Published on Jan 19, 2019 Updated 0 Hours ago

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का अगुवा होने के कारण अमेरिका निर्विवाद रूप से प्रभावशाली स्थिति में है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका प्रौद्योगिकी और नवाचार से जुड़े शोध कार्यों पर भारी निवेश करता है। यह एक अनोखा दाव है, जिसमें सरकार, विश्वविद्यालय और निजी क्षेत्र — तीनों पक्ष मिलकर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए शोध कार्यों में निवेश करते हैं।

अमेरिका के नीति निर्माताओं की मौजूदा चुनौतियां

अमेरिका में अनेक उम्मीदवारों द्वारा 2020 में अपनी संभावनाओं का जायजा लेने के लिए प्रेसिडेंशियल एक्सप्लोरेट्री कमिटिज बनाए जाने के साथ ही वहां समय से पहले ही चुनावी बुखार का खुमार शुरू हो जाएगा। शीत युद्ध खत्म होने के बाद से ही प्राइमरीज़ में विदेशी कूटनीति परम्परागत रूप से ज्यादा अहम नहीं रह गई है। इनका झुकाव अब घरेलू मामलों की तरफ हो चुका है और उम्मीदवारों के बीच टकराव अब समृद्धि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले संसाधनों और खर्च की मात्रा बनाम सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करने और जीवन स्तर बेहतर बनाने को लेकर होने लगा है।


दुनिया की प्रमुख महाशक्ति के रूप मेंअमेरिका की विदेश नीति और उसका प्रबल उदारवादी नजरिया लम्बे अरसे से वैश्विक समृद्धि को बढ़ावा देने वाले के तौर पर दुनिया भर में प्रचारित किया जाता रहा है। हालांकि एक बार किसी सयाने ने कहा था कि परोपकार घर की चारदीवारी से ही शुरू होता है। इसलिए अगर अमेरिका के अपने ही आंगन के ज्यादा से ज्यादा फूल कुम्हालाने लगेतो ऐसे में दुनिया भर में समृद्धि की दृष्टि से उसका महाशक्ति बने रहना मात्र विडम्बना ही होगा।


अमेरिका के दीर्घकालिक भविष्य के बारे में समृद्धि को प्रचारित करने पर सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। अमेरिका विश्व की प्रमुख महाशक्ति है और उसको स्वयं के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने, अपने पास सुदृढ़ सेना होने और स्वयं के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सम्पन्न होने पर अभिमान है, लेकिन उसके महत्वपूर्ण घटक लोकतंत्र के साझा मूल्य और आदर्श, अभिव्यक्ति की आजादी, शांति और समृद्धि हैं, जो अमेरिका के उस सपने का प्रतीक है, जो उसने इस साझा विजन को स्वीकार करने का विकल्प चुनने वाले अपने नागरिकों और अप्रवासियों के बारे में देखा है।

सुदृढ़ अर्थव्यवस्था ने अमेरिका के नागरिकों को ज्यादा खुशहाल और सुरक्षित जिंदगी जीने में समर्थ बनाया है तथा सशक्त रक्षा की बुनियाद उपलब्ध करायी है। भविष्य में, अमेरिका, अपनी ताकत के मूलभूत तत्वों को संरक्षित रख पाने पर ही सुरक्षित रह सकता है। उसके वे मूलभूत तत्व हैं — उसकी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था, नवाचार पर बल देने वाला निजी क्षेत्र, विश्व-स्तरीय बुनियादी सुविधाएं, कुशलता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने वाली सरकार तथा सुशिक्षित आबादी। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में निवेश करने पर बहुमूल्य दीर्घकालिक लाभ होंगे, जो दुनिया में अमेरिका की प्रमुख महाशक्ति की स्थिति को बनाए रखने के लिए अनिवार्य होंगे।

जहां तक अमेरिकी नीति निर्माताओं के समक्ष आ रही चिंताओं के आकलन का सवाल है, तो वे अक्सर जिन चार प्रमुख आकलनों में उलझ कर रह जाते हैं, उनमें कुशलता बनाम समानता या अल्पकालिक लक्ष्य बनाम दीर्घकालिक लक्ष्य शामिल हैं। इनके अलावा सामान्य हित बनाम विशिष्ट हित तथा सबसे आखिर में, लेकिन उतने ही अहम, सुरक्षा और स्थिरता का आश्वासन बनाम गतिशीलता और नवाचार का विकल्प।


जहां तक दीर्घकालिक बनाम अल्पावधि वाली पहेली को सुलझाने की बात है, तो सवाल यह उठता है कि क्या दीर्घकालिक लाभ कमाने के लिए थोड़ा समय कष्ट उठाना उचित है? आमतौर पर, नीति निर्माता थोड़े अरसे के तात्कालिक प्रभावों के बारे में सोच कर फैसले लेते हैं। इसकी वजह चुनाव में बहुसंख्य लोगों को खुश करना हो सकती है या फिर हो सकता है कि उनमें दीर्घकालिक फायदे देख पाने की समझदारी ही न हो।


शोध, विकास और नवाचार के विषयों पर चर्चा करने से यह बात स्पष्ट हो जाती है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का अगुवा होने के कारण अमेरिका निर्विवाद रूप से प्रभावशाली स्थिति में है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका प्रौद्योगिकी और नवाचार से जुड़े शोध कार्यों पर भारी निवेश करता है। यह एक अनोखा दाव है, जिसमें सरकार, विश्वविद्यालय और निजी क्षेत्र — तीनों पक्ष मिलकर (लाक्षणिक और वास्तविक रूप से) अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए शोध कार्यों में निवेश करते हैं।

अल्पावधि की पहेली बिल्कुल स्पष्ट है — वर्तमान में ऐसे शोध कार्यों और प्रौद्योगिकी के लिए इतनी ज्यादा रकम क्यों खर्च की जाए, जो शायद महत्वपूर्ण नतीजे उपलब्ध नहीं करा सके? क्या यह रकम प्रत्यक्ष तौर पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ पहुंचाने वाली सामाजिक सुरक्षा और मेडिकेयर जैसी समाज कल्याण योजनाओं को आवंटित नहीं की जा सकती?

इसी बात से दूसरी पहेली — सुरक्षा और स्थि​रता बनाम गति​शीलता और नवाचार को बल मिलता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारी निवेश ने अमेरिका को भूराजनीतिक परिदृश्य में अपनी प्रभुत्व सम्पन्न स्थिति बनाने में समर्थ बनाया है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और नासा में निवेश ने न सिर्फ पहले मानव को चांद पर भेजने में मदद की है, बल्कि इसके भूराजनीतिक प्रभावों में देखा गया कि अमेरिकियों ने अंतरिक्ष की दौड़ में सोवियत लोगों को पछाड़ दिया। सिलिकॉन वैली एक गतिशील स्थान है, जो दुनिया में सबसे आखिर में सूर्योदय देखने वालों में से है, लेकिन यह उन पहले स्थानों में से है, जहां नए-नए आविष्कार जन्म लेते हैं। यहां सब जगह प्रौद्योगिकी है और यह ऐसी जगह है, जो नवाचार का प्रतीक है। सिलिकॉन वैली ने कैलीफोर्निया को दुनिया की पांचवीं विशाल अ​र्थव्यवस्था बनने में मदद की है और देश के खजाने में योगदान दिया है।


नीति निर्माताओं के बीच सामान्य हित बनाम विशिष्ट हित को लेकर भी टकराव है। अच्छी गुणवत्ता वाली प्राथमिकमाध्यमिक और उच्च शिक्षा में निवेश किए बिना प्रौद्योगिकी और नवाचार संभव नहीं हो पाता।


शिक्षा को लेकर हो रहे मौजूदा विचार-विमर्श ने इस दृष्टिकोण को आलोकित किया है कि भावी पीढ़ियों को विविध वैश्विक चुनौतियों से भरे अस्थायी विश्व का सामना करने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। किफायती दामों पर उपलब्ध अच्छी गुणवत्ता वाली सार्वजनिक शिक्षा बड़े पैमाने पर सामान्य हित के लिए काम करती है। हालांकि जितने ज्यादा लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिलेगी, विशिष्ट हित वाले समूहों को अभूतपूर्व अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) का अनुसरण करने के लिए एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) करियर्स में उतने ही ज्यादा इंजीनियर,वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ हासिल होंगे।

प्रभुत्वशाली आर्थिक महाशक्ति होने की सबसे महत्वपूर्ण स्थिति गंवाने के कथित खतरे के बावजूद, उच्च कोटि की शोध और शिक्षा सुविधाओं की संख्या की दृष्टि से अमेरिका अब भी विश्व में सबसे आगे है। यही बात दुनियाभर की असाधारण प्रतिभाओं को आकर्षित करती है, जो अमेरिकी सपने का हिस्सा बनना स्वीकार करते हैं।

शिक्षा के माध्यम से अगली पीढ़ी में निवेश करने का केवल सामाजिक ही नहीं, बल्कि असाधारण आर्थिक महत्व भी है और यह दीर्घकालिक राष्ट्रीय शक्ति बरकरार रखने का महत्वपूर्ण घटक भी है।

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