Published on Mar 13, 2021 Updated 0 Hours ago

कोरोना वायरस के संक्रमण को जानबूझकर शुरू में नहीं रोका गया, इसलिए ब्राजील में महामारी बेकाबू हो गई

वैक्सीन की लाइन में कहां खड़ा है ब्राजील

ब्राजील की केंद्रीय सरकार देश में कोविड-19 वैक्सीन लगाने की शुरुआत होने का जश्न मना रही है. वह इसे बड़ी सफलता के रूप में पेश भी कर रही है. उधर, ब्राजील का मीडिया टीकाकरण के सरकारी आंकड़ों को ग़लत बता रहा है और उसने वैक्सीनेशन प्रॉसेस की भी आलोचना की है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ब्राजील टीकाकरण के मामले में चैंपियन है या कोरोना महामारी से निपटने वह दुनिया में फिसड्डी साबित हो रहा है. किसकी ग़लती के कारण ब्राजील के लोगों को बेवजह तकलीफ झेलनी पड़ रही है. वह कौन है जिसके कारण मानवता को बड़ा नुकसान हो सकता है?

गहराई से नज़र डालने पर इन सारे सवालों का जवाब मिल सकता है. सबसे पहले गौर करने वाली बात तो यह है कि ब्राजील ने अभी तक कोविड-19 की अपनी कोई वैक्सीन नहीं बनाई है. यह हाल तब है, जबकि उसके पास विश्वस्तरीय साइंटिस्ट और सक्षम इंडस्ट्रियल पार्क है. जिन देशों ने मिलकर वैक्सीन बनाने के लिए निवेश किया, ब्राजील ने उनसे भी दूरी बनाए रखी. BRICS समूह के संस्थापकों में ब्राजील इकलौता देश है, जिसके पास कोरोना की कोई वैक्सीन डेवलपमेंट के आखिरी दौर में नहीं है. यहां तक कि पड़ोसी क्यूबा भी इस मामले में ब्राजील से आगे है. यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि क्यूबा 1960 के दशक की शुरुआत से अमेरिका की ओर से आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. और ब्राजील की आबादी की तुलना में उसकी आबादी 5 फीसदी भी नहीं है.

गहराई से नज़र डालने पर इन सारे सवालों का जवाब मिल सकता है. सबसे पहले गौर करने वाली बात तो यह है कि ब्राजील ने अभी तक कोविड-19 की अपनी कोई वैक्सीन नहीं बनाई है. यह हाल तब है, जबकि उसके पास विश्वस्तरीय साइंटिस्ट और सक्षम इंडस्ट्रियल पार्क है

इधर, दवा कंपनियों के एजेंटों और ब्राजील सरकार के अधिकारियों के बीच बातचीत की जानकारियां कई बार सामने आई हैं. इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ब्राजील सरकार के अधिकारियों ने अपने यहां के नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन की सप्लाई सुनिश्चित करने की कोशिश नहीं की. फाइजर, सिनोफार्म और सिनोवैक उन जाने-माने नामों में शामिल हैं, जिन्हें ब्राजील की सरकार ने झिड़क दिया. वह अलग-अलग दलीलें देती रही, लेकिन कई मौकों पर उसने राष्ट्रीय हित की अनदेखी की. यह हाल तब है, जबकि कोरोना वायरस से मौत के मामले में ब्राजील दुनिया में दूसरे नंबर पर है. इस साल 28 फरवरी तक वहां इस महामारी के कारण 2.5 लाख लोगों की जान जा चुकी थी. फरवरी के मध्य तक वहां रोजाना औसतन हजार से अधिक लोगों की जान महामारी ले रही थी.

ब्राजील की सरकार को अपनी रणनीतिक भूल का अहसास

अब जाकर शायद ब्राजील की सरकार को अपनी रणनीतिक भूल का अहसास हुआ है. यह भयानक ग़लती थी क्योंकि बड़े पैमाने पर टीकाकरण करने पर ही अर्थव्यवस्था में जान लौटेगी, जो जॉन बोलसोनारो सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. विज्ञान और तकनीक मंत्रालय के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति अब खुलकर देश की पहली कोविड-19 वैक्सीन डिवेलप करने पर विचार करने की बात कह रहे हैं. लेकिन साथ ही सरकार यह भी कह रही है कि उसके पास इसके लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं. यह जानना भी दिलचस्प होगा कि ब्राजील के राष्ट्रपति शुरुआत से ही वैक्सीन विरोधी रहे हैं. 

सच पूछिए तो ग्लोबल वैक्सीन रेस में दो वजहों से ब्राजील की क्षमता प्रभावित हुई है. पहली तो यह कि देश का दवा उद्योग स्वायत्त नहीं है. वह दवाएं बनाने के लिए विदेशी इंग्रेडिएंट्स पर निर्भर है. ब्राजील में दवा कंपनियों की एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट्स की 10 फीसदी ज़रुरत ही स्थानीय कंपनियां पूरी कर पाती हैं. दूसरी वजह यह है कि दुनिया के कुल एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट बाजार के 50 फीसदी हिस्से पर चीन का कब्जा है. बोलसोनारो सरकार के शुरू के दो साल के दौरान ब्राजील ने चीन को लेकर काफी कड़ा रुख अपनाए रखा. अब ऐसा लगता है कि चीन इसका बदला वैक्सीन की सप्लाई में देरी करके  ले सकता है. सच तो यह है कि इसकी शुरुआत भी हो चुकी है.

इसके अलावा, दूसरे देशों के साथ वैक्सीन की सप्लाई के करार में देरी के कारण देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत नहीं हो पाई है, जबकि वैक्सीन अभियान को लेकर ब्राजील के पास ऐतिहासिक तजुर्बा है. इस बीच, ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्री एडवार्डो पोसुएलो की तरफ से भी एक सुझाव आया, जिसमें कोविड-19 के लिए बचकाना इलाज  सुझाया गया था. उन्होंने इसके लिए क्लोरोक्विन (chloroquine), आइवरमेसिन (ivermectin), और एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin) का मिक्सचर देने की बात कही थी. पोसुएलो का कहना था कि इससे कोविड-19 के संक्रमण से होने वाले गंभीर लक्षण रुक सकते थे. यह बात और है कि साइंस उनके दावे को सपोर्ट नहीं करता.

ब्राजील वह देश है, जो कुछ हफ्तों में करोड़ों लोगों का टीकाकरण कर चुका है, लेकिन आज उसके पास न ही इसकी ऊर्जा है और न ही संसाधन. वह इस मामले में अपने गौरवशाली अतीत को दोहराने में नाकाम है. अगर स्वास्थ्य मंत्रालय की बात करें तो उसमें नौकरशाहों की जगह सैन्य अधिकारियों ने ले ली है. ब्राजील जो भूभाग के लिहाज से दुनिया का पांचवां, आबादी के लिहाज से छठा और अर्थव्यवस्था के लिहाज से दुनिया का 9वां (2019 तक) सबसे बड़ा देश है, लेकिन नेशनल इम्यूनाइजेशन प्लान लागू करने के मामले में वह 56वें नंबर पर है.

अगर सब कुछ ठीक रहा तो ब्राजील 2020 में जीडीपी में आई ऐतिहासिक गिरावट से 2021 के अंत तक ही रिकवर कर पाएगा. असल विकास हासिल करने में तो उसे इसके बाद कई साल लग सकते हैं.

अगर लैटिन अमेरिका की बात करें तो वहां भी अर्जेंटीना, चिली, कोस्टा रिका और मेक्सिको जैसे देश उससे आगे हैं. इन चार देशों  ने दिसंबर 2020 में ही अपने नागरिकों के इम्यूनाइजेशन की शुरुआत कर दी थी, जबकि ब्राजील में सेनिटरी सर्विलांस एजेंसी (ANVISA) ने इसके तीन हफ्ते बाद कोरोना की सबसे पहले आई दो वैक्सीन को मंजूरी दी थी. इसी वजह से ब्राजील ग्लोबल वैक्सीन लाइन में काफी पीछे खड़ा दिख रहा है. देश में जितनी वैक्सीन की ज़रुरत है, ब्राजील ने उससे कहीं कम कोविड-19 के टीके खरीदने का एग्रीमेंट किया है. स्वतंत्र एजेंसियों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, जहां कनाडा ने अपनी ज़रुरत से पांच गुना अधिक वैक्सीन खरीदने का करार किया है, वहीं ब्राजील टीका मिलने पर अधिक से अधिक अपने आधे नागरिकों का ही टीकाकरण कर पाएगा. अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक कथित ‘हर्ड इम्यूनिटी’ के लिए जितनी आबादी के टीकाकरण को ज़रुरी मानते हैं, ब्राजील उतने लोगों को भी फिलहाल वैक्सीन लगाने की हालत में नहीं दिख रहा है. सचाई यह है कि 50 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगाने से वह हर्ड इम्यूनिटी हासिल नहीं कर सकता.

ब्राजील में कोविड-19 टीकाकरण प्रोग्राम के पूरा होने की टाइमलाइन भी हौसला बढ़ाने वाली नहीं दिख रही. ऐसी चर्चा चल रही है कि जुलाई 2022 तक वहां यह काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन अभी यह अभियान इंग्रेडिएंट्स और वैक्सीन की कमी के कारण रुका हुआ है. जिन देशों ने वैक्सीन की सप्लाई पक्की करने में तेजी दिखाई  है, वे इस साल के अंत या 2022 की शुरुआत (बुरी से बुरी हालत में) में टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे. इससे वहां की अर्थव्यवस्था सामान्य तौर पर काम करने लगेगी और इकोनॉमिक रिकवरी आसानी से शुरू हो जाएगी.

ब्राजील रिकवरी रेट में कहां पर खड़ा है? 

दूसरी तरफ, अगर सब कुछ ठीक रहा तो ब्राजील 2020 में जीडीपी में आई ऐतिहासिक गिरावट से 2021 के अंत तक ही रिकवर कर पाएगा. असल विकास हासिल करने में तो उसे इसके बाद कई साल लग सकते हैं. यह भी सच है कि हर उम्मीद के साथ ब्राजील ग्लोबल इम्यूनाइजेशन रैंकिंग्स में कुछ सीढ़ी ऊपर चढ़ रहा है. जहां तक प्रति 100 लोगों को वैक्सीन लगाने की बात है तो इस मामले में वह दुनिया के 20 शीर्ष देशों में शामिल है. वहीं, वैक्सीन डोज के लिहाज से (16 फरवरी 2021 तक 55 लाख से अधिक लोगों को एक डोज लगाया गया था)  छठे नंबर पर. ब्राजील की सरकारी यूनिफाइड हेल्थ सर्विस सिस्टेमा यूनिको डे सॉदे (SUS) ने पिछले कई बरसों में जो एक्सपीरियंस हासिल किया है, उससे नगर निगम और फेडरल स्टेट्स तेजी से टीकाकरण कर पाते हैं. हां, यह तभी संभव है, जब इसके लिए वैक्सीन का स्टॉक हो. यानी दिक्कत वैक्सीन लगाने के अभियान पर अमल को लेकर नहीं है. दिक्कत तो इससे पहले के सप्लाई चेन के स्टेज में है.

कोरोना वायरस से निपटने को लेकर शुरू में जानबूझकर जो देरी की गई, उससे ब्राजील में महामारी बेकाबू हो गई. इस बीच, देश में नए ‘वेरिएंट्स’ और ‘स्ट्रेन’ के सामने आने से वहां की सरकार विलेन बन गई और इसी वजह से दुनिया ने भी खुद को उससे दूर कर लिया. इस तरह से देखें तो ऐसा लगता है कि ब्राजील ने खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है क्योंकि इस वजह से पहले से मंजूर वैक्सीन उसके बहुत काम की नहीं रह गई हैं. यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि अगर एक भी देश SARS-CoV-2 के म्यूटेशन को रोकने में फेल हो जाता है तो उससे समूची दुनिया के लिए बायोलॉजिकल ख़तरा  पैदा हो जाएगा. इसका एक नतीजा यह भी हो सकता है कि यह महामारी ख़त्म न हो. यह भी एक कारण है, जिसके लिए ब्राजील के मौजूदा हालात की खातिर वहां के नेताओं को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

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