आज दुनिया में जबरदस्त पोलराइजेशन है. बड़ी ताकतें एक-दूसरे से बात नहीं कर रही हैं. चाहे पश्चिमी देश और रूस का सवाल हो या पश्चिमी देशों के चीन के साथ चल रहे तनाव का, हर तरफ गतिरोध जैसी स्थिति दिखती है. इससे मल्टीलेटरल इंस्टीट्यूशंस ठीक से काम नहीं कर पा रहे. UN हो या IMF, वर्ल्ड बैंक हो या रीजनल इंस्टीट्यूशन, सब पर इस पोलराइजेशन का खतरा मंडरा रहा है. इसे देखते हुए G20 की अहमियत बढ़ जाती है.
हर तरफ गतिरोध जैसी स्थिति दिखती है. इससे मल्टीलेटरल इंस्टीट्यूशंस ठीक से काम नहीं कर पा रहे. UN हो या IMF, वर्ल्ड बैंक हो या रीजनल इंस्टीट्यूशन, सब पर इस पोलराइजेशन का खतरा मंडरा रहा है. इसे देखते हुए G20 की अहमियत बढ़ जाती है.
भारत का रोल
जिस तरह से भारत ने G20 को लीड किया, वह बहुत महत्वपूर्ण है. भारत ने उसे एक नई दिशा और दशा ही नहीं दी, एक मोमेंटम भी दिया है. उसे एक ऐसा प्लैटफॉर्म बनाया है, जिसमें नॉर्थ और साउथ, ईस्ट और वेस्ट के बीच पुल बन सके. भारत ने जिस तरह की भूमिका निभाई है, उससे G20 में जैसे जान आ गई है, और यह एक अहम मल्टिलैटरल प्लैटफॉर्म के तौर पर मजबूत हुआ है.
रियो समिट में इस बार ब्राजील के पास G20 की अध्यक्षता थी, जो भारत की G20 की अध्यक्षता के बाद आई. भारत ने कई बातें अपनी G20 की अध्यक्षता के दौरान रखी थीं, जिन्हें ब्राजील ने आगे बढ़ाया. चाहे वह मल्टिलैटरल गवर्नेंस इंस्टीट्यूशंस के रिफॉर्म की बात हो, एनर्जी ट्रांजिशन हो या सोशल इन्क्लूजन, इन्हें केंद्र में रखते हुए ब्राजील ने कहा कि मुख्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों मसलन- UN, IMF, वर्ल्ड बैंक, WTO वगैरह को कैसे रिफॉर्म करना चाहिए, कैसे आज की वास्तविकता इन संस्थानों में रिफ्लेक्ट होनी चाहिए और कैसे एक भेदभावरहित सिस्टम बनाना चाहिए.
ब्राजील ने पर्यावरण मसलों पर लीडरशिप दिखाने की कोशिश की है, चाहे वह स्थानीय हालात को माप कर आगे बढ़ाने की बात हो, या क्लीन एनर्जी के सोर्सेस को लेकर आगे बढ़ने की.
भारत ने अपनी अध्यक्षता में एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर जो बात कही थी, उसे भी ब्राजील ने आगे बढ़ाया है कि कैसे क्लाइमेट क्राइसिस बहुत बड़ा है. G20 के सदस्य देश, जहां से ज्यादातर कार्बन एमिशन होता है, उसे हम कैसे मैनेज करके एक सस्टेनेबल ग्लोबल इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की तरफ जा सकते हैं. ब्राजील ने पर्यावरण मसलों पर लीडरशिप दिखाने की कोशिश की है, चाहे वह स्थानीय हालात को माप कर आगे बढ़ाने की बात हो, या क्लीन एनर्जी के सोर्सेस को लेकर आगे बढ़ने की.
हंगर अलायंस
एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा ब्राजील ने लॉन्च किया- ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट हंगर एंड पॉवर्टी. उसने भुखमरी और गरीबी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लामबंद करने की कोशिश की है. आज के हालात में देखें तो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है, सामाजिक-आर्थिक असंतुलन बढ़ रहा है. इस अलायंस के जरिए ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने सबको लेकर आगे बढ़ने की बात रखी.
इस अलायंस को 81 देशों ने समर्थन दिया, बस अर्जेंटीना थोड़े विरोध में रहा. अर्जेंटीना में धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रपति हैं, जेवियर माइली. उनकी और प्रेसिडेंट लूला की आपस में तनातनी रहती है. लेकिन ग्लोबल अलायंस में पहले से ही 81 देशों ने साइन करके अपना सपोर्ट दे दिया है तो इसे लूला के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाएगा.
इस अलायंस को 81 देशों ने समर्थन दिया, बस अर्जेंटीना थोड़े विरोध में रहा. अर्जेंटीना में धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रपति हैं, जेवियर माइली. उनकी और प्रेसिडेंट लूला की आपस में तनातनी रहती है.
इस समिट का जो जॉइंट डिक्लेरेशन आया, उसने कई मुद्दों पर काफी बातें कीं. जियोपॉलिटिकल मतभेद, भूख, दुनिया में सबसे ज्यादा अमीर लोगों पर टैक्सेशन और ग्लोबल गवर्नेंस जैसी चीजों पर बात हुई. डिक्लेरेशन का दायरा व्यापक है, लेकिन यह पूरी तरह से इंडोर्स नहीं हुआ. खासकर अर्जेंटीना ने इसके कुछ हिस्सों का समर्थन करने से परहेज किया. अपनी अध्यक्षता में जिस तरह से भारत एक जॉइंट डिक्लेरेशन कंसेंसस निकालकर लाया था, वैसा ब्राजील नहीं कर पाया. अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद जिस तरह का माहौल बन रहा है, उसे देखते भी कुछ समस्याएं बनी रहीं.
वैसे बात तो यूक्रेन की भी हुई, लेकिन व्लादिमीर पुतिन अनुपस्थित थे. G20 डिक्लेरेशन में यूक्रेन में लोग किस तरह से तकलीफ से गुजर रहे हैं, इसकी बात हुई. इसमें काफी हद तक वही बातें आगे ले जाई गईं, जिन्हें भारत ने अपनी अध्यक्षता के डिक्लेरेशन में कही थीं. ब्राजील ने एक और मुद्दा सामने रखा. यह उसका प्रपोजल था कि अरबपतियों की आय पर कम से कम 2% टैक्स लगाया जाए. लेकिन इस पर भी अर्जेंटीना और ब्राजील के बीच कुछ मतभेद थे. अर्जेंटीना ने डिक्लेरेशन तो साइन किया, लेकिन कुछ पहलुओं पर असहमति जताई.
कितना सफल G20
कुल मिलाकर देखें तो जिन मुद्दों पर बात हुई, वे काफी हद तक वही थे जिन्हें भारत ने अपनी लीडरशिप में आगे बढ़ाया था. चाहे ग्लोबल गवर्नेंस रिफॉर्म्स की बात हो, जलवायु परिवर्तन की बात हो या टिकाऊ विकास, तकनीक और सामाजिक-आर्थिक गैरबराबरी की, इनमें से कुछ मुद्दों को ब्राजील ने प्राइवेटाइज करके आगे बढ़ाने की कोशिश की. हालांकि ब्राजील को संयुक्त घोषणा के सिलसिले में भारत जितनी सफलता नहीं मिली. लेकिन भारत की अध्यक्षता के बाद से G20 में जो नई जान आई है, उसे ब्राजील आगे ले जाने में सफल हुआ है. अब आगे इसका मल्टिलैटरल इंस्टीट्यूशंस पर क्या असर होता है, यह देखने वाली बात होगी.
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