Author : Manoj Joshi

Published on Sep 05, 2025 Commentaries 0 Hours ago

ट्रम्प चाहते हैं भारत ब्रिक्स से अलग हो जाए, क्योंकि वहां वह एक ग्लोबल साउथ क्लब बनाता है.

भारत–अमेरिका संबंध: टैरिफ और रणनीतिक संतुलन

Image Source: गेटी

भारत-अमेरिका के रिश्ते अपने निम्नतम स्तर पर क्यों पहुंच गए? इसके पीछे कई विचार सामने आ रहे हैं. पहला यह कि भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका वाकई परेशान था. लेकिन यह सर्वविदित तथ्य है कि बाइडेन प्रशासन में भारत को निर्धारित मूल्य सीमा में रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, ताकि तेल कीमतें स्थिर रखी जा सकें.

थ्योरी क्या कहती है?

यह भी स्पष्ट है कि चीन रूसी तेल का कहीं बड़ा खरीदार है और अब तक उसे कोई सजा नहीं मिली है. दूसरी थ्योरी कहती है कि अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि और डेयरी उत्पादों की पहुंच बनाना चाहता है. जाहिर है, भारत सरकार ने इसका विरोध किया, क्योंकि वह अपने किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी. लेकिन इस तर्क को अमेरिका में भरोसेमंद प्रतिक्रिया नहीं माना गया.

ट्रम्प चाहते हैं भारत ब्रिक्स से अलग हो जाए, क्योंकि वहां वह एक ग्लोबल साउथ क्लब बनाता है, जो अमेरिकी आधिपत्य को चुनौती देने की क्षमता रखता है.

तीसरा कारण यह हो सकता है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई. यह ऑपरेशन अपने आप में शानदार सफलता थी, लेकिन भारत ने युद्धविराम का श्रेय ट्रम्प देने से इनकार कर दिया. और यहीं से समस्या शुरू हुई.

ट्रम्प क्या चाहते हैं?

कुछ और भी कारण हैं. चौथा यह कि प्रवासन के मसले पर भारत-विरोधी लॉबी विदेश नीति को प्रभावित कर रही है. एक और कारण यह बताया जाता है कि ट्रम्प चाहते हैं भारत ब्रिक्स से अलग हो जाए, क्योंकि वहां वह एक ग्लोबल साउथ क्लब बनाता है, जो अमेरिकी आधिपत्य को चुनौती देने की क्षमता रखता है.

ट्रम्प और मोदी के बीच व्यक्तिगत तनाव ने इस दरार को और बढ़ा दिया है. ऊपरी तौर पर मोदी और ट्रम्प के बीच गर्मजोशी भरे व्यक्तिगत संबंध नजर आते हैं. फरवरी में मोदी की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान ऐसा दिखा भी था. लेकिन इसकी गहराई में टकराव भी छिपा है, जिसने समय के साथ नकारात्मक रूप ले लिया. मीडिया में पांच ऐसे अवसर गिनाए गए हैं, जिन्होंने इस तकरार को बढ़ाया.

पहला मामला यह कि ट्रम्प ने जुलाई 2019 में अपने पहले कार्यकाल में कहा था कि मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए कहा था. यह स्पष्ट झूठ था और भारत ने कड़े शब्दों में इससे इनकार किया. दूसरा मसला सितंबर 2024 में सामने आया, जब मोदी बाइडेन द्वारा आयोजित क्वाड समिट में भाग लेने अमेरिका गए.

मोदी की ट्रम्प के साथ एक बैठक तय हुई. और चूंकि वह चुनाव का समय था, इस​लिए वे कमला हैरिस के साथ भी बैठक करना चाह रहे थे. हैरिस के साथ बैठक नहीं हो सकी, इसलिए उन्होंने ट्रम्प वाली बैठक भी रद्द कर दी. इससे अति-अहंकारी ट्रम्प नाराज हो गए. तीसरा कारण वॉशिंगटन डीसी में इलॉन मस्क के साथ मोदी की बैठक हो सकता है.

मोदी की फरवरी 2025 की अमेरिका यात्रा सफल रही थी, लेकिन मस्क के साथ उनकी बहु-प्रचारित बैठक से संभवत: ट्रम्प नाराज हो गए. वे इससे बहुत ज्यादा खुश नहीं थे कि टेस्ला या एपल जैसी कंपनियां भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करें.

 जब मोदी ने कनाडा में जी-20 समिट से लौटते वक्त व्हाइट हाउस आने के निमंत्रण को ठुकरा दिया. यह वही दिन था, जब ट्रम्प ने आसिम मुनीर को लंच के लिए बुलाया था. माना जाता है कि ट्रम्प, मुनीर और मोदी को अपने आजू-बाजू खड़े करके एक फोटो खिंचवाना चाहते थे.

चौथा अवसर ऑपरेशन सिंदूर था, जिसमें ट्रम्प को लगता है कि उन्होंने भारत-पाक संघर्ष रोका और परमाणु युद्ध टालने में मदद की. ट्रम्प ने अपना दावा कई बार दोहराया, लेकिन भारत ने उनकी किसी भी प्रकार की भूमिका से स्पष्ट इनकार कर दिया. इसी से ट्रम्प नाराज हो गए.

पांचवां और अंतिम कारण तब बना, जब मोदी ने कनाडा में जी-20 समिट से लौटते वक्त व्हाइट हाउस आने के निमंत्रण को ठुकरा दिया. यह वही दिन था, जब ट्रम्प ने आसिम मुनीर को लंच के लिए बुलाया था. माना जाता है कि ट्रम्प, मुनीर और मोदी को अपने आजू-बाजू खड़े करके एक फोटो खिंचवाना चाहते थे.

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक सितंबर में रूस से भारत में तेल का निर्यात बढ़ने वाला है. यूक्रेन के हमलों से रूस की कई रिफाइनरियों को नुकसान हुआ है और कच्चा तेल सस्ते दामों पर उपलब्ध है. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर रियायती रूसी तेल से मुनाफाखोरी की बात कही है.

भारत की बढ़ती नजदीकी

जबकि भारत ने पश्चिम पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है, क्योंकि यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा अरबों डॉलर के रूसी उत्पादों की खरीद जारी है. चीन की मेजबानी में हुई एससीओ समिट ने ट्रम्प प्रशासन की नाराजगी को और बढ़ाया. इस बैठक में संगठन के अन्य सदस्यों के साथ मोदी और पुतिन, दोनों शामिल हुए. इसे भारत की रूस और चीन के साथ बढ़ती नजदीकी के तौर पर देखा गया.

भारत को अमेरिका का कुल निर्यात 87 अरब डॉलर है और 2024 में भारत की जीडीपी 3.9 ट्रिलियन डॉलर की थी. भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर टैरिफ जीडीपी का लगभग 2.2% है. यह भारत के विकास को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त नहीं है.


यह लेख दैनिक भास्कर में प्रकाशित हो चुका है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.