Published on Nov 21, 2024 Commentaries 6 Days ago

भारत के लिए, राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की वापसी भारत – अमेरिकी संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत साबित हो सकती है.

टीम ट्रंप: इस पागलपन का भी एक तरीका है!

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हाल ही अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव ने सारी उम्मीदों को धता बताते हुए, काफी ऐसे अप्रत्याशित नतीजे दिए है जो कि अमेरिका के भविष्य की राजनीति को बिल्कुल ही अलग आकार देने का काम करेंगे. अमेरिकी इतिहास में ये संयोग मात्र दूसरी बार ही घटा है जब, किसी राष्ट्रपति ने लगातार एक के बाद  एक दूसरे कार्यकाल में जीत हासिल नहीं की है. हालांकि, इस विवादास्पद बदलाव की ‘संभावित भविष्यवाणी’ के बावजूद, राष्ट्रपति बाइडेन के हाथों से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया काफी सहज एवं सरल रही है.

अमेरिकी इतिहास में ये संयोग मात्र दूसरी बार ही घटा है जब, किसी राष्ट्रपति ने लगातार एक के बाद  एक दूसरे कार्यकाल में जीत हासिल नहीं की है. 

इस चुनाव ने ट्रंप को राष्ट्रपति दफ़्तर में पुनः वापस लाने से कहीं ज्य़ादा काम किया है; इसने साथ ही  साथ रिपब्लिकन पार्टी को कांग्रेस के दोनों ही सदनों में पूर्ण नियंत्रण दिया है,  जिसके साथ ही, इस पार्टी की विधायी शाखाओं यानी एक्ज़िक्यूटिव व लेजिसलेटिव में नियंत्रण का “त्रिकोण” पूरा हो गया. इस पूर्ण बहुमत के साथ ही, ट्रंप ने कुछ मायनों में अपनी कट्टरपंथी नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता को मज़बूती देने की दिशा में काम करते हुए अपने मंत्रिमंडल के गठन के लिए काफी तेज़ी से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. उनके मंत्रिमंडल का चुनाव करने की प्रक्रिया ने उनके तय आधार को आश्वस्त ही किया है एवं डेमोक्रेट और यहां तक कि कुछ रिपब्लिकन के बीच भी नए विवाद को जन्म दिया है. 

एक जटिल मिश्रण 

ट्रंप द्वारा नामांकित किए गए कैबिनेट सदस्यों के नामों ने कई लोगों को चौंकाया है, जो कि राजनीतिक निष्ठा एवं अपरंपरागत व्यक्तियों के मिश्रण के साथ, यथास्थिति को बदलने के उनके इरादे को ठीक-ठीक दर्शाने का काम कर रहा है. उनके द्वारा चुने गये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सीनेटर मार्को रुबीओ, एवं कांग्रेसी  माइकल वाल्टज़् को आशावाद के नज़रिये से देखा गया है. जबकि, बाकी अन्य नामों ने चिंता को जन्म दिया है. उदाहरण के लिए , ट्रंप के पसंद के तौर पर, रक्षा सचिव के रूप में पीट हेग्सेथ का चुनाव, सेना की भूमिका, फंडिंग एवं संरचना के रूढ़िवादी पुनर्मूल्यांकन के संकेत के तौर पर देखा गया है. अपने आक्रामक विचारों के लिए मशहूर हेग्सेथ से अपेक्षा की जाती है कि वे कम परंतु अधिक लक्ष्यों वाली सैन्य दृष्टिकोण पर विशेष ज़ोर देंगे, जिससे संभवतः लंबे समय से चली आ रही अंतरराष्ट्रीय तैनाती को खत्म कर, देश की संसाधनों की घर वापसी सुनिश्चित हो सके. 

ट्रंप का एक और विवादास्पद निर्णय तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के तौर पर नियुक्त किया जाना है. अपने हस्तक्षेप विरोधी रुख़ के लिए जाने-जाने वाली, पूर्व डेमोक्रेटिक सांसद गबार्ड, पहले से ही विदेशों में अमेरिकी सैन्य कार्यवाहियों के प्रति उनके द्वारा की जाने वाली आलोचनाओं एवं सीरिया के बशर अल-असद जैसे विरोधियों के प्रति उनकी अपेक्षाकृत कूटनीतिक विचारों की वजह से पहले से ही जांच के घेरे में है. विदेशी हस्तक्षेपों के प्रति  उनके रुख़ को दोनों तरफ से विरोध झेलना पड़ सकता है. 

क्यों कुछ नामों ने लोगों की भौहें  चढ़ा दी हैं

घरेलू नीति भूमिकाओं के प्रति ट्रंप  के चुनाव ने और भी तीव्र एवं तीखी प्रतिक्रिया को हवा दे दी है. अटॉर्नी जनरल  के रूप में, उनके द्वारा चुने गये मैट गेट्ज़  और स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव के तौर पर चुने गए रॉबर्ट एफ. कैनेडी, के चुनाव ने, समूचे राजनीतिक गलियारे में चिंता का विषय बना रखा है. गेट्ज़, जो अपने ऊपर चल रहे विभिन्न कानूनी मुद्दों के साथ ही विवादास्पद व्यक्ति के तौर पर जाने जाते है, को तमाम आलोचक, न्यायपालिका का नेतृत्व करने के लिए अत्यंत ही ध्रुवीकृत करने वाला विकल्प मानते हैं. उसी तरह से, टीकाकरण के विरोध में मुखर रहे कैनेडी का राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की देखरेख करने वाले विभाग का नेतृत्व करने के लिए किया गया उनका चुनाव, कहीं न कहीं  ढेरों सवाल खड़े करता है.   

ट्रंप द्वारा हाई प्रोफाइल उद्यमी विवेक रामासामी और एलन मस्क के नेतृत्व में सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) की स्थापना को उत्साह एवं संदेह के मिले-जुले भाव के साथ देखा जा रहा है.

ट्रंप द्वारा हाई प्रोफाइल उद्यमी विवेक रामासामी और एलन मस्क के नेतृत्व में सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) की स्थापना को उत्साह एवं संदेह के मिले-जुले भाव के साथ देखा जा रहा है. एक तरफ जहां सरकारी कामों को व्यवस्थित करने एवं नौकरशाही को कम करने की अवधारणा कई लोगों को आकर्षित कर रही है, वहीं इस प्रकार के पहल कितने व्यावहारिक होंगे इसके लेकर अनिश्चितत बनी हुई है. DOGE की भूमिका का उद्देश्य विशुद्ध रूप से डोमेस्टिक या घरेलू है, जो राज्य विभागों और पेंटागन जैसी एजेंसियों में अक्षमताओं को केंद्र में रख रही है, जिनकी सुस्त संचालन की वजह से लगातार आलोचना होती रही है. इसके बावजूद, कुछ लोगों को इस बात का भी डर है कि भारी कटौती एवं पुनर्गठन जैसी कार्यवाही से सरकारी आयोजन एवं कार्यक्रम में बाधा होने की आशंका रहेगी जिससे सुधार के बजाये अड़चनें पैदा होंगी. 

इन नियुक्तियों के किये जाने के दौरान, ऐसी अटकलें भी हवा में तेज़ी से फैल रही हैं कि ट्रंप  वफ़ादारी को योग्यता के ऊपर प्राथमिकता दे रहे है. कुछ रिपब्लिकनों ने निजी तौर पर इस बात पर अपनी चिंता व्यक्त की है कि कुछ नामांकित व्यक्तियों को पार्टी के बहुमत प्राप्त होने के बाद भी सीनेट की हामी पाने के लिये जूझना पड़ रहा है, और ऐसी स्थिति ट्रंप को परेशानी में डाल सकती है. 

फ्रिंज नियम

डेमोक्रेट्स ने अपनी ओर से, ट्रंप द्वारा चुने गये कैबिनेट की ये कहते हुए आलोचना की है कि, उनका प्रशासन उनके इस चुनाव की वजह से एकाकी हो सकता है, जिसमें  राजनीतिक रूप से हाशिये पर पड़े लोगों की भरमार हो सकती है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी छोटे, वैचारिक रूप से करीबी घेरे के साथ शासन करना, काफी खराब साउन्डिंग बोर्ड साबित हो सकता है. 

तमाम विवादों के बावजूद, रुबीओ, वॉल्ट्ज़ और हेग्सेथ के समर्थन में ट्रंप का किया गया नामांकन, एक मज़बूत विदेश नीति के माध्यम से विदेशों में अमेरिका की भूमिका को ताकतवर बनाने के स्पष्ट इरादे को व्यक्त करता है. उनका प्रशासन, अपने धुर प्रतिद्वंद्वी चीन के खिलाफ़ दृढ़तापूर्वक खड़े होने, पारंपरिक गठबंधनों को मज़बूत करने एवं नए सैन्य संघर्षों से बचने पर, अपना पूरा ध्यान केंद्रित करता हुआ नज़र आ रहा है. 

प्रधानमंत्री मोदी के साथ ट्रंप के निजी और व्यक्तिगत तालमेल की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में एक तरह की निश्चितता की सुरक्षा को और भी बढ़ाने का काम किया है. 

भारत के लिए, राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की वापसी भारत – अमेरिकी संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत साबित हो सकती है. रुबीओ और वॉल्ट्ज़ दोनों ही अमेरिका-भारत के बीच की घनिष्ठता के समर्थक रहे हैं, और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए, इस साझेदारी को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं. इन सबसे बढ़कर, प्रधानमंत्री मोदी के साथ ट्रंप के निजी और व्यक्तिगत तालमेल की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में एक तरह की निश्चितता की सुरक्षा को और भी बढ़ाने का काम किया है. 

एक तरफ जहां ट्रंप  का चुनाव, एक वफ़ादार टीम की उनकी प्रबल इच्छा को व्यक्त करती है, वही वे पारंपरिक शासन संरचनाओं को चुनौती देने एवं अमेरिका के भविष्य के लिए एक अलग ही दृष्टिकोण अपनाने के उनके इरादे को को भी ताकत देने का काम करती है. 


यह लेख मूल रूप से NDTV में प्रकाशित हो चुका है।

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Authors

Harsh V. Pant

Harsh V. Pant

Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...

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Vivek Mishra

Vivek Mishra

Vivek Mishra is Deputy Director – Strategic Studies Programme at the Observer Research Foundation. His work focuses on US foreign policy, domestic politics in the US, ...

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