Author : Andre Kwok

Published on Jan 29, 2021 Updated 0 Hours ago

कोविड-19 की महामारी की स्थिति के बीच सबसे बड़ी वास्तविकता जो सामने आई है वह है किमानवता की बेहतरी के लिए उत्कृष्ट तकनीकों, अच्छी मानव प्रकृति और नकारात्मक राजनीति के बीच लड़ाई.

लचीले व टिकाऊ शहरों की ओर: डिजिटल तकनीक का उपयोग और वैश्विक शहरी गठजोड़

साल 2020 के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 की महामारी ने डिजिटलीकरण (digitalization) और औद्योगिक स्वचालन यानी ऑटोमेशन (industrial automation) की प्रक्रिया को तेज़ करने की ज़रूरत को रेखांकित किया है. उम्मीद की जा रही है कि साल 2025 तक यह श्रम बाज़ार में एक नाटकीय बदलाव लाएगा. इस सर्वे में भाग लेने वाली 43 प्रतिशत कंपनियों ने यह माना कि आने वाले सालों में उनकी ओर से नियुक्त किए लोगों की संख्य़ा में भारी कमी आएगी और श्रम की मांग लगातार कम होगी. इन में से 41 प्रतिशत कंपनियों के मुताबिक श्रमिकों को लेकर उनकी ज़रूरतें बदलेंगी और श्रमिकों में विशिष्ट डिजिटल कौशल की ज़रूरत होगी. इस बीच विश्व श्रमिक संगठन (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन) ने भी इस बात को सामने रखा है कि साल 2019 की चौथी तिमाही के मुकाबले 400 मिलियन नौकरियां ग़ायब हो जाएंगी. शहरों और आर्थिक तंत्र को इन ज़रूरतों के हिसाब से तैयार करने और लचीला बनाने को ले कर नए दृष्टिकोण अब शहरी डिजिटलीकरण पर निर्भर हैं. लेकिन त्वरित होने के बावजूद, शहरी डिजिटलीकरण की दिशा में वैश्विक गति लगातार धीमी बनी हुई है. कई उभरते हुए शहरों में, तकनीकी ज़रूरतों, शासन प्रणालियों, नीतिगत फ़ैसलों, मानव पूंजी के विकास और वित्तपोषण को ले कर अब भी तैयारी की कमी है.

इस बीच विश्व श्रमिक संगठन (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन) ने भी इस बात को सामने रखा है कि साल 2019 की चौथी तिमाही के मुकाबले 400 मिलियन नौकरियां ग़ायब हो जाएंगी.

कोविड-19 की महामारी की स्थिति के बीच सबसे बड़ी वास्तविकता जो सामने आई है वह है कि मानवता की बेहतरी के लिए उत्कृष्ट तकनीकों, अच्छी मानव प्रकृति और नकारात्मक राजनीति के बीच लड़ाई. ऐसे में समाज के सभी वर्गों के लिए विकास और समृद्धि सुनिश्चित करने में शहरों की क्या भूमिका हो सकती है?

एक बेहतर समाज बनाने की तैयारी

हाल के वर्षों में और पिछले 20 सालों में हांगकांग में गंभीर सामाजिक अस्थिरता देखी गई है. इस क्षेत्र में लोगों की बदलती राय और सार्वजनिक रुझानों का सार्वजनिक नीतियों पर लगातार असर पड़ा है. साथ ही अस्पष्ट राजनीतिक उद्यमशीलता और विधान परिषद की राजनीतिक प्रक्रियाओं ने भी हॉन्गकॉन्ग की व्यवस्था पर विपरीत असर डाला है. कोविड-19 ने हांगकांग को अपनी शासन व्यवस्था को बेहतर बनाने, वाणिज्यिक हितों की रक्षा करने और जनता में शासक वर्ग के प्रति विश्वास बहाल करने का नीतिगत अवसर दिया ताकि व्यावसायिक हितों को एक तरफ रख कर लोगों के विश्वास के साथ तालमेल बैठाया जा सके.

सरकारी मुख्य़ सूचना अधिकारी (Office of the Government Chief Information Officer, OGCIO) का कार्यालय, जो इस भौगोलिक क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) से संबंधित रणनीति तैयार करने के लिए ज़िम्मेदार है, ने जून 2019 में स्मार्ट गर्वनमेंट इनोवेशन लैब की शुरुआत की. यह आईटी कंपनियों के लिए सरकारी विभागों से सीधे जुड़ने का एक नया मंच है, जो सार्वजनिक व निजी पहल का मिलाजुला रूप है. यह लैब हॉन्गकॉन्ग में शहरी प्रबंधन से संबंधित विभिन्न चुनौतियों को संबोधित करने के लिए नए से नए समाधान, तकनीकों और उत्पादों को आमंत्रित करता है, साथ ही किसी तकनीक या विचार के सार्वजनिक होने से पहले एक ‘प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट’ तैयार करने का काम भी करता है ताकि उसे नीतिगत रूप से और नियामक वातावरण के अनुरूप जांचा जा सके और सार्वजनिक होने से पहले उसमें उचित फेरबदल किए जा सकें. इस पहल के तहत स्मार्ट प्रोपर्टी विज़ुअलाइज़ेशन के ज़रिए हरित ऊर्जा के उपयोग और क्षेत्र के बेहतर इस्तेमाल के अलावा खाद्य सामग्री की निगरानी के लिए आंकड़ों के संग्रह और विश्लेषण संबंधी सेवाओं जैसे परीक्षण शामिल हैं. यह संबंधित सरकारी विभागों को ख़रीद संबंधी फ़ैसलों और सटीक कार्यान्वयन व्यवस्था तैयार करने की सुविधा भी प्रदान करता है, जिसमें बेहतर समाज के गठन के लिए, एक डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ी नीतिगत रूपरेखा शामिल है.

इस पहल के तहत स्मार्ट प्रोपर्टी विज़ुअलाइज़ेशन के ज़रिए हरित ऊर्जा के उपयोग और क्षेत्र के बेहतर इस्तेमाल के अलावा खाद्य सामग्री की निगरानी के लिए आंकड़ों के संग्रह और विश्लेषण संबंधी सेवाओं जैसे परीक्षण शामिल हैं.

नवंबर 2020 में, सरकारी मुख्य सूचना अधिकारी के दफ़्तर यानी ओजीसीआईओ (OGCIO) ने iAM (आईएम) स्मार्ट के रूप में, व्यक्तिगत डेटा (गोपनीयता) अध्यादेश द्वारा संरक्षित एक ऐसी सुविधा लॉंच की जिस का मकसद, मोबाइल के ज़रिए आसान व स्मार्ट रूप में इंटरनेट तक पहुंच सुनिश्चित करना है. ‘आईएएम स्मार्ट’ ऐप सार्वजनिक उपयोगिताओं और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है, जिसमें कानूनी रूप से वैध तरीके से फ़ॉर्म भरने के साथ डिजिटल हस्ताक्षर शामिल हैं, जो हॉन्गकॉन्ग में मान्य डिजिटल पहचान पत्र के अंतर्गत आते हैं. यह सुविधा 11 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए है. यह ऐप हॉन्गकॉन्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिन्होंने महामारी के बीच सार्वजनिक सुविधाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए इसका उपयोग किया.

ऐसे में हॉन्गकॉन्ग के इस उदाहरण से दूसरे शहर क्या सबक सीख सकते हैं? कोविड-19 की महामारी के चलते, दुनिया भर के कई शहरों में शासन प्रणाली को लेकर भी असमंजस और उथल पुथल का माहौल है. हालांकि, कोविड-19 ने अधिक से अधिक रूप से शहरी डिजिटलीकरण और ‘न्यू नॉर्मल’ को अपनाने की दिशा में संकेत दिया है, लेकिन सरकारों को इसके अंतर्गत सार्वभौमिक और सभी के लिए समान समृद्धि के अवसर के रूप में, ज़मीनी स्तर से उपर की ओर (bottom-up approach) की रणनीति अपनानी होगी जो सह-निर्माण, पारदर्शी नीतियों और प्रशासनिक उद्यमिता के दृष्टिकोण पर आधारित हो.

बेहतर ढंग से विकसित शहर व राज्य और हांगकांग, सिंगापुर, शंघाई, टोक्यो और शेन्ज़ेन जैसे शहर, समान सामाजिक-आर्थिक समृद्धि द्वारा संचालित प्रशासनिक ढांचे के साथ आगे बढ़ने वाले शहरों की मांग कर रहे हैं. सार्वजनिक व निजी व आम लोगों के बीच भागीदारी जैसी पहल, ज़मीनी रूप से लोकप्रिय हो रही हैं, और कई क्षेत्रों में अपनाई जा रही हैं लेकिन साझा समृद्धि की अवधारणा से जुड़ी इस पहल को अपनाने और लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति ज़रूरी है. यह राजनीतिक इच्छाशक्ति ही भौगोलिक सीमाओं और संकीर्ण आर्थिक हितों से इतर साझा हितों को साधने की कुंजी साबित होगी.

‘महान रीसेट’ का विचार

मई में सिंगापुर में आयोजित होने वाली वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की विशेष वार्षिक बैठक से पहले, एक ‘महान रीसेट’ (the great reset) का विचार ज़ोर पकड़ रहा है, और इस पर व्यापक रूप से बहस हो रही है. जून 2019 में, जी 20 ग्लोबल स्मार्ट सिटीज़ एलायंस ऑन टेक्नोलॉजी गवर्नेंस यानी जीएससीए (G20 Global Smart Cities Alliance on Technology Governance, GSCA) की स्थापना की गई थी ताकि स्मार्ट सिटी तकनीकों के उपयोग से संबंधित सिद्धांतों और नैतिक ढांचे को अमल में लाने के लिए, स्थानीय व राष्ट्रीय सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिकों को एक साथ एक मंच पर लाया जा सके. इसके अंतर्गत, शहरों को स्मार्ट सिटी नीतियों का एक ख़ाका प्रदान किया जाएगा और उन्हें डिजिटल अर्थशास्त्र व स्मार्ट सिटी पॉलिसी विशेषज्ञों के एक समूह तक पहुंच प्रदान की जाएगी, जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सेंटर फॉर फोर्थ इंडस्ट्रीयल रेवोल्यूशन (Centre for the Fourth Industrial Revolution of the World Economic Forum) से जुड़े होंगे और ताकि वह निगरानी और सोर्सिंग से जुड़ी तकनीकों को स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का हिस्सा बनाने की दिशा में काम कर सकें.

फ्यूचर सिटी समिट, हॉन्गकॉन्ग और दक्षिण पूर्व एशिया की एक मिलीजुली क्षेत्रीय पहल है और जी 20 ग्लोबल स्मार्ट सिटीज एलायंस का एक संस्थागत भागीदार है. इसके तहत 35 सदस्य शहरों के लिए एक कार्रवाई योग्य एजेंडा बनाया गया है ताकि जी-20 ग्लोबल स्मार्ट सिटीज़ एलायंस ऑन टेक्नोलॉजी गवर्नेंस यानी जीएससीए के साथ तालमेल बैठाया जा सके 

फ्यूचर सिटी समिट, हॉन्गकॉन्ग और दक्षिण पूर्व एशिया की एक मिलीजुली क्षेत्रीय पहल है और जी 20 ग्लोबल स्मार्ट सिटीज एलायंस का एक संस्थागत भागीदार है. इसके तहत 35 सदस्य शहरों के लिए एक कार्रवाई योग्य एजेंडा बनाया गया है ताकि जी-20 ग्लोबल स्मार्ट सिटीज़ एलायंस ऑन टेक्नोलॉजी गवर्नेंस यानी जीएससीए के साथ तालमेल बैठाया जा सके और शहरी डिजिटल शासन प्रणाली को विकसित करने की दिशा में काम किया जा सके. यह एशिया के 100 विकसनशील शहरों, जैसे कि देनपसार, बांडुंग, ह्यू, बिनह डुओंग और अन्य (स्मार्ट शहरों के एक समूह द्वारा निर्धारित, जिसमें आसियान स्मार्ट सिटीज नेटवर्क शामिल है) शहरों में किया जाएगा जिन की आबादी 500,000 या उस से अधिक है. इसके अलावा, एशिया के उभरते हुए शहरों की सूची में दूसरे और तीसरे श्रेणी के शहर जैसे बांडुंग (इंडोनेशिया), वेस्ट नुसा तेंगारा (इंडोनेशिया), बाली (इंडोनेशिया) और ह्यू (वियतनाम) शामिल हैं जिन्हें वैश्विक नेटवर्क और प्रौद्योगिकी साझेदारी तक पहुंच प्रदान की जाएगी. स्थानीय शासन से लेकर नीतियों के क्रियान्वयन और परियोजनाओं को लागू करने तक, इस तरह के सामूहिक प्रयास “महान रीसेट” के विचार को सशक्त बनाएंगे, खास तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा के क्षेत्र में.

इन बहुपक्षीय कोशिशों से इतर, उभरते हुए इन शहरों में बेहतर समाज स्थापित करने के लिए मज़बूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. शहर प्रशासकों, नीति निर्माताओं, प्रौद्योगिकीविदों और निजी क्षेत्रों से जुड़े अन्य नेताओं के बीच व्यापक सहयोग और साझेदारी से इन शहरों को मिलेजुले रूप से समृद्ध बनाने के लक्ष्य को गति मिलेगी.


ये लेख  कोलाबा एडिट सीरीज़ का हिस्सा है.

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