैं, जो ब्रिटेन और अमेरिका (3%), जर्मनी (4%), ऑस्ट्रेलिया (5%) और कनाडा (6%) से पीछे है. जैसा कि NFT 2021 की रिपोर्ट से ज़ाहिर है, प्रति व्यक्ति औसत मज़दूरी और NFT के मालिकाना हक़ में विपरीत संबंध है. उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में ऐसे नागरिकों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो अपनी कमाई को NFT की रचना या व्यापार करके मुनाफ़े में तब्दील (कला की दुनिया में खेलकर पैसे कमाओ वाला फॉर्मूला) कर रहे हैं. ये चलन अब अपने आप में एक अलग आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है और इसलिए ये आमदनी का एक नया ज़रिया बन रहा है. [25]

जैसा कि NFT 2021 की रिपोर्ट से ज़ाहिर है, प्रति व्यक्ति औसत मज़दूरी और NFT के मालिकाना हक़ में विपरीत संबंध है. उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में ऐसे नागरिकों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो अपनी कमाई को NFT की रचना या व्यापार करके मुनाफ़े में तब्दील (कला की दुनिया में खेलकर पैसे कमाओ वाला फॉर्मूला) कर रहे हैं. ये चलन अब अपने आप में एक अलग आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है और इसलिए ये आमदनी का एक नया ज़रिया बन रहा है

इन मंचों और तकनीकों से मिलने वाले तमाम फ़ायदों के अलावा, इस बात का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है कि मेटावर्स, संस्कृति और सॉफ्ट पावर के मेल के कई जोखिम भी हैं. सोशल मीडिया के ज़रिए पहले ही जानकारियों के विशाल भंडार पर नियंत्रण करना पहले ही मुमकिन हो चुका है और एक ग्राहक के तौर पर इसका हमारे चुनाव पर गहरा असर पड़ रहा है; मेटावर्स में तो हर इंसान की निजी पसंद पर नज़र रख पाना तो और भी आसान होगा, और फिर उन्हें हौले से एक ख़ास चुनाव के लिए बाध्य किया जा सकेगा. जहां तक इस पेपर में उठाए गए मुद्दों की बात है, तो ऐसे मंज़र में कुछ सरकारी पदाधिकारियों के हाथ में बहुत अधिक ताक़त आ सकती है- जो अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकती है. चूंकि ये हमारे सामाजिक संवादों से छेड़खानी करने की आशंका से जुड़ी बात है, तो ये जोखिम किसी हुकूमत के संभावित प्रभाव के दायरे में आता है- और इस तरह वो न केवल आम लोगों, बल्कि देशों को भी प्रभावित कर सकते हैं. इसीलिए हमें फ़ौरन से पेशतर, मेटावर्स में निजता और निजी डेटा के संरक्षण के नियम बनाने चाहिए, ताकि डेटा में सेंध या फिर इनसाइडर ट्रेडिंग (जो फिलहाल तो संभव नहीं है, चूंकि NFT को वित्तीय संसाधन नहीं माना जाता है) जैसी आशंकाएं दूर की जा सकें. इसके साथ साथ संस्कृति के क्षेत्र में भी एंटी ट्रस्ट क़ानून की गारंटी तय करनी होगी ताकि प्रभुत्व वाली ख़तरनाक स्थिति के दुरुपयोग से बचा जा सके. ब्रह्मांड से मेटावर्स की दुनिया की ओर ये परिवर्तन असल में एक ख़तरनाक बदलाव है, जिसमें दांव पर हमारी संस्कृति है: जो सॉफ्ट पावर के एक संसाधन से हार्ड पावर का हथियार बन सकती है.

मेटा-नीति का प्रभाव?

आज के दौर में किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम को डिजिटल स्वरूप में बदलकर मेटावर्स में लॉन्च किया जा सकता है. इससे किसी देश द्वारा अपनी साफ़ न दिखने वाली ताक़त के इस्तेमाल का तरीक़ा बिल्कुल ही बदल सकता है. इस प्रभाव का लाभ उठाने के लिए क़ानूनी और राजनीतिक बदलाव की ज़रूरत है, जिससे कि ऐसी तकनीकों के सामाजिक आर्थिक विकास पर पड़ने वाले असर का अधिकतम लाभ लिया जा सके.

क़ानूनी स्तर पर NFT में निवेश को क़ानूनी संरक्षण देने के लिए सरकारी नीतियां अपनाने से न केवल कला के क्षेत्र में सकता है, बल्कि जेनरेशन Z के बीच रोज़गार की असुरक्षा का आकलन किया जा सकेगा – जिसके सदस्य आज विकेंद्रीकृत वित्त व्यवस्था का हिस्सा बनकर काफ़ी मुनाफ़ा कमा रहे हैं और बाज़ार पर गहरा असर डाल रहे हैं. हालांकि सरकार को बाज़ार में नुक़सानदेह अटकलबाज़ी के जोखिमों से बचने की गारंटी देने के लिए तुरंत ही डिजिटल संपत्तियों का नियमन करना होगा. मिसाल के तौर पर इटली की सोसाइटी ऑफ़ ऑदर्स ऐंड पब्लिशर्स (SIAE) ने इटली की ब्लॉकचेन एल्गोरैंड के साथ हाथ मिलाया है, जिससे एक ऐसे प्लेटफॉर्म को विकसित किया जा सके, जहां कॉपीराइट एक तरह की डिजिटल संपत्ति होंगे. [26] SIAE द्वारा सौदेबाज़ी से तय किए गए व्यक्तिगत अधिकारों को NFT के तौर पर दर्ज किया जाएगा; अलग अलग खातों को चालीस लाख ऐसी संपत्तियों से जोड़ा जाएगा, जो किसी सदस्य या संगठन की होंगी. एल्गोरैंड के संस्थापक सिल्वियो मिकाली ने कहा है कि इस प्रक्रिया से ‘NFT बनाने और उनके प्रबंधन की बुनियाद तैयार होगी. मतलब ये कि ख़ुद लेखकों के लिए हितकारी डिजिटल अधिकार को ‘इस उम्मीद में बनाया’ जाएगा कि उन्हें अपनी कला के अलावा कोई और काम न करना पड़े और अपनी रचनाशीलता के बदले में उन्हें पैसे मिल सकें’. [27] ये रणनीति बौद्धिक संपदा के अधिकारों की सुरक्षा करती है और पूरे सेक्टर के आर्थिक विकास को महफ़ूज़ बनाती है, जो हमेशा से ही निर्यात का सांस्कृतिक मॉडल रहा है.

इस नए वर्चुअल विश्व से संवाद में दक्षिण कोरिया सबसे ज़्यादा कामयाब दिख रहा है. दुनिया भर के बाज़ारों को अपनी गिरफ़्त में लेने वाली ‘हैलियू’ यानी ‘कोरियन लहर’ के ज़रिए वो अपनी सॉफ्ट पावर का असर बढ़ाने में निवेश कर रहा है.

राजनीतिक तौर पर देखें- तो चूंकि संस्कृति किसी भी देश की सबसे अहम पहचान रही है और इसके नतीजे में अस्पष्ट शक्ति की सबसे ताक़तवर अगुवा रही है- तो आज मेटावर्स में निवेश की सख़्त दरकार है. सरकारों के लिए ये नई दुनिया, मौजूदा गतिविधियों को मज़बूत करने के साथ साथ कई नए माध्यम खोल सकती है. इस नए वर्चुअल विश्व से संवाद में दक्षिण कोरिया सबसे ज़्यादा कामयाब दिख रहा है. दुनिया भर के बाज़ारों को अपनी गिरफ़्त में लेने वाली ‘हैलियू’ यानी ‘कोरियन लहर’ के ज़रिए वो अपनी सॉफ्ट पावर का असर बढ़ाने में निवेश कर रहा है. मई 2021 में विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक मेटावर्स बोर्ड का गठन किया था, जिससे वर्चुअल और ऑग्यूमेंटेड रियलिटी के प्लेटफॉर्म का विकास और उनके बीच तालमेल स्थापित किया जा सके. 2022 के पूरे साल के दौरान, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जाए-इन 30 अरब वोन यानी 26 अरब डॉलर की रक़म डिजिटल न्यू डील 2.0 में निवेश करेंगे. [28] हालांकि, अटकलबाज़ी के किसी संभावित बुलबुले के फूटने से भविष्य में बाज़ार में भारी गिरावट पर लगाम लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. फिर भी, जैसे जैसे ये तकनीकें बेहतर हो रही हैं- और ये काम करने में सरकार की तरफ़ से दी जाने वाली सब्सिडी अहम साबित हो सकती है- वैसै वैसे ज़्यादा से ज़्यादा नागरिक मेटावर्स में निवेश बढ़ाएंगे.

स्विटज़रलैंड में पैदा हुए एक प्रभावशाली जर्मन कलाकार पॉल क्ली ने लिखा कि, ‘कला किसी ऐसी चीज़ को नहीं बनाती, जो दिखाई पड़े’; बल्कि वो अदृश्य शक्ति को दिखने लायक़ बनाती है’. [29] पॉल क्ली, कला की दुनिया को ऐसी इकलौती अभिव्यक्ति बताते हैं, जो ख़ुद को एक ख़ास सोच से अलग कर सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो, संस्कृति को ‘दिखाई देते रहने’ के लिए ज़रूरी है कि ‘अदृश्य को प्रदर्शित किया जाए’ भले ही इसके आर्थिक फ़ायदे या नुक़सान कुछ भी हों. हालांकि वैकल्पिक दुनिया में संस्कृति की अदृश्य संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए इसकी छुपी हुई ख़ूबियों को उजागर करना वाजिब ही है.


[1] Damien Hirst (@damienhirst), “Just when you thought it was safe to go back in the water,” Instagram photo, August 23, 2021.

[2] Stuart Morgan interviews Damien Hirst, “Damien Hirst”, Frieze, no. 1 (1990).

[3] Walter Benjamin, The Work of Art in Age of Mechanical Reproduction (London: Penguin Books, 2008).

[4] James Tarmy, “Damien Hirst Has Created 10,000 Artworks That Can Be NFTs, If You Want,” Bloomberg, July 14, 2021.

[5] Joseph Samuel Nye, “Soft Power and Cultural Diplomacy” (article adapted from a speech delivered at Syracuse University Cultural Diplomacy Symposium, September 20, 2009), Cultural Diplomacy, (New York, 2006).

[6] Pedro Herrera, comment on “Dapp Industry Report: Q3 2021 Overview,” DappRadar Blog, comment posted October 1, 2021.

[7] Pedro Herrera, comment on “2021 Dapp Industry Report,” DappRadar Blog, comment posted December 17, 2021.

[8] The Ethereal Aether, “In The Aether, Pure and Ethereal. A Work of Art in The Metaverse Era,” The State Hermitage Museum.

[9] La Collection, “NFT platform certified by the British Museum,” The British Museum.

[10] The Kiss NFT Drop, “Gustav Klimt’s world-famous masterpiece is joining the metaverse,” belvedere The Kiss NFT Drop.

[11] “Beeple. Everydays: The First 5000 Days,” Christie’s.

[12] “merge”, Nifty Gateway.

[13] Ouchhh, “AI Dataportal_ Arch of Light,” Reasoned Art.

[14] “NFTism at Art Basel Miami Beach,” Zaha Hadid Architects.

[15] “The Sandbox Partners with Warner Music Group to Create Music-Themed World in the Metaverse,” Warner Music Group, January 27, 2022.

[16] Coco Feng, “Warner Music backs NFT project that aims to mint virtual superstars in the metaverse,” South China Morning Post, January 21, 2022.

[17] “Universal Music Group and Genies Announce Global Partnership to Develop Avatars and Digital Wearable NFTs for the Company’s Iconic Roster of Artists,” Universal Music Group, December 9, 2021.

[18] Tali Fraser, “UnBeliebable! Metaverse revolutions means young fans of Justin Bieber, Michael Buble, cardi B and Co can now go to live ‘gigs’ in their own bedrooms,” Daily Mail Online, February 6, 2022.

[19] World Tourism Organization and Netflix (2021), Cultural Affinity and Screen Tourism – The Case of Internet Entertainment Services, UNWTO, Madrid.

[20] David Molloy and Leo Kelion, “Fornite Movie Nite: Christopher Nolan’s hit films screen in-game,” BBC, June 26, 2020.

[21] BlockbusterDAO (@BlockbusterDAO), Twitter.

[22] Paolo Armelli, “Alessandro Baricco lancia l’NFT del suo Novecento,” Wired, January 18, 2022.

[23] Miyki Ono, “Why NFTs? – Author’s Statement about Japanese first SF novel NFT “Pure,” translated in English,” November 5, 2021.

[24] “NFTBOOKS,” NFTBooks.

[25] Richard Laycock, “NFT statistics 2021,” Finder, November 23, 2021.

[26] “SIAE Rappresenta i Diritti Degli Autori Con Asset Digitali,” SIAE, March 24, 2021.

[27] Daniele Monaco, “Anche Siae sperimenta gli Nft,” Wired, March 25, 2021.

[28] Ministry of Science and ICT, Republic of Korea.

[29] Paul Klee, Paul Klee Notebooks. The Thinking Eye, vol. 1 (London: Lund Humphries, 1961), p. 76.

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