Published on Feb 27, 2024 Updated 2 Days ago

कमियों के बावजूद क्वॉड जो कर रहा है, उसे जारी रखना चाहिए यानी अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान देना और सफलता के क्षेत्रों को आगे बढ़ाना.  

इंडो-पैसिफिक में क्वॉड का भविष्य!

ये लेख हमारी- रायसीना एडिट 2024 सीरीज़ का एक भाग है


जब क्वॉड को 2017 में फिर से शुरू किया गया था तो चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि क्वॉड महासागर से सी फोम (समुद्री झाग) की तरह उड़ जाएगा. उनका ये बयान वास्तविकता नहीं बल्कि उम्मीदों के आधार पर था. क्वॉड के सदस्य देशों ने इसमें पर्याप्त प्रतिष्ठा से जुड़ी पूंजी (रेपुटेशनल कैपिटल) का निवेश किया है, इसलिए वो नहीं चाहेंगे कि क्वॉड नाकाम हो, ख़ास तौर पर 2021 में नेता स्तर के शिखर सम्मेलन की शुरुआत के बाद.

लेकिन ये उन आशावादियों की तुलना में वास्तविकता के करीब हो सकता है जिन्होंने बड़े-बड़े दावे किए थे कि क्वॉड "पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि में बड़ा योगदान करेगा." इस बात से ख़राब छवि बनती है जब दो नेताओं की बैठक लगातार फिर से निर्धारित करनी पड़ती है. ऑस्ट्रेलिया में होने वाली बैठक हफ्ते भर पहले इसलिए रद्द की गई क्योंकि राष्ट्रपति बाइडेन ऋण सीमा (डेट सीलिंग) के घरेलू राजनीतिक संकट की वजह से यात्रा करने में नाकाम रहे. पिछले दिनों राष्ट्रपति बाइडेन ने जनवरी में भारत में नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करने के प्रधानमंत्री मोदी के न्यौते को स्वीकार नहीं किया. इसका ये मतलब है कि शिखर सम्मेलन 2024 की दूसरी छमाही तक टल गया है. इसकी वजह से "समुद्री झाग" वाले ब्रिगेड के मुंह से झाग निकल रहा है.

2023 में लीडर्स समिट का समापन साझा बयान जारी होने के साथ हुआ और दिलचस्प बात ये है कि क्वॉड नेताओं के विज़न स्टेटमेंट में क्वॉड के माध्यम से काम करने की नेताओं की "दृढ़ प्रतिबद्धता" को दोहराया गया.

तो क्वॉड की राह क्या है और महत्वपूर्ण बात ये भी कि क्या चारों सदस्य देशों की प्रतिबद्धता में कोई बदलाव भी हुआ है?

एक संकेत है कि जब राष्ट्रपति बाइडेन ऑस्ट्रेलिया में आयोजित बैठक में शामिल होने में असमर्थ रहे तो इस बात की कोशिश हुई कि हिरोशिमा में G7 बैठक के आस-पास सभी चार साझेदारों का सम्मेलन आयोजित किया जाए. 2023 में लीडर्स समिट का समापन साझा बयान जारी होने के साथ हुआ और दिलचस्प बात ये है कि क्वॉड नेताओं के विज़न स्टेटमेंट में क्वॉड के माध्यम से काम करने की नेताओं की "दृढ़ प्रतिबद्धता" को दोहराया गया.

क्वॉड की प्रमुख घोषणाएं:

 

·        इंडो-पैसिफिक में स्वच्छ ऊर्जा की सप्लाई चेन को लेकर सिद्धांतों पर बयान और इसके साथ स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग के संबंध में रिसर्च, विकास और प्रोजेक्ट को सुविधाजनक बनाने की दिशा में स्वच्छ ऊर्जा सप्लाई चेन की पहल.

·        क्वॉड स्वास्थ्य सुरक्षा साझेदारी की स्थापना जिसमें महामारी की आशंका वाली बीमारियों के प्रकोप का पता लगाने और उसके ख़िलाफ़ जवाब के लिए क्षेत्र की क्षमता को बढ़ाने की गतिविधियां शामिल हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य सूचना प्रणालियों (हेल्थ इन्फॉर्मेशन सिस्टम) के लिए समर्थन और महामारी के प्रकोप के ख़िलाफ प्रतिक्रिया को लेकर समन्वय शामिल हैं.

·        क्वॉड इंफ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप प्रोग्राम जिसका लक्ष्य क्षेत्र के 1,800 से ज़्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े लोगों को अपने-अपने देशों में डिज़ाइन, निर्माण और क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन करने के लिए सशक्त करना है. इसके साथ क्वॉड पार्टनरशिप फॉर केबल कनेक्टिविटी और रिज़िलियंस (लचीलापन) है जिसका मक़सद इंडो-पैसिफिक में केबल सिस्टम को मज़बूत करना है.

·        पलाऊ के साथ सहयोग ताकि ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओपन RAN) की स्थापना के ज़रिए अलग-अलग देशों को अपने टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए सक्षम बनाया जा सके.

क्वॉड वर्किंग ग्रुप दुनिया के हितों से जुड़े कई प्रमुख मुद्दों से जुड़ा रहा है. इनमें स्वास्थ्यशिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष, संचार और साइबर से जुड़े मुद्दे शामिल हैं जो सार्वजनिक चीजों के प्रावधान में योगदान देते हैं.

इससे संकेत मिलता है कि क्वॉड के लिए चार सदस्य देशों की प्रतिबद्धता जारी है. ये क्वॉड नेताओं के द्वारा परिभाषित क्वॉड के सकारात्मक, व्यावहारिक एजेंडेके अनुरूप है.

ये दोहरे उद्देश्यों यानी क्वॉड के सदस्य देशों में बढ़ते संपर्क का निर्माण और इस साझेदारी का इस्तेमाल करके दूसरे देशों के लिए सार्वजनिक चीज़ों (पब्लिक गुड्स) को मुहैया कराने को पूरा करने वाली पहल के क्वॉड के रिकॉर्ड को जारी रखता है. इस पहले उद्देश्य को लेकर क्वॉड की राह आधिकारिक, सैन्य और काम-काजी समूहों में ज़्यादा-से-ज़्यादा सहयोग की रही है. 

बड़े स्तर के अधिकारियों के बीच बैठक नियमित तौर पर होती रही है. इनमें चारों सदस्यों के नौसेना प्रमुखों की बैठक शामिल है. 2020 में क्वॉड के साझेदारों के साथ सालाना मलाबार नौसेना अभ्यास में फिर से शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया को न्यौता दिया गया और कई कार्य समूह स्थापित किए गए हैं. क्वॉड वर्किंग ग्रुप दुनिया के हितों से जुड़े कई प्रमुख मुद्दों से जुड़ा रहा है. इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष, संचार और साइबर से जुड़े मुद्दे शामिल हैं जो सार्वजनिक चीजों के प्रावधान में योगदान देते हैं. क्वॉड ने अपने सदस्यों के बीच लोगों के स्तर पर रिश्ते बनाने पर भी ध्यान दिया है. 2021 में शुरू की गई क्वॉड फेलोशिप के तहत हर साल क्वॉड के सदस्यों से 100 डॉक्टरल और मास्टर्स के छात्रों को लिया जाता है जो अमेरिका की अग्रणी STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड मैथमैटिक्स) यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हैं.

ये सभी सकारात्मक घटनाक्रम हैं. लेकिन जो लोग क्वॉड को सामरिक माहौल में विशाल बदलाव के तौर पर देखते हैं, उन्हें शायद निराशा मिलेगी. इस तरह के उपाय बहुत बड़े इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए तुरंत कायापलट नहीं करेंगे. अक्सर ये बहुत आकर्षित करने वाले नहीं होते हैं. लेकिन ये क्वॉड के चारों सदस्यों के बीच एकीकरण का जाल बनाने के मक़सद को पूरा करते हैं. ऐसा करते हुए वो क्षेत्र के दूसरे देशों में व्यावहारिक, भले ही छोटे पैमाने पर, योगदान करते हैं. ज़्यादा बारीकी से कहें तो मानकों (स्टैंडर्ड) और सिद्धांतों (प्रिंसिपल) पर क्वॉड जो काम कर रहा है- जैसे कि महत्वपूर्ण एवं उभरती तकनीकों के मानक पर क्वॉड के सिद्धांत, सुरक्षित सॉफ्टवेयर के लिए क्वॉड साझा सिद्धांत और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की साइबर सुरक्षा के लिए क्वॉड साझा सिद्धांत- वो चीन के मानकों का एक विकल्प प्रदान करते हैं.

ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति में क्वॉड को एक प्रमुख स्तंभ के तौर पर देखा जाता है जो अन्य सहयोग में मददगार बनता है. इससे पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया उत्साहपूर्ण बना रहेगा और संसाधनों के मामले में प्रतिबद्ध रहेगा.

स्थापित होने और अपनी रफ्तार बढ़ाने के बाद अलग-अलग वर्किंग ग्रुप, नेटवर्क और आधिकारिक स्तर का संपर्क जारी रहने की उम्मीद है, जो धीरे-धीरे सहयोग की आदत में बदल जाएगी. क्वॉड के समर्थकों का दायरा हर देश में जल्दी-जल्दी सुरक्षा से जुड़े लोगों से आगे बढ़ गया है.

भविष्य की राह

इन सभी कारकों का अर्थ है कि क्वॉड के लापता होने की संभावना बहुत कम है जब तक कि इसे बढ़ावा देने वाला भू-राजनीतिक माहौल जारी है. सवाल है कि ये कितना असर डाल पाएगा. सबसे ख़राब स्थिति में भी ये अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एक नीरस संस्थान बन सकता है. वहीं सबसे अच्छी स्थिति में ये धीरे-धीरे चारों देशों के बीच एक संपर्क का निर्माण करेगा जिसका अन्य इंडो-पैसिफिक देशों पर सकारात्मक असर होगा. कौन सी स्थिति बनेगी इसका जवाब चारों सदस्य देशों की प्रतिबद्धता से मिलेगा जिसमें संबंध के लिए उनकी प्रेरणा, घरेलू समर्थन का स्तर और नौकरशाही की क्षमता शामिल हैं.

तो क्या चारों सदस्य क्वॉड के ज़रिए सहयोग को लेकर सकारात्मक बने रहेंगे? क्वॉड के बारे में ऑस्ट्रेलिया का पॉज़िटिव रवैया बदलने की संभावना नहीं है क्योंकि क्वॉड और ऑस्ट्रेलिया की व्यापक विदेश नीति के लक्ष्यों के बीच पूरी तरह से तालमेल है. अमेरिका के साथ गठबंधन, जापान के साथ सुरक्षा सहयोग का विस्तार और हर स्तर पर भारत के साथ संबंध में बढ़ोतरी ऑस्ट्रेलिया के कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं. ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति में क्वॉड को एक प्रमुख स्तंभ के तौर पर देखा जाता है जो अन्य सहयोग में मददगार बनता है. इससे पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया उत्साहपूर्ण बना रहेगा और संसाधनों के मामले में प्रतिबद्ध रहेगा. इसी तरह जापान भी है जिसके रवैये में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं है.

अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में क्वॉड की केंद्रीय भूमिका के बाद भी इस समय अमेरिका भटका हुआ है और इसका रुख यही बने रहने की आशंका है. चुनावी साल में अमेरिका में घरेलू मुद्दों का दबदबा रहेगा. यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय नीति में भी देखें तो यूरोप और मिडिल ईस्ट में युद्ध का ये मतलब है कि एशिया पर अमेरिका का ध्यान काफी हद तक सीमित रहेगा.

हालांकि इसका ये मतलब है कि भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. क्वॉड की सफलता के लिए एक प्रमुख कारक भारत की प्रतिबद्धता और भागीदारी का स्तर होगा.

मौजूदा समय में ऐसा लगता है कि सभी चार सदस्य देशों में क्वॉड के लिए पुख्ता समर्थन का आधार है.

तो क्वॉड के लिए अगला कदम क्या होना चाहिए? इसे वो करते रहना चाहिए जो वो कर रहा है यानी अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान देना और सफलता के क्षेत्रों का निर्माण. यही वो बातें हैं जो अंत में क्वॉड को सी फोम यानी फेन और बुलबुले से ज़्यादा बनाएंगी. स्वतंत्र और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक के लिए क्वॉड की सफलता अनिवार्य है. 


मेलिसा कॉनले टाइलर एशिया-पैसिफिक डेवलपमेंट, डिप्लोमेसी एंड डिफेंस डायलॉग (AP4D) की कार्यकारी निदेशक हैं. AP4D ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलों और रक्षा विभाग के द्वारा फंड की गई एक पहल है और इसकी मेज़बानी ऑस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट करती है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.