Advertisement hoardings in Indian Cities: भारत के शहरों में विज्ञापनों की होर्डिंग
विज्ञापन होर्डिंग (Advertisement hoarding), सार्वजनिक स्थलों पर ब्रांड प्रमोशन के उद्देश्य से बनाया गए विभिन्न आकार, साइज़ और प्रकार का बनाया गया एक बाहरी डिसप्ले है. ये आमतौर पर ऐसे स्थलों को लक्ष्य बनाते हैं जहां, भारी ट्रैफिक शोर-शराबा, उच्च दृश्यता (High Visibility), और घना आवागमन/चहलकदमी होती हैं. किसी ब्रांड (Brand) के प्रचार में ये होर्डिंग्स (hoarding) काफी प्रभावशाली होते हैं, जहां वे सीधे सीधे जनता से संवाद करते हैं और अपनी खुद की एक पहचान बना पाते हैं. इन वजहों से, इनकी काफी मांग रहती है.
शहरों में, इन होर्डिंग्स के निर्माण को विनियमित करने की ज़िम्मेदारी स्थानीय शहरी निकायों(यूएलबी) के अधीन रहती हैं. ज्य़ादातर नगरपालिका नियमों के अंतर्गत ही ऐसे मुद्दों से निपटतेहैं. उदाहरण के लिए, मुंबई महानगरपालिका कॉरोपोरेशन एक्ट, 1888, की धारा 328 और328A, आकाशीय चिन्हों (sky sign) और प्रचारों को निर्देशित करती हैं. कोई भी स्काई साइन, को म्युनिसिपल कमिश्नर के लिखित आदेश के बगैर स्थापित नहीं किया जा सकता है. इसके आगे, इन प्रचारों को शालीनता और नैतिकता की परीक्षा भी पास करनी होती हैं. इन स्काई साइन के प्रदर्शन की एक पूर्व-निर्धारित समय सीमा भी होती है, जिसे वापस रेन्यु भी किया जा सकता है, या फिर, अगर उसका रेन्यु नहीं हो पाता है तो फिर प्रचारक को उसे हटाना पड़ता है.
किसी ब्रांड (Brand) के प्रचार में ये होर्डिंग्स (hoarding) काफी प्रभावशाली होते हैं, जहां वे सीधे सीधे जनता से संवाद करते हैं और अपनी खुद की एक पहचान बना पाते हैं. इन वजहों से, इनकी काफी मांग रहती है.
इन होर्डिंगों को लगाने संबंधी अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया का उल्लेख नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत लागू किए गए नियम/उप-नियम में किया गया है. इसमें उल्लेखित किराये, होर्डिंग के साइज़, और वो शर्तें जिसके आधार पर इन होर्डिंग के प्रचार की अनुमति दी जाएगी,
वो स्थान अथवा स्थल जहां उन्हें स्थापित किया जाए और नियमों की अवहेलना की स्थिति में आर्थिक दंड का समुचित प्रावधान किये गए हैं. किसी भी प्रकार के होर्डिंग स्थापित करने की अनुमति संबंधी आवेदन को इन होर्डिंग को लगाने के स्थान, स्ट्रक्चरल इंजीनियर द्वारा सत्यापित
होर्डिंग की डिज़ाइन और ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी की गई नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट आदि समेत एक साइट प्लान जमा करना पड़ता है. प्रबुद्ध या इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन की चमक, राह चलते राहगीरों एवं वाहन चालकों की दृष्टि को बाधित अथवा भ्रमित न कर दें, उन्हें इसका भी काफी ध्यान रखना पड़ता है.
सरकारी गाइडलाइन
कई शहरों में, नगरपालिका निकाय और प्रचारकों दोनों के लिये होर्डिंग लगाने संबंधी विस्तृत पॉलिसी गाइड्लाइन अलग से तय कर के रखी गई हैं. उदाहरण के लिए, पिंपरी चिंचवाड म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के बाह्य प्रचार पॉलिसी 2018, में, बाहरी अथवा आउटडोर प्रचार के
प्रकार का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि सड़क सुरक्षा एवं शहरी सौंदर्यशास्त्र के दृष्टिकोण से इन होर्डिंग्स को सुनिश्चित किया जाएगा. यह दृश्यों की अव्यवस्था या कोलाहल को बढ़ावा नहीं देता है, और कभी नहीं चाहता है कि ये प्रचार शहर के सुंदर शहरी सरंचना की महत्ता, और उसकी वास्तुकला को कम होने दे. बेंगलुरू में, नए प्रचार नियम के अंतर्गत, बिलबोर्ड आदि के निर्माण को 82 फुट तक और सड़क पर उसके साइज़ को 60*30 स्कैवर फीट, 30 मीटर चौड़ाई तक की अनुमति प्रदान की जाती है, होर्डिंग 59 फुट या फिर 18 मीटर ऊंची हो सकती है. हालांकि, चंद एक शहरी सड़कों पर किसी भी प्रकार के प्रचार होर्डिंग्स वर्जित होते हैं.
होर्डिंग्स से संबंधित कई प्रकार की परेशानियाँ हो सकती हैं. सबसे पहले तो, शहरी सुंदरता के लिए वे खराब भी साबित हो सकते हैं. अगर किसी पेड़ या किसी इमारत के समक्ष इन होर्डिंगों को खड़ा कर दिया गया है तो, इससे उस क्षेत्र की विकृत्ति बढ़ जाएगी. अगर स्थापित किये जाने के वक्त उनपर प्रचुर ध्यान नहीं दिया गया हो तो वे दुर्घटनाओं को भी आमंत्रित कर सकते हैं.
होर्डिंग्स से संबंधित कई प्रकार की परेशानियाँ हो सकती हैं. सबसे पहले तो, शहरी सुंदरता के लिए वे खराब भी साबित हो सकते हैं. अगर किसी पेड़ या किसी इमारत के समक्ष इन होर्डिंगों को खड़ा कर दिया गया है तो, इससे उस क्षेत्र की विकृत्ति बढ़ जाएगी. अगर स्थापित किये जाने के वक्त उनपर प्रचुर ध्यान नहीं दिया गया हो तो वे दुर्घटनाओं को भी आमंत्रित कर सकते हैं. उदाहरण के लिए,2018 को पुणे में, एक लोहे या किसी अन्य मेटल के होर्डिंग फ्रेम के गिर जाने की वजह से, चार लोगों की मृत्यु हो गई थी. इसके अलावा, ये यातायात सिग्नल अथवा
यातायात के आवागमन को भी बाधित कर सकते हैं. अनियंत्रित तौर पर लगाये गये होर्डिंग की वजह से एक समूचे क्षेत्र में सुंदरता नष्ट हो सकती है जो देखने में काफी अप्रिय और बदसूरत लग सकता है. इसलिए, शहरों को ज़रूरत है कि उन्हें होर्डिंग्स कहाँ-कहाँ लगाना है अथवा नहीं लगाना है, इससे संबंधित एक ब्योरेवार सर्वे करायें. दक्ष लोगों के समूह का गठन करें जो ऐसे मुद्दे जैसे उचित जगह, आकार, प्रारूप, भाषा, चमक और वांछनीयता संबंधी सही सलाह देते रहें. इनसे प्राप्त सलाह के आधार पर ही वे आदेश देअथवा नहीं दे सकते हैं. वे इमारतें जो विज्ञापनों के चेहरे के रूप में दिखने की मंशा रखते हैं, उन्हें अपने निर्माण के वक्त ही ऐसे जगहों को डिज़ाइन करना चाहिए, जो किसी भी प्रकार से विकृति/बदसूरती की पैरवी न करे. मुंबई में, मुंबई विरासत संरक्षण समिति (MHCC) ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों के तहत ही विरासत भवनों के खुले क्षेत्रों में और विरासती परिसरों में होर्डिंग्स और प्रचार के प्रदर्शन को निर्देशित किया है. इन दिशा-निर्देशों की सामान्य अवधि उन्हें ऐसे विरासत संबंधी क्षेत्रों में डिसप्ले की अनुमति देती या फिर नहीं देती हैं. ‘ए’ श्रेणी के अंतर्गत, किसी भी हेरिटेज ढांचे के भीतर होर्डिंग डिसप्ले की अनुमति नहीं होती है. अन्य ऐतिहासिक ढांचों संबंधी कंट्रोल क्रमशः कम सख़्त होते हैं. फिर भी, इस मसले पर काफी एहतियात बरते जाने की ज़रूरत हैं.
हालांकि, शहर के सड़कों पर इन होर्डिंग्स की अनधिकृत निर्माण से घिरे होना भी एक काफी बड़ी परेशानी का सबब हैं. ये सिर्फ़ एक शहर में होने वाली घटना नहीं हैं परंतु ये चेन्नई, बेंगलुरू,मुंबई, पुणे, हैदराबाद, इंदौर और कई अन्य शहरों ने भी यही अनुभव किया है. कोई एक ऐसा
शहर ढूंढ पाना मुश्किल होगा, जिसने ऐसे अनाधिकृत होर्डिंग्स का सामना न किया हो. इनमें से ज्य़ादातर को स्थानीय राजनीतिज्ञों का संरक्षण प्राप्त होता हैं. इन आकाशीय चिन्हों परज्य़ादातर राजनैतिक हस्तियों के जन्मदिवस की बधाई, प्रमुख राजनीतिक नेताओं के आगमन
संबंधी स्वागत प्रचार और धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व-त्योहार के उपलक्ष्य में, स्थानीय राजनीतिक पदाधिकारियों द्वारा किसी शहर, शहर के सड़क, रोड डिवाइडर, फुटपाथ और पेड़ों को राजनैतिक संदेशों एवं दिए जाने वाली शुभकामनाओं से पाट दिया जाता है.
वर्ष 2022 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने नगरपालिका और काउंसिल समेत राज्य सरकार एवं सभी शहरी निकायों को, अवैध बैनर, होर्डिंग, पोस्टर्स, तोरण और प्रचार सामग्री आदि को हटाए जाने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का आदेश सुनाया है. कोर्ट ने अधिकारियों को अवैध होर्डिंग और वैध होर्डिंगों से अर्जित राजस्व की सूची मांगी हैं.
अदालत तक पहुंची बात
गुस्साये हुए नागरिक इस मुद्दे को न्यायालय तक ले गए हैं जिन्होंने इन अवैध होर्डिंग्स की सुरक्षा एवं हटाये जाने का निर्णय पारित किया था. सन 2017 के अपने निर्णय में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस बात को माना कि जब-जब इन अवैध आकाशीय चिन्हों और गलत करने वालों के खिलाफ़ कार्यवाही करने और क्रिमिनल कानून लागू करने की बारी आती है, तब, इनके पक्ष में राजनीतिक धड़ों की दखलंदाज़ी की वजह से नगरपालिका के अधिकारियों और पुलिस के लिए इन गलत करने वाले के खिलाफ़ कार्यवाही करने में काफी दिक्कतें उत्पन्न होती हैं. इसके बावजूद, हाईकोर्ट चाहती थी कि इन अवैध होर्डिंग, बैनर, तोरण और अन्य प्रकार के आकाशीय चिन्हों की वजह से बढ़ रही शहर की बदसूरती पर रोक लगायी जाये. वर्ष 2022 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने नगरपालिका और काउंसिल समेत राज्य सरकार एवं सभी शहरी निकायों को, अवैध बैनर, होर्डिंग, पोस्टर्स, तोरण और प्रचार सामग्री आदि को हटाए जाने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का आदेश सुनाया है. कोर्ट ने अधिकारियों को अवैध होर्डिंग और वैध होर्डिंगों से अर्जित राजस्व की सूची मांगी हैं. उसी प्रकार से, अक्टूबर 2021 में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करने को कहा है कि राजनीतिक गतिविधियों और नेताओं द्वारा जनता के समक्ष किसी भी प्रकार के डिसप्ले या अवैध प्रचार/होर्डिंग का प्रदर्शनवर्जित किया जाये. कोर्ट ने ऐसे ही ऑर्डर अन्य राज्यों में भी पास किये हैं.
बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका (BBMP) की नई प्रचार नीति में, शहर के गैर-निर्देशित क्षेत्रों में होर्डिंग, बैनर या वॉल पेंटिंग के किसी भी प्रकार के प्रदर्शन के लिए जेल की सज़ा के रूप में, दंड का प्रावधान किया गया है. उसी तरह से, दिल्ली में, पर्यावरण प्रदूषण अथॉरिटी (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) (ईपीसीए) नें एक नई नीति पेश की है जिसमें ऐसे किसी भी प्रचार के ऊपर बैन अथवा प्रतिबंध का प्रावधान होगा जो अश्लीलता, जातिवाद, नस्लीय टिप्पणी, ड्रग्स, जानवरों के प्रति क्रूरता या किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रचार प्रसार करता हो. बिल्कुल ऐसे ही प्रतिबंध नेशनल पार्क, ऐतिहासिक स्थलों, विश्व के ऐतिहासिक विरासतों, और धार्मिक स्थलों में लगाए जाने वाले प्रचारों पर भी लागू किये गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस नई पॉलिसी को पारित कर दिया और इस पर त्वरित परिपालन के निर्देश भी दिए हैं. इन होर्डिंग द्वारा की जाने वाली प्रचार को नागरिकों की चुनौती प्राप्त होती ही रहेंगी, और न्यायालय ने इस मुद्दे को काफी गम्भीरतापूर्वक अपने संज्ञान में लिया भी है. इसलिए नगरपालिका प्रशासन को मानव सुरक्षा को खतरे में डालने वाली या शहर के सड़कों पर अव्यवस्था बढ़ाने के लिये ज़िम्मेदार इस अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ़ निर्णायक कदम लेने ही पड़ेंगे. राजनीतिक दलों से अपेक्षा की जाती है कि वे जनता की राय और न्यायालय की नाराज़गी का संज्ञान लें और अपने कैडर को निर्देशित करें कि वे अनुशासन में रहते हुए, होर्डिंग स्थापित करने से पहले सारे नियम-कायदों का पालन करते हुए ही होर्डिंग लगाने का काम करें.
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