Published on Sep 08, 2021 Updated 0 Hours ago

अफ्रीका के 11 सबसे कम विकसित देशों में 30 फ़ीसदी से भी कम लोगों की पहुंच बिजली तक है, जबकि 15 अफ्रीकी एलडीसी में यह आंकड़ा 30 से 50 फ़ीसदी तक पहुंचता है. एशियाई और प्रायद्वीप वाले एलडीसी देशों में बिजली की पहुंच दर ज़्यादा है

दुनिया के न्यूनतम विकसित देशों के समूह का विज़न 2050: शत-प्रतिशत रिन्यूबल एनर्जी के ज़रिये बिजली की आपूर्ति हासिल करना

सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के क्लाइमेट एक्शन समिट के दौरान सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) ने भविष्य में पर्यावरण को लेकर होने वाले बदलावों के प्रति क्षमता को विकसित करने संबंधी एलडीसी ग्रुप विज़न जारी किया, जिसमें साल 2030 तक पर्यावरण क्षमता विकास से संबंधित समाधान और साल 2050 तक कार्बन उत्सर्जन के स्तर को शून्य तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. इस विज़न दस्तावेज की तीन बातों में से एक एलडीसी नवीकरणीय ऊर्जा और टिकाऊ विकास के लिए ऊर्जा दक्षता पहल (एलडीसी आरईईईआई) का फ्रेमवर्क तैयार करना है जो सबसे कम विकसित देशों के लिए साल 2030 तक आधुनिक ऊर्जा की पहुंच बनाने और साल 2050 तक 100 फ़ीसदी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली पैदा करने से जुड़ा है. इस फ्रेमवर्क का मकसद ऊर्जा कमी के अंतर को बौद्धिक संपदा और सहयोग के ज़रिये कम करना है.

साल 2030 तक किफ़ायती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच को टिकाऊ विकास के लक्ष्य (एसडीजी) 7 सुनिश्चित करता है. एसडीजी 7 की तेजी को मापने के छह सूचक है.  सूचक 7.1.1 इस तरक्की की माप करता है कि ‘आबादी के कितने हिस्से तक बिजली की पहुंच है’. सबसे कम विकसित देशों में महज 52 फ़ीसदी आबादी तक बिजली की पहुंच है. यह आलेख एलडीसी देशों के लिए बिजली के लक्ष्यों तक 100 फ़ीसदी नवीकरणीय ऊर्जा के जरिए सार्वभौमिक पहुंच से जुड़ी संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में चर्चा करता है (एसडीजी 7 और एलडीसी आरईईईआई के मुताबिक ).

एसडीजी 7 की तेजी को मापने के छह सूचक है.  सूचक 7.1.1 इस तरक्की की माप करता है कि ‘आबादी के कितने हिस्से तक बिजली की पहुंच है’. सबसे कम विकसित देशों में महज 52 फ़ीसदी आबादी तक बिजली की पहुंच है. 

कम विकसित देशों में बिजली की पहुंच की क्या स्थिति है यह चित्र-1 के ज़रिये दर्शाया गया है. इस चित्र से साफ़ है कि अफ्रीका के 11 सबसे कम विकसित देशों में 30 फ़ीसदी से भी कम लोगों की पहुंच बिजली तक है, जबकि 15 अफ्रीकी एलडीसी में यह आंकड़ा 30 से 50 फ़ीसदी तक पहुंचता है. एशियाई और प्रायद्वीप वाले एलडीसी देशों में बिजली की पहुंच दर ज़्यादा है जबकि आठ देशों में इसमें भारी अंतर है. साल 2030 तक बिजली की सार्वभौमिक पहुंच के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अफ्रीका के एलडीसी देशों की 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी तक बिजली की पहुंच को सुनिश्चित करना आवश्यक होगा. क्योंकि ख़ासकर अफ्रीका के एलडीसी देशों के मामले में एसडीजी लक्ष्यों और मौजूदा स्थिति में काफी अंतर है.

50 फ़ीसदी से कम आबादी को बिजली


नौ एलडीसी देशों (बेनिन, बुर्किना फासो, चाड, गिनी-बिसाऊ, हैती, लाइबेरिया, मॉरितानिया, सोमालिया, और दक्षिण सूडान ) की 50 फ़ीसदी से कम आबादी की पहुंच बिजली तक है, जबकि इन देशों में 85 फ़ीसदी से ज़्यादा बनने वाली बिजली तेल आधारित उत्पादों के ज़रिये साझा किए जाते हैं. इन एलडीसी देशों में मौजूदा बिजली उत्पादन की जो स्थिति है उसमें ज़्यादातर आबादी के लिए बिजली तक पहुंच बनाने के लिए ऊर्जा आयात ख़र्च में काफी बढ़ोतरी हो जाती है. यह उनके बाज़ार आधारित जोख़िम को भी बढ़ाता है. हर हाल में कम विद्युत्तीकरण वाले एलडीसी मुल्कों में 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत ज़्यादा निवेश और मजबूत नीतियों की आवश्यकता होती है. एलडीसी देश जहां विद्युतीकरण की दर सामान्य तौर पर कम होती है वहां यह संभावना बनी रहती है कि ज़्यादा लोगों तक बिजली पहुंच के रोडमैप और इंफ्रास्ट्रक्चर को अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी के ज़रिये पूरी की जा सके.

चार द्वीप एलडीसी (कोमोरोस, किरिबाती, तिमया-लेस्ते और तुवालु) जहां की 80 फ़ीसदी आबादी तक विद्युतीकरण को 100 फ़ीसदी तेल आधारित तरीकों से हासिल किया गया है. पहले से ही किरिबाती में साल 2017 – 2025 के लिए एक एकीकृत ऊर्जा रोडमैप  मौजूद है जो अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ावा देती है और ऊर्जा दक्षता की स्थिति में सुधार करता है. इन मामलों में विद्युतीकरण की पहुंच बनाम 100 फ़ीसदी अक्षय ऊर्जा के लिए अभी भी मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए आगे की चर्चा ज़रूरी है जिसमें बड़े निवेश की ज़रूरत होती है. हालांकि, इससे हमेशा यह संभावना बनी रहती है कि अक्षय ऊर्जा के हिस्से को आगे बिजली पैदा कर बढ़ाया जा सकता है.

भूटान 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य को 100 फ़ीसदी हाइड्रोपावर(पनबिजली) उत्पादन के जरिए प्राप्त कर चुका है. नेपाल भी 98 फ़ीसदी हाइड्रोपावर के ज़रिये अपनी कुल बिजली उत्पादन का 94 फ़ीसदी हिस्सा प्राप्त करता है. लाओ पीडीआर भी 88 फ़ीसदी हाइड्रोपावर उत्पादन के ज़रिये कुल बिजली उत्पादन का 98 फ़ीसदी हिस्सा पाता है 

20 सबसे कम विकसित देशों(एलडीसी) में बिजली उत्पादन में हाइड्रोपावर की हिस्सेदारी 50 फ़ीसदी से ज़्यादा है. पांच देश (अफ़गानिस्तान, भूटान, कंबोडिया, नेपाल, लाओ पीडीआर ) 90 फ़ीसदी से ज़्यादा विद्युतीकरण को प्राप्त कर चुके हैं. भूटान 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य को 100 फ़ीसदी हाइड्रोपावर(पनबिजली) उत्पादन के जरिए प्राप्त कर चुका है. नेपाल भी 98 फ़ीसदी हाइड्रोपावर के ज़रिये अपनी कुल बिजली उत्पादन का 94 फ़ीसदी हिस्सा प्राप्त करता है. लाओ पीडीआर भी 88 फ़ीसदी हाइड्रोपावर उत्पादन के ज़रिये कुल बिजली उत्पादन का 98 फ़ीसदी हिस्सा पाता है जबकि यहां 5 फ़ीसदी बिजली उत्पादन सौर ऊर्जा के ज़रिये प्राप्त होती है. ये तीन देश अक्षय ऊर्जा के तरीके से बिजली की सार्वभौमिक पहुंच को साकार करते हैं जिसमें हाइड्रो ऊर्जा की एक अहम भूमिका है. लेसोथो और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो ने 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण को हाइड्रोपावर के जरिए प्राप्त कर लिया है (47 फ़ीसदी और 19 फ़ीसदी विद्युत अतिरिक्त दर) और अभी भी हाइड्रोपावर क्षमता है जिसका इस्तेमाल नहीं हो सका है जिससे कि एसडीजी 7 के लक्ष्य को पूरा किया जा सके. दरअसल- हाइड्रोपावर एक स्थानीय संसाधन है जिसमें ग्रीड और बगैर ग्रीड के ज़रिये बिजली मुहैया कराने की क्षमता है. हालांकि, बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के साथ पलायन और पुनर्स्थापन जैसे सामाजिक मुद्दे भी जुड़े होते हैं.

साल 2030 तक भरोसेमंद बिजली

कम विकसित देशों में सकल बिजली उत्पादन की संरचना से जुड़े आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि यहां बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी नगण्य है. 32 कम विकसित देश हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस(आईएसए) फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर और इसे अनुमोदित किया है, जिसमें ज़्यादातर अफ्रीकी देश शामिल हैं. आईएसए जिसका मुख्यालय भारत में है जो सहयोग का एक ऐसा मंच प्रदान करता है जो सूर्य प्रधान देशों में सौर ऊर्जा की संभावनाओं का दोहन कर वहां की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकता है. इसमें दो राय नहीं कि कम विकसित देशों में आईएसए के सहयोग से विद्युतीकरण की कमी को ख़त्म किया जा सकता है.

इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश को लेकर ग्रीड आधारित विद्युतीकरण की मांग ज़्यादा है ख़ासकर तब जब इसे बगैर ग्रीड समाधान के मुकाबले देखा जाता है. ऐसी स्थिति में ग्रीड के साथ और बगैर ग्रीड के संयोजन का विकल्प विद्युतीकरण की दर को बढ़ाने का बेहतर विकल्प है. 

वैसे इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश को लेकर ग्रीड आधारित विद्युतीकरण की मांग ज़्यादा है ख़ासकर तब जब इसे बगैर ग्रीड समाधान के मुकाबले देखा जाता है. ऐसी स्थिति में ग्रीड के साथ और बगैर ग्रीड के संयोजन का विकल्प विद्युतीकरण की दर को बढ़ाने का बेहतर विकल्प है. उदाहरण के तौर पर कंबोडिया ने 97 फ़ीसदी घरेलू विद्युत की ज़रूरतों को ग्रीड और बगैर ग्रीड के पूरा कर लिया. कंबोडिया के जिन घरों में बिजली नहीं हैं वहां पहले से ही सौर ऊर्जा आधारित डिवाइस लगे हुए हैं, जिन्हें लगातार अपग्रेड कर लोगों की बुनियादी बिजली की ज़रूरतें पूरा की जा रही हैं. एशिय़ाई और अफ्रीकी देशों में कई तरह के वित्तीय और बिजनेस मॉडल मौजूद हैं जो बुनियादी बिजली ज़रूरतों और ऊर्जा के बैकअप को पूरा करते हैं. हालांकि, लंबे समय के लिए एक भरोसेमंद ग्रीड आधारित विद्युतीकरण का विकल्प सबसे ज़्यादा बेहतर है.

एसडीजी 7 सभी देशों को साल 2030 तक भरोसेमंद बिजली का प्रावधान सुनिश्चित करता है. हालांकि अफ्रीका के सबसे कम विकसित देशों में अभी भी यह अंतर काफी ज़्यादा है. कम विकसित देशों ने अपने नेतृत्व को इस रूप में व्यक्त किया कि इन देशों ने 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण (2030 तक) को 100 फ़ीसदी अक्षय ऊर्जा (2050 तक) के जरिए प्राप्त करने का लक्ष्य तैयार किया है. सबसे कम विकसित देश अपनी कम बिजली पहुंच की दर से फायदे की स्थिति में रहते हैं क्योंकि ये अपने इस्तेमाल में नहीं लाए गए हाइड्रो, सोलर और बगैर ग्रीड समाधान के ज़रिये बिजली की कमी को पूरा कर सकते हैं. हालांकि, 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य को 100 फ़ीसदी अक्षय ऊर्जा के जरिए प्राप्त करना इस बात पर भी निर्भर करता है कि किसी भी देश में स्थानीय अक्षय ऊर्जा की कितनी क्षमता है.

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