Author : Rumi Aijaz

Published on Oct 07, 2022 Updated 0 Hours ago

‘एमपीडी 2041’ शहर के भावी विकास के मार्गदर्शन के लिए एक रूपरेखा हो सकता है और नियोजन से जुड़ी अंतर्निहित समस्याओं के समाधान के लिए काम कर सकता है.

‘दिल्ली के लिए परिवहन और पर्यावरण संबंधी प्रस्ताव’

दिल्ली और पड़ोसी राज्यों हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शहरों/गांवों के बीच मज़बूत कार्यात्मक संबंध हैं. हर दिन, बड़ी संख्या में लोग कामकाज, पढ़ाई, या व्यापार संबंधी कारणों से दिल्ली आते हैं 

उपलब्ध अवसरों से लोग लाभान्वित होते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में इधर से उधर होने वाली आवाजाही से दिल्ली के मौजूदा बुनियादी ढांचों, सेवाओं, और पर्यावरण पर भारी दबाव पड़ता है. इस लगातार परिवर्तनशील स्थिति से समुचित ढंग से निपटने में संबंधित प्रशासनिक एजेंसियों की अक्षमता के परिणामस्वरूप कई समस्याएं पैदा हुई हैं. 

क्षेत्रीय पहलक़दमियों का लक्ष्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में संतुलित विकास सुनिश्चित करना है. यह लक्ष्य ग्रामीण और शहरी बसावटों के उन्नयन और विभिन्न तरह की विकास परियोजनाओं को क्षेत्रीय पैमाने पर लागू करके हासिल किया जा रहा है.

समस्याओं के निवारण के लिए, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा केंद्र के सहयोग से एक सहयोगात्मक नियोजन एवं विकास रणनीति आगे बढ़ायी जा रही है. यह इस एहसास के चलते है कि क्षेत्रीय समस्याओं – साथ ही साथ आवश्यकताओं – से केवल शहर-स्तरीय एजेंसियों के स्वतंत्र प्रयासों के ज़रिये नहीं निपटा जा सकता.

क्षेत्रीय पहलक़दमियों का लक्ष्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में संतुलित विकास सुनिश्चित करना है. यह लक्ष्य ग्रामीण और शहरी बसावटों के उन्नयन और विभिन्न तरह की विकास परियोजनाओं को क्षेत्रीय पैमाने पर लागू करके हासिल किया जा रहा है. उदाहरण के लिए, दिल्ली मेट्रो रेल गलियारे का विस्तार पास-पड़ोस के शहरों बहादुरगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद और नोएडा तक किये जाने से क्षेत्रीय गतिशीलता (मोबिलिटी) को बढ़ाने में बहुत मदद मिली है. इसके अन्य फ़ायदे ट्रैफिक की भीड़भाड़ और कार्बन उत्सर्जन में कमी हैं.

दिल्ली के लिए मास्टर प्लान में प्रस्तावित समाधान

दिल्ली के लिए आगामी मास्टर प्लान (एमपीडी 2041) अब तक ध्यान नहीं दिये गये मुद्दों से निपटने के लिए कुछ नये विचार पेश करता है. यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, परिवहन बुनियादी ढांचे, और पर्यावरण को प्राथमिकता देता है.

राजधानी क्षेत्र में यात्रा करना आसान नहीं है, ख़ासकर निम्न-आय वाले समुदायों के लिए, क्योंकि कई स्थान/यात्रा गलियारे अब भी सार्वजनिक परिवहन सेवा के तहत नहीं आ पाये हैं. दूसरे समुदायों ने मोटर वाहन ख़रीद कर और उसका इस्तेमाल कर इस समस्या से छुटकारा पाया है. रहन-सहन के इस पैटर्न की वजह से निजी मोटर वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, साथ ही इससे जुड़े ट्रैफिक जाम, कार्बन उत्सर्जन और बढ़ते तापमान जैसे मुद्दे खड़े हुए हैं.   

दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के हिस्सों में फैली अरावली रिज में समृद्ध जीव व वनस्पति संसार को संरक्षित करने की भी सिफ़ारिश की गयी है. रिज के कुछ स्थानों पर अनधिकृत निर्माण के मामले सामने आये हैं.

मल्टी-मोडल यातायात प्रवाह एवं दैनिक-यात्री आवाजाही का मार्ग प्रशस्त करने के लिए, मसौदा मास्टर प्लान मौजूदा रेलवे स्टेशनों और अंतर-राज्यीय बस टर्मिनलों (आईएसबीटी) के उन्नयन, नये क्षेत्रीय सड़क/रेल गलियारों और सार्वजनिक परिवहन अदला-बदली सुविधाओं के विकास, आगामी रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) के स्टेशनों की उचित लोकेशन और दूसरे जन परिवहन स्टेशनों के साथ उनके एकीकरण का प्रस्ताव करता है.  82.5 किलोमीटर लंबा एक आरआरटीएस गलियारा दिल्ली और मेरठ को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है.

माल वाहनों के लिए पार्किंग, भंडारण जैसी माल ढुलाई संबंधी सुविधाओं की मांग पूरी करने के लिए नये क्षेत्रीय माल ढुलाई कॉम्प्लेक्स (आईएफसी) विकसित करने और मौजूदा आईएफसीज के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव किया गया है.

बेहतर परिवहन योजना और उसके क्रियान्वयन तथा दैनिक संचालन के बेहतर समन्वय के लिए, पूर्व एमपीडी द्वारा प्रस्तावित ‘यूनिफाइड मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी’ (यूएमटीए) के गठन पर फिर ज़ोर दिया गया है.  

अधिकांश महीनों में एनसीआर में हवा की गुणवत्ता ख़राब रहती है. धूल भरी हवाओं जैसे प्राकृतिक कारक भी हवा की गुणवत्ता कम करने में भूमिका निभाते हैं, लेकिन इसके लिए मुख्यतया मानव गतिविधियां जैसे निम्न गुणवत्ता के मोटर वाहन/औद्योगिक ईंधन का इस्तेमाल, सड़क एवं भवन निर्माण के भयानक तरीक़े, और कृषि/शहरी कचरे का अपर्याप्त निस्तारण ज़िम्मेदार हैं. 

नगरीय एजेंसियां वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए हरियाली और सतही जल निकायों को बनाये रखने के महत्व को भलीभांति समझती हैं. हालांकि, इस संबंध में काफ़ी उपेक्षा दिखायी पड़ती है.

घटती वायु गुणवत्ता की समस्या के संबंध में, संबंधित राज्य और स्थानीय सरकारों को ‘एनसीआर और आसपास के इलाक़ों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग’ द्वारा तैयार ऐक्शन प्लान को लागू करने पर अवश्य विचार करना चाहिए

मसौदा एमपीडी 2041 दिल्ली के चारों ओर तथा यमुना नदी के किनारे-किनारे ग्रीन बफ़र्स/हरित पट्टियां बनाये रखने पर ज़ोर देता है. इस काम में पेड़-पौधे लगाना शामिल है, जो प्रदूषण फिल्टर का का कार्य करेंगे और स्थानीय स्तर पर गर्मी बढ़ने की समस्या को भी नियंत्रित करेंगे.

दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के हिस्सों में फैली अरावली रिज में समृद्ध जीव व वनस्पति संसार को संरक्षित करने की भी सिफ़ारिश की गयी है. रिज के कुछ स्थानों पर अनधिकृत निर्माण के मामले सामने आये हैं. इसके अलावा, हरियाणा के प्राधिकरण भी यहां विकास गतिविधियों को एक योजनाबद्ध तरीक़े से संचालित करने में रुचि रखते हैं. इस तरह का कार्यकलाप रिज की जैव-विविधता के लिए ख़तरा हैं.

यमुना नदी में प्रदूषण का बढ़ता स्तर

यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण एक और चिंता है. कई जगहों पर नदी के बहाव में अनुपचारित अपशिष्ट जल, औद्योगिक निकास, और कचरा गिराया जाता है. इसी तरह की समस्या दिल्ली की नजफगढ़ झील में भी देखी जाती है, जिसमें गुरुग्राम से आया अनुपचारित सीवेज गिरता है. सतही जल निकायों में अशुद्धियां वन्यजीवन और ऐसे निकायों पर निर्भर निम्न-आय वाले समुदायों को नुक़सान पहुंचा सकती हैं. सुझाये गये उपायों में निस्तारण से पहले अपशिष्ट जल का उपचार और कचरे का प्रसंस्करण/रिसाइक्लिंग शामिल हैं.

ऊपर के अनुच्छेद, दिल्ली में परिवहन और पर्यावरण बेहतर बनाने के लिए, मसौदा एमपीडी 2041 में शामिल योजना प्रस्तावों का ज़िक्र करते हैं. इन प्रस्तावों को जल्द लागू किया जाना दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा मसौदा योजना को जल्द अंतिम रूप दिये जाने पर निर्भर है.

इन प्रस्तावों के अलावा, राजधानी क्षेत्र में अनसुलझी समस्याओं के निवारण के लिए कई और नियोजन हस्तक्षेपों की ज़रूरत है. सबसे पहले, कुछ व्यस्ततम सड़क यात्रा गलियारों – जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) संख्या 48 के दिल्ली-गुरुग्राम खंड, या गुरुग्राम-फरीदाबाद राजमार्ग – को सक्षम सार्वजनिक जन परिवहन प्रणालियों/बस सेवाओं से लैस किया जाना चाहिए. अभी, हजारों मोटर वाहन मालिक हर रोज़ इन गलियारों का इस्तेमाल करते हैं, और यातायात प्रबंधन में प्रशासनिक अक्षमताएं जाम और ख़राब वायु गुणवत्ता की समस्या खड़ी करती हैं. दूसरी तरफ़, सार्वजनिक परिवहन की बसों पर भरोसा करने वाले लोग अपर्याप्त और कम बारंबारता वाली सेवा की समस्या का सामना करते हैं. दूसरा, पहले/अंतिम मील तक कनेक्टिविटी और स्टेशनों के बाहर ट्रैफिक की भीड़भाड़ के मसले से निपटने के लिए सभी अंतर-नगरीय बस एवं मेट्रो रेल स्टेशनों को स्थानीय फीडर बस सेवाओं से जोड़ना चाहिए. इस तरह की सेवाएं कुछ मेट्रो रेल स्टेशनों के बाहर परीक्षण के तौर पर उपलब्ध करायी गयी थीं. हालांकि, निजी बस संचालकों ने अपनी सेवाओं का परिचालन वापस ले लिया, क्योंकि वे सरकारी एजेंसी के साथ अनुबंध के समझौते की प्रकृति से असंतुष्ट थे. ऐसी सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण, बड़ी संख्या में लोग स्टेशनों तक पहुंचने के लिए अपने मोटर वाहनों का उपयोग करते हैं, जहां इतनी बड़ी तादाद में वाहनों को जगह दे पाने में पार्किंग लॉट अक्षम होते हैं. जिनके पास अपने वाहन नहीं होते उन्हें स्टेशनों तक जाने या वहां से आने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. अंत में, घटती वायु गुणवत्ता की समस्या (ख़ासकर जाड़े के महीनों के दौरान, हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश में फसलों की खूंटियां जलाये जाने के कारण) के संबंध में, संबंधित राज्य और स्थानीय सरकारों को ‘एनसीआर और आसपास के इलाक़ों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग’ द्वारा तैयार ऐक्शन प्लान को लागू करने पर अवश्य विचार करना चाहिए. यह प्लान फसलों के अवशेष के प्रबंधन के लिए स्वच्छ और वहनीय समाधानों, जैसे बायो-डिकम्पोजर के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल, बायोमास बिजली परियोजनाओं में धान के पुआल के उपयोग की पेशकश करता है. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की ख़रीद के लिए किसानों को वित्तीय सहायता भी मुहैया करायी जाती है. उनके पास ‘कस्टम हायरिंग सेंटर्स’ से मशीनें किराये पर लेने का विकल्प भी है.

कुल मिलाकर, दिल्ली में रहने वाले ज़्यादातर लोग अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन सेवाओं और प्रदूषण की वजह से दैनिक यात्रा में कठिनाइयों का सामना करते हैं. संबंधित राज्य और स्थानीय सरकारों को इन समस्याओं के जल्द समाधान की दिशा में काम करना चाहिए.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.