17 से 18 अक्टूबर के बीच चीन ने बीजिंग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए तीसरे बेल्ट एंड रोड फोरम (BRF) की मेज़बानी की. इस साल का आयोजन ख़ास था क्योंकि ये बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की 10वीं सालगिरह है. बीजिंग में आयोजित शिखर सम्मेलन में 130 देशों के मंत्रियों और 30 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भागीदारी की. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन के एक प्रमुख मेहमान थे जिन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भाषण दिया. पुतिन 2017 और 2019 में आयोजित शिखर सम्मेलनों में भी शामिल हुए थे. लेकिन भारत पहले की दोनों बैठकों की तरह इस समिट से भी दूर रहा.
10 साल पहले जब चीन ने BRI की शुरुआत की थी तो उसका इरादा अफ्रीका के ज़रिए एशिया और यूरोप के बीच ज़मीनी और समुद्री संपर्क स्थापित करना था.
10 साल पहले जब चीन ने BRI की शुरुआत की थी तो उसका इरादा अफ्रीका के ज़रिए एशिया और यूरोप के बीच ज़मीनी और समुद्री संपर्क स्थापित करना था. तब से चीन ने 150 से ज़्यादा देशों और 30 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ BRI को लेकर 200 से ज़्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. इस अवधि के दौरान BRI के सदस्यों के साथ चीन का वाणिज्य 19.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया जो 6.4 प्रतिशत औसत सालाना विकास की दर से बढ़ा. चीन और उसके साझेदारों के बीच दो-तरफा निवेश भी 380 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है.
जब बात अफ्रीका की आती है तो BRI की शुरुआत के समय से इस महादेश में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. मौजूदा समय में अफ्रीका के 54 में से 53 देश BRI के हिस्से हैं. लेकिन 2016 में चरम पर पहुंचने के बाद अफ्रीका में चीन के कर्ज़ की रकम में लगातार गिरावट आई है. 2020-2022 के दौरान कोविड-19 महामारी के आर्थिक असर ने इस गिरावट को तेज़ किया क्योंकि कर्ज का औसत महामारी से पहले के वर्षों (2017-2019) और महामारी के वर्षों (2020-2022) के बीच 37 प्रतिशत कम होकर 213.03 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 135.15 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.
वास्तव में इस लगातार गिरावट के पीछे कई कारण हैं. पहले तो कोविड-19 के फैलने से वैश्विक वित्तीय व्यवस्था चरमरा गई और बाद में यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से. इसके नतीजतन चीन की सार्वजनिक फंडिंग में कमी आई. इसके अलावा, चीन को इस समय के दौरान घरेलू चुनौतियों से भी जूझना पड़ा. चीन के विकास में स्थानीय सरकार के राजस्व ने हमेशा एक प्रमुख भूमिका निभाई है. लेकिन 2021 में महामारी के दौरान प्रॉपर्टी एवं ज़मीन की कीमत में गिरावट और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी ने स्थानीय सरकारों के लिए राजस्व में कमी के हालात पैदा किए. 2022 के पहले आठ महीनों में प्रांतों का राजस्व घाटा 948 अरब अमेरिकी डॉलर था. युवाओं के बीच बढ़ती बेरोज़गारी, उम्रदराज आबादी और भू-राजनीतिक अशांति- सभी ने बड़े पैमाने पर कर्ज़ देने में कमी के चीन के फैसले पर असर डाला है.
इसे देखते हुए अफ्रीका के साथ चीन की पिछले दिनों की आर्थिक बातचीत की तथ्यात्मक समीक्षा मौजूदा रुझान के विश्लेषण और हाल के BRF एवं उससे परे अफ्रीका के लिए कुछ नतीजों का पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगी.
कर्ज़दाता और सेक्टर के हिसाब से संरचना
2022 में अफ्रीका को चीन से नौ कर्ज़ मिले जो कुल मिलाकर 994.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर थे जबकि 2021 में 1.22 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज़ मिला था. इस तरह लगातार दूसरे साल अफ्रीका को चीन से 2 अरब अमेरिकी डॉलर से कम कर्ज़ मिला. सभी ऋण की कुल रक़म के मामले में चीन के निर्यात-आयात बैंक (CHEXIM) और चाइना डेवलपमेंट बैंक (CDB) को मिलाकर 79 प्रतिशत हिस्सा रहा. चाइना शिपबिल्डिंग ट्रेडिंग कंपनी (CSTC), चाइना नेशनल एरो-टेक्नोलॉजी इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CATIC) और बैंक ऑफ चाइना (BoC) कर्ज़ देने वाले दूसरे संस्थान थे.
चीन की योजना में दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका की प्रमुखता पर विचार करते हुए 2021-2022 में पश्चिम अफ्रीका के द्वारा कर्ज़ लेना ध्यान देने योग्य है. इसकी एक संभावित वजह ये है कि पश्चिम अफ्रीकी देश BRI की योजना में आधिकारिक तौर पर बहुत बाद में शामिल हुए थे.
परिवहन, पर्यावरण, ICT, शिक्षा, रक्षा एवं सैन्य, पानी/स्वच्छता/कूड़ा, उद्योग, व्यापार और सेवाएं उन परंपरागत और गैर-परंपरागत क्षेत्रों में शामिल थे जिन्हें 2021-2022 में फंडिंग मिली. फिर भी, कुल कर्ज़ में से 72 प्रतिशत हिस्सा परिवहन, ऊर्जा और ICT उद्योगों के लिए दिया गया. ये चीन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को उजागर करता है.
भौगोलिक बनावट
2000 से 2022 के दौरान 69 प्रतिशत वित्तीय मदद अंगोला, इथियोपिया, केन्या, ज़ांबिया, मिस्र, नाइजीरिया, सूडान, दक्षिण अफ्रीका, कैमरून और घाना को मिली. इससे अफ्रीका महादेश में कर्ज़ लेने वाले बड़े देशों के बारे में पता चलता है. इसके अलावा, कर्ज़ लेने वाले देशों की भौगोलिक बनावट पहले के वर्षों से अलग थी. 2021 और 2022 में पश्चिम अफ्रीकी देशों को कर्ज़ का अच्छा हिस्सा मिला जबकि ये देश पहले बहुत ज़्यादा कर्ज़ नहीं लेने वाले नहीं रहे हैं.
चीन की योजना में दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका की प्रमुखता पर विचार करते हुए 2021-2022 में पश्चिम अफ्रीका के द्वारा कर्ज़ लेना ध्यान देने योग्य है. इसकी एक संभावित वजह ये है कि पश्चिम अफ्रीकी देश BRI की योजना में आधिकारिक तौर पर बहुत बाद में शामिल हुए थे. 2013 में जब BRI की शुरुआत की गई थी तो केवल पूर्वी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ अफ्रीका (उत्तर-पूर्व अफ्रीका) ही हिंद महासागर और स्वेज़ नहर को जोड़ने वाले समुद्री व्यापार रूट बनाने के लिए BRI में शामिल हुए थे. वैसे तो इसकी वजह से दूसरे अफ्रीकी देशों को चीन का कर्ज़ लेने से अलग नहीं किया गया लेकिन पूरे पूर्वी अफ्रीका में कई BRI परियोजनाओं को विकसित किया गया जैसे कि 2013 में इथियोपिया-ज़िबूती स्टैंडर्ड गॉज रेलवे (SGR) और 2014 में केन्या में स्टैंडर्ड गॉज रेलवे. इस तरह, पूर्वी अफ्रीका में कर्ज़ 2013 में चरम पर पहुंच गया. लेकिन चूंकि चीन का लक्ष्य अफ्रीका के पश्चिमी तट के बंदरगाह हैं, इसलिए 2018 से पश्चिमी अफ्रीका के देशों को चीन के ऋण में भारी बढ़ोतरी हुई. इसका मुख्य कारण घाना और नाइजीरिया को कर्ज़ है.
कर्ज़ राहत
कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 2021 में अफ्रीका के लगभग 40 प्रतिशत देश कर्ज़ संकट के अधिक जोख़िम का सामना कर रहे थे और लगभग 18 प्रतिशत देश कर्ज़ के संकट में फंसे हुए थे. 2021 में G20 डेट सर्विस सस्पेंशन इनिशिएटिव (DSSI जो कि ग़रीब देशों के कर्ज़ को टालने और ब्याज कम करने की पहल है) में शामिल 48 देशों में से 30 अफ्रीका से थे. अफ्रीका के प्रमुख देनदारों, जिनमें इथियोपिया और ज़ांबिया शामिल थे, ने 2021 में G20 कॉमन फ्रेमवर्क डेट रिलीफ के लिए आवेदन किया; इसके बाद 2022 में घाना भी इसमें शामिल हो गया. DSSI की अवधि के दौरान अंगोला को 6.2 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज़ का भुगतान करने में राहत मुहैया कराई गई. चीन को 17 अफ्रीकी देशों को दिए गए 23 कर्ज़ों को भूलना पड़ा और कई दूसरे अफ्रीकी देशों को कर्ज़ में राहत और टालने के उपाय करने पड़े.
असफल बातचीत और छोड़ी गई परियोजनाएं
असफल बातचीत और परियोजनाओं को छोड़ने के कुछ प्रमुख कारणों में शर्तों को लेकर असहमति, अफ्रीकी देशों के द्वारा परियोजना की लागत में अपना हिस्सा नहीं देने का जोख़िम, अफ्रीकी कर्ज़ के स्तर को लेकर चिंताएं और चीन के द्वारा विदेशों में कोयला परियोजनाओं को धीरे-धीरे फंडिंग बंद करने का वादा शामिल हैं. उदाहरण के लिए, रुकी हुई बातचीत की वजह से बोत्सवाना 300 किलोमीटर लंबी सड़क पुनर्वास परियोजना से बाहर हो गया. इसकी वजह ये थी कि नियमों और शर्तों में अंतर के कारण वित्तीय बातचीत में उम्मीद से ज़्यादा समय लगा. केन्या और युगांडा ने 2023 में इसी वजह से नैवेशा से कंपाला स्टैंडर्ड गॉज रेलवे (SGR) को लेकर बातचीत से अलग होने का फैसला लिया. इससे पहले, इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड (ICBC) ने 3 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाले ज़िम्बाब्वे में कोयले से चलने वाले सेंगवा पावर प्लांट और केन्या में कोयले से चलने वाले लामू पावर स्टेशन की फंडिंग बंद कर दी.
निष्कर्ष
BRI की परिकल्पना चीन की इस कहावत के चरित्र के तहत की गई थी कि “अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो पहले सड़क बनाइए”. लेकिन दुनिया इस समय बहुत ज़्यादा अशांति और तेज़ बदलाव के दौर से गुज़र रही है. इसके नतीजे में, अफ्रीका में चीन की BRI परियोजनाएं भी इस तेज़ी से बदलती दुनिया की प्रतिक्रिया में बदल रही हैं. 2021 के बेल्ट एंड रोड कंस्ट्रक्शन सिम्पॉज़ियम (संगोष्ठी) में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग्रीन (हरित) BRI और “शिआओ एर मी रणनीति” के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय कर्ज़ को लेकर रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
चीन के द्वारा अफ्रीका में वित्तीय समर्थन का रुझान फिर से तेज़ होने की संभावना है लेकिन निश्चित तौर पर ये उन वर्षों की तरह नहीं होगा जब ये अपने चरम पर था.
“शिआओ एर मी” मुहावरे का शाब्दिक अनुवाद है “छोटा और सुंदर”. ये इशारा करता है कि कर्ज़दाताओं को मामूली और कीमती- दोनों तरह के प्रयासों का समर्थन करने की कोशिश करनी चाहिए. यहां 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर से कम या बड़े सिंडिकेटेड लोन, जहां कई तरह के कर्ज़दाता ऋण में एक बड़े हिस्से का योगदान करते हैं, को “छोटा” माना जाता है. जो प्रोजेक्ट वित्तीय व्यावहारिकता के मामले में महत्वपूर्ण, समाज एवं पर्यावरण के हिसाब से अनुकूल और/या राजनीतिक तौर पर अहम होते हैं, उन्हें “सुंदर” माना जाता है.
इसके अलावा सितंबर महीने के आख़िर में चीन ने “साझा भविष्य का एक वैश्विक समुदाय: चीन के प्रस्ताव और कदम” शीर्षक से एक श्वेत पत्र जारी किया. ये दस्तावेज़ शिखर सम्मेलन के संभावित विषयों के बारे में जानकारी मुहैया कराता है. चीन के द्वारा अफ्रीका में वित्तीय समर्थन का रुझान फिर से तेज़ होने की संभावना है लेकिन निश्चित तौर पर ये उन वर्षों की तरह नहीं होगा जब ये अपने चरम पर था. पिछले दिनों आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम और 2024 में आयोजित होने वाली FOCAC (फोरम ऑन चाइना-अफ्रीका कोऑपरेशन) बैठक इस मामले पर और प्रकाश डालेगी कि क्या कर्ज़ देने की व्यवस्था में ये बदलाव अफ्रीका में चीन के BRI प्रोजेक्ट के आने वाले समय में भी बना रहेगा या नहीं. लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर से कम के कर्ज़ और ज़्यादा अनुकूल सामाजिक एवं पर्यावरणीय नतीजों के साथ कर्ज़ का अफ्रीका में भविष्य की BRI परियोजनाओं में दबदबा होने की संभावना है.
समीर भट्टाचार्य विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में सीनियर रिसर्च एसोसिएट हैं.
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