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ये लेख निबंध श्रृंखला “बुडापेस्ट एडिट” का हिस्सा है.
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों और क्षेत्रों में व्याप्त भू-राजनीतिक गतिरोधों के समाप्त होने के लिहाज़ से वर्ष 2025 काफ़ी कारगर साबित हो सकता है. इस साल अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उम्मीद की जा रही है कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. इसके लिए ट्रंप चीन के सहयोग से रूस को बातचीत के लिए राज़ी कर सकते हैं और उसके लिए कुछ रियायतों की घोषणा कर सकते हैं. हालांकि, अगर ट्रंप ऐसा करते हैं, तो इससे यूक्रेन को ज़रूर निराशा होगी. अमेरिका द्वारा ऐसा करने से यूरोप को झटका लग सकता है और यूरोपीय संसाधनों में और भी कमी हो सकती है. अमेरिका-रूस के रिश्तों की बर्फ पिघलने से अमेरिका को चीन के साथ पेचीदा मसलों का समाधान निकालने में सहायता मिल सकती है. ज़ाहिर है कि चीन के ख़िलाफ़ व्यापार शुल्क बढ़ाने की बातें कहकर ट्रंप फायदा उठा रहे हैं. इसके अलावा संभावना है कि इजराइल के साथ अमेरिका मज़बूती से खड़ा रहेगा और इस साल भी उस पर लगाम लगाने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. इसके साथ ही अमेरिका हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की बिना शर्त रिहाई की मांग का समर्थन कर सकता है. ज़ाहिर है कि सीरिया को लेकर अमेरिका की कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है. इस वजह से सीरिया और मध्य पूर्व समेत आसपास के इलाक़े में इजराइल को अमेरिका की ओर से खुली छूट मिलेगी, ताकि वो किसी भी ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए अपने मन मुताबिक़ कार्रवाई कर सके. इसके अलावा, सीरिया के राजनीतिक भूगोल और भविष्य को निर्धारित करने में इस साल तुर्किये की अहम भूमिका होगी.
अमेरिका-रूस के रिश्तों की बर्फ पिघलने से अमेरिका को चीन के साथ पेचीदा मसलों का समाधान निकालने में सहायता मिल सकती है. ज़ाहिर है कि चीन के ख़िलाफ़ व्यापार शुल्क बढ़ाने की बातें कहकर ट्रंप फायदा उठा रहे हैं.
पूर्वी एशिया की भू-राजनीति में भी इस साल ठहराव आ सकता है. जैसे कि ताइवान के विरुद्ध चीन की आक्रामकता में कमी आ सकती है. कहने का मतलब है कि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ताइवान के मामले में संभावित रूप से चीन के रुख में नरमी देखी जा सकती है. हालांकि, इस साल पूर्वी एशिया में अस्थिरता का माहौल बन सकता है. इसके पीछे कई वजहें हैं, जैसे कि जापान में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना हुआ है, कोरिया गणराज्य यानी दक्षिण कोरिया में राजनीतिक रूप से उथल-पुथल मची हुई है और उत्तर कोरिया यानी डीपीआरके द्वारा इस साल अपनी ताक़त दिखाने के लिए ज़्यादा संख्या में मिसाइलों का परीक्षण किया जा सकता है. वर्ष 2025 में जापान और चीन के संबंधों में और अधिक प्रगाढ़ता आ सकती है. लेकिन जिस प्रकार से चीन में आर्थिक माहौल डंवाडोल है और उसकी विकास दर धीमी बनी हुई है, साथ ही हाल ही में जिस तरह से चीन में जासूसी के आरोप में जापान के कारोबारियों की गिरफ़्तारी हुई है, उसे देखते हुए चीन में नई परियोजनाओं में जापानी निवेशकों की दिलचस्पी कम हो सकती है. हालांकि, अगर ऐसा होता है, तो वियतनाम और भारत समेत दूसरे देशों के लिए अवसर बन सकते हैं और उन्हें इसका फायदा हो सकता है.
जहां तक भारत और चीन के रिश्तों की बात है, तो वर्ष 2025 में इनमें कुछ और सुधार हो सकता है. इसी साल यानी 1 अप्रैल 2025 को भारत-चीन के बीच राजनयिक रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ है और ऐसे में दोनों देशों के बीच सीमा पर और उसके अलावा भी दूसरे सेक्टरों में संबंध अच्छे होने की उम्मीद है.
जहां तक भारत और चीन के रिश्तों की बात है, तो वर्ष 2025 में इनमें कुछ और सुधार हो सकता है. इसी साल यानी 1 अप्रैल 2025 को भारत-चीन के बीच राजनयिक रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ है
हाल ही में संपन्न हुए COP29 में न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल (NCQG) के लिए जलवायु वित्तपोषण को लेकर सकारात्मक नतीज़े नहीं आए हैं और इसके मद्देनज़र इस साल जलवायु कार्रवाई के मामले में झटका लग सकता है और देशों को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का मुक़ाबला करने के लिए संसाधनों की कमी से जूझना पड़ सकता है. इसके साथ ही इस साल भी डेटा संप्रभुता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लीथल ऑटोनॉमस वीपन सिस्टम्स यानी घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों (LAWS) जैसे विषयों पर चर्चाओं का दौर चलता रहेगा. इतना ही नहीं, उम्मीद है कि इस साल युद्ध के मैदानों और अंतरिक्ष में नीतियों को निर्धारित करने एवं बेहतर परिणामों को हासिल करने में निजी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
सुजान आर. चिनॉय मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (MP-IDSA), नई दिल्ली के महानिदेशक हैं.
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