Published on Apr 18, 2024 Updated 0 Hours ago

2021 के लिए, अफ्रीका में सरकारें महामारी के प्रबंधन से अधिक अपने राजस्व में सुधार करने और आर्थिक मंदी को समाप्त करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगी.

2021 और उसके आगे महामारी का भविष्य: जारी रह सकती हैं अफ्रीका की आर्थिक चुनौतियां

महामारी को लेकर अफ्रीका की प्रतिक्रिया, वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के मुक़ाबले, वैश्विक लॉकडाउन के बाद हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई पर अधिक केंद्रित रही है. संक्रमण दर और मृत्यु, भले ही, लगातार बढ़ रही हो, लेकिन यह पूर्वानुमानित रूप से अधिक नहीं है. महाद्वीप पर प्रचलित सामाजिक व्यवहार को देखते हुए, कोविड-19 को ले कर हुई गंभीर भविष्यवाणियों के ख़िलाफ़ यहां दर्ज की गई कम संक्रमण दर के कारण को समझने के लिए अध्ययन आवश्यक हो गए हैं. इस बीच, सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क पहनना, एंट्री पोर्ट पर स्क्रीनिंग जैसे तरीक़े जो वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अपनाए गए हैं उन उपायों के पालन पर सवाल उठाए गए हैं.

अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एड प्रिवेंशन[1] अफ्रीका सीडीसी (Africa Centre for Disease Control and Prevention, AFRICA CDC), यूरोपियन यूनियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल[2] (European Union Centre for Disease Prevention and Control) और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोविड-19 डैशबोर्ड के डेटा से पता चलता है कि 31 दिसंबर 2019 और नौ दिसंबर 2020 के बीच, कोविड-19 के 67,965,261 मामले सामने आए हैं, जिनमें 1,557,616 लोगों की मौत हुई और जो 2.2 प्रतिशत की मृत्यु दर दर्ज करता है. इसी समय सीमा के भीतर, अफ्रीका में 54,524 मौतों के साथ 2,288,856 मामले दर्ज किए गए हैं जो 2.3 प्रतिशत की मृत्यु दर दर्ज़ करता है. 1.3 बिलियन लोगों के एक महाद्वीप के तौर पर, अफ्रीका ने संयुक्त राज्य में सामने आए कुल मामलों का छठा हिस्सा दर्ज किया. यह ब्राज़ील में हुए मामलों का लगभग एक तिहाई हिस्सा है, जिसकी मृत्यु दर 2.7 प्रतिशत है. इस बीच, उत्तर और दक्षिण अमेरिका में मृत्यु दर 2.6 प्रतिशत है. जबकि यूरोप, अमेरिका और एशिया की अर्थव्यवस्थाओं ने कोविड-19 से उबरने में कुछ हद तक मज़बूती दिखाई है, कोविड-19 ने उन देशों पर भी कहर बरपाया है, जिन की स्वास्थ्य प्रणालियां जो मज़बूत हैं. इसके विपरीत, जबकि अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ गई हैं, इस से जुड़े मामले वैश्विक सीमा के भीतर बने हुए हैं,  जो पूर्वानुमानित संक्रमण दर से एक प्रस्थान है.

कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अफ्रीका के लिए क्या लॉकडाउन सही रणनीति थी? साथ ही अब साल 2021 में अफ्रीका के दृष्टिकोण को आकार देने में ये परिस्थितियां कैसे मदद कर सकती हैं, ख़ासकर न्यू नॉर्मल के इन नए तौर तरीक़ों के बीच?

महाद्वीप में मौजूद अर्थव्यवस्थाएं जो वैश्विक बाज़ारों के संपर्क में हैं, कमोडिटी ट्रेडिंग पर निर्भर हैं और साथ ही पर्यटन पर निर्भर हैं वह सबसे अधिक संघर्ष कर रही हैं. उप-सहारा अफ्रीका के लिए उत्पादकता को लेकर विश्व बैंक के माध्यम से अनुमानित[3] -3.3 प्रतिशत की गिरावट 25 वर्षों में पहली बार इस क्षेत्र को मंदी में धकेल देगी. यह क्षेत्र पहले से ही भयानक ग़रीबी की स्थिति में है जो इस की स्थिति को और खराब कर देगा, जिस से महाद्वीप पर मौजूद 40 मिलियन और लोग ग़रीबी में धकेल दिए जाएंगे. नाइजीरिया जैसे देश पहले ही मंदी में प्रवेश कर चुके हैं, जो तीन साल में दूसरी बार है और वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए शुरू किए गए लॉकडाउन का नतीजा हैं. इसके चलते वहां के सकल घरेलू उत्पाद में क्रमशः 2020 की दूसरी और तीसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत का संकुचन दर्ज़ हुआ है. आर्थिक रूप से प्रभावित प्रदर्शन के कारण दक्षिण अफ्रीका कुछ वर्षों से बदहाली के क़गार पर है. महामारी के बाद, 2020 के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार उस के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान, -8 प्रतिशत पर रहा है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए, कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अफ्रीका के लिए क्या लॉकडाउन सही रणनीति थी? साथ ही अब साल 2021 में अफ्रीका के दृष्टिकोण को आकार देने में ये परिस्थितियां कैसे मदद कर सकती हैं, ख़ासकर न्यू नॉर्मल के इन नए तौर तरीक़ों के बीच?

आश्रित अर्थव्यवस्थाओं पर घातक असर

अफ्रीकी कर्मचारियों का बहुमत रोज़मर्रा के जीवन में दैनिक वेतन पर भरोसा करते हैं. इसका मतलब है कि हर एक दिन जिस दिन लॉकडाउन रहता था, उत्पादक ऊर्जाएं तैनात नहीं थीं और परिवारों को भूख के भरोसे छोड़ दिया गया था, और उनके पास उन सुविधाओं तक पहुंच ने का कोई ज़रिया नहीं था, जो उन्हें ग़रीबी से बचने में मदद करते. इस बीच, तालाबंदी के प्रभाव को कम करने के लिए सरकारी सामाजिक निवेश कार्यक्रम, ख़राब वितरण प्रणाली के चलते, ग़रीब परिवारों की मदद करने के लिए अधिक कारगर नहीं रहे. नाइजीरिया यहां एक केस अध्ययन प्रदान करता है, जहां पुलिस की बर्बरता के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों ने उन गोदामों का भंडाफ़ोड़ किया, जहां राजनेताओं ने कोविड-19 की राहत सामग्री की जमाखोरी की थी. इन सब बातों ने पहले से ही भयानक स्थिति और विकास के संकेतकों को और विषम बना दिया है, जिनमें अब कुपोषण, स्वास्थ्य सेवाओं की ख़राब पहुंच, शिक्षा के ख़राब परिणाम और असुरक्षा, आदि शामिल हैं.

कारीगर और दिन की नौकरी करने वाले अपने काम पर वापस लौट चुके हैं और संक्रमण की दर की दूसरी लहर या अनियंत्रित वृद्धि से जुड़े विचार यहां के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं.

टीकाकरण अभियान को जारी कर रही दुनिया में साल 2021 के लिए वैश्विक फोकस रुकी हुई समृद्धि को फिर से शुरू करने पर होगा. लेकिन यह स्थिति का जायज़ा लेने के बाद किया जाएगा, यह निर्धारित करने के लिए कि महामारी से पहले की स्थिति में वापसी के लिए वास्तव में क्या करने की आवश्यकता है. वैश्विक रूप से उत्तरी इलाक़ों को लगाया गया अनुमान कि व्यवसायों के बीच आदान प्रदान, संचार, और बातचीत के नए तौर-तरीक़े, प्रौद्योगिकी और तकनीकी उपकरणों से लैस होंगे- अफ्रीका के लिए सही साबित नहीं होता. मैं यह लिखते हुए गिनी की राजधानी, कांकेरी से 650 किलोमीटर पूर्व में एक होटल के कमरे में बैठा हूं. इस इलाक़े में बैठे हुए आप मुश्किल से यह बता सकते हैं कि दुनिया एक महामारी से गुजर रही है. यहां बहुत कम लोग फेस मास्क पहनते हैं, सामाजिक दूरियां रखते हैं या अपने हाथ धोते हैं. कारीगर और दिन की नौकरी करने वाले अपने काम पर वापस लौट चुके हैं और संक्रमण की दर की दूसरी लहर या अनियंत्रित वृद्धि से जुड़े विचार यहां के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं.

यहां की सड़कों और अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका में जीवित रहने का संघर्ष जारी है. अधिकांश घरों में बमुश्किल दो वक्त का खाना उपलब्ध हो पा रहा है और एक फेस मास्क खरीदने के लिए इस दुर्लभ आय को खर्च करने की उनकी संभावना न के बराबर है. पीने लायक पानी की कमी ने हाथ धोने की प्रक्रिया को लक्ज़री बना दिया है. और बहुत ही कम लोग हैं जो सैनिटाइज़र का उपयोग कर सकते हैं. साथ ही समुदाय से मिलने की आदतें कभी भी बदलीं नहीं और यह एक रहस्य है कि इन इलाक़ों में कोविड-19 का प्रसार कम कैसे रहा है. अफ्रीका पहले ही कोरोना वायरस की रोकथाम से जुड़े प्रयासों को छोड़ चुका है और अपने विकास के मुद्दों से जूझ रहा है, जो अब आपूर्ति श्रृंखला के ठप्प होने और उत्पादकता कम होने से ख़राब स्थिति में है. यह अनुमान लगाना अब आसान है कि वह अब 1.3 बिलियन लोगों में से अधिकांश को कोविड-19 की वैक्सीन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर होंगे.

अफ्रीका पहले ही कोरोना वायरस की रोकथाम से जुड़े प्रयासों को छोड़ चुका है और अपने विकास के मुद्दों से जूझ रहा है, जो अब आपूर्ति श्रृंखला के ठप्प होने और उत्पादकता कम होने से ख़राब स्थिति में है.

कोविड-19 को एक अभिजात्य रोग माना गया है. मलेरिया, इबोला, येलो फीवर और पोलियो का इस महाद्वीप पर अधिक प्रभाव पड़ा है. इबोला में 64 प्रतिशत तक मृत्यु दर दर्ज की गई. अफ्रीका को हाल ही में पोलियो वायरस से मुक्त घोषित किया गया है. मलेरिया में मृत्यु दर 3-4 प्रतिशत रही है. इस प्रकार, महाद्वीप पर महामारी का प्रभाव स्वास्थ्य के दृष्टिकोण के बजाय, आर्थिक दृष्टिकोण से अधिक महसूस किया गया है. आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करने वाली नीतिगत प्रतिक्रियाएं अब इसके लिए प्राथमिकता लेंगी. साल 2021 के लिए, अफ्रीका में सरकारें अपने राजस्व में सुधार करने और आर्थिक मंदी को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी, इस से भी अधिक सुदृढ़ता के साथ, जिस तरह से यह महामारी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रही थीं. सरकारें मंदी के दौर से बाहर निकलने की कोशिश करेंगी. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए कच्चे माल के खनन और निर्यात में वृद्धि होगी क्योंकि दुनिया लॉकडाउन और यूरोप में दूसरी लहर के बाद इस अंतराल को पाटने की कोशिश कर रही हैं. वैक्सीन की ख़बर निश्चित रूप से इस संकल्प का समर्थन करेगी. महाद्वीप पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के सुदृढ़ीकरण का समर्थन करने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता के पास अब कोविड-19 वैक्सीन के वितरण के अलावा और भी अधिक ज़िम्मेदारी होगी.


[1] Data from the Africa CDC Portal was accessed on 9 December 2020.

[2] COVID-19 Data from the EU CDC is updated daily. Figures used here were accessed on the 9 December 2020.

[3] October 2020 World Economic Outlook Press Briefing.

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