Author : Don McLain Gill

Published on Oct 17, 2023 Updated 0 Hours ago
पश्चिमी फिलीपींस सागर में चीन की नई आक्रामकता

 फिलीपींस के कोस्ट गार्ड्स (PCG) को अपनी समुद्री सीमा के भीतर साथियों को रसद पहुंचाने के दौरान तंग करने से लेकर, ’10 डैश लाइन’ नक़्शे का ऐलान  करने और सितंबर में स्कारबोरो द्वीपों के पास तैरता हुआ बैरियर स्थापित करने तकचीन लगातार पश्चिमी फिलीपींस सागर में फिलीपींस की संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों को चुनौती देने के लिए उकसावे वाली हरकतें बढ़ाता जा रहा हैचीन की इन आक्रामक हरकतों को हमें समुद्री क्षेत्र में उसकी व्यापक महत्वाकांक्षाओं के संदर्भ में देखना होगाचीन की कोशिश है कि वो साउथ चाइना सी और उससे आगे बढ़कर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार कर लेइसके लिए वो दक्षिण एशियाई  क्षेत्र के फिलीपींस जैसे देशों और बाहरी ताक़तों के ख़िलाफ़ आक्रामक विशेषाधिकार वाली नीति पर चल रहा हैयहां इस बात को रेखांकित करना आवश्यक है कि साउथ चाइना सीचीन के लिए इस क्षेत्र में अमेरिका की मज़बूत होती रक्षा पंक्ति के ख़िलाफ़ एक भौगोलिक कवच का काम करता हैइसीलिएचीन की नज़र में ये बात बहुत अहम है कि वो  केवल इस समुद्री इलाक़े का सैन्यीकरण करेबल्कि अपने सैन्य बलों की मौजूदगी और गतिविधियां बढ़ाकर वो अमेरिका और उसके गठबंधन के नेटवर्क को अपने सामरिक समुद्री क्षेत्र से दूर रखने का प्रयास कर रहा है.

फिलीपींस, दक्षिण एशिया की एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में बेहद अहम भू-राजनीतिक हैसियत रखता है, क्योंकि वो पारंपरिक अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र और चीन की बढ़ती सामरिक शक्ति के बीचो-बीच स्थित है.

फिलीपींस सागर कि अहमियत

इन परिस्थितियों में फिलीपींसदक्षिण एशिया की एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में बेहद अहम भू-राजनीतिक हैसियत रखता हैक्योंकि वो पारंपरिक अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र और चीन की बढ़ती सामरिक शक्ति के बीचो-बीच स्थित है. हालांकिमौजूदा राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के नेतृत्व में फिलीपींस अपनी संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों के लिए अधिक मज़बूत इच्छाशक्ति से खड़ा होता दिख रहा हैइससे पहलेलंबे समय तक चीन को फिलीपींस की तरफ़ से पश्चिमी फिलीपींस सागर में अपनी संप्रभुता को लेकर दबी छिपी  और सीमित प्रतिक्रिया का सामना करने की आदत पड़ चुकी थीलेकिनआज का फिलीपींस निश्चित रूप से वैसा नहीं रह गया हैजैसा वो पिछले कुछ वर्षों और दशकों पहले रहा था.

फिलीपींस ये दिखा रहा है कि वो चीन की सलामी स्लाइसिंग को रोकने के लिए  केवल सुरक्षा के पारंपरिक क़दम सक्रिय रूप से उठाने को तैयार हैबल्कि वो अपने विस्तार लेते रक्षा के नेटवर्क में नई रणनीतियों को शामिल करने का भी प्रयास कर रहा हैचीन के झगड़ालू बर्ताव को फिलीपींस अंतरराष्ट्रीय मीडिया के ज़रिए प्रचारित कर रहा हैवो खुलकर संयुक्त राष्ट्र की समुद्र के नियमों से जुड़ी संधि (UNCLOS) के सिद्धांतों और 2016 में अपने पक्ष में आए अंतरराष्ट्रीय पंचायत के फ़ैसलों को लागू कर रहा हैऔरसबसे अहम बात वो अपनी संपूर्ण राष्ट्रीय शक्ति से इस चुनौती का सामना करने की इच्छाशक्ति जता रहा है.

चीन को अपनी सैन्य शक्ति की सीमाओं का भी एहसास है, इसीलिए वो भारी भरकम सामरिक सैन्य जोखिम उठाने के बजाय धीरे धीरे यथास्थिति बदलने का प्रयास कर रहा है. चूंकि चीन बहुत हिसाब किताब लगाकर काम करने वाला देश है

इस क्षेत्र में चल रही आज के दौर की भूराजनीतिक उठापटक के बीच फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर की सरकार ने एक संस्थागत और लक्ष्य आधारित सुरक्षा की रणनीति स्थापित करने की ज़रूरत को समझा हैजिससे अगले कुछ वर्षों के लिए फिलीपींस की सरकार एक स्पष्ट और व्यावहारिक  रूपरेखा को लागू कर सकेफिलीपींस को इस बात का एहसास ऐसे मौक़े पर हुआ हैजब चीन ने पश्चिमी फिलीपींस सागर में अपनी आक्रामक गतिविधियां और बढ़ा दी हैंचीन की तरफ़ से ऐसी हरकतों को अब फिलीपींस इस रूप में देख रहा है कि चीन अब समावेशी और न्यायोचित वार्ताओं और सहयोग के लिए माहौल तैयार करने का इच्छुक नहीं है.

चीन कि नीति

उठापटक भरे ठीक इसी क्षेत्रीय माहौल में फिलीपींस की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 2023-208 को अगस्त में जारी किया गया थाये दस्तावेज़ निश्चित रूप से वो सबसे बुनियादी दिशानिर्देश हैंजो आने वाले वर्षों में फिलीपींस की सुरक्षा नीति को आगे बढ़ाएंगेसबसे अहम बातइस नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (NSP मेंपश्चिमी फिलीपींस सागर को को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का प्राथमिक क्षेत्र’ बताया गया थाक्योंकि इस समुद्री क्षेत्र के कई अन्य दावेदार देश 2016 में आए अंतरराष्ट्रीय पंचायत के उस फ़ैसले को ख़ारिज करते रहे हैंजो फिलीपींस के हितोंसंप्रभुता और संप्रभु अधिकारों के पक्ष में आया थाइस संदर्भ में नई NSP इस बात पर भी ज़ोर देती है कि फिलीपींस के सुरक्षा संबंधी हितों को चुनौती देने वाले तमाम मसलों में से राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मसले शीर्ष पर हैंजिससे ‘रक्षा और सैन्य सुरक्षा’ के मसले सरकार के प्राथमिक एजेंडे हैं.

इसी रोशनी  में चीन इस बात का आकलन करने में जुटा हुआ है कि वो युद्ध छेड़े बग़ैरफिलीपींस की संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों की क़ीमत पर किस हद तक अपने सामरिक हितों को आगे बढ़ा सकता हैक्योंकि अमेरिका के साथ समझौते के तहत फिलीपींस को युद्ध की स्थिति में सुरक्षा की गारंटी मिली हुई हैचूंकिचीन को अपनी सैन्य शक्ति की सीमाओं का भी एहसास हैइसीलिए वो भारी भरकम सामरिक सैन्य जोखिम उठाने के बजाय धीरे धीरे यथास्थिति बदलने का प्रयास कर रहा है. चूंकि चीन बहुत हिसाब किताब लगाकर काम करने वाला देश है, इसलिएपहले वो अपनी हालिया आक्रामक हरकतों से निपटने के लिए पड़ोसी देशों द्वारा दी गई प्रतिक्रियाओं का सबूतों के आधार पर मूल्यांकन करेगा और तब जाकर अपने नीतिगत विकल्पों का चुनाव करेगाजैसे ही वो एक ऐसा बुनियादी नुस्खा तैयार कर लेगा जिसे पूरे क्षेत्र पर लागू किया जा सकता हैवैसे ही चीन उसे ज़मीनी हालात के हिसाब से सभी मोर्चों पर लागू करने का प्रयास करेगा.

फिलीपींस को चाहिए कि वो अपने राष्ट्रीय हितों के संरक्षण के लिए अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का मज़बूती से इस्तेमाल करें . चूंकि चीन के पास धनबल भी है और वक़्त भी, ऐसे में वो फिलीपींस की सुरक्षा और विदेश नीति में आई नई ऊर्जा में किसी भी तरह की कमज़ोरी देखेगा

हालांकिअब फिलीपींस भी इस बात को लेकर राजनीतिक तौर पर जागरूक होता जा रहा है उसे कहां तक दूसरे के हितों को जगह देनी है और कहां पर अपने राष्ट्रीय हितों की लक्ष्मण रेखा खींचनी हैऐसे में फिलीपींस को चाहिए कि वो चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियों पर अमल करता रहेअपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की क्षमताओं और बाहरी रक्षा के नेटवर्क को सुधारने के साथ साथआज के भूराजनीतिक उठापटक भरे माहौल में फिलीपींस को मज़बूत आर्थिक साझेदारियों के प्रति भी संजीदा रहना होगाचीन द्वारा अपने शक्ति विस्तार के पीछे उसकी बढ़ती आर्थिक शक्ति ही हैचीन ने पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया में अपने पड़ोसी देशों के साथ असमान व्यापारिक रिश्तों को अक्सर अपने भूराजनीतिक मक़सद साधने का हथियार बनाया है.

इस साल जुलाई तक चीनफिलीपींस के निर्यात और आयात का सबसे बड़ा देश रहा हैवैसे तो पिछले कुछ वर्षों के दौरान अन्य देशों के साथ भी फिलीपींस का निर्यात बढ़ रहा हैलेकिनआयात के सबसे बड़े स्रोत के रूप में चीनफिलीपींस के लिए चिंताजनक बनता जा रहा हैक्योंकि फिलीपींस निर्यात से कहीं ज़्यादा वस्तुओं का आयात करता हैइसीलिएफिलीपींस को इस बात का बख़ूबी एहसास है कि अगर वो चीन से आने वाले सस्ते सामानों आयात के रास्ते को अचानक बंद करेगातो महंगाई की मार से जूझ रही उसकी अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ जाएंगीइसीलिएआज जब फिलीपींस समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर अपने रक्षा संबंधों को मज़बूत कर रहा हैतो उसे इस साझेदारी को आर्थिक क्षेत्र में भी विस्तार देना चाहिएअपने साझीदार देशों के साथ अधिक समावेशी और बराबरी वाले व्यापारिक समझौते करने से फिलीपींस के पास ये विकल्प होगा कि वो धीरे धीरे चीन से होने वाले आयात पर अपनी निर्भरता कम करे और इस तरह अधिक सामरिक लचीलापन हासिल करे.

आगे कि राह

जैसे जैसे फिलीपींस हिंद प्रशांत क्षेत्र और यूरोप के समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को सुधार रहा हैवैसे वैसे वो इन संबंधों के ज़रिए अपने रक्षा और आर्थिक हितों को अधिक मज़बूती से साधने की स्थिति में आता जा रहा हैख़ास तौर से ऐसे समय में जब चीनपश्चिमी फिलीपींस सागर और साउथ चाइना सी के व्यापक क्षेत्र में अपनी सामरिक स्थिति को मज़बूत करने का प्रयास कर रहा हैइसीलिएफिलीपींस को चाहिए कि वो अपने राष्ट्रीय हितों के संरक्षण के लिए अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का मज़बूती से इस्तेमाल करें . चूंकि चीन के पास धनबल भी है और वक़्त भीऐसे में वो फिलीपींस की सुरक्षा और विदेश नीति में आई नई ऊर्जा में किसी भी तरह की कमज़ोरी देखेगातो उसका फ़ायदा उठाने की कोशिश ज़रूर करेगा.

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Author

Don McLain Gill

Don McLain Gill

Don McLain Gill is a Philippines-based geopolitical analyst author and lecturer at the Department of International Studies De La Salle University (DLSU). ...

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