Author : Shairee Malhotra

Published on Mar 12, 2024 Updated 0 Hours ago

शुरुआत में तुर्की और हंगरी की तरफ़ से ऐतराज़ों के बावजूद,आख़िरकार स्वीडन को नैटो की सदस्यता हासिल हो ही गई है, जो उसके लिए मील का एक अहम पत्थर है.

स्वीडन और एक मज़बूत नैटो

फ़रवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तो इसका एक मक़सद नैटो के विस्तार को रोकना भी था. विडम्बना ये है कि इसका उल्टा ही हुआ है. पहले 30 सदस्य देशों वाले गठबंधन में फिनलैंड 31वें सदस्य के तौर पर शामिल हुआ था और बहुत जल्द नैटो की सदस्यता 32 तक पहुंच जाएगी.

 

पिछले 200 वर्षों से स्वीडन और फिनलैंड, सैन्य रूप से निरपेक्षता की नीति पर अमल करते आए हैं, जो दोनों विश्व युद्धों और शीत युद्ध के लंबे दौर में भी जारी रही थी. शीत युद्ध के ख़ात्मे के बाद स्वीडन ने रक्षा में अपने ख़र्च में कटौती की थी और इसके बजाय दुनिया भर में शांति स्थापना के अभियानों पर अपना ध्यान केंद्रित किया था. 2021 में जाकर पूर्व विदेश मंत्री पीटर हल्टक्विस्ट ने ऐलान किया था कि स्वीडन कभी भीनैटो में शामिल होने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेगा.’ लेकिन, यूक्रेन पर रूस के हमले ने दोनों ही देशों के नज़रिए में बहुत व्यापक बदलाव लाने का काम किया. इसकी वजह से स्वीडन और फिनलैंड ने सदियों से चली रही निरपेक्षता की नीतियों से किनारा कर लिया, और मई 2022 में दोनों देशों ने नैटो का सदस्य बनने की अर्ज़ियां लगाई थीं.

 स्वीडन और फिनलैंड ने सदियों से चली आ रही निरपेक्षता की नीतियों से किनारा कर लिया, और मई 2022 में दोनों देशों ने नैटो का सदस्य बनने की अर्ज़ियां लगाई थीं.

नैटो की सदस्यता में पिछली बार जब 1991 में विस्तार किया गया था, तो पूर्वी यूरोप के देश इसमें शामिल हुए थे. उसके बाद अप्रैल 2023 में जाकर फिनलैंड, नैटो का नया सदस्य बना. हालांकि, स्वीडन की सदस्यता की राह में कई बाधाएं आने की वजह से उसमें ज़्यादा वक़्त लग गया. इसकी एक वजह नैटो की अपने सदस्यों के बीच आम सहमति से निर्णय लेने की प्रक्रिया भी रही.

 

स्वीडन की सदस्यता को हरी झंडी

 

स्वीडन के सदस्य बनने की राह में पहली चुनौती तुर्की ने खड़ी की. तुर्की ने आरोप लगाया कि स्वीडन, कुर्द उग्रवादी संगठनों जैसे कि कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (KPP) का समर्थन करता है, जिसे यूरोपीय संघ (EU) ने आतंकवादी देश घोषित कर रखा है. स्वीडन भी तुर्की की चिंताएं दूर कर पाने में नाकाम रहा था. स्वीडन में क़ुरान जलाने वाले विरोध प्रदर्शनों घटनाओं और अमेरिका द्वारा तुर्की को F-16 लड़ाकू विमान देने की मंज़ूरी देने में देरी की वजह से ये मामला और पेचीदा हो गया. जून 2023 में स्वीडन ने कड़े आतंकवाद निरोधक क़ानून पारित किए. जिसके बाद जनवरी 2024 में जाकर तुर्की ने नैटो (NATO) में स्वीडन के दाख़िले को अपनी मंज़ूरी दे दी.

 

इसके अलावा, स्वीडन की सदस्यता को हंगरी की ज़िद और जानी-पहचानी अड़ंगेबाज़ी ने भी रोक रखा था. हंगरी, यूरोपीय संघ (EU) की कई नीतियों का विरोध करने वाले देश के तौर पर बदनाम है. हंगरी के रूस से नज़दीकी रिश्ते हैं और उसने अक्सर, यूक्रेन को वित्तीय और सैन्य मदद देने का विरोध किया है. इस मामले में हंगरी ने स्वीडन के नैटो का सदस्य बनने का विरोध इस आधार पर किया कि स्वीडन ने प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान और उनकी राष्ट्रवादी फिडेस्ज़ पार्टी की अगुवाई में हंगरी की लोकतांत्रिक स्थिति की आलोचना की थी. ओरबान के प्रवक्ता ज़ोल्टन कोवाक्स ने स्वीडन के अधिकारियों पर इल्ज़ाम लगाया था कि वोनैतिकता के उस सिंहासन पर बैठे हैं, जो दरक रहा है.’

 हंगरी ने स्वीडन के नैटो का सदस्य बनने का विरोध इस आधार पर किया कि स्वीडन ने प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान और उनकी राष्ट्रवादी फिडेस्ज़ पार्टी की अगुवाई में हंगरी की लोकतांत्रिक स्थिति की आलोचना की थी.

18 महीनों की खींच-तान और मोल-भाव के बाद आख़िरकार हंगरी की संसद ने स्वीडन के नैटो का सदस्य बनने के प्रस्ताव को 6 के मुक़ाबले 188 वोटों से मंज़ूरी दे दी. हंगरी की ये मंज़ूरी उस वक़्त मिली, जब उसने स्वीडन के साथ उसके ग्रिपेन लड़ाकू जहाज़ ख़रीदने का क्षा सौदा किया, ताकि हंगरी की वायुसेना के पास मौजूद ग्रिपेन जहाज़ों के मौजूदा बेड़े और रक्षा की ताक़त को और बढ़ाया जा सके.

 

यहां तक कि स्वीडन के आधिकारिक रूप से नैटो का सदस्य बनने से पहले से ही स्वीडन, नैटो के साझीदार देश के तौर पर 1990 के दशक से ही साझा युद्ध अभ्यासों और प्रशिक्षणों, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य ठिकानों पर अभियानों में सहयोग करता रहा है. इसके अलावा उसने अमेरिका को अपने 17 सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल करने की इजाज़त भी दे रखी है; और 2014 से ही स्वीडन को नैटो के बढ़े हुए अवसरों वाले साझीदार (EOP) का भी दर्जा मिला हुआ था. लेकिन, आधिकारिक रूप से सदस्य बनने का मतलब है कि स्वीडन को अब नैटो की धारा 5 के तहत उसके सुऱक्षा कवच का लाभ भी मिल सकेगा. इस धारा के मुताबिक़, किसी भी एक देश पर हमले को नैटो के सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है.

 

स्वीडन के सदस्य बनने को नैटो को क्या फ़ायदा होगा?

 

इस गठबंधन में स्वीडन का बहुप्रतीक्षित दाख़िला कई फ़ायदे और क्षमताएं देने वाला होगा.

 

स्वीडन की 100 लड़ाकू जहाज़ों वाली बड़ी वायु सेना और रक्षा उद्योग की मज़बूत क्षमताओं को देखते हुए उसका सदस्य बनना नैटो के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होगा. विशेष रूप से इसलिए भी क्योंकि यूक्रेन को मदद देने के लिए आज नैटो को अपनी उत्पादन क्षमता से कहीं ज़्यादा हथियारों की दरकार है.

 

स्वीडन के दाख़िले से उत्तरी मोर्चे पर गठबंधन (NATO) की रक्षा पंक्ति मज़बूत होगी. बाल्टिक सागर अब रूस को छोड़कर चारों तरफ़ से नैटो देशों से घिरा है. समुद्री आवाजाही और जहाज़ों के आवागमन का अहम रास्ता होने की वजह से बाल्टिक सागर कोनैटो की झीलकहा जाता है. अपनी अहम भौगोलिक स्थिति के साथ साथ, स्वीडन अपनी विश्वस्तरीय पनडुब्बियों के ज़रिए नैटो की सीमित नौसैनिक क्षमता में भी इज़ाफ़ा कर सकेगा. स्वीडन के पास उच्च तकनीक की विशेषज्ञता और बेहद आधुनिक तकनीकी क्षमता है, जो हाइब्रिड ख़तरों से निपटने में नैटो के लिए मददगार साबित होंगी.

स्वीडन के पास उच्च तकनीक की विशेषज्ञता और बेहद आधुनिक तकनीकी क्षमता है, जो हाइब्रिड ख़तरों से निपटने में नैटो के लिए मददगार साबित होंगी.

स्वीडन की सदस्यता से भू-राजनीतिक रूप से अहम आर्कटिक क्षेत्र में दुश्मन को भयभीत करने की ताक़त में भी काफ़ी इज़ाफ़ा होगा. रूस को छोड़ दें, तो इस इलाक़े के बाक़ी सभी देश बहुत जल्द नैटो के सदस्य बन जाएंगे. आर्कटिक क्षेत्र के प्रचुर क़ुदरती संसाधनों को देखते हुए चीन जैसे देश इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं

 

स्वीडन, सदस्य बनने से पहले से ही नैटो के स्टेडफास्ट डिफेंडर 2024 युद्ध अभ्यास में शिरकत कर रहा था. इसेशीत युद्ध के बाद से यूरोप का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यासकहा जा रहा है. इसके अलावा, नैटो के फॉरवर्ड लैंड फोर्सेज़ (FLF) नीति के तहत स्वीडन ने 2025 में लैटविया में अपने सैनिक तैनात करने का भी वादा किया है. अपने 2024 के रक्षा विधेयक में स्वीडन की सरकार ने देश के रक्षा बजट को 28 प्रतिशत और सैन्य मद में ख़र्च को बढ़ाकर 2.4 अरब डॉलर करने की प्रतिबद्धता भी जताई है. अपनी सेनाओं में रंगरूटों की सालाना भर्ती को 5500 से बढ़ाकर दस हज़ार करने के साथ साथ स्वीडन ने आम नागरिकों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य करने की उस नीति को भी दोबारा लागू कर दिया है, जिसे शीत युद्ध के ख़ात्मे के बाद बंद कर दिया गया था. जैसा कि नैटो के महासचिव, जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने दोहराया था कि, ‘स्वीडन के सदस्य बनने से नैटो मज़बूत होगा और हम सब ज़्यादा सुरक्षित होंगे.’

 

हालांकि, आलोचक इस रक्षा पंक्ति में कई दरारों की तरफ़ भी इशारा कर रहे हैं. इनमें रूस के पास कालिनिनग्राद के रास्ते या इस इलाक़े को धमकाने या फिर समुद्र के भीतर मौजूद नाज़ुक मूलभूत ढांचे जैसे कि केबल और पाइपलाइन को नुक़सान पहुंचाने की मौजूद क्षमता भी शामिल है, जिस पर नज़र रख पाना मुश्किल है.

 स्वीडन को नैटो का सदस्य बनाने को ऐसे समय में हरी झंडी मिली है, जब पश्चिमी देशों में युद्ध को लेकर निराशा और थकान बढ़ती जा रही है

स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन के लिए उनके देश का नैटो की सदस्यता हासिल करना एक बड़ी राजनीतिक जीत है, ख़ास तौर से उन घरेलू चुनौतियों को देखते हुए, जिनमें स्वीडन में आपराधिक गिरोहों के बढ़ते अपराध भी शामिल हैं. इसके अलावा, स्वीडन के सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी और दक्षिणपंथी स्वीडन डेमोक्रेट्स के मुक़ाबले क्रिस्टर्सन की लोकप्रियता की रेटिंग्स बहुत कम हैं. 2023 में स्वीडन में गोली मारने की 346 घटनाएं हुई थीं, जो अल्बानिया के बाद किसी अन्य यूरोपीय देश में बंदूक से किए जाने वाले अपराधों की सबसे ज़्यादा तादाद का रिकॉर्ड है.

 

वहीं दूसरी ओर, स्वीडन को नैटो का सदस्य बनाने को ऐसे समय में हरी झंडी मिली है, जब पश्चिमी देशों में युद्ध को लेकर निराशा और थकान बढ़ती जा रही है; डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी का ख़तरा मंडरा रहा है; यूक्रेन के लिए सहायता के पैकेज को मंज़ूरी दिला पाना मुश्किल हो रहा है; वहीं इज़राइल और हमास के युद्ध ने यूक्रेन के मोर्चे से ध्यान बंटा दिया है.

 

नैटो के लिए स्वीडन का दाख़िल होना केवल बहुत अच्छी ख़बर है.

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