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7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल पर हमास के क्रूर आतंकी हमले के नतीजतन गाज़ा में शुरू युद्ध के 11 महीने पूरे हो गए हैं. इस दौरान ज़ोरदार युद्ध हुआ, अभूतपूर्व मानवीय क्षति हुई और बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा. गाज़ा पट्टी पर लगातार बम बरसाए गए जिसकी वजह से ये अब मलबे में तब्दील हो गई है और ये रहने के लायक कहीं से भी नहीं है. आने वाले दिनों में युद्ध विराम की संभावना नहीं दिखती, ऐसे में जल्द ही इस लड़ाई का एक साल पूरा हो जाएगा.
वैसे तो युद्ध के कारणों को लेकर विस्तार से चर्चा हो चुकी है लेकिन इस स्थिति में इस बात का विश्लेषण महत्वपूर्ण है कि संघर्ष में शामिल हर पक्ष युद्ध से क्या चाहता है. आम तौर पर फिलिस्तीनी आंदोलन और ख़ास तौर पर हमास के लिए ये युद्ध लगभग आवश्यक हो गया था क्योंकि इस क्षेत्र में तेज़ी से बदलता भू-राजनीतिक समीकरण स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश के लिए उसके मक़सद को अंधेरे में धकेल रहा था. बदलते समीकरण में एक प्रमुख कारण अब्राहम अकॉर्ड था जिस पर सितंबर 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे और जिसने इज़रायल और इस क्षेत्र के कुछ देशों के बीच औपचारिक रूप से कूटनीतिक संबंध स्थापित किया. इसके साथ-साथ सऊदी अरब और इज़रायल के बीच तेज़ी से सामान्य संबंध के हालात बन रहे थे और इससे जुड़ा समझौता सितंबर 2023 में लगभग अंतिम स्थिति में पहुंच गया था.
इज़रायल की बात करें तो गाज़ा संघर्ष ने उसे एक स्वतंत्र और समर्थ फिलिस्तीनी देश के मुद्दे पर बहस को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म करने का एक आदर्श अवसर मुहैया कराया है.
इज़रायल की बात करें तो गाज़ा संघर्ष ने उसे एक स्वतंत्र और समर्थ फिलिस्तीनी देश के मुद्दे पर बहस को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म करने का एक आदर्श अवसर मुहैया कराया है. हालांकि ये अवसर मिलने के बाद इज़रायल सिर्फ गाज़ा पट्टी पर ही हमले नहीं कर रहा है बल्कि दूसरे हिस्सों यानी वेस्ट बैंक पर पूरी तरह से नियंत्रण की उसकी योजना भी पिछले कुछ महीनों के दौरान तेज़ी पकड़ रही है.
इस रणनीति के एक हिस्से के तहत 27 अगस्त की रात को इज़रायल ने जान-बूझकर वेस्ट बैंक में एक सैन्य अभियान शुरू किया जहां इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) की टुकड़ियों ने ‘उग्रवादियों को जड़ से उखाड़ने’ की कोशिश के तहत जेनिन शहर समेत प्रमुख जगहों पर धावा बोला. पहली रात कम-से-कम 10 फिलिस्तीनी मारे गए. वेस्ट बैंक में ये सबसे बड़ा आक्रमण है और इस बात की गंभीर चेतावनी कि इस युद्ध का विस्तार गाज़ा पट्टी से बहुत दूर तक हो गया है. लेकिन इज़रायल का ये कदम बहुत सारे सवाल भी खड़े करता है. अभी क्यों? गाज़ा युद्ध में सीज़फायर के लिए चल रही कोशिशों को ये कैसे प्रभावित करता है?
ये याद किया जा सकता है कि 7 अक्टूबर 2023 से पहले भी वेस्ट बैंक न सिर्फ इज़रायल से आकर बसे लोगों बल्कि IDF के बार-बार के हमलों का भी सामना कर चुका है. वास्तव में 3 जुलाई 2023 को वेस्ट बैंक में जेनिन कैंप पर इज़रायल का हमला पिछले दो दशकों के दौरान सबसे ख़तरनाक और सबसे बड़ा सैन्य अभियान था. इस दौरान ज़मीनी हमले के साथ-साथ वायुसेना ने भी वेस्ट बैंक पर निशाना साधा. दो दिनों के इस छोटे से युद्ध के दौरान 12 फिलिस्तीनियों की मौत हुई और 150 से ज़्यादा घायल हुए. इस हमले के दौरान 300 से ज़्यादा घर तबाह हुए और 400 से ज़्यादा को नुकसान पहुंचा. मजबूर होकर 3,000 से ज़्यादा फिलिस्तीनियों को कैंप से भागना पड़ा. इससे पहले भी 26 जनवरी 2023 को इज़रायली सैनिकों ने जेनिन में एक हमले के दौरान नौ फिलिस्तीनियों की हत्या कर दी.
गाज़ा में मौजूदा युद्ध से पहले के दो वर्षों के दौरान वेस्ट बैंक में और वेस्ट बैंक से हमलों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई. जेनिन कैंप उग्रवादियों का गढ़ और उनके छिपने की सुरक्षित जगह बनने के लिए सुर्खियों में था. इसके नतीजतन IDF और पुलिस के द्वारा कार्रवाई की संख्या और तीव्रता में बढ़ोतरी हुई थी. गाज़ा युद्ध शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले 25 जुलाई 2023 को हथियारबंद आतंकवादियों ने वेस्ट बैंक के नेबलस इलाके में IDF पर फायरिंग की थी. IDF की टुकड़ी ने भी इसका जवाब दिया जिसका नतीजा तीन फिलिस्तीनियों की मौत के रूप में निकला.
वेस्ट बैंक में बसे इज़रायल के लोगों के द्वारा फिलिस्तीनियों पर हमले और उनकी संपत्ति को तबाह करने की ख़बरें बढ़ रही हैं.
वेस्ट बैंक में मौजूदा संघर्ष में तेज़ी की बात पर आएं तो पिछले साल अक्टूबर से हिंसा में अच्छी-ख़ासी बढ़ोतरी हुई है. वेस्ट बैंक में बसे इज़रायल के लोगों के द्वारा फिलिस्तीनियों पर हमले और उनकी संपत्ति को तबाह करने की ख़बरें बढ़ रही हैं. गाज़ा में युद्ध की शुरुआत के समय से इज़रायली वायु सेना ने वेस्ट बैंक में 50 से ज़्यादा हवाई हमलों को अंजाम दिया है. इनमें से ज़्यादातर हमले तुलकरम, जेनिन और नेबलस में हुए हैं. इसके अलावा इज़रायल के बसे लोगों ने इस अवधि के दौरान वेस्ट बैंक में 1,300 से ज़्यादा हमले किए हैं. फिलिस्तीनी मंत्रालय के अनुसार अक्टूबर 2023 से वेस्ट बैंक में कम-से-कम 680 फिलिस्तीनी मारे गए हैं.
वेस्ट बैंक महत्वपूर्ण क्यों है?
वेस्ट बैंक की समस्याएं छिटपुट भिड़ंत और हमलों से बढ़कर हैं. बड़े मुद्दों में से एक है वेस्ट बैंक में इज़रायली नागरिकों का लगातार बसना. इज़रायल ने 1967 के युद्ध में वेस्ट बैंक, पूर्वी यरुशलम और गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा किया. पिछले 57 वर्षों के दौरान इज़रायल ने बड़ी संख्या में बस्तियां बसाई हैं जो पूरे वेस्ट बैंक में फैली हुई हैं. यहां 7,00,000 से ज़्यादा इज़रायली नागरिक रहते हैं जो इज़रायल की 70 लाख की आबादी का 10 प्रतिशत है. नई बस्तियों के निर्माण की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा के बावजूद इज़रायल ने और भी बस्तियों का निर्माण जारी रखा है. हर नई बस्ती के साथ एक मज़बूत दो देशों के समाधान के लिए भौगोलिक क्षेत्र भी लगातार कम हो रहा है.
गाज़ा युद्ध से भी पहले 26 जून 2023 को इज़रायल के रक्षा मंत्रालय की योजना समिति ने वेस्ट बैंक में 5,000 से अधिक नए घरों को मंज़ूरी दी थी. ये इज़रायल के द्वारा 2023 में पहले से स्वीकृत 13,000 घरों के अतिरिक्त था. इज़रायल का प्रमुख सहयोगी होने के बावजूद अमेरिका भी अधिकृत वेस्ट बैंक में इज़रायली बस्तियों के लगातार विस्तार का आलोचक रहा है और उसने जून 2023 में नई बस्तियों के एलान पर चिंता जताते हुए कहा था, “हम वेस्ट बैंक में 4,000 से अधिक घर बनाने की योजना को आगे बढ़ाने के इज़रायली सरकार के कथित फैसले से काफी परेशान हैं.” अधिकृत वेस्ट बैंक में अतिरिक्त घर बनाने जैसे उकसाने वाले कदमों की व्यापक आलोचना हुई और इससे ‘दो देशों के समाधान’ के लिए अंतिम रूप से उपलब्ध भौगोलिक क्षेत्र कम हुआ.
वेस्ट बैंक में अल अक़्सा मस्जिद भी है जो अक्सर इज़रायल की तरफ से बसाए गए लोगों की हिंसा और तोड़-फोड़ के निशाने पर रहती है. पूर्वी यरुशलम, जिस पर इज़रायल ने 1967 में छह दिनों के युद्ध में कब्ज़ा किया था, में स्थित अल अक़्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. अल अक्सा मस्जिद और सातवीं शताब्दी में बने डोम ऑफ रॉक (चट्टान का गुंबद) के बारे में माना जाता है कि यहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे.
वेस्ट बैंक में अल अक़्सा मस्जिद भी है जो अक्सर इज़रायल की तरफ से बसाए गए लोगों की हिंसा और तोड़-फोड़ के निशाने पर रहती है.
गाज़ा युद्ध शुरू होने से कुछ महीने पहले अप्रैल 2023 के पहले सप्ताह में अल अक़्सा मस्जिद में फिलिस्तीनी श्रद्धालुओं पर बिना किसी उकसावे के हमले जैसी घटनाएं हुईं. 17 सितंबर को एक बार फिर इज़रायल की तरफ से बसाए गए लोग जबरदस्ती मस्जिद परिसर में घुस गए जबकि इज़रायली सैनिकों ने अल अक़्सा मस्जिद परिसर के मुख्य प्रवेश द्वारों में से एक बाब अस-सिलसिला में फिलिस्तीनी श्रद्धालुओं पर हमला किया. सऊदी अरब, UAE और मिस्र ने फौरन इसकी निंदा की. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने तो यहां तक कहा कि, “ये दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाओं को भड़काने वाला कदम है”. 4 अक्टूबर को एक बार फिर इज़रायल के यहूदी नागरिक अल अक़्सा मस्जिद के परिसर में दाखिल हो गए जबकि इज़रायली सैनिकों ने फिलिस्तीनी श्रद्धालुओं को रोक दिया.
हाल के समय में एक धुर दक्षिणपंथी इज़रायली मंत्री बेन-गविर ने अल अक्सा परिसर में सिनेगॉग के निर्माण की अपील से जुड़ा बयान दिया. उनके इस बयान से वेस्ट बैंक और पूरे क्षेत्र में आक्रोश पैदा हुआ और इसकी निंदा की गई. सऊदी अरब और खाड़ी के देशों ने इस प्रस्ताव की निंदा की. सऊदी अरब ने तो 27 अगस्त को साफ तौर पर इसे खारिज कर दिया और कहा कि ये “चरमपंथी और उकसाने वाला बयान” है जो “दुनिया भर में मुसलमानों की भावनाओं को भड़काता” है.
निष्कर्ष
वेस्ट बैंक में IDF के द्वारा सैन्य अभियान और इज़रायल के द्वारा बसाए गए लोगों की तरफ से हिंसा अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं. गाज़ा में अभियान स्थिर होने और हमास के साथ युद्ध विराम का समझौता स्वीकार करने को लेकर बढ़ते दबाव के साथ वेस्ट बैंक इज़रायल को युद्ध जारी रखने के लिए एक आदर्श स्थिति प्रदान करता है. ये जुलाई 2024 में चीन की मध्यस्थता में शांति समझौता पर हस्ताक्षर करने के बाद फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अलग-अलग गुटों (जिनमें हमास और फ़तह शामिल हैं) के भीतर होने वाले किसी भी मेल-मिलाप और एकजुटता की सख्त निगरानी करने में इज़रायल की मदद भी करता है.
इज़रायल के द्वारा वेस्ट बैंक में बस्तियों को बसाने का काम जारी रखना और फिलिस्तीनी आबादी को उनके क्षेत्र से बाहर करना एक मज़बूत ‘दो देशों’ के समाधान के लिए वेस्ट बैंक में पर्याप्त भौगोलिक क्षेत्र छोड़ने की किसी भी संभावना को ख़त्म करने की इज़रायल की रणनीति के लिए कारगर है. जुलाई 2024 में इज़रायल की संसद (नेसेट) में भारी बहुमत के साथ पारित एक प्रस्ताव भी इज़रायल की योजना के बारे में साफ तौर पर संकेत देता है. इस प्रस्ताव में संकल्प लिया गया कि फिलिस्तीनी देश को नामंज़ूर किया जाएगा क्योंकि ये “इज़रायल और उसके नागरिकों के अस्तित्व के लिए ख़तरा होगा, इज़रायली-फिलिस्तीनी संघर्ष को बनाए रखेगा और इस क्षेत्र को अस्थिर करेगा.”
इसके अलावा पूर्वी यरुशलम का मुद्दा भी है जिसे फिलिस्तीनी देश की राजधानी बनाने का वादा किया गया है. इज़रायल इसे किसी भी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. वास्तव में राष्ट्रपति ट्रंप ने दिसंबर 2017 में इज़रायल के मनाने पर ऐलान किया था कि अमेरिका यरुशलम को इज़रायल की राजधानी के रूप में मान्यता देगा और अमेरिकी दूतावास वहां ले जाएगा.
ये स्पष्ट है कि इज़रायल गाज़ा के बाद वेस्ट बैंक पर नियंत्रण और पूरी तरह से कब्ज़ा करने की योजना बना रहा है और इस तरह एक स्वतंत्र और मज़बूत फिलिस्तीनी देश की संभावना को पूरी तरह से ‘असंभव’ कर रहा है.
इसलिए वेस्ट बैंक में जारी इज़रायली ऑपरेशन का मुद्दा व्यापक इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष में एक बहुत बड़े कैनवास का हिस्सा है. ये स्पष्ट है कि इज़रायल गाज़ा के बाद वेस्ट बैंक पर नियंत्रण और पूरी तरह से कब्ज़ा करने की योजना बना रहा है और इस तरह एक स्वतंत्र और मज़बूत फिलिस्तीनी देश की संभावना को पूरी तरह से ‘असंभव’ कर रहा है. इन सबके बीच युद्ध विराम के लिए बातचीत आगे नहीं बढ़ती दिख रही है. हमास ने वेस्ट बैंक में इज़रायल से लड़ रहे फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद को समर्थन देने का वादा किया है और जब तक वेस्ट बैंक में लड़ाई रुक नहीं जाती है और वो शांति समझौते का भी हिस्सा नहीं बनता है तब तक उसके कदम पीछे खींचने की संभावना नहीं है. ये सब उस समय हो रहा है जब इज़रायल और ये पूरा क्षेत्र 31 जुलाई 2024 को हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या का ईरान के द्वारा बदला लेने का अभी भी इंतज़ार कर रहा है. इन परिस्थितियों में जल्दी युद्ध विराम की संभावना कम ही दिखती है और तनाव बढ़ने का ख़तरा एक अलग आशंका है.
राजीव अग्रवाल सैन्य मामलों और पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ हैं.
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