Published on Oct 06, 2023 Updated 0 Hours ago
क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आगमन: तेज़ रफ़्तार प्रगति के बीच पेचीदा चुनौतियां

हाल के वर्षों में क्वांटम कंप्यूटिंग का तेज़ी से विकास हुआ है. बिग टेक फर्म और शोध प्रयोगशालाएं फॉल्ट-टॉलरेंट क्वांटम कंप्यूटरों के लिए रास्ता साफ़ कर रही हैं. ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत तमाम उभरती टेक्नोलॉजियों पर उनका प्रभाव पड़ना तय है. क्वांटम कंप्यूटर्स में पेचीदा समस्याओं के बिजली जैसी रफ़्तार से समाधान करने की क्षमता है. वो अपनी तेज़ गति से सालों के कंप्यूटेशन को बदल डालेंगे. वो मशीन लर्निंग को अधिकतम रूप से अनुकूलित करेंगे और कंप्यूटिंग शक्ति को कई गुना बढ़ा देंगे, जिससे सामान्यीकरण (जेनरलाइज़ेशन) के पहले से बेहतर परिणाम मिलेंगे.

बहरहाल, दोनों अभूतपूर्व तकनीकों के मिलन से एक नया क्षेत्र उभरना शुरू हो गया है जिसे क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (QAI) के तौर पर जाना जाता है. क्वांटम कंप्यूटिंग के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मार्ग निर्धारण या नेविगेशन के बेहतरीन रास्ते सुझा सकता है, स्वायत्त प्रणालियों में आमूलचूल सुधार ला सकता है, दवाओं की खोज को आगे बढ़ा सकता है, चिकित्सा और उपचार में ज़बरदस्त सुधार कर सकता है, और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े जटिल निर्णयों को अनुकूलित कर सकता है. अनेक अन्य रूपों में भी इसका प्रयोग हो सकता है. ऐसे में हरेक उद्योग पर QAI का प्रभाव पड़ना तय है.

गूगल, IBM जैसे तकनीक की दुनिया के दिग्गज और शिक्षा जगत QAI में जैसे-जैसे प्रगति करते जा रहे हैं, सरकारों को उभरती टेक्नोलॉजी के मायनों को समझने में सक्रिय होना पड़ेगा.

हालांकि हाल के वर्षों में AI ने अपने विनियमन और नैतिक उपयोग के संदर्भ में ज़बरदस्त चुनौतियां पेश की हैं. जेनेरेटिव AI के उभार और क्वांटम सिस्टम के साथ इसके मिलन के बाद टेक्नोलॉजी के निष्पक्ष और पारदर्शी उपयोग से जुड़े मौजूदा मसले और गंभीर हो जाएंगे. कुछ मौक़ों पर तो ये AI के साथ आने वाले अस्तित्व संबंधी और विनाशकारी जोख़िमों को और बढ़ा देगा. गूगल, IBM जैसे तकनीक की दुनिया के दिग्गज और शिक्षा जगत QAI में जैसे-जैसे प्रगति करते जा रहे हैं, सरकारों को उभरती टेक्नोलॉजी के मायनों को समझने में सक्रिय होना पड़ेगा. साथ ही ये सुनिश्चित करने के उपाय ढूंढने होंगे कि ये दोनों उभरती शक्तिशाली टेक्नोलॉजी परमाणु बम के रास्ते पर न जाएं! 

क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

जैसे-जैसे क्वांटम कंप्यूटर ज़्यादा से ज़्यादा व्यवहार्य बनते जा रहे हैं, उनके प्रयोग का एक नया क्षेत्र- क्वांटम AI सामने आया है. क्वांटम AI, दो बाधाकारी तकनीकों- क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मिलन बिंदु पर खड़ा है. जैसा कि वैज्ञानिक अध्ययनों से संकेत मिलते हैं, मशीन लर्निंग के मॉडल, कॉम्बिनेटरिक्स (एक सीमित प्रणाली के भीतर चयन, व्यवस्था और संचालन से संबंधित) चुनौतियों का समाधान करने के प्रयास करते हैं. अक्सर, इनमें कई चर या वेरिएबल्स शामिल होते हैं और इनसे जटिल गणनाएं जुड़ी होती हैं.  क्लासिकल या पारंपरिक कंप्यूटरों पर AI का उपयोग करने से इन समस्याओं को हल करने में बहुत वक़्त लगेगा और तब भी सबसे अनुकूलतम समाधान देने में सक्षम होने की आवश्यकता हो सकती है. इसके विपरीत, क्वांटम कंप्यूटर (क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांतों पर आधारित) के साथ AI मॉडलों के उपयोग से ऐसी समस्याओं को सेकंडों में हल किया जा सकता है. क्वांटम कंप्यूटर्स बड़े डेटासेट में भी पैटर्न ढूंढ सकते हैं, जो पारंपरिक कंप्यूटर नहीं कर सकते. शोध से संकेत मिलते हैं कि ये मशीनें अधूरे डेटा या करप्ट डेटा से निपटने के लिए बेहतर ढंग से लैस होंगी.  

QAI, मौजूदा AI प्रणालियों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग का उपयोग कर रहा है.

संक्षेप में कहें तो QAI, मौजूदा AI प्रणालियों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग का उपयोग कर रहा है.

क्वांटम AI के चंद ऐप्लिकेशंस

क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का घालमेल तक़रीबन हर उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा. अनेक तकनीकी कंपनियों और शोध प्रयोगशालाओं ने QAI पर इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और क्वांटम कंप्यूटिंग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने के लिए एक मंच स्थापित किया है. दुनिया भर में अलग-अलग औद्योगिक उपयोग के मामलों के लिए इनको लेकर परीक्षण और प्रायोगिक कार्य किए जा रहे हैं. सैद्धांतिक रूप से तमाम संभावनाएं दिखने के बावजूद इसे व्यावहारिक रूप से अपनाना, तकनीकी प्रगति, विनियमों और उद्योग की निवेश करने की इच्छा पर निर्भर करता है.

वित्त और बैंकिंग: वित्त पर क्वांटम AI के संभावित प्रभाव अहम हैं लेकिन अभी ये उभार के चरण में है. ये कई कार्यों को अधिकतम रूप से अनुकूलित स्तर पर ला सकता है. इनमें जोख़िम मूल्यांकन और धोखाधड़ी का पता लगाना, पोर्टफोलियो प्रबंधन और ऑप्शन प्राइसिंग और उन्नत मशीन लर्निंग एल्गोरिदम शामिल हैं. क्वांटम कंप्यूटिंग की रफ़्तार ऊंची-बारंबारता या फ्रीक्वेंसी वाले व्यापार को बाधित कर सकती है. शेयर बाज़ार के बर्ताव की सटीक भविष्यवाणी के लिए क्वांटम न्यूरल नेटवर्क मॉडल्स विकसित किए जा चुके हैं.  

स्वास्थ्य सेवा: क्वांटम कंप्यूटिंग, अणुओं की पारस्परिक क्रियाओं की नकल करके दवा की खोज में तेज़ी ला सकती है, बेहतर सटीकता और रफ़्तार के ज़रिए मेडिकल इमेजिंग में क्रांति ला सकती है और पेचीदा आनुवंशिक विश्लेषण को अनुकूलित कर सकती है. बीमारियों की भविष्यवाणी और व्यक्तिगत ज़रूरतों के हिसाब से इलाज की विधि तैयार करने के लिए क्वांटम AI, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को बढ़ा सकता है. 

रसद और आपूर्ति श्रृंखला: क्वांटम AI, रसद और आपूर्ति श्रृंखलाओं का कायापलट करने वाला है. क्वांटम कंप्यूटिंग माल ढुलाई के लिए रास्ते की योजना बनाने, गोदाम प्रबंधन और भंडार अनुकूलन को अनुकूलित कर सकती है, जिससे तेज़ रफ़्तार वाली और किफ़ायती डिलीवरी हो सकेगी. सिमुलेशन की उन्नत व्यवस्था, रुकावटों की भविष्यवाणी कर सकती है, जिससे संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा. क्वांटम AI की डेटा प्रॉसेसिंग, मांग पूर्वानुमान और वास्तविक समय में निगरानी की सटीकता को सुधार सकती है.  

नेविगेशन: क्वांटम कंप्यूटिंग की भारी-भरकम कम्प्यूटेशनल ताक़त GPS सटीकता को बढ़ा सकती है. इससे चुनौतीपूर्ण वातावरणों (जैसे ऊंची इमारतों और संकरी सड़कों वाली शहरी संरचनाओं और दूरदराज़ के इलाक़े) में सटीक स्थिति बनाने की क़वायद को सक्षम किया जा सकता है. क्वांटम AI एल्गोरिदम्स, वास्तविक समय में रूट या रास्तों से जुड़ी गणनाओं को अनुकूलित कर सकता है. इससे यातायात प्रवाह में सुधार होगा और भीड़भाड़ को कम किया जा सकेगा. जटिल सेंसर डेटा के आधार पर अधिक कुशल निर्णय लेते हुए क्वांटम AI स्वायत्त रूप से गाड़ियों के संचालन या नेविगेशन को भी बढ़ावा दे सकता है. 

पर्यावरण: क्वांटम AI में आजकल की जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता है. क्वांटम कंप्यूटिंग की कम्प्यूटेशनल क्षमताएं, जटिल जलवायु परिदृश्यों के मॉडल तैयार कर सकती हैं और इकोलॉजी पर उनके प्रभावों की अधिक सटीक भविष्यवाणी कर सकती हैं. सिमुलेशंस, कुशल ऊर्जा उत्पादन और भंडारण के लिए अनोखी सामग्रियों की खोज का कारण बन सकते हैं. क्वांटम AI के अनुकूलन एल्गोरिदम्स, संसाधन प्रबंधन, कचरे में कमी और आपूर्ति श्रृंखला के टिकाऊपन को बढ़ा सकते हैं.

क्वांटम AI के मायने

QAI का समाज और राष्ट्र-राज्यसत्ता के तक़रीबन सभी पहलुओं पर असर पड़ेगा. शोधकर्ताओं, तकनीकी विशेषज्ञों, वैज्ञानिक बिरादरी और सिविल सोसाइटी ने QAI के बहुआयामी प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है. इनमें से कुछ चिंताओं पर यहां चर्चा की गई है.

क्वांटम, AI के विनाशकारी जोख़िमों को और गंभीर बना देगा: बढ़ी हुई कम्प्यूटेशनल क्षमताओं के कारण क्वांटम कंप्यूटिंग, AI के विनाशकारी जोख़िमों को और बढ़ा सकती है. उन्नत AI प्रणालियों के विकास में तेज़ी लाने से अनचाहे परिणाम या अनियंत्रित व्यवहार सामने आ सकते हैं. बढ़ी हुई रफ़्तार, AI द्वारा तैयार हानिकारक सामग्रियों, ग़लत सूचनाओं और साइबर हमलों के प्रसार को तेज़ कर सकते हैं. क्वांटम-सक्षम अनुकूलन, अनचाहे परिणामों के साथ सुपरइंटेलिजेंट सिस्टम भी तैयार कर सकता है. इन जोख़िमों के निपटारे के लिए क्वांटम और AI सुरक्षा शोध, ठोस प्रशासन और नैतिक विचारों का तालमेल बिठाए जाने की ज़रूरत है. 

मौजूदा प्रशासन से संबंधित मसलों का विस्तार हो सकता है: क्वांटम कंप्यूटिंग, AI के मौजूदा शासन से जुड़ी चुनौतियों पर ज़बरदस्त प्रभाव डाल सकता है. क्वांटम AI, AI मॉडलों के प्रशिक्षण और अनुकूलन में तेज़ी ला सकता है, जिससे संभावित रूप से तेज़ गति से पूर्वाग्रह-युक्त या असुरक्षित परिणाम सामने आ सकते हैं. क्वांटम कंप्यूटिंग की मदद से एन्क्रिप्शन के उल्लंघन की क़वायदों से डेटा निजता और सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है. क्वांटम AI द्वारा पैदा विचित्र जोख़िमों से निपटने के लिए मौजूदा नियमों और नैतिक दिशानिर्देशों से कहीं ज़्यादा प्रयास करने किए जाने की दरकार है. नतीजतन, AI शासन ढांचे को अपडेट करते हुए उसमें क्वांटम के हिसाब से विशिष्ट विचारों को शामिल किया जाना चाहिए. इन विचारों में डेटा सुरक्षा, पूर्वाग्रह की रोकथाम, पारदर्शिता और जवाबदेही शामिल हैं. 

भू-राजनीतिक मायने संगीन हो सकते हैं: क्वांटम AI, मौजूदा भू-राजनीतिक समीकरणों को नया आकार दे सकता है. क्वांटम कंप्यूटिंग की बेहतर क्रिप्टोग्राफी-ब्रेकिंग क्षमताएं, वैश्विक साइबर सुरक्षा और खुफ़िया संचालनों को अस्त-व्यस्त कर सकती हैं, जिससे रक्षा रणनीतियों में बदलावों को बढ़ावा मिल सकता है. तकनीकी प्रगति में रफ़्तार भरने की इसकी क़ाबिलियत सैन्य क्षमताओं और रणनीतियों को आकार दे सकती है, जिससे क्षेत्रीय विषमताओं की आशंकाएं पैदा हो सकती हैं. क्वांटम विकास में अगुवा राष्ट्र सूचना युद्ध, मनोवैज्ञानिक कार्रवाइयों, दुष्प्रचार आदि में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं, जिससे वैश्विक शक्ति परिदृश्य में बदलाव आएगा. 

क्वांटम वर्चस्व हासिल करने वाले देश, सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं, जिससे अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई चौड़ी हो जाएगी. टेक्नोलॉजी विकास में रफ़्तार भरने की AI की क्षमताओं से राष्ट्रों के बीच आर्थिक असमानताएं पैदा हो सकती हैं. दुनिया के देश इस कायाकल्पकारी तकनीक को नियंत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में क्वांटम के क्षेत्र में दबदबा हासिल करने की दौड़ से भू-राजनीतिक तनाव पैदा हो सकते हैं. 

एक ओर, क्वांटम AI की उन्नत प्रॉसेसिंग शक्ति, साइबर ख़तरों को पहचानने और उनकी रोकथाम करने में मदद कर सकती है; तो दूसरी ओर, ये शैतानी किरदारों को आक्रमण की अधिक मज़बूत क्षमताओं के साथ सशक्त भी बना सकता है.

डेटा निजता और साइबर सुरक्षा ख़तरे कई गुना बढ़ सकते हैंइसका डेटा निजता और साइबर सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. क्वांटम एन्क्रिप्शन, एक तरफ़ डेटा सुरक्षा बढ़ा सकता है, तो दूसरी तरफ़ क्वांटम कंप्यूटर एन्क्रिप्शन के मौजूदा तरीक़ों को भी तोड़ सकते हैं, जिससे संवेदनशील जानकारी ख़तरे में पड़ सकती है. क्वांटम कंप्यूटिंग की शुरुआत, क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन (या क्वांटम-संरक्षित एल्गोरिदम) के विकास को ज़रूरी बना देती है, जिससे संभावित उल्लंघनों के ख़िलाफ़ बचाव सुनिश्चित हो सकेगा. एक ओर, क्वांटम AI की उन्नत प्रॉसेसिंग शक्ति, साइबर ख़तरों को पहचानने और उनकी रोकथाम करने में मदद कर सकती है; तो दूसरी ओर, ये शैतानी किरदारों को आक्रमण की अधिक मज़बूत क्षमताओं के साथ सशक्त भी बना सकता है. 

आगे की राह

क्वांटम AI की बढ़ती प्रसिद्धि के कारण इसका सूझबूझ भरा विनियमन ज़रूरी हो जाता है. इस तरह जोख़िमों से बचाव करते हुए इसकी क्षमता का दोहन किया जा सकेगा. प्रभावी विनियमन के लिए वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं समेत तमाम स्टेकहोल्डर्स के सहयोगात्मक प्रयास अनिवार्य हो जाते हैं. उनके विविधतापूर्ण दृष्टिकोण जटिल तकनीकी, नैतिक और सामाजिक मायनों का निपटारा कर सकते हैं. नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल करना ज़रूरी है. उनकी विशेषज्ञता, तकनीकी रूप से मज़बूत नियम तैयार करने, तेज़ रफ़्तार उन्नति के लिए अनुकूलन क्षमता में सुधार लाने और क्वांटम AI तकनीकों के उत्तरदायी विकास और तैनाती सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है. 

नैतिकतापूर्ण विचार, क्वांटम AI विनियमन के केंद्र में हैं. स्पष्ट नैतिक ढांचे और क़रारों की स्थापना से टेक्नोलॉजी के उपयोग को उन तरीक़ों से निर्देशित किया जा सकता है जो पारदर्शिता, निष्पक्षता, निजता और जवाबदेही को प्राथमिकता देते हैं. ये ख़ासतौर से अहम है क्योंकि अगर सावधानीपूर्वक प्रबंधन नहीं किया गया तो QAI की क्षमताओं से पूर्वाग्रह, भेदभाव या अनचाहे परिणाम सामने आ सकते हैं. भूराजनीतिक प्रभाव के चरम केंद्रीकरण को रोकने के लिए क़ानून और विनियमन लागू किए जाने चाहिए. दुनिया के राष्ट्र जैसे-जैसे क्वांटम सर्वोच्चता हासिल करने के प्रयास कर रहे हैं, तकनीकी क्षमताओं में असंतुलन से शक्ति असमानताएं पैदा हो सकती हैं. QAI संसाधनों और ज्ञान तक समान पहुंच को बढ़ावा देने वाले उपाय लागू करने से इस जोख़िम की रोकथाम हो सकती है और एक सहयोगात्मक वैश्विक क्वांटम इकोसिस्टम को आगे बढ़ाया जा सकता है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग सर्वोपरि है. बहुपक्षीय समझौते और सहभागितापूर्ण पहल, सीमाओं के आर-पार नियामक दृष्टिकोण का तालमेल बिठाने, नियामक मध्यस्थता को रोकने और सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग सर्वोपरि है. बहुपक्षीय समझौते और सहभागितापूर्ण पहल, सीमाओं के आर-पार नियामक दृष्टिकोण का तालमेल बिठाने, नियामक मध्यस्थता को रोकने और सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं. बेहतरीन अभ्यासों के डेटा और विशेषज्ञता को साझा करने से QAI से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक रूप से निपटारा किया जा सकता है.

निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर, क्वांटम AI को विनियमित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें तमाम विशेषज्ञ और स्टेकहोल्डर्स शामिल रहें. QAI टेक्नोलॉजी के जटिल परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए नैतिक दिशानिर्देश, ठोस क़ानून और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता ज़रूरी घटक हैं. ज़िम्मेदार विकास को बढ़ावा देकर QAI, नवाचार के संचालन से जुड़ी अपनी क्षमताओं को साकार कर सकता है, और जोख़िमों को कम करते हुए और व्यापक समाज के लिए समानतापूर्ण लाभ सुनिश्चित कर सकता है.


प्राची मिश्रा यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में यंग लीडर्स इन टेक पॉलिसी फेलो हैं, फ़िलहाल क्वांटम मेटा-इथिक्स प्रोजेक्ट के लिए ओआरएफ के सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी में काम कर रही हैं.

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