Published on Oct 27, 2020 Updated 0 Hours ago

‘म्यूट बटन’ शामिल किए जाने की छोटी सी तकनीकी पहल ने, अंतिम बहस में दर्शकों के लिए एक बड़ा बदलाव चिह्नित किया. ट्रंप द्वारा "अनुचित" करार दिए जाने के बावजूद इसने एक सुसंगत और तीखी बहस को जन्म दिया, क्योंकि लोगों द्वारा इसे इस्तेमाल किए जाने के दौरान, ट्रंप के पास, शांत प्रभाव से रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

ट्रंप और जो बाइडेन की अंतिम चुनावी बहस की पांच मुख्य बातें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप “कोविड, कोविड और कोविड” के बारे में सुनकर थक गए हैं,  लेकिन कोविड-19 की महामारी ने अभी तक अमेरिका को नहीं छोड़ा है. दूसरी ओर राष्ट्रपति पद की अंतिम बहस भी अब हो चुकी है और अब तक 46 मिलियन से अधिक अमेरिकी नागरिकों ने मतदान किया है. लेकिन इस सब के बीच  222,000 अमेरिकी नागरिक अब तक कोरोनावायरस से मर चुके हैं, और महामारी ने किसी भी रूप में ट्रंप प्रशासन को चैन की सांस लेने का मौका नहीं दिया है.

वह 28 जनवरी, 2020 की दोपहर थी, जब एक शीर्ष स्तरीय गुप्त ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने राष्ट्रपति को बताया कि कोरोनावायरस उनके राष्ट्रपति काल का “सबसे बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी ख़तरा होगा.” ट्रंप ने जिस दिन वायरस के बारे में सुना, उसी दिन से वह उसके ज़िक्र को लेकर उकताने लगे थे. वह जानते थे कि यह “घातक” है, और इस बात को उन्होंने लंबे समय तक अमेरिकियों से एक रहस्य की तरह रखा. हालांकि अब, हम सब जानते हैं कि अमेरिका में क्या हालात हैं. दुनिया का सबसे धनी राष्ट्र, दुनिया भर में कोरोनावायरस से हुई सबसे अधिक मौतों का दंश झेल रहा है, और संघीय  स्तर पर इस महामारी को लेकर अमेरिका की प्रतिक्रिया बेहद नाकाफ़ी और अराजक रही है. दौड़ के अंतिम चरण में भी ट्रंप उसी शैली और उसी अंदाज़ में काम कर रहे हैं, जब वो अपने सबसे उत्साही समर्थकों के साथ एक बुलबुले में क़ैद हैं जहां- वैज्ञानिक “बेवकूफ़” हैं.

डोनाल्ड ट्रंप साल 2016  से अब तक के अपने सबसे लोकप्रिय और जग ज़ाहिर दांव खेल रहे हैं. गैसलाइटिंग यानी अपने विरोधियों की सही बातों को भी गलत कहकर उन्हें नकारना, व्यक्तिगत हमले करना, गलत और संदिग्ध स्रोतों से मिली जानकारियों को लगातार दोहराना और इसके ज़रिए सोशल मीडिया में वायरल होकर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाना, उनकी पुरानी रणनीति रही है. 

राष्ट्रपति पद की बहस के अंतिम दौर में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के पास अपने मतदाताओं के सामने अपनी बात रखने और उन्हें अपनी ओर खींचने का आखिरी मौका था. इस बहस में सामने आई पांच मुख्य बातें निम्न हैं:

पहली बात यह कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साल 2016  से अब तक के अपने सबसे लोकप्रिय और जग ज़ाहिर दांव खेल रहे हैं. गैसलाइटिंग यानी अपने विरोधियों की सही बातों को भी गलत कहकर उन्हें नकारना, व्यक्तिगत हमले करना, गलत और संदिग्ध स्रोतों से मिली जानकारियों को लगातार दोहराना और इसके ज़रिए सोशल मीडिया में वायरल होकर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाना, उनकी पुरानी रणनीति रही है. यह कम कीमत पर लोगों को अपनी सोच में ढालने का मौका देता है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का तर्क और उसके बहाने कोई भी बात कहना ट्रंप के चुनावी अभियान का केंद्र रहा है. यदि हम अल्पविकसित तथ्यों की जाँच से परे जाते हैं, और अमेरिका में फैलते संक्रमण को लेकर ट्रंप के दावों और चुनावी आंकड़ों को देखते हैं तो, यह समझ में आता है कि अमेरिका की राजनीति क्या रूप ले रही है. यह बताता है कि ट्रंप अमेरिकी नागरिकों और अपने समर्थकों से सिर्फ एक बात चाहते हैं कि वो अपने अविश्वास को निलंबित कर दें. यही वजह है कि अपने इस तर्क को दोहराते हुए, पेन्सिलवेनिया में मतदाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, “प्लेग आने से पहले, मैं अपनी जीत दर्ज कर चुका था”. ध्यान रहे कि ट्रंप को अपने लिए, एक दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने के लिए, पेन्सिलवेनिया को जीतना आवश्यक है.

दूसरी बात यह कि ट्रंप ने 220,000 से अधिक संख्या में हुई अमेरिकियों की मौत के लिए ज़िम्मेदार कोविड-19 की महामारी से निपटने के लिए, ख़ुद को लगातार बधाई दी है. हालांकि, यह भी सच है कि उनकी यह रणनीति काम नहीं कर रही है. ट्रंप ने दावा करते हुए कहा कि “हम महामारी के अंतिम दौर में हैं, और जल्द ही हम इस पर काबू पा लेंगे.” देश में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच भी वो लगातार यह कह रहे हैं कि “यह बीमारी अब दूर जा रही है.” इस बीच, उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन, जिन्होंने कोरोनोवायरस से निपटने की ट्रंप प्रशासन की रणनीति और ट्रंप की प्रतिक्रियाओं को अपने चुनावी अभियान का केंद्र बनाया है, ने अंतिम बहस के दौरान, एक यादगार पलटवार किया, जब ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी लोग अब “इस बीमारी के साथ रहना सीख रहे हैं,” तो बाइडेन ने कहा कि, “असल में लोग इसके साथ मरना सीख रहे हैं.” बाइडेन अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि, “अमेरिका में लोगों की मौत होने का मतलब है कि ट्रंप को सत्ता से बाहर जाना चाहिए.

जब ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी लोग अब “इस बीमारी के साथ रहना सीख रहे हैं,” तो बाइडेन ने कहा कि, “असल में लोग इसके साथ मरना सीख रहे हैं.” बाइडेन अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि, “अमेरिका में लोगों की मौत होने का मतलब है कि ट्रंप को सत्ता से बाहर जाना चाहिए.” 

तीसरी बात यह है कि जलवायु परिवर्तन को पिछले 20 वर्षों में पहली बार, राष्ट्रपति पद की बहस में पूरे 15 मिनट का समय मिला. ट्रंप ने पिछली कई पीढ़ियों में पहली बार, देश की हवा और पानी के सबसे स्वच्छ होने का श्रेय लिया और दावा किया कि वह अमेरिकी नौकरियों को बचा रहे हैं. वहीं, बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान को लेकर लोगों को चेताया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को अब स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नौकरियों के बारे में सोचना होगा और तेल उद्योग से परे अर्थव्यवस्था के लिए नए अवसर खोजने होंगे. बाइडेन अमेरिका को साल 2050  तक शून्य ग्रीनहाउस उत्सर्जन के लिए तैयार करने की बात कह रहे हैं, और उन्होंने लगातार, तेल और गैस कंपनियों को मिलने वाली संघीय सब्सिडी को ख़त्म करने की बात कही है. ट्रंप ने इस मौके को अपने लिए एक अवसर के रूप में देखते हुए कहा कि इस रणनीति की एक राजनीतिक कीमत होगी, और इसके लिए तेल उत्पादक राज्यों को भुगतना पड़ेगा क्योंकि वहां नौकरियां दांव पर होंगी.

चौथी यह कि  ‘म्यूट बटन’ शामिल किए जाने की छोटी सी तकनीकी पहल ने, अंतिम बहस में दर्शकों के लिए एक बड़ा बदलाव चिह्नित किया. ट्रंप द्वारा “अनुचित” करार दिए जाने के बावजूद इसने एक सुसंगत और तीखी बहस को जन्म दिया, क्योंकि लोगों द्वारा इसे इस्तेमाल किए जाने के दौरान, ट्रंप के पास, शांत प्रभाव से रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

ट्रंप यदि पेन्सिलवेनिया को जीत जाते हैं, तो वह खेल में बने रहेंगे. इस बीच 29  इलेक्टोरल- कॉलेज वोटों के साथ फ्लोरिडा में होने वाली चुनावी टक्कर हमेशा की तरह कांटे की टक्कर रहेगी. लगभग सभी अमेरिकी चुनावों में, हर राष्ट्रपति पद के विजेता को फ्लोरिडा में जीत ज़रूर मिली है.

अंतिम बात, चुनावी आंकड़ों और रुझानों से जुड़ी है. ग्यारह दिन के भीतर, चुनावी युद्ध का मैदान माने जाने वाले दो राज्यों: फ्लोरिडा और पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रंप अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं. फ्लोरिडा के बिना, ट्रंप के लिए दोबारा व्हाइट हाउस को जीतने की गुंजाईश, 100  में से एक के बराबर ही रह जाएगी. साल 2016  में उन्होंने जिन तीन राज्यों में जीत हासिल की थी, उनमें से कम से कम एक राज्य में उन्हें फिर से जीत हासिल करनी होगी, यानी: पेन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सिन या मिशिगन. चुनावी आंकड़ों का परिमार्जन करने वाले विश्लेषकों के मुताबिक, फाइवथर्टीएट  के पास चुनावों का रुख मोड़ने और उसके नतीजे तय करने का मौका होगा. ट्रंप यदि पेन्सिलवेनिया को जीत जाते हैं, तो वह खेल में बने रहेंगे. इस बीच 29  इलेक्टोरल- कॉलेज वोटों के साथ फ्लोरिडा में होने वाली चुनावी टक्कर हमेशा की तरह कांटे की टक्कर रहेगी. लगभग सभी अमेरिकी चुनावों में, हर राष्ट्रपति पद के विजेता को फ्लोरिडा में जीत ज़रूर मिली है. साल 2000  में,  रिपब्लिकन पार्टी के नेता, जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अपने प्रतिद्वंद्वी अल गोर को 537 वोटों से हराकर ज़ोरदार वापसी की थी, जब फ्लोरिडा में एक बार फिर मतों की गणना की गई थी. चुनावी नतीजों के लिए युद्ध का मैदान माने जाने वाले उन छह राज्यों के बीच,  जो जीत को लेकर बारीक फ़र्क पैदा कर सकते हैं, जो बाइडेन लगातार ट्रंप के ख़िलाफ़ 4 अंकों की औसत बढ़त बनाए हुए हैं.

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