Expert Speak Raisina Debates
Published on Jan 19, 2024 Updated 0 Hours ago

अमेरिका गहराते राजनीतिक विभाजन और प्रशासन के प्रति असंतोष का सामना कर रहा है. ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम निहितार्थों के साथ उथल-पुथल भरे चुनावी दौड़ का संकेत देता है

2024 राष्ट्रपति चुनाव: जोख़िम भरे अस्थिर डगर पर अमेरिका

नवंबर 2024 में अमेरिका अपना अगला राष्ट्रपति चुनेगा, जो अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण अवसर होगा. इस अहम चुनाव की तैयारी पर पहले से ही घरेलू विवादों और उभरती भूराजनीतिक घटनाओं, दोनों के चलते नाटकीय प्रभाव पड़ रहा है. रिपब्लिकन पार्टी के भीतर, संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को अपनी उम्मीदवारी के सामने नई क़ानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो अमेरिका में आधुनिक समय में राष्ट्रपति पद को लेकर हुई राजनीति के विपरीत है. इस बीच, विदेश नीति से जुड़े चुनिंदा मसलों ने मतदाताओं की चिंताओं को आकार दिया है. इन मामलों में यूक्रेन में जारी युद्ध, अक्टूबर 2022 में इज़रायल के ख़िलाफ़ हमास की जंग, 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से उथल-पुथल भरी वापसी, और चीन के साथ बढ़ती रस्साकशी और तनाव शामिल हैं. अमेरिका में कलह से भरी घरेलू राजनीतिक गतिशीलता को समझने के लिए इन महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में उनकी पड़ताल करने की आवश्यकता है. 2024 के चुनाव के किसी भी विश्लेषण में इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि उम्मीदवारों के इर्द-गिर्द घरेलू विवाद (ख़ासतौर से रिपब्लिकन क्षेत्र के भीतर) उभरती भूराजनीतिक वास्तविकताओं के साथ मिलकर राष्ट्रपति पद के लिए अंतिम दौड़ और उसके नतीजे को किस तरह से आकार दे सकती है. इस चुनाव का वैश्विक मंच पर अमेरिका की भूमिका और उसकी आंतरिक राजनीति की दिशा पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है.  

जैसे-जैसे 2024 में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के प्राइमरी चुनाव नज़दीक आ रही है, डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी के भीतर अपने संभावित प्रतिस्पर्धियों पर निर्णायक बढ़त बनाते जा रहे हैं.

हालिया सर्वेक्षण 2024 में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच राष्ट्रपति पद को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा का संकेत करते हैं, ट्रंप को उन वोटरों के बीच बढ़त हासिल है जिन्होंने 2020 के चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था. इस बीच, इज़रायल-गाज़ा संघर्ष पर बाइडेन को विरोध-प्रदर्शनों समेत तमाम तरह की चुनौतियों और आप्रवासन सुधार और बग़ैर सख़्त नीतियां लागू किए सीमा क़ानूनों पर रिपब्लिकन पार्टी की ओर से रुकावटों का सामना करना पड़ा है. ये गतिशीलताएं इज़रायल और आप्रवासन पर ज़्यादा वामपंथी रुझान वाली नीतियां चाह रहे प्रगतिशील वोटरों और सरहदी सुरक्षा को लेकर चिंतित स्विंग वोटरों, दोनों के प्रति बाइडेन की कमज़ोरियों को रेखांकित करते हैं. ट्रंप के लिए, हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के कई समर्थकों ने शुरुआत में एक वैकल्पिक उम्मीदवार को प्राथमिकता दी थी, लेकिन अब पार्टी में लगभग दो-तिहाई लोग स्थायी रूप से उनका समर्थन करने लगे हैं. 6 जनवरी की घटनाओं (अमेरिकी संसद पर हमले से जुड़ी) की सुनवाइयों और क़ानूनी मुसीबतों के बावजूद ये लचीलापन ट्रंप के प्रति उनके आधार वोटरों की वफ़ादारी दर्शाता है. हालांकि, आख़िरकार, उम्मीदवारों की क़िस्मत व्यापक राजनीतिक और आर्थिक संदर्भों पर निर्भर हो सकती है. बढ़ते लोक-लुभावनवाद के साथ-साथ व्यापार और आप्रवासन की सख़्त होती नीतियों जैसे वैश्विक रुझान ट्रंप जैसे दक्षिणपंथी उम्मीदवारों को फ़ायदा पहुंचा सकते हैं. लेकिन बदतर होते आर्थिक हालात या चुनाव-पूर्व "अक्टूबर सरप्राइज़" जैसी घटनाएं भी दौड़ में बदलाव ला सकती हैं.  

जैसे-जैसे 2024 में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के प्राइमरी चुनाव नज़दीक आ रही है, डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी के भीतर अपने संभावित प्रतिस्पर्धियों पर निर्णायक बढ़त बनाते जा रहे हैं. हालिया सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि ट्रंप को रिपब्लिकन मतदाताओं के बीच 60 प्रतिशत से अधिक समर्थन मिल रहा है और वो अपने निकटतम प्रतिद्वंदियों रॉन डेसेंटिस और निक्की हेली से 40 प्रतिशत से ज़्यादा अंकों से आगे निकल चुके हैं. डेसेंटिस और हेली महज़ 10-15 प्रतिशत समर्थन जुटा पाए हैं, जबकि विवेक रामास्वामी जैसे लो-प्रोफाइल उम्मीदवार तक़रीबन 4 प्रतिशत पर अटके रहे. हालांकि अब उन्होंने राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने और ट्रंप का समर्थन करने का एलान कर दिया है. ट्रंप-विरोधी संगठित उम्मीदवार के ख़िलाफ़ काल्पनिक आमने-सामने की टक्कर में होने वाले मतदान में भी ट्रंप का बहुसंख्यक समर्थन लचीला है. ये संकेत करता है कि अपने इर्द-गिर्द तमाम विवादों के बावजूद ट्रंप रिपब्लिकन वोटरों के बीच एक बेहद वफ़ादार आधार क़ायम रखे हुए हैं. रिपब्लिकन समर्थन के अपने व्यापक आधार के ढह जाने (जिसकी संभावना काफ़ी कम है) की सूरत को छोड़कर ट्रंप ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नामांकन में शानदार जीत हासिल करने के लिहाज़ से बेहतरीन स्थिति में दिखाई देते हैं. 

जैसे-जैसे 2024 के चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, अमेरिका को गहराते राजनीतिक विभाजनों और प्रशासन के प्रति चौतरफ़ा असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. क़ानूनी अनिश्चितताएं ट्रंप को घेरे हुए हैं, जबकि बाइडेन तमाम तरह की निराशाओं से जकड़े हुए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप लगातार बढ़ते विवादों और जांच का सामना कर रहे हैं जिससे उनकी 2024 की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर अनिश्चितता के बादल छाने लगे हैं. उनकी भड़काऊ बयानबाज़ी जारी है, जो अतीत में उत्तेजनापूर्ण रुख़ रखने वाले नेताओं की याद दिलाती है. हाल ही में उन्होंने नाज़ी दुष्प्रचार की याद दिलाते हुए आप्रवासियों को देश के "ख़ून" में "ज़हर" जैसा बताया है. वैसे तो ऐसी ध्रुवीकरण वाली भाषा ट्रंप के वफ़ादार लोक-लुभावन आधार को गोलबंद करती है, लेकिन ये संकेत भी करती है कि अतिवादी विचार मुख्यधारा की राजनीति से लगातार दूर होते जा रहे हैं. ये शिगूफ़े ट्रंप की क़ानूनी असुरक्षाओं को बढ़ाते हैं क्योंकि वो चुनाव में गड़बड़ी और 6 जनवरी को अमेरिकी संसद पर विद्रोही हमले के लिए 90 से ज़्यादा आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. पहले से ही दो अभूतपूर्व महाभियोग उनके रिकॉर्ड पर बट्टा लगा रहे हैं, ये आरोप ट्रंप की चुनावी क्षमता और राष्ट्रपति के कार्यालय के लिए उनकी उपयुक्तता, दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. ट्रंप का झगड़ालू राजनीतिक अंदाज़ बाहरी होने की उनकी अपील को बढ़ा देता है. ट्रंप अमेरिकी राजनीति में एक ख़ास विघटनकारी ताक़त का प्रतिनिधित्व करते हैं, फिर भी उनका भविष्य अब अप्रत्याशित घटनाओं पर निर्भर करता है जो उनकी महत्वाकांक्षाओं को पलट सकती हैं. ट्रंप द्वारा नियम-क़ायदों का बेशर्मी से उल्लंघन विकृत रूप से समर्थकों के बीच उनके आधार को पुख़्ता करता है जो उनकी मर्दाना सख़्ती और मानदंडों को तोड़ने की भूख के प्रदर्शन को पसंद करते हैं. 

कोलोराडो निर्णय

कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के अभूतपूर्व निर्णय में कहा गया है कि 14वें संशोधन के 'अयोग्यता खंड' के तहत डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य हैं. इसके महत्वपूर्ण और दूरगामी परिणाम होंगे. वैसे तो इस प्रावधान के तहत पूर्व में किसी भी अदालत ने किसी उम्मीदवार को प्रतिबंधित नहीं किया था, लेकिन कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या कि 6 जनवरी के आसपास ट्रंप का बर्ताव विद्रोह सरीख़ा था, उनकी 2024 की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक अहम क़ानूनी ख़तरा पेश करता है. अगली प्रासंगिक घटना में अमेरिकी राज्य मेन की राज्य सचिव (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट), जो शीर्ष चुनाव अधिकारी हैं, ने ऐसे मिलते-जुलते रुख़ का पालन किया और राज्य के 2024 के प्राथमिक मतदान से ट्रंप को अयोग्य घोषित कर दिया. लगभग निश्चित है कि ट्रंप इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. हालांकि, अदालत की रुढ़िवादी बनावट को देखते हुए नतीजा अनिश्चित है. ज़्यादातर मौजूदा न्यायाधीशों की नियुक्ति रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों द्वारा की गई थी, जिनमें से तीन ख़ुद ट्रंप द्वारा नियुक्त किए गए थे. ये वैचारिक संतुलन शुरू में संकेत करता है कि कोर्ट कोलोराडो द्वारा 14वें संशोधन के नए अनुप्रयोग को पलट सकता है. हालांकि, चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स हाई-प्रोफाइल मामलों में कम प्रत्याशित साबित हुए हैं. कोर्ट ने हाल ही में न्याय विभाग द्वारा ट्रंप के ख़िलाफ़ आपराधिक जांच को रोकने से मना कर दिया था, जो उन्हें पूर्ण प्रतिरक्षा उपलब्ध कराने को लेकर न्यायिक अनिच्छा का संकेत करता है. आख़िरकार, कोलोराडो का फ़ैसला एक पूर्व राष्ट्रपति को नए और भिन्न तरीक़े से अयोग्य घोषित किए जाने की क़वायद के इर्द-गिर्द अज्ञात संवैधानिक क्षेत्र और इसे लागू करने से जुड़ी अस्पष्टताओं को रेखांकित करता है. वैसे तो इस निर्णय को राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित किए जाने की प्रक्रिया अभी संदिग्ध है, ये ट्रंप के लिए 14वें संशोधन के ख़तरों को स्पष्ट करता है, जो अन्य राज्यों की अदालतों में लोकप्रियता हासिल कर सकता है. 14वें संशोधन के तहत ट्रंप को मतदान से अयोग्य घोषित करने का कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला 2024 में पेचीदा क़ानूनी सवाल खड़े करता है. ट्रंप के विरुद्ध निर्णय उनके समर्थकों को नाराज़ कर सकते हैं, जबकि उनके पक्ष में आने वाले फ़ैसले कोर्ट की अखंडता में भरोसे को कमज़ोर कर सकते हैं. अलिप्तता से परे, ये सवाल बने हुए हैं कि क्या अयोग्यता एक क़ानूनी या राजनीतिक मसला है.  

कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के अभूतपूर्व निर्णय में कहा गया है कि 14वें संशोधन के 'अयोग्यता खंड' के तहत डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य हैं. इसके महत्वपूर्ण और दूरगामी परिणाम होंगे.

भारी मतदान के बावजूद, अमेरिकी जनता राजनीति और राजनेताओं के बारे में काफ़ी नकारात्मक विचार रखती है. गाज़ा, यूक्रेन सहायता विभाजनों, और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर बाइडेन को सार्वजनिक असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. गाज़ा के संदर्भ में, बाइडेन को हमास के ख़िलाफ़ इज़रायली कार्रवाइयों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग वाले प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है. हालांकि दबाव डालने से इज़रायल-समर्थक मतदाताओं के छिटक जाने का ख़तरा है. यूक्रेन पर, तक़रीबन आधे रिपब्लिकनों का विचार है कि अमेरिकी मदद अत्यधिक है, जो युद्ध को लेकर थकान और एकाकी भावना को दर्शाते हैं. ये रूसी आक्रामकता के प्रतिकार को लेकर निरंतर मदद के लिए समर्थन के सामने ख़तरा पेश करता है. इस बीच, बाइडेन की उदार आप्रवासन सुधार से जुड़ी क़वायद खटाई में पड़ गई है क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी ने इस मसले पर सहयोग के पूर्व-शर्त के रूप में सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने की मांग रख दी है. यहां, बाइडेन को बिना दस्तावेज़ी आप्रवासन के बारे में चिंतित स्विंग वोटरों की चिंताओं के ख़िलाफ़ अधिक उदार नीतियों का पक्ष लेने वाली अपनी पार्टी की प्रगतिशील शाखा को संतुलित करना होगा. इन पेचीदा चुनौतियों के बीच बाइडेन अपनी पार्टी के भीतर और व्यापक मतदाताओं में वैचारिक विभाजनों को सुलझाने के लिए संघर्ष करते रहे हैं. आम सहमति के अभाव में भावनात्मक मुद्दों पर इन परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं के चलते उनके नीतिगत विकल्प सीमित रहे हैं. जैसे-जैसे 2024 के चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, अमेरिका को गहराते राजनीतिक विभाजनों और प्रशासन के प्रति चौतरफ़ा असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. क़ानूनी अनिश्चितताएं ट्रंप को घेरे हुए हैं, जबकि बाइडेन तमाम तरह की निराशाओं से जकड़े हुए हैं. दोनों को अपने गठजोड़ के भीतर खेमेबाज़ी का सामना करना पड़ रहा है. ये हालात अहम निहितार्थों के साथ एक उथल-पुथल भरी दौड़ का पूर्वाभास कराते हैं. मोटे तौर पर, चुनाव लोकतांत्रिक सिद्धांतों बनाम दबंग अधिकारवादी उत्तेजनाओं के प्रति मतदाता की प्रतिबद्धता की माप करेगा. भले ही अंतिम विजेता अभी अनिश्चित है, लेकिन 2024 दलों के एजेंडे और अमेरिका के आगे की राह को नया आकार देने की संभावना जताता है. ये निर्णायक पल गठजोड़ों के टिकाऊपन की परीक्षा लेगा और मतदाता के बारे में मान्यताओं को झकझोर देगा. स्थायी प्रभावों वाले निर्णायक मुक़ाबले के लिए मंच तैयार है. 


विवेक मिश्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं

पंकज फणसे ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च इंटर्न हैं

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