Published on Jan 20, 2022 Updated 0 Hours ago

ओमिक्रॉन लहर के प्रबंधन में मिले-जुले संकेत और सरकार के ख़िलाफ़ संदेह बढ़ता दिखा है.

ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के क़हर की आहट!

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यूनाइटेड किंगडम (यूके) के तट पर ओमिक्रॉन के आगमन ने दृढ़ता से इस सोच को ख़त्म कर दिया कि महामारी ख़त्म (ब्रिटेन के लोगों के लिए) हो गई है और 2020 के मुक़ाबले 2021 का क्रिसमस बेहतर होगा. यूके में कोविड का ताज़ा अध्याय और चौथी लहर नवंबर 2021 के मध्य में शुरू हुई जब दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने 9 नवंबर को गौतेंग प्रांत से इकट्ठा एक सैंपल में एक और नये वेरिएंट (B.1.1.529) की पहचान की. वैसे तो कोरोना वायरस के म्यूटेशन की आशंका बनी रहती है लेकिन मुख्य बात ये है कि कहीं वायरस का रूप इतना ज़्यादा तो नहीं बदल रहा है कि संक्रमण और बीमारी की गंभीरता (रोग पैदा करने की क्षमता) नकारात्मक दिशा की ओर चली जाए. दक्षिण अफ्रीका के सैंपल में ज़्यादा म्यूटेशन और शुरुआती महामारी विज्ञान की रिपोर्ट के आधार पर वायरस उत्पति से जुड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तकनीकी परामर्श ग्रुप ने विचार किया और इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने 26 नवंबर 2021 को इस नये वेरिएंट को चिंता वाले वेरिएंट की श्रेणी में डाला और इसका नाम ओमिक्रोन रखा.

यूके में कोविड का ताज़ा अध्याय और चौथी लहर नवंबर 2021 के मध्य में शुरू हुई जब दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने 9 नवंबर को गौतेंग प्रांत से इकट्ठा एक सैंपल में एक और नये वेरिएंट (B.1.1.529) की पहचान की. 

इस घोषणा के बाद यूके सरकार ने तुरंत दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ उसके आसपास के देशों से भी सीधी विमान सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया. ब्रिटेन और आयरलैंड के नागरिक और दूसरे वैध निवासी यूके में प्रवेश कर सकते थे लेकिन इसके बाद उनके लिए अपने पैसे पर 10 दिनों के लिए आधिकारिक क्वॉरंटीन होटल में रहना ज़रूरी कर दिया गया. अफ्रीका महादेश के दक्षिण में बसे देशों से आने वाले विदेशी नागरिकों के आने पर रोक लगाने की आनन-फानन की कार्रवाई को कई लोगों ने सही माना और इससे लगा कि वायरस के फैलने में देर लगेगी. लेकिन पिछले दो वर्षों से इस बात पर ज़ोरदार बहस चल रही है कि क्या विदेशी नागरिकों के लिए देश की सीमाओं को बंद करना ज़रूरी है, भले ही ये ‘विदेशी’ संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एक अपर्याप्त नीति हो. प्रतिबंध की घोषणा के एक दिन बाद यूके में ओमिक्रॉन के दो मामलों की पहचान की गई. अफ्रीका महादेश के दक्षिणी देशों से आने वाले यात्रियों पर पाबंदी लगाने की आंशिक वजह ये थी कि दूसरी सरकारों की तरह यूके की सरकार के लिए भी ओमिक्रॉन ने एक भयावह हालात की आशंका बढ़ा दी थी.

अगर नया वेरिएंट ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला, ज़्यादा हानिकारक है और मौजूदा वैक्सीन को मात देता है तो यूके फिर से 2020 के शुरुआती दौर में पहुंच जाएगा. कई सवालों के जवाब काफ़ी तेज़ी से दिए जाने की ज़रूरत है. क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट मौजूदा वैक्सीन से बच निकलता है, ख़ास तौर पर सबसे ज़्यादा लगाई जाने वाली एस्ट्रा-ज़ेनेका वैक्सीन से? क्या ये डेल्टा वेरिएंट के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला और ज़्यादा हानिकारक है? संक्रमण और गंभीर बीमारी के बीच मोटे तौर पर दो हफ़्ते के अंतराल को देखते हुए एक और समस्या ये थी कि क्रिसमस की छुट्टियों के मौक़े पर लोगों के इकट्ठा होने के बाद ओमिक्रॉन आगे कैसे फैलेगा. निस्संदेह सभी देशों के नेताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये था कि क्या ओमिक्रॉन के फैलाव की वजह से एक बार फिर लॉकडाउन लगाने की ज़रूरत पड़ेगी? ऐसा करना अर्थव्यवस्था और कई राजनीतिक नेताओं के करियर के लिए विनाशकारी साबित होगा.

अगर नया वेरिएंट ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला, ज़्यादा हानिकारक है और मौजूदा वैक्सीन को मात देता है तो यूके फिर से 2020 के शुरुआती दौर में पहुंच जाएगा. कई सवालों के जवाब काफ़ी तेज़ी से दिए जाने की ज़रूरत है. 

 

तेज़ी से फैलने वाला लेकिन जानलेवा नहीं

नवंबर में ओमिक्रॉन के मामले सामने आने के छह हफ़्ते बाद तक यूके सरकार ने ओमिक्रॉन से जुड़ी रिसर्च पर नज़र रखी, ख़ास तौर पर दक्षिण अफ्रीका से आने वाली जानकारी पर. इसके साथ-साथ अनिश्चितता और यूके में ओमिक्रॉन के तेज़ी से बढ़ते मामलों के बीच यूके सरकार ने कई प्रमुख नीतिगत निर्णय भी लिए. सबसे पहले यूके सरकार ने 50 वर्ष से ज़्यादा उम्र और दूसरे पात्र वयस्कों के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज़ (बूस्टर) को आगे बढ़ाया. इसके साथ-साथ वैक्सीन लगवाने से झिझक रखने वाले लोगों को पहली और दूसरी डोज़ लगवाने के लिए ज़ोर लगाया. सभी वैक्सीन मुफ़्त लगाई जाती है. शुरुआती रिसर्च से पता चला है कि ओमिक्रॉन कई गुना ज़्यादा संक्रामक है. साथ ही वैक्सीन की कोई डोज़ लगवाने के क़रीब तीन महीने के बाद ओमिक्रॉन से सुरक्षा नहीं हो पा रही है. दूसरा फ़ैसला ये लिया गया कि तेज़ी से बढ़ते संक्रमण के बीच 8 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने छह हफ़्तों के लिए इंग्लैंड में ‘दूसरी योजना’ लागू करने का ऐलान किया. इसका मतलब ये था कि अगर संभव हो तो लोगों को अपने घरों से काम करना चाहिए, सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना चाहिए, कुछ ख़ास जगहों और आयोजनों में प्रवेश के लिए वैक्सीन लगवाने का प्रमाण दिखाना चाहिए, और इसी तरह की कुछ और चीज़ें.

दूसरी योजना का मसौदा सितंबर में ये सोच कर तैयार किया गया था कि कहीं डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण सर्दियों में बढ़ नहीं जाए. लेकिन इसे अब लागू किया जा रहा है क्योंकि ओमिक्रॉन तेज़ी से फैल रहा है. लेकिन दिसंबर की शुरुआत में भी विशेषज्ञ मान रहे थे कि दूसरी योजना से संक्रमण के फैलाव में समय लगेगा लेकिन वो इस बात से इनकार नहीं कर रहे थे कि क्रिसमस की छुट्टियों के बाद एक बार फिर लॉकडाउन लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है. तीसरा फ़ैसला ये था कि सरकार ने अफ्रीका महादेश के दक्षिणी देशों से यात्रा प्रतिबंध को हटा दिया. इस फ़ैसले की वजह काफ़ी हद तक राजनीतिक हो सकती है क्योंकि इस पाबंदी से लग रहा था कि यूके की सरकार अफ्रीका के देशों को वैज्ञानिक जानकारी साझा करने के लिए सज़ा दे रही है जबकि ये जानकारी पूरे विश्व के लिए लाभकारी हो सकती है.

शुरुआती रिसर्च से पता चला है कि ओमिक्रॉन कई गुना ज़्यादा संक्रामक है. साथ ही वैक्सीन की कोई डोज़ लगवाने के क़रीब तीन महीने के बाद ओमिक्रॉन से सुरक्षा नहीं हो पा रही है. 

यूके में शुरुआती ओमिक्रॉन के मामलों की पहचान के चार हफ़्तों के बाद ओमिक्रॉन प्रभावी वायरस बन गया और पूरी महामारी के दौरान रोज़ाना के मामलों की संख्या सबसे ज़्यादा आने लगी और रोज़ इसमें बढ़ोतरी होने लगी. वैसे तो ओमिक्रॉन के ज़्यादा तेज़ी से फैलने की बात अब साबित हो चुकी है, ये भी अब स्पष्ट होने लगा है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों और मौतों की संख्या बढ़ रही है लेकिन ये पहले की लहरों और वैक्सीनेशन से पहले के स्तर के कहीं आसपास भी नहीं है. बूस्टर डोज़ वायरस से सुरक्षा फिर से बहाल कर रही है और वैक्सीनेशन की वजह से लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं, उनकी मौत नहीं हो रही है. इसलिए क्रिसमस की छुट्टियों के बाद सरकार ने दूसरी योजना के साथ बने रहने और बूस्टर डोज़ एवं वैक्सीन को और भी प्रोत्साहन देने का फ़ैसला लिया.

संक्रमण के बाद गंभीर बीमारी और मौत का ख़तरा कम होने की वजह से हर जगह काफ़ी राहत महसूस की जा रही है लेकिन संक्रमण और मौत की बढ़ती संख्या अभी भी यूके के लिए कई चुनौतियां पेश कर रही हैं. पहली लहर के मुक़ाबले कम लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ रही है लेकिन इसके बावजूद इतने लोग अस्पताल जा रहे हैं कि स्वास्थ्य व्यवस्था उसका मुक़ाबला करने में सक्षम नहीं है. ज़्यादा संक्रमण का ये भी मतलब है कि बड़ी संख्या में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े कर्मी भी ख़ुद को आइसोलेट कर रहे हैं और काम करने में सक्षम नहीं हैं. इसकी वजह से हर तरह की स्वास्थ्य देखभाल की सेवा दबाव का सामना कर रही हैं. बढ़ते संक्रमण का ये भी मतलब है कि घर पर रहने वाले बीमार लोग संभवत: मूलभूत सार्वजनिक सेवाओं के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को भी प्रभावित कर रहे हैं. ओमिक्रॉन के मामले सामने आने के बाद 6 हफ़्तों में लोगों के द्वारा अपनी योजना को रद्द करने से कुछ ख़ास उद्योगों जैसे रेस्टोरेंट, होटल और यात्रा को भी नुक़सान पहुंचा है.

वैसे तो ओमिक्रॉन के ज़्यादा तेज़ी से फैलने की बात अब साबित हो चुकी है, ये भी अब स्पष्ट होने लगा है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों और मौतों की संख्या बढ़ रही है लेकिन ये पहले की लहरों और वैक्सीनेशन से पहले के स्तर के कहीं आसपास भी नहीं है. 

अप्रत्याशित आशंकाओं के बीच

यूके के ज़्यादातर नागरिकों के लिए 2022 के शुरुआती हफ़्ते भ्रम में डालने वाले रहे हैं क्योंकि सरकार, विशेषज्ञों और मीडिया से मिल रहे मिले-जुले संदेश के बीच वो अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी को चलाने की कोशिश कर रहे हैं. महामारी की पूरी अवधि के बीच रोज़ाना के मामले सबसे ज़्यादा हैं और इसमें बढ़ोतरी भी हो रही है. लोग बढ़ते मामलों को हालात और भी ख़राब होने के संकेत के रूप में समझ रहे हैं और संभवत: ‘सर्किट-ब्रेकर’ लगाने की ज़रूरत है. लेकिन लगता है कि सरकार कह रही है कि हालात काबू में हैं और किसी भी कठोर क़दम की ज़रूरत नहीं है. इसके साथ-साथ वैक्सीन विरोधी कह रहे हैं कि वैक्सीन और दवा कंपनियों को लेकर उनका संदेह सही साबित हो रहा है क्योंकि ओमिक्रॉन दिखा रहा है कि ये संभव है कि हर तीन महीने पर वैक्सीन की एक डोज़ लगवाने की ज़रूरत है. और दूसरे वेरिएंट के बारे में क्या? क्या ऐसा हो सकता है कि यूके के बाहर दुनिया में ज़्यादा हानिकारक वेरिएंट फैल रहा है? और तब क्या होगा जब वो ज़्यादा हानिकारक साबित हो जाता है और वैक्सीन उस पर काम नहीं करती है?

वैक्सीन विरोधी कह रहे हैं कि वैक्सीन और दवा कंपनियों को लेकर उनका संदेह सही साबित हो रहा है क्योंकि ओमिक्रॉन दिखा रहा है कि ये संभव है कि हर तीन महीने पर वैक्सीन की एक डोज़ लगवाने की ज़रूरत है. 

क्रिसमस की छुट्टियों और उसके बाद दूसरी योजना की वजह से सार्वजनिक ठिकानों और काम की जगहों पर शांति के बावजूद आने वाले हफ़्ते और महीने विवाद से भरे और अप्रत्याशित होने की आशंका है. प्रधानमंत्री से जुड़े स्कैंडल बढ़ रहे हैं और उनकी स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं. ओमिक्रॉन, स्वास्थ्यकर्मियों की बीमारी और नौकरी छोड़ने, पुराने मामलों और दूसरी चीज़ों की वजह से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) पर काफ़ी दबाव है. बीमार होने के बढ़ते जोख़िम और लंबे समय तक कोविड के अनिश्चित असर के बीच लोग काम करने की जगह पर उपस्थित होने का दबाव महसूस कर रहे हैं. बच्चों पर बीमारी का असर और उनको वैक्सीन लगवाने का मामला भी है. किस तरह सरकार इसको और दूसरे मामलों को प्राथमिकता में रखेगी और उनसे कैसे निपटेगी, इसका सिर्फ़ अनुमान ही लगाया जा सकता है.

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