अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 का थीम 'महिलाओं में निवेशः प्रगति में तेज़ी' है. जैसा कि हम देख रहे हैं कि हमारी दुनिया महामारी, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष से उत्पन्न कई संकटों से जूझ रही है, महिलाओं में निवेश करना अब सिर्फ़ एक विकल्प नहीं रह गया है. यह एक बेहतर और न्यायपूर्ण, टिकाऊ व समान दुनिया की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण कदम है.
भारत के लिए, महिलाओं या महिला संसाधन में निवेश करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा करके हम लैंगिक या जेंडर के आधार पर मिलने वाले फायदे का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो देश की डेमोग्राफिक यानी कि जनसांख्यिकीय लाभांश से से जुड़ा हुआ है. हम महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में निवेश करके, उनको मिलने वाले कौशल और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाकर और वित्त या फाइनेंस तक उनकी पहुंच को बढ़ाकर जेंडर डिविडेंड पा सकते हैं.
14 निबंधों का यह संग्रह इस बात की पड़ताल करता है कि महिलाओं के प्रति समावेशी नज़रिया अपना कर या उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल करके जनसांख्यिकीय लाभांश या डेमोग्राफिक डिविडेंड को कैसे अनलॉक कर सकते हैं और एजेंडा 2030 को आगे बढ़ाने के लिए लैंगिक समानता पर आधारित एसडीजी 5 को कैसे प्राथमिकता दिया जाना चाहिये.
यह भारत में अर्थव्यवस्था और श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी और लैंगिक समानता पाने में वित्तीय समावेशन की भूमिका के आसपास के ज़रूरी मुद्दों की जांच करता है. यह जलवायु और भोजन असुरक्षा के मसले पर महिलाओं की दुर्बलता और जलवायु कार्रवाई और जलवायु फाइनेंसिंग की मदद से उनमें लचीलापन लाने के विकल्पों की जांच करता है.
यह लैंगिक विभाजन को पाटने में प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका के साथ-साथ महिलाओं के लिए सुरक्षित साइबर-स्पेस बनाने के महत्व को भी रेखांकित करता है. यह संकलन महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सहायक नीति निर्माण की भूमिका को भी देखता है, जिसमें लिंग और आयु के दोहरे भेदभाव का सामना करने वाली महिलाएं भी शामिल हैं.
इस संग्रह में शामिल एक निबंध इस बात की जांच करता है कि क्या महिलाओं को अपनी राजनीतिक एजेंसी विकसित करने और राजनीति में पूरी तरह से भाग लेने में साथ देने के लिए लोकतंत्र ही सबसे अच्छा साधन है? एक अन्य निबंध में संघर्ष की रोकथाम और समाधान में महिलाओं की भूमिका और हिंद-प्रशांत के क्षेत्र में शांति के लिए जेंडर के स्तर पर समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की आवश्यकता की जांच की गई है.
एक अन्य महत्वपूर्ण निबंध भारत में पुरुषों के जेंडर दृष्टिकोण पर केंद्रित है जिसमें पुरुषों के लैंगिक मानदंडों और दृष्टिकोण के बदलते परिदृश्य पर रौशनी डालने की कोशिश की गयी है. ऐसा करते हुए ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि इस प्रयास में लड़कों और पुरुषों को सहयोगी के रूप में शामिल करने का क्या महत्व है. कुल मिलाकर ये निबंध मौजूदा समय के ज़रूरी सवालों को पूछने का काम करते हैं, उन पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, और चिपचिपे सामाजिक मानदंडों को बदलने और महिलाओं में निवेश करने के लिए बेहतर नियम कायदों पर रौशनी डालने का काम करते हैं ताकि वे कामयाब हो सकें.
संकलन - सुनैना कुमार