Author : Rumi Aijaz

Published on Aug 02, 2021 Updated 0 Hours ago

दिल्ली का मास्टर प्लान प्रक्रिया एक स्थायी प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है, क्योंकि शहर के सौंदर्यीकरण के लिए इसकी परिकल्पना अगले 20 वर्षों तक के लिए है.

दिल्ली के रिहायशी इलाकों के लिये हाउसिंग सेक्टर की योजना

दिल्ली का विकास पिछले कई सालों से श्रृंखलाबद्ध तरीके से बने एक के बाद एक कई मास्टर प्लान पर आधारित होता आ रहा है. यहां उपलब्ध ज़मीन का उपयोग, विभिन्न मकसद के लिये किये जा रहे हैं (जैसे- आवासीय,व्यवसायिक, औद्योगिक, मनोरंजन, कई तरह की रिहायशी उपयोगिता और सुविधाओं के लिए), या फिर शहर में दिख रहे निर्मित या प्राकृतिक परिदृश्य ही क्यों न हो, ये सब बनाए गए मास्टरप्लान के सफ़ल अमलीकरण का ही नतीजा है. इन योजनाओं के अमलीकरण के साथ ही, शहर के कई मूलभूत ज़रूरतों और चुनौतियों का सफ़लता से सामना किया जा सका है.  

दिल्ली का मास्टर प्लान प्रक्रिया एक स्थायी प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है, क्योंकि शहर के सौंदर्यीकरण के लिए इसकी परिकल्पना अगले 20 वर्षों तक के लिए है. जबकि, शहरीकरण एक गतिशील और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, और उसका असर हर रोज़ विभिन्न तरीकों से महसूस की जाती है. 

एक तरफ़ शहरीकरण की प्रक्रिया से ज़हां कई तरह की सामाजिक और आर्थिक फ़ायदे होते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ शहरीकरण के  कई नकारात्मक पहलुओं की वजह से भी लोगों के जीवनशैली का स्तर गिरता जा रहा है. 

एक तरफ़ शहरीकरण की प्रक्रिया से ज़हां कई तरह की सामाजिक और आर्थिक फ़ायदे होते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ शहरीकरण के  कई नकारात्मक पहलुओं की वजह से भी लोगों के जीवनशैली का स्तर गिरता जा रहा है.  रोज़मर्रा की यात्रा, आवास की कमी और बुनियादी ढांचे की कमी के साथ-साथ वायु-प्रदूषण, भूमि उपयोग से जुड़ा उल्लंघन (भूमि अतिक्रमण) और बढ़ते अनौपचारिक क्षेत्रों का विकास कुछ ऐसी समस्यायें हैं जो इस समय दिल्ली से जुड़े ज्वलंत मुद्दे है.    

2021-41 मास्टर प्लान 

दिल्ली का साल 2021-41 के लिए आने वाला आगामी चौथा मास्टर प्लान, इस शहर के शहरीकरण की राह में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उसके सफ़ल निराकरण का बेहतर अवसर है. इस प्लान से संबंधित मसौदे को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए)ने पब्लिक डोमेन में ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया है. और जिसे आम जनता द्वारा मिले सुझावों/ आपत्तियों के अवलोकन के बाद ज़रूरी बदलाव के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

इस ड्राफ्ट मे प्रस्तावित परिकल्पना का उद्देश्य, एक दीर्घकालिक,जीवंत और जोश से भरपूर दिल्ली को प्रोत्साहित करना है. इस कल्पना को साकार करने के लिए,वातावरण,अर्थव्यवस्था,यहां की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक  धरोहर,सामाजिक ढांचा, रहने के लिये घर,  परिवहन और आवागमन,और भौतिक ढांचा आदि को ध्यान में रखते हुए, कई प्रस्ताव और मसौदों को तैयार किया गया है. इसके साथ ही, यह ड्राफ्ट स्थान संबंधी विकास, उसका निरीक्षण और मूल्यांकन और विकास के प्रमाणक को भी समुचित ढांचा प्रदान करता है. 

हाउसिंग सेक्टर के सुधार और विकास के लिये तैयार किये गए इन मसौदों की समीक्षा करने से भविष्य में दिल्ली के आवासीय नीति को समझने में काफ़ी सहूलियत मिलेगी.   

दिल्ली की मौजूदा आवासीय(हाउसिंग)सेक्टर को आकार देने में सालों से चले आ रही योजनाओं, विकास, प्रबंधन और शासकीय प्रक्रियायों के साथ ही यहां रहने वाले आम लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का बड़ा योगदान रहा है. वर्तमान के दिल्ली शहर का स्वरूप  कम ऊंचाई वाले नियोजित आवासीय क्षेत्र,अस्वाभाविक और बेढब से दिखने वाले घरों, और अनाधिकृत तौर पर बने अनौपचारिक ढांचों का मिला-जुला रूप है. 

दिल्ली शहर में दिनों-दिन नए मकानों की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन नए एवं सस्ते मकानों की पूर्ति के मामले में ये शहर काफ़ी पीछे है. और यही वो कारण जिसकी वजह से इस ऐतिहासिक शहर में शहरी ग्रांवों, अनाधिकृत कॉलोनी, मलिन बस्तियों और अर्धशहरी क्षेत्रों में मलिन और अनाधिकृत बस्तियों का प्रसार बढ़ता जा रहा है. साथ ही शहरी ग्रावों और अर्ध-शहरी ग्रामीण इलाकों में भी आबादी बढ़ती जा रही है.  ऐसा अनुमान है की सन 2041 तक दिल्ली की कुल आबादी 28 से 30लाख(मिलीयन)तक हो जाएगी, और 2041 तक इस महानगर अतिरिक्त 3.5 लाख (मिलियन) घरों की ज़रूरत होने वाली है.   \

दिल्ली शहर में दिनों-दिन नए मकानों की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन नए एवं सस्ते मकानों की पूर्ति के मामले में ये शहर काफ़ी पीछे है. और यही वो कारण जिसकी वजह से इस ऐतिहासिक शहर में शहरी ग्रांवों, अनाधिकृत कॉलोनी, मलिन बस्तियों और अर्धशहरी क्षेत्रों में मलिन और अनाधिकृत बस्तियों का प्रसार बढ़ता जा रहा है.

भविष्य में होने वाली घरों की मांग को ध्यान में रखते हुए, ये ड्राफ्ट योजना सुझाव देती है कि नियोजित और अनियोजित क्षेत्रों में उपलब्ध आवास के स्टॉक को बेहतर कर उनमें सुधार लाया जाये, ग्रीनफील्ड क्षेत्रों में नए घर बनाए जाये और रेंटल हाउसिंग यानी किराये पर दिए जाने के चलत को उचित प्रोत्साहन एवं बढ़ावा दिया जाये. आवासों के सप्लाई में निजी क्षेत्र से भी अहम् योगदान की उम्मीद की जा रही है. 

इस समय हमारे पास जो पूर्व नियोजित इलाके हैं, वहां ये कोशिश रहेगी कि उपलब्ध ज़मीन और बनाए गए नए इकाईयों जिनमें ग्रुप हाउसिंग व्यवस्था भी शामिल है, उसकी मदद से जनसंख्या के घनत्व को बढ़ाए जाने की योजना है. बाकी के इलाकों में, इनसेतुपुनर्वास योजना के तहत मलिन बस्तीयों की हालत बेहतर की जायेगी. जबकि अनधिकृत/पुनर्स्थापित कालोनियों  शहरी ग्रावों के इलाकों में समुचित विकास के साथ-साथ,इमरजेंसी वाहनों जिसमें(एम्बुलेंस/अग्नि शमन)शामिल होंगे उनके बिना किसी दिक्कत के आवागमन में सुविधा होगी. इसके लिए ज़रूरी सड़क निर्माण और सुधार का काम भी किया जाएगा. 

जमीन/संपत्ति मालिक अथवा रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा तैयार किये गए पुन:उद्धार योजना के अंतर्गत अनाधिकृत कॉलोनियों की दशा मे सुधार की जाएगी,और ये सुधार पूरी तरह से निर्धारित विकास मानदंड के आधार पर होगा जो की सरल आवागमन(रोड की चौड़ाई), विकास के प्रकार (आकार और सीमा),पार्किंग, सामाजिक/बुनियादी सुविधाओं का ढांचा (स्कूल,डिस्पेंसरी)आदि की उपलब्धता पर आधारित होगी.  UC द्वारा उल्लेखित नियमन और बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए केंद और राज्य सरकार दोनों ने ही इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है.  

खाली पड़े ग्रीनफील्ड इलाकों को पूलिंग के ज़रिये संयोजन करके उन्हें अधिग्रहित किये जाने की योजना है. जिसका इस्तेमाल मल्टीपल हाउसिंग टाइपोलॉजी जिसमें लगभग दो लाख आवासीय यूनिट होंगे, उन्हें तैयार किया जाएगा. इन घरों को सस्ते दरों में किराये में देने के लिये, 40-60 वर्ग मीटर के छोटे-छोटे घरों और बुज़ुर्गों के लिये रिटायरमेंट घर बनाने के लिये किया जाएगा.  

एक बहुत बड़ी प्रवासी जनसंख्या जिसमें कामकाजी महिलायें,पुरुष और छात्र शामिल हैं उनके लिये आवास की ज़रूरतों की पूर्ति के लिए,अलग-अलग प्रकार के ग़ैर-स्वामित्व वाले(किराये)सस्ते आवासीय परिसर जैसे सर्विस/स्टूडियो अपार्टमेंट,डॉर्मिटरी,हॉस्टल आदि के प्रस्ताव दिये गये हैं. इसके साथ ही सार्वजनिक ज़मीनों पर नई सरकारी परियोजनाओं को लागू करने और उपलब्ध खाली पड़े सार्वजनिक आवासीय ठिकानों के सही इस्तेमाल आदि की योजनायें भी लागू करने की योजना है. इसके अलावा उन निजी कंपनियों को भी विशेष कमीशन दिये जाने की योजना है, जो किराये पर दिये जाने वाले घरों का निर्माण करेंगे.    

इस मसौदे में इस बात की चर्चा की गयी है कि वे लोग जो बेघर हैं, और सड़कों, फ्लाईओवर के नीचे,और अन्य सार्वजनिक जगहों पर बसेरा करते हैं, उनके लिए शहर के अलग-अलग हिस्सें में नाइट-शेल्टर्स यानी रात में रहने के लिये सुरक्षित ठिकाने  विकसित किये जाएंगे. इस काम के लिये पहले से बनी इमारतों जिसमें(रेल और बस टर्मिनस,व्होलसेल/ख़ुदरा बाज़ार, ट्रांसपोर्ट-फ्राइट कॉम्प्लेक्स आदि)का भी इस्तेमाल किया जाएगा. 

इस मसौदे में इस बात की चर्चा की गयी है कि वे लोग जो बेघर हैं, और सड़कों, फ्लाईओवर के नीचे,और अन्य सार्वजनिक जगहों पर बसेरा करते हैं, उनके लिए शहर के अलग-अलग हिस्सें में नाइट-शेल्टर्स यानी रात में रहने के लिये सुरक्षित ठिकाने  विकसित किये जाएंगे.

सारांश 

संक्षेप में कहा जाये तो, भविष्य में दिल्ली के आवासीय विकास और सुधार के लिए इस मसौदे में जिन प्रस्तावों की बात कई गई है, जो इस महानगर से जुड़ी की कई चिंताओं के बारे में बात करता है. ये वो मसले हैं जिनका संबंध समावेश,रहने लायक योग्यता, और टिकाउपन से जुड़ा है.   

उदाहरण के लिए,इस प्लान के द्वारा अनौपचारिक क्षेत्रों मे सुधार,नए आवासों का निर्माण,और मौजूद खाली मकानों के सही इस्तेमाल का प्रावधान है,जिससे की समाज के विभिन्न वर्गों में,जिसमें कि प्रवासी वर्ग भी शामिल है, उनकी भी ज़रूरतों  की पूर्ति की जा सके. हालांकि, इसमें दोराय नहीं है कि लगभग ऐसी ही सुझाव पहले भी दिये जा चुके हैं, जो पिछले मास्टर प्लान पर आधारित थे, लेकिन उनका भी क्रियानव्यन नहीं हो पाया. ये भी एक कारण है, मौजूदा प्रस्ताव में शामिल किये गए कई सुझावों के दोहराव का.   

  1. दिल्ली मे शहरीकरण को परिधीय (या पेरीअर्बन)क्षेत्र में तब्दील करना, जहां ग्रामीण तबके के लोग आकर जाते हैं और ऐसा करने से वहां खेती योग्य ज़मीन की कमी हो जाती है और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इस समस्या को बेहतर तरीके से सुनने और संबोधित किये जाने की ज़रूरत है.
  2. निजी क्षेत्र के साथ मिलकर सस्ते आवासीय यूनिट मुहैया करवा पाना काफ़ी हद तक अनिश्चित और चुनौतीपूर्ण  काम है.
  3. किरायेदारों को घर दिए जाने की प्रक्रिया कितनी सफ़ल होगी ये कहा जा नहीं जा सकता है. इसकी वजह किराये का घर लेने और देने के दौरान जटिल कानूनी औपचारिक्तायें जिसका दोनों को सामना करना पड़ता है. इसके कारण मकान मालिक अपना घर किराये पर देने से झिझक सकते हैं. हाल ही में लाये गये Model Tenancy Act,2021 से प्राप्त अनुभव की समीक्षा किया जाना भी अभी बाकी है.
  4. शहर के कई अनौपचारिक इलाकों, अर्द्धशहरी क्षेत्रों, सेंसस नगरों,और शहरी गांवों  में लोगों की जीवन शैली का स्तर लगातार गिराता दिख रहा है.  बारिश के मौसम में, इन इलाकों में लगातार इमारतों के ढहने और साथ ही आग लगने जैसी घटनाएं  होती रहीं हैं. 
  5. शहरी क्षेत्रों में पहले से मौजूद रिहायशी इलाकों का घनत्व बढ़ाने,ज़मीनों का मिला-जुला इस्तेमाल, और बिना बाधा के होने वाली परिवहन विकास(TOD)जैसे उपाय,सही स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन सुविधाओं से लैस नहीं  है. 

राज्य/नगर प्रशासन और आगामी योजनाओं को ये सुनिश्चित करना चाहिए की जितने भी लंबित मसले हैं,उनका जल्द से जल्द समाधान निकाल लिया जाना चाहिए.   

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