Author : Tanya Aggarwal

Expert Speak India Matters
Published on Apr 25, 2024 Updated 0 Hours ago

दुनिया के मंच पर एक अग्रणी उत्पादन का केंद्र बनने के भारत के सपने को साकार करने के लिए PLI योजना को सफलतापूर्वक लागू करना महत्वपूर्ण होगा.

मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में परिवर्तन: भारत की PLI योजना पर नज़र

अमेरिका और चीन के बीच टेक वॉर (तकनीकी युद्ध) के बीच मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में अग्रणी देश चीन से अलग होने, दूर जाने और विविधता लाने की तरफ रुझान बढ़ रहा है. चीन की हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में कमी आई है. 2023 में उसका उद्योग महज़ 2.7 प्रतिशत बढ़ा है जो 2018 से “विकास का सबसे कम स्तर” है. इससे मिलता-जुलता एक और रुझान ये है कि दुनिया भर की सरकारें ग्लोबल सप्लाई चेन की फिर से समीक्षा कर रही हैं और चीन से अलग सप्लाई चेन में विविधता लाने के काम में लगी हुई हैं. चीन के बदले कई सरकारें दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को प्राथमिकता दे रही हैं.  

भारतीय स्टेट बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021 में चीन से 48.75 लाख करोड़ रुपये का आयात हुआ. इसमें लगभग 3,950 करोड़ रुपये का आयात PLI स्कीम के तहत आने वाली वस्तुओं और सामानों का है. 

भारत भी अपनी आत्मनिर्भर भारत पहल के ज़रिए उत्पादन में आत्मनिर्भरता की वकालत करके इस रुझान का फायदा उठा रहा है. इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार ने मार्च 2020 में प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना की शुरुआत की जो कंपनियों को निवेश और उनकी हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग की क्षमताओं में विस्तार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करके एक रणनीतिक हथियार के रूप में काम करे. ये योजना बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करना चाहती है और टेक्सटाइल, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान, फार्मास्यूटिकल्स और केमिकल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में देश के तकनीकी कौशल को बढ़ाना चाहती है. भारतीय स्टेट बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021 में चीन से 48.75 लाख करोड़ रुपये का आयात हुआ. इसमें लगभग 3,950 करोड़ रुपये का आयात PLI स्कीम के तहत आने वाली वस्तुओं और सामानों का है. अगर ये योजना निर्भरता 20 प्रतिशत कम करने में सफल होती है तो ये भारत की GDP में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का योगदान कर सकती है.  

तालिका 1: जिन क्षेत्रों में PLI का एलान किया गया है उनमें चीन से आयात

 

सेक्टर

मिलियन अमेरिकी डॉलर में

कृषि सामान

302

इलेक्ट्रॉनिक्स

2,3731

टेक्सटाइल्स

2,193

केमिकल

13,599

PLI सेक्टर में चीन से कुल आयात 

39,825

अगर हम अपनी निर्भरता 20% कम करते हैं तो GDP में बढ़ोतरी

7,965

अगर हम अपनी निर्भरता 30% कम करते हैं तो GDP में बढ़ोतरी

11,948

अगर हम अपनी निर्भरता 50% कम करते हैं तो GDP में बढ़ोतरी

19,913

 

स्रोत: SBI रिसर्च, CMIE

PLI स्कीम के बारे में जानिए

PLI स्कीम की शुरुआत अर्थव्यवस्था के रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. इस योजना के तहत योग्य कंपनियां एक निश्चित बेस ईयर (आधार वर्ष) में उत्पादन में बढ़ोतरी के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन हासिल करती हैं. ये प्रोत्साहन कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग की क्षमताओं में बढ़ोतरी, नई तकनीकों में निवेश और अपने उत्पादन की क्षमता का विस्तार करने के लिए बढ़ावा देता है जिससे नौकरियों के अवसर का निर्माण करने में मदद मिलती है. उत्पादन की मात्रा से इन्सेंटिव को जोड़कर PLI स्कीम कंपनियों को अपना काम-काज बढ़ाने और स्थानीय सप्लाई चेन में जुड़कर देश के आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए बढ़ावा देती है. 

शुरुआत के समय PLI योजना के दायरे में तीन सेक्टर थे: मोबाइल उत्पादन एवं इलेक्ट्रिक पुर्जे, फार्मास्यूटिकल और मेडिकल उपकरण का उत्पादन. इसके सकारात्मक असर को देखते हुए अगस्त 2023 में सरकार ने 1.97 लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ इसका विस्तार भारत के आर्थिक विकास और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण 14 प्रमुख क्षेत्रों तक करने का एलान किया. ये इशारा देता है कि पांच साल के भीतर न्यूनतम उत्पादन 3.75 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाने का अनुमान है. देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देकर भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की प्रधानमंत्री मोदी की योजना में PLI स्कीम एक महत्वपूर्ण कदम है. उम्मीद है कि उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के दूसरे फायदे भी होंगे. सबसे पहले, उत्पादकों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर PLI स्कीम का मक़सद प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है. इस तरह आर्थिक वृद्धि और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. दूसरा, ये योजना निर्यात केंद्रित उद्योगों के लिए उत्पादन को प्रोत्साहन देकर निर्यात के मामले में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है. ये वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा बढ़ाना चाहती है और आयात पर निर्भरता कम करना चाहती है. अंत में, स्थानीय उत्पादन में बढ़ोतरी से अगले पांच वर्षों में लगभग 60 लाख नई नौकरियां पैदा करके देश में रोज़गार बढ़ने की उम्मीद भी है.    

PLI के प्रदर्शन की समीक्षा

PLI स्कीम की घोषणा ठीक कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय की गई थी. महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन, सप्लाई चेन में रुकावट और आर्थिक अनिश्चितताओं का दुनिया भर में महत्वपूर्ण असर था. शुरुआत में PLI योजना मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की सरकार की व्यापक रणनीति के तौर पर लाई गई थी लेकिन इसने देश को महामारी से उबरने में मदद की. हालांकि योजना को लागू करने में देरी हुई और ज़्यादातर योजनाओं को 2021-22 में सक्रिय किया गया. इनके पांच साल के कार्यकाल को देखते हुए योजना के पूरे असर की समीक्षा करना अभी बाकी है लेकिन शुरुआती चरण सफल दिख रहे हैं. नवंबर 2023 तक योजना में 1.03 लाख करोड़ का निवेश हुआ है, 3.20 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया गया है और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष ढंग से 6 लाख से ज़्यादा नौकरियां पैदा हुई हैं. इस योजना से लाभ उठाने वालों में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज़ (MSME) के साथ-साथ बड़े व्यवसाय भी हैं और इसने फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में कच्चे माल को लेकर आयात पर भारत की निर्भरता को काफी कम किया है. ये देखते हुए कि इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का उत्पादन और फार्मास्यूटिकल्स इस योजना के तहत शुरुआती क्षेत्रों में शामिल थे, ऐसे में उन पर पड़े असर पर गौर करने से स्थिति सबसे ज़्यादा साफ होगी. 

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग

हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. तकनीक़ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बढ़ोतरी के कारण ये तेज़ी आई है और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए PLI स्कीम का उद्देश्य इस तेज़ी का लाभ उठाना है. PLI स्कीम की शुरुआत के समय से इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की कई बड़ी कंपनियों ने भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग का काम-काज शुरू करने या विस्तार करने की योजना का एलान किया है. भारत में मैन्युफैक्चरिंग का परिदृश्य बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रहा है, विशेष रूप से स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के उत्पादन में. एपल के बड़े कॉन्ट्रैक्ट उत्पादक जैसे कि फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन इस मुकाबले में शामिल हो गए हैं और देश में ही आईफोन, आईपैड और मैकबुक का उत्पादन कर रहे हैं. इस बदलाव के तहत सेमीकंडक्टर सुविधाओं की स्थापना भी हो रही है जिसका उदाहरण गुजरात में वेदांता-फॉक्सकॉन का तालमेल है जो बड़े पैमाने के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में भारत की पैठ को और मज़बूत कर रहा है. इस बदलाव ने कुल मिलाकर 4,784 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है और 2.04 लाख करोड़ रुपये के कुल उत्पादन मूल्य (प्रोडक्शन वैल्यू) का योगदान किया है जबकि निर्यात 80,769 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. सितंबर 2022 तक बड़े पैमाने का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन एक अलग सेक्टर के तौर पर उभरा है जिसने 28,636 नौकरियां पैदा की हैं और स्मार्टफोन के निर्यात में 139 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. 

भारत के बड़े उपभोक्ता बाज़ार और हुनरमंद वर्कफोर्स के साथ PLI स्कीम का आकर्षण उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक अच्छा प्रस्ताव है जो अपने उत्पादन का विस्तार करना चाहती हैं.

भारत के बड़े उपभोक्ता बाज़ार और हुनरमंद वर्कफोर्स के साथ PLI स्कीम का आकर्षण उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक अच्छा प्रस्ताव है जो अपने उत्पादन का विस्तार करना चाहती हैं. उत्पादन से जुड़े इन पहलुओं का संगम दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग की महाशक्ति के रूप में भारत के उदय को रेखांकित करता है और इनोवेशन एवं औद्योगिक प्रगति के एक नए युग की शुरुआत करता है. 

फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग

फार्मास्यूटिकल उद्योग PLI स्कीम का एक बड़ा लाभार्थी है और वो जेनरिक दवाइयों और वैक्सीन के बड़े निर्माता के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति का फायदा उठा रहा है. ऐतिहासिक रूप से देखें तो भारत महत्वपूर्ण घटकों (क्रिटिकल कंपोनेंट) के लिए आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहा है. इसकी वजह से फार्मास्यूटिकल सेक्टर सप्लाई चेन से जुड़े जोखिमों को लेकर संवेदनशील हो गया. PLI स्कीम का एक केंद्र बिंदु (फोकल प्वाइंट) है एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (API या दवाई के उत्पादन में प्रमुख सामग्री) और की स्टार्टिंग मैटेरियल (KSM या कच्चा माल) का उत्पादन. जनवरी 2023 तक PLI योजना के तहत बल्क ड्रग (थोक दवा) के लिए दो परियोजनाओं की शुरुआत की गई थी जिनमें 2,019 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और 23,000 लोगों को नौकरियां मिली. अपनी शुरुआत के समय से PLI स्कीम ने कई दवा कंपनियों को अपनी API और KSM उत्पादन की क्षमताओं का विस्तार करने के उद्देश्य से योजनाओं का एलान करने के लिए तैयार किया है. उदाहरण के लिए, रूसन फार्मा ने मध्य प्रदेश में एक नए API उत्पादन के केंद्र की शुरुआत की है जिसमें लगभग 300 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. 

उम्मीद की जा रही है कि ये निवेश दवाओं के उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएंगे और घरेलू के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर किफायती दवाओं की उपलब्धता में तेज़ी लाएंगे. इसके अलावा PLI स्कीम में ये क्षमता है कि वो रिसर्च और डेवलपमेंट के ज़रिए इनोवेशन को बढ़ाए. नई दवा बनाने, प्रक्रिया में सुधार और प्रोडक्ट क्वालिटी में बेहतरी के लिए निवेश करने वाली कंपनियां इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं. 

PLI योजना देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मज़बूत करने और उसे एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक साहसिक कदम है. उत्पादन को प्रोत्साहन देकर, इनोवेशन को बढ़ावा देकर और निवेश में बढ़ोतरी करके ये योजना औद्योगिक विकास और आर्थिक समृद्धि की एक नई लहर लाने की क्षमता रखती है. 

नीति से अभ्यास तक

भारत ने लंबे समय से मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया की महाशक्ति बनने की आकांक्षा रखी है लेकिन कड़े मुकाबले और संरचनात्मक चुनौतियों ने उसकी प्रगति में रुकावट डाली. PLI योजना देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मज़बूत करने और उसे एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक साहसिक कदम है. उत्पादन को प्रोत्साहन देकर, इनोवेशन को बढ़ावा देकर और निवेश में बढ़ोतरी करके ये योजना औद्योगिक विकास और आर्थिक समृद्धि की एक नई लहर लाने की क्षमता रखती है. जिस समय भारत कोविड-19 महामारी के द्वारा पेश चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है, उस समय PLI योजना को सफलतापूर्वक लागू करना दुनिया के मंच पर एक बड़ा उत्पादन केंद्र बनने के भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण होगा. मौजूदा समय में एक समान मानदंड (क्राइटेरिया) की कमी, इनाम देने के सिस्टम में अस्पष्टता और एक केंद्रीकृत (सेंट्रलाइज़्ड) डेटाबेस की गैर-मौजूदगी जैसी चुनौतियां इस योजना के कार्यान्वयन और पारदर्शिता में खामियां पैदा करती हैं. सप्लाई चेन और कच्चे माल की लागत एक और मुद्दा है जिसका समाधान करने की ज़रूरत है. उदाहरण के लिए, भारत में कंटेनर का उत्पादन चीन की तुलना में ज़्यादा खर्चीला है क्योंकि मुख्य सामग्री कॉर्टन स्टील चीन में सस्ता है. लंबे समय तक PLI योजना के लाभों को जारी रखने और बढ़ाने के लिए लगातार नीतिगत समर्थन, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और रेगुलेटरी सुधार आवश्यक होंगे. 


तान्या अग्रवाल ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च इंटर्न हैं.                                     

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