Published on Jun 27, 2023 Updated 0 Hours ago
नॉर्दन-सी-रूट (उत्तरी समुद्र मार्ग): गेमचेंजर या दबदबे का रास्ता?

2021 में छह दिनों तक स्वेज़ नहर की घेराबंदी, जिसका कारण 2,50,000 टन के विशालकाय कंटेनर शिप ‘एवर ग्रीन’ का फंसना था, उसकी वजह से वैश्विक व्यापार को रोज़ाना लगभग 10 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ. स्वेज़ नहर से मिस्र को हर साल 8 अरब अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है लेकिन 400 मीटर लंबे कंटेनर शिप के फंसने से सामानों को पहुंचाने में देरी हुई. इसके कारण तेल और लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की गई और रोजाना 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर से लेकर 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक के नुकसान का अनुमान है. 

‘नॉर्दन-सी-रूट’ के नाम से लोकप्रिय इस संभावित वैकल्पिक रूट का सामरिक महत्व रूस के द्वारा निर्माण का काम किए जाने की वजह से पिछले दो वर्षों के दौरान बढ़ गया है.

इस घटना ने एक वैकल्पिक वेस्ट-ईस्ट ट्रांज़िट रूट की ज़रूरत की तरफ ध्यान दिलाया. साथ ही इसने आर्कटिक महासागर के ज़रिये एक नया व्यापार रूट विकसित करने की रूस की कोशिशों की तरफ दुनिया का ध्यान भी आकर्षित किया. ‘नॉर्दन-सी-रूट’ के नाम से लोकप्रिय इस संभावित वैकल्पिक रूट का सामरिक महत्व रूस के द्वारा निर्माण का काम किए जाने की वजह से पिछले दो वर्षों के दौरान बढ़ गया है.

नॉर्दन-सी-रूट/उत्तरी समुद्र मार्ग के फायदे 

नॉर्दन-सी-रूट (NSR) या नॉर्थ-ईस्ट पैसेज (NEP) आर्कटिक महासागर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से को जोड़ता है. जहां स्वेज़ नहर का रूट (नीचे की तस्वीर में जिसे नीले रंग में दिखाया गया है) यूरोप और एशिया के बीच 21,000 किलोमीटर की दूरी का है, वहीं NSR (लाल रंग में) यूरोप और एशिया के बीच 13,000 किलोमीटर की दूरी का है. इस तरह NSR यूरोप से एशिया के बीच आने-जाने का समय एक महीने से घटाकर दो हफ्तों से भी कम का करता है. 

स्रोत: निकेई इंफोग्राफिक्स

NSR का ज्य़ादातर हिस्सा रूस के उत्तरी भू-भाग से लगा हुआ है. यही वजह है कि रूस ने इसके विकास में बड़ी भूमिका अदा की है. रूस ने अगस्त 2022 में NSR के लिए 29 अरब अमेरिकी डॉलर के विकास की योजना को मंज़ूरी दी जो 2035 तक प्रभाव में रहेगी. रूसी आर्कटिक के मुख्य रास्ते के तौर पर देखी गई योजना में NSR से रूस को तीन खास भू-सामरिक और भू-आर्थिक फायदे हासिल करने के बारे में सोचा गया था:

  • हाइड्रोकार्बन के निर्यात और रूसी आर्कटिक के दूसरे प्राकृतिक संसाधनों के व्यापार के लिए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सुपरहाइवे बनना; 
  • रूसी फेडरेशन के आर्कटिक ज़ोन के लिए मज़बूत सप्लाई चेन का निर्माण ताकि बंदरगाहों और “आर्थिक विकास के नये बिंदुओं” तक बिना किसी बाधा के सामानों की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके;
  • और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आवागमन में मुख्य भूमिका हासिल करना.

महत्वपूर्ण ऊर्जा और दुर्लभ खनिजों के आयात के लिए स्वेज़ नहर पर बहुत हद तक निर्भर चीन भी NSR के विकास में एक सक्रिय किरदार के तौर पर उभर कर सामने आया है. 

आर्कटिक महासागर अपनी मोटी बर्फीली परतों और हिमखंडों (आइसबर्ग) के लिए जाना जाता है जो कि सामान ढोने वाले जहाज़ों के रास्तों को रोकते हैं. हिमखंडों के साथ टक्कर से विनाशकारी नतीजे निकल सकते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बर्फ के आवरण (कवर) के सिकुड़ने से आर्कटिक देशों को नये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रूट के तौर पर NSR की संभावना की पड़ताल करने का अवसर मिला है. लेकिन इस क्षेत्र के मुश्किल प्राकृतिक वातावरण की वजह से स्वेज़ नहर के विकल्प के रूप में NSR के विकास की कई कोशिशें रिसर्च तक ही सीमित रही हैं. 

ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति और भी गंभीर होने के साथ स्वेज़ नहर के लिए NSR एक किफ़ायती और समय बचाने वाले विकल्प के तौर पर उभर सकता है.

ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति और भी गंभीर होने के साथ स्वेज़ नहर के लिए NSR एक किफ़ायती और समय बचाने वाले विकल्प के तौर पर उभर सकता हैवेदरन्यूज के मुताबिक नॉर्दन पैसेज 2 अगस्त 2021 को समुद्री आइस ज़ोन में प्रवेश किए बिना जहाज़ों के चलने योग्य बन गया और 88 दिनों तक खुला रहा जो कि अब तक का सबसे लंबा समय है. रूस बर्फ की बाधाओं को पार करने और घातक टक्करों से परहेज़ करने के लिए सामान से लदे बर्फ़ को तोड़ने वाले जहाज़ों (आइसब्रेकर) को भी बना रहा है. 

मौजूदा रूट के साथ समस्याएं 

1869 से स्वेज़ नहर का रूट पश्चिम एशिया से यूरोप और उत्तरी अमेरिका और इसके उलट दिशा में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए सामान्य रूट रहा है. लेकिन स्वेज़ नहर में रास्ते को जाम करने वाले बिंदु (चोक प्वाइंट) भी हैं जिनके ठप होने पर दुनिया भर के व्यापार में रुकावट आ सकती है. अध्ययनों के मुताबिक ‘चोक प्वाइंट’ वो जगह है जिनमें निम्नलिखित तीन में से एक विशेषता होती है: 

  • चोक प्वाइंट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर होना चाहिए. 
  • चोक प्वाइंट पर कुछ देशों का या किसी एक देश का नियंत्रण होता है. उदाहरण के तौर पर, स्वेज़ नहर पर मिस्र का नियंत्रण है. 
  • चोक प्वाइंट वाले रास्ते पर बड़ी संख्या में देश भरोसा करते हैं. 

परंपरागत स्वेज़ नहर के रूट का इस्तेमाल करने वाले अंतर्राष्ट्रीय कार्गो को यूरोप और एशिया के बीच तीन महत्वपूर्ण चोक प्वाइंट का सामना करना पड़ता है. इनमें पश्चिम एशिया में स्वेज़ नहर और बाब अल-मंदेब, जिसे ‘गेट ऑफ ग्रीफ’ भी कहा जाता है, जबकि इंडो-पैसिफिक में मलक्का स्ट्रेट शामिल हैं. 

स्रोत: जियोपॉलिटिकल इंटेलिजेंस सर्विस AG (GIS) 

बाब अल-मंदेब स्ट्रेट में 2005 से कई बार जहाज़ों पर समुद्री डाकुओं का हमला हो चुका है. इसे लाल सागर में हूथी विद्रोहियों द्वारा लगाई गई समुद्री बारूदी सुरंगों से भी ख़तरा है. 2015 से 2018 तक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के बलों ने लाल सागर में लगभग 90 समुद्री बारूदी सुरंगों को हटाया है. कुछ कार्गो जहाज़ लाल सागर में इन बारूदी सुरंगों से टकरा चुके हैं और बारूदी सुरंगों की वजह से स्थानीय मछुआरे भी हताहत हुए हैं. 

मलेशिया के तट पर मलक्का स्ट्रेट पूर्वी एशियाई देशों जैसे कि चीन और जापान के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी ऊर्जा की सप्लाई का ज़्यादातर हिस्सा इस स्ट्रेट के ज़रिये आता है. किसी भी तरह की घेराबंदी की स्थिति में दुनिया के व्यापार पर 25 प्रतिशत और तेल के व्यापार पर 33 प्रतिशत असर पड़ेगा. 

स्वेज़ नहर में समुद्री व्यापार के चोक प्वाइंट वैश्विक व्यापार में रुकावट डाल सकते हैं और संकरे रास्ते में कमजोर स्थिति में कमर्शियल जहाज़ों को फंसा सकते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि ऐसा वैकल्पिक रास्ता विकसित किया जाए जो न सिर्फ़ दूरी और यात्रा के समय को कम करे बल्कि घेराबंदी के जोखिमों को भी हटाए. इस मामले में NSR एक असरदार विकल्प मुहैया करा सकता है. 

भविष्य की सामरिक चिंताएं

आर्कटिक महासागर से अलग समुद्री पानी में पहुंचने की रूस की सदियों पुरानी तलाश की तरह चीन भी यूरोप के बाज़ारों तक तेज़ी से पहुंचने के रास्तों की खोज कर रहा है. चीन भले ही आर्कटिक काउंसिल का सदस्य नहीं है लेकिन उसने NSR में काफी दिलचस्पी दिखाई है क्योंकि ये मलक्का स्ट्रेट, जो कि स्वेज़ नहर के रूट के पूर्वी किनारे का मुख्य चोक प्वाइंट है, पर उसकी निर्भरता को कम करने का एक प्रभावी समाधान पेश करता है. मलक्का स्ट्रेट की घेराबंदी चीन के कुल व्यापार का 90 प्रतिशत और 80 प्रतिशत क्रूड ऑयल के आयात को रोक सकती है. 

NSR रूस और चीन को वो मुहैया कराता है जो उन्होंने आम तौर पर नॉर्थ-ईस्टर्न पैसेज से चाहा है. दोनों देश इसके विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. 25 अप्रैल 2019 को बीजिंग में आयोजित दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी एशिया को यूरोप से जोड़ने के उद्देश्य से एक वैश्विक और प्रतिस्पर्धी रूट के निर्माण के लिए चीन के सिल्क रोड के साथ NSR में शामिल होने की संभावना की समीक्षा में रूस की दिलचस्पी जाहिर की.  

NSR जितना चीन और रूस के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही जापान और दक्षिण कोरिया के लिए भी. जापान और दक्षिण कोरिया पूर्व के बड़े औद्योगिक देश हैं और नॉर्थ-ईस्टर्न पैसेज का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं.

ये घटनाक्रम इस बात का संकेत देते हैं कि भविष्य में रूस और चीन NSR पर सामूहिक प्रभाव हासिल कर सकते हैं और इस तरह दुनिया के व्यापार के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ला सकते हैं. चीन और रूस के बीच बढ़ते संबंधों पर विचार करते हुए NSR पर उनका संभावित असर पश्चिमी देशों के लिए दुनिया में चीन के दबदबे और आर्थिक वर्चस्व को लेकर बड़ी चिंता खड़ी करता है.

NSR के विकास की योजना को रूस के द्वारा पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद अपने आर्थिक प्रदर्शन को बेहतर करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में डॉलर के कम इस्तेमाल के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार के रूट पर नियंत्रण से रूस को टैक्स के रूप में कमाई का मौका मिलेगा क्योंकि NSR रूस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन) से होकर गुज़रता है. 

NSR जितना चीन और रूस के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही जापान और दक्षिण कोरिया के लिए भी. जापान और दक्षिण कोरिया पूर्व के बड़े औद्योगिक देश हैं और नॉर्थ-ईस्टर्न पैसेज का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. पश्चिमी देशों की शिपिंग कंपनियों के अविश्वास के बावजूद डेनमार्क की शिपिंग कंपनी A.P. मोलर-मेर्सक ने अगस्त 2018 में पैसेज में अपना पहला कंटेनर शिप भेजा. 

विशेषज्ञों की भविष्यवाणी के मुताबिक NSR 2030 के आसपास पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल के लिए तैयार होगा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस रूट के ज़रिये होगा. स्वेज़ नहर का इस्तेमाल समुद्री परिवहन के लिए होता रहेगा, खास तौर पर तुर्की समेत भूमध्यसागर बेसिन और दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच. नये रूट में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को लेकर पश्चिमी देशों का जवाब आना अभी बाकी है. अभी तक जिस अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के रास्ते को पूरी तरह तलाशा नहीं गया है, वहां चल रहा ये सामरिक खेल विश्व व्यापार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा करता है. ये पारंपरिक पश्चिमी ताकतों और रूस- जो कि यूरोप के लिए पराया है- एवं चीन के बढ़ते वैश्विक असर के बीच विवाद का एक नया क्षेत्र खोलता है.


कनिष्क शेट्टी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के जियोइकोनॉमिक्स प्रोग्राम में इंटर्न हैं.

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