Author : Rapelang Rabana

Published on Mar 22, 2021 Updated 0 Hours ago

एक बात तो तय है, काम-काज का भविष्य डिजिटल है. ये प्रयोग 2021 में भी जारी है.

2021 में कैसा होगा काम-काज का भविष्य: दक्षिण-अफ्रीका का परिदृश्य

कोविड-19 महामारी ने दक्षिण अफ्रीका में बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका को तहस-नहस कर दिया है. जैसा कि आर्थिक परेशानी के समय में बार-बार होता है, ग़रीब और अकुशल लोगों को सबसे ज़्यादा दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है. 2020 की दूसरी और तीसरी तिमाही के बीच दक्षिण अफ्रीका के बेरोज़गार लोगों की संख्या 22 लाख बढ़कर 65 लाख हो गई. अर्थव्यवस्था के और ज़्यादा मंदी में जाने के साथ ही 2021 एक और मुश्किल वर्ष साबित होगा. ऐसे में उत्पादकता बढ़ाने और लोगों को आर्थिक रूप से सक्रिय रखने के लिए काम-काज की दुनिया में क्या बदलाव होना चाहिए? क्या बेरोज़गारों के लिए काम-काज के बिना कोई भविष्य है?

इस मामले के पर्याप्त रूप से समाधान के लिए ये महत्वपूर्ण है कि काम-काज के भविष्य की रूप-रेखा बनाने से शुरुआत की जाए जो सामान्य काम के ऑटोमेशन और रिमोट वर्किंग से आगे हो. मूलभूत स्तर पर काम-काज का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि मूल्य का निर्माण करने वाले सामानों और सेवाओं को पहुंचाने के लिए किस तरह समाज अपनी मानवीय पूंजी का आदर्श रूप में इस्तेमाल करता है. इसमें व्यापक रूप से जटिल सिद्धांत वाले काम-काज को तय करना शामिल है. साथ ही मानवीय क्षमता की ज़रूरत वाले काम-काज को उपलब्ध मानवीय क्षमता से मिलाना, फिर जब काम को मौजूद क्षमता के हिसाब से अंजाम दे दिया जाता है तब ये पता करना और समझना कि उसे कैसे पूरा किया गया है. यहां ये भी तय किया जाता है कि ये काम-काज कैसे और कहां पूरे किये जाते हैं. काम-काज का भविष्य महत्वपूर्ण इनोवेशन या नवाचार को बढ़ावा देगा ताकि शुरू से अंत तक जिन ज़रूरी गतिविधियों की ज़रूरत काम करने में होती है उसका समर्थन किया जा सके.

मूलभूत स्तर पर काम-काज का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि मूल्य का निर्माण करने वाले सामानों और सेवाओं को पहुंचाने के लिए किस तरह समाज अपनी मानवीय पूंजी का आदर्श रूप में इस्तेमाल करता है. 

जिस वक़्त दक्षिण अफ्रीका ख़ुद को बदल रहा है, संभाल रहा है, उस वक़्त 2021 के लिए जो प्राथमिक रुझान मैं देख रही हूं वो इस प्रकार हैं:

  • हम जिस तरह से काम करते हैं, उसका पुनर्गठन ताकि क्लाउड आधारित उत्पादकता और सहयोग के टूल के फ़ायदों का पूरा इस्तेमाल किया जा सके.
  • ज़्यादा सेवाओं को डिमांड आधारित करना जिससे कि गिग-इकॉनमी की पहुंच का विस्तार हो सके.
  • समय और संदर्भ के मुताबिक़ चलती-फिरती पढ़ाई का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल.
  • शिल्पकारों और पेशेवरों के प्रयोगात्मक और अनुभव आधारित प्रशिक्षण के लिए वर्चुअल/आभासी रियलिटी और ऑगमेंटेड या संवर्धित रियलिटी का ज़्यादा इस्तेमाल और उन्हें काम-काज में रियल यानी वास्तविक समय में समर्थन.

वैसे तो संचार, वर्कफ्लो मैनेजमेंट, नॉलेज शेयरिंग और इस तरह की चीज़ों के लिए नवीनतम क्लाउड सहयोग और उत्पादकता टूल तक दक्षिण अफ्रीका के पेशेवरों की पहुंच दशकों से रही है लेकिन बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल यानी सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस (एसएएएस) हमने 2020, कोविड-19 का वर्ष, में ही देखा. जो लोग तकनीक का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने भी इसी साल में इनका ज़्यादा इस्तेमाल किया. लॉकडाउन लागू होने के कुछ ही दिनों के भीतर ज़ूम 148वें पायदान से ऊपर उठकर सबसे ज़्यादा लोकप्रिय ऐप बन गया.

अब जबकि ये टूल लोगों की ज़िंदगी से जुड़े हुए हैं, ऐसे में 2021 में पेशेवरों को नौसिखिए की जगह इन टूल का ज़्यादा एकीकृत, उत्पादकता बढ़ाने वाला वर्ज़न इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उनके काम करने की जगह या संस्था को डेटा आधारित संगठन में बदला जा सके. 2021 दूसरी चीज़ों के अलावा इन बातों के लिए उम्मीद करने का सर्वश्रेष्ठ साल है कि डॉक्यूमेंट अब किसी व्यक्तिगत डिवाइस में मौजूद नहीं रहेंगे, कोई भी कैलकुलेशन स्प्रेडशीट पर हाथ से नहीं होगा और अंदरुनी एवं बाहरी कम्युनिकेशन, प्रोजेक्ट और प्रोग्रेस ट्रैकिंग, डॉक्यूमेंट शेयरिंग, इन्फॉर्मेशन स्टोरेज तथा अप्वाइंटमेंट सेटिंग के बेकार मेलजोल के तौर पर ईमेल का इस्तेमाल किया जाना बंद हो जाएगा. कोविड-19 ने आख़िरकार ये साबित कर दिया है कि सर्विस सेक्टर में ज़्यादातर कामगारों को वाकई हर रोज़ काम करने के लिए किसी दफ़्तर में जाने की ज़रूरत नहीं है. इसकी वजह से पुनर्गठन में निश्चित तौर पर तेज़ी आएगी.

दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी चुनौती हुनरमंद कामगारों की कमी है जिसकी वजह से काम-काज का मिलान मानवीय क्षमता से करने की हमारी योग्यता पर नकारात्मक असर पड़ता है. 

औपचारिक सेक्टर में रोज़गार का रुझान हर जगह बेहद कुशल से अर्ध-कुशल कामगारों की तरफ़ जाने का संकेत दे रहा है. ऐसे में गिग-इकॉनमी काम-काज का मानक बनना शुरू करेगी. कोविड-19 के असर से पहले ये अनुमान लगाया गया था कि गिग-इकॉनमी दक्षिण अफ्रीका की एक प्रतिशत आबादी को सीधे छूती है और अप्रत्यक्ष तौर पर पांच लाख लोगों को. इसमें हर साल 10 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद लगाई गई थी. अर्ध-कुशल बाज़ार में स्वीपसाउथ ने घरेलू सेवाओं के बाज़ारीकरण को साबित किया है. स्वीपसाउथ ने दक्षिण अफ्रीका में घरेलू कामगारों को 10 लाख बुकिंग और काम-काज का अवसर मुहैया कराया है. स्वीपसाउथ ने इन पुराने विचारों को पीछे छोड़ दिया कि डिजिटल अर्थव्यवस्था तक निचले समुदाय की पहुंच नहीं है, क्योंकि स्वीपसाउथ दक्षिण अफ्रीका की महिलाओं को अच्छे वेतन के साथ गरिमापूर्ण काम-काज मुहैया कराने में कामयाब रही है. इस बात में कोई शक नहीं है कि गिग कामगारों के अधिकारों और उनके काम-काज के हालात को लेकर चिंता है- जो अक्सर पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा और छुट्टी के विकल्प के बिना काम करते हैं- लेकिन इस रुझान का विस्तार दूसरे उद्योगों तक भी होगा जैसे कि ज़्यादातर घरेलू सेवा से लेकर रिटेल स्टोर और ग्राहक सेवा एजेंट तक. लागत का दबाव बढ़ने के साथ ही ज़्यादा लोगों को आर्थिक तौर पर सक्रिय रखने के लिए गिग इकोनॉमी महत्वपूर्ण है. ये रुझान काम-काज के मिलान से लेकर मानवीय क्षमता और उपलब्धता तक काम के भविष्य के पहलुओं का सीधे तौर पर समाधान करेगा. मैकेंज़ी के अनुमान के मुताबिक़ पूरे अफ्रीकी महादेश में 6 करोड़ 30 लाख लोग स्व-रोज़गार पर निर्भर हैं.

पेशेवरों के सामने नई चुनौती

दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी चुनौती हुनरमंद कामगारों की कमी है जिसकी वजह से काम-काज का मिलान मानवीय क्षमता से करने की हमारी योग्यता पर नकारात्मक असर पड़ता है. दक्षिण अफ्रीका में उच्च ग्रेड के गणित के साथ हर साल सिर्फ़ 77,000 छात्र हाई स्कूल पास करते हैं और बेरोज़गार लोगों में से 90 प्रतिशत से ज़्यादा अर्ध-कुशल या निम्न-कुशल हैं. इस आंकड़े से हुनर और रोज़गार के बीच मज़बूत संबंध का पता चलता है. चौथी औद्योगिक क्रांति को ख़तरे के तौर पर देखने के बदले यहां ये ज़्यादा महत्वपूर्ण होगा कि हुनरमंद लोगों की कमी को दूर करने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. रिकाइंडल लर्निंग में हमारे अनुभव से पता चलता है कि तकनीक, काम-काज के तरीक़े, बिज़नेस मॉडल और औद्योगिक नियमों में बदलाव ने लगातार सीखने और विकास के लिए ज़बरदस्त मांग पैदा की है. लेकिन इसके बावजूद कई संगठन अभी भी लंबे ईमेल इस उम्मीद में भेज रहे हैं कि लोग उन्हें पढ़ेंगे. या वर्कशॉप के लिए वो लोगों को एक कमरे या वेबिनार में इकट्ठा कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि लोग सुनेंगे. या लोगों को दर्जनों स्लाइड देखने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिसके आख़िर में एक फटाफट क्विज़ होता है और उम्मीद करते हैं कि लोग इन्हें देखेंगे. भविष्य के काम-काज की दुनिया में लापरवाही वाले प्रशिक्षण की कोई जगह नहीं है- सिर्फ़ ज़्यादा असर वाले डिजिटल लर्निंग के अनुभव की ही जगह है जो अच्छे नतीजे पेश करेगा. कर्मचारियों का अनुभव और छोटे वीडियो के रूप में माइक्रो-लर्निंग प्लैटफॉर्म, प्रासंगिक इंटरएक्टिव कंटेंट, चैट और व्यक्तिगत मैसेजिंग, त्वरित दो-तरफ़ा सर्वे और फीडबैक एवं रियल-टाइम रिपोर्टिंग काम के साथ लगातार सीखने के लिए ज़रूरी चीज़ें हैं.

कौशल बढ़ाने के लिए सीखने के ज्ञान हस्तांतरण तरीक़े से आगे जाना ज़रूरी है और मिक्स्ड-रियलिटी तकनीक का इस्तेमाल कर अनुभव आधारित सीख का निपटारा करना होगा. जो मुश्किल काम और/या कमज़ोर शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले लोगों, जिनके लिए अकादमिक तरीक़े से सीखना बेहद मुश्किल है, को ज़्यादा असरदार ढंग से प्रशिक्षित कर सके. जेंडामार्क मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी है जो ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लास के इस्तेमाल के ज़रिए मशीन ऑपरेटर को रियल-टाइम में काम-काज में समर्थन देती है. ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लास से मशीन ऑपरेटर काम-काज के दौरान निर्देशों और सलाहों को देख सकते हैं. उनकी वर्चुअल रियलिटी ट्रेनिंग का मतलब है कि उनके ऑपरेटर बेहद कम समय में अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने में सक्षम हैं.

कौशल बढ़ाने के लिए सीखने के ज्ञान हस्तांतरण तरीक़े से आगे जाना ज़रूरी है और मिक्स्ड-रियलिटी तकनीक का इस्तेमाल कर अनुभव आधारित सीख का निपटारा करना होगा. 

हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने कोविड-19 के असर को ‘भविष्य के काम-काज के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक प्रयोग के तौर पर तैयार किया है जहां वर्क-फ्रॉम-होम और सोशल डिस्टेंसिंग की नीतियां हमारे काम-काज और दूसरों से मिलने-जुलने के तौर-तरीक़ों में मौलिक रूप से बदलाव कर रही है.’ ये प्रयोग 2021 में भी जारी है और भविष्य में काम-काज की दुनिया में स्थानीय तकनीकी कंपनियों की बदौलत दक्षिण अफ्रीका प्रासंगिक मांग को पूरा करने में अपने प्रारूप को प्रोत्साहन देने में कामयाब रहा है. एक बात तो तय है, काम-काज का भविष्य डिजिटल है.

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