हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उत्तर-दक्षिण व्यापार गलियारे (NSTC) के साथ ईरान को जोड़ने वाली रेलवे लाइन तैयार करने का ऐलान किया. ये एक ऐसा गलियारा होगा जो भारत को ईरान और अज़रबैजान के रास्ते रूस से जोड़ेगा. यूरेशियाई क्षेत्र में भारत की विदेश व्यापार नीति के लिए ये एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है. यूरेशियाई क्षेत्र में व्यापार गलियारों का उलझाव प्रतिस्पर्धी हितों के विकास से जुड़ी यथास्थिति को चुनौती देता है. इसमें मुख्य रूप से उभरते चीन का मध्य गलियारा (चित्र 1) और NSTC के ख़िलाफ़ घटते चीन का उत्तरी गलियारा (रूस के रास्ते चीन से यूरोप) शामिल हैं.
चित्र 1: मध्य गलियारा आवागमन व्यापार मार्ग, मध्य एशियाई मैदान, कैस्पियन सागर और कॉकेशस पर्वतों से होकर गुज़रता है. संदर्भ: www.top-center.org
यूरेशियाई भू-अर्थशास्त्र में हाल तक मध्य गलियारे को कमज़ोर करके रखा गया था. इस इलाक़े में आवागमन के मल्टी मॉडल उपायों (सड़क मार्ग, रेलवे और समुद्री जहाज़ों) को चीन के उत्तरी गलियारे की तुलना में अक्षम माना जाता था. बहरहाल, रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से साल 2022 में मध्य कॉरिडोर में कार्गो यातायात लगभग 32 लाख टन तक बढ़ गया है. इस बढ़ोतरी का ज़्यादातर हिस्सा उत्तरी गलियारे से स्थानांतरित हुआ है. मध्य गलियारे से आवाजाही में शामिल देश, सीमा शुल्क के मानकों को सामान्य रूप देकर और कार्गो को एकीकृत करके अपनी कनेक्टिविटी में मज़बूती ला रहे हैं. इसके अलावा अक्टू बंदरगाह (कज़ाख़िस्तान, पूर्वी कैस्पियन सागर), एलियॉट बंदरगाह (अज़रबैजान, पश्चिमी कैस्पियन सागर) जैसे बंदरगाहों के विकास के साथ-साथ फ़ुज़ुली और ज़ंगिलन हवाई अड्डे (अज़रबैजान) का भी विकास किया जा रहा है. इसी कड़ी में बाकू जहाज़ निर्माण परिसर के साथ कार्गो बेड़े का भी विस्तार हो रहा है.
मध्य गलियारे में जारी ऐसे गतिशील परिवर्तनों के साथ ये पूरी क़वायद यूरेशियाई क्षेत्र के भू-अर्थशास्त्र की नई परिभाषा गढ़ सकती है. ये बदलाव मध्य एशियाई और चीनी अर्थव्यवस्थाओं को यूरोपीय बाज़ारों से जोड़ सकता है.
मध्य गलियारे में जारी ऐसे गतिशील परिवर्तनों के साथ ये पूरी क़वायद यूरेशियाई क्षेत्र के भू-अर्थशास्त्र की नई परिभाषा गढ़ सकती है. ये बदलाव मध्य एशियाई और चीनी अर्थव्यवस्थाओं को यूरोपीय बाज़ारों से जोड़ सकता है. हालांकि एक वैकल्पिक परिदृश्य में अगर मध्य एशियाई देशों के लिए कुछ व्यवहार्य विकल्प मौजूद हों तो इस जुड़ाव को टाला भी जा सकता है. ऐसा ही एक व्यवहार्य विकल्प अंतरराष्ट्रीय NSTC हो सकता है. ये पश्चिमी दुनिया के प्रभाव क्षेत्र और कर्ज़ के मकड़जाल में फंसाने वाली चीनी BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) कूटनीति, दोनों को दरकिनार करता है. अज़रबैजान आवाजाही से जुड़े इन प्रतिस्पर्धी गलियारों के चौराहे पर खड़ा है. उसे चीन की वैश्विक भू-आर्थिक आकांक्षाओं के साथ-साथ व्यापार गलियारों में शामिल देशों के लिए भू-राजनीतिक निहितार्थों का प्रबंधन करना होगा.
तुर्किए के भू-आर्थिक हित
तुर्किए ख़ुद को चीनी और यूरोपीय, दोनों शक्ति समूह के लिए अपरिहार्य बनाना चाहता है. इसके अलावा वो ‘तुर्क राज्यों के संगठन’ के साथ अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करके अपना क्षेत्रीय प्रभाव खड़ा करने की आकांक्षा रखता है. यूरेशियन क्षेत्र से होकर गुज़रने वाला मध्य गलियारा चीन से यूरोप पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता मुहैया कराता है. पिछले दशक में इस इलाक़े के कार्गो परिवहन में छह गुणा बढ़ोतरी देखने को मिली. इस तरह कंटेनर ढुलाई में अगुवा बनने की तुर्किए की महत्वाकांक्षाओं को काफ़ी बल मिला.
मध्य गलियारे की मदद से आवाजाही क्षमता 60 लाख टन से 5 करोड़ टन तक बढ़ जाने का अनुमान है, जो क्षेत्र में तुर्की के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ ‘आयरन सिल्क रोड’ की चीनी दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाएगा. तुर्किए अपनी भौगोलिक बनावट के कारण यूरोपीय मूल्य श्रृंखला के सूत्रधार के रूप में अहम भूमिका निभा रहा है. ताज़ा क़वायद के ज़रिए वो यूरोपीय संघ के सामने द्विध्रुवीय प्रकृति छोड़ रहा है. हालांकि इस बारे में एक वैकल्पिक नज़रिया भी हो सकता है. दरअसल मध्य एशिया के कई देश चीन के ‘पश्चिम की ओर क़दमताल’ के माध्यम से यूरोप के साथ अपनी आर्थिक प्रगति का प्रबंधन कर रहे हैं. हाल ही में C+C5 शिखर सम्मेलन में नेताओं की बैठकों में सभी किरदारों के बीच मज़बूत तालमेल और आम सहमति बनी.
तुर्किए अपनी भौगोलिक बनावट के कारण यूरोपीय मूल्य श्रृंखला के सूत्रधार के रूप में अहम भूमिका निभा रहा है. ताज़ा क़वायद के ज़रिए वो यूरोपीय संघ के सामने द्विध्रुवीय प्रकृति छोड़ रहा है.
तुर्किए भूमध्यसागरीय क्षेत्र के बाज़ार का एक शीर्ष किरदार बनना चाहता है. इसके लिए वो बंदरगाह बुनियादी ढांचे में भारी-भरकम निवेश का इरादा रखता है. इस कड़ी में मर्सिन में 0.38 अरब अमेरिकी डॉलर, फिलयोस में 0.15 अरब अमेरिकी डॉलर और इज़मिर में 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश शामिल हैं. इसके अलावा चीनी कंपनी के पास कुम पोर्ट टर्मिनल के दो-तिहाई हिस्से का स्वामित्व है. चीन की मदद से तुर्किए ने यवुज़ सुल्तान सेलेम ब्रिज और मारमारय सुरंग का निर्माण किया है. इन निर्माणों ने मध्य गलियारे के साथ समुद्री मार्ग के माध्यम से आवागमन के समय को दो महीने से घटाकर दो सप्ताह कर दिया है. इसके अलावा, क्षेत्र में ऊर्जा संकट के बीच यूरोपीय शक्तियों को ‘दक्षिणी गैस गलियारे’ के माध्यम से गैस की महत्वपूर्ण आपूर्तियां हासिल हो रही हैं. ये गलियारा बाकू में कैस्पियन सागर से शुरू होकर तुर्किए के रास्ते से आगे जाता है. यूरोपीय संघ से किए गए वादे के अनुसार 2027 तक इसकी क्षमता दोगुनी होने का अनुमान है. ये सुविधा समुद्र के नीचे ‘ब्लैक सी इलेक्ट्रिक केबल’ के अतिरिक्त है. इसका उद्देश्य कैस्पियन सागर से हासिल पवन और सौर ऊर्जा को अज़रबैजान के रास्ते से साझा करना है.
चौराहे पर खड़ा अज़रबैजान
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग (pariah) पड़े ईरान और रूस की भागीदारी के बिना चीन और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला इकलौता ज़मीनी मार्ग अज़रबैजान से होकर गुज़रने वाला रेलवे मार्ग हैं. रूस के रास्ते से यूरोप तक पहुंचने वाला चीनी व्यापार गलियारा रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण इस दशक में एक हारी हुई बाज़ी बन जाएगा. मलक्का जल-संधि (strait) के रास्ते से यूरोप तक पहुंचने वाला समुद्री मार्ग भी भूराजनीतिक और मूल्य श्रृंखला के दृष्टिकोण से भारी जोख़िम भरा बना हुआ है. उधर, चीन के लिए मध्य गलियारे में अड़चनों की आशंका कम है क्योंकि ये अफ़ग़ानिस्तान, रूस और ईरान जैसे देशों और मलक्का स्ट्रेट जैसे दमघोंटू रास्तों से अलग होकर निकलता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग (pariah) पड़े ईरान और रूस की भागीदारी के बिना चीन और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला इकलौता ज़मीनी मार्ग अज़रबैजान से होकर गुज़रने वाला रेलवे मार्ग हैं.
बाकू से होकर गुज़रने वाला एक अन्य मार्ग उत्तर-दक्षिण व्यापार गलियारा (NSTC) है, जो इस क्षेत्र में मल्टीमोडल परिवहन से जुड़े अश्गाबात समझौते में भारतीय भागीदारी से मेल खाता है. ये भारत को फ़ारस की खाड़ी और मध्य एशियाई बाज़ारों तक पहुंच प्रदान करता है. इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाएं चल रही हैं. NSTC पारंपरिक मूल्य श्रृंखला कनेक्टिविटी पर समय और लागत की बचत करता है. इससे आख़िरकार आवागमन में शामिल सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार आता है. NSTC का एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य ईरान है जिसके अपने पड़ोसी अज़रबैजान के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं. इस प्रकार, NSTC आवागमन मार्ग में ज़्यादा तटस्थ देशों के साथ जुड़ने की क़वायद से किसी भी शक्ति केंद्र (power bloc) के साथ तालमेल किए बिना व्यापार में ज़्यादा विविधता लाने की छूट मिलेगी. जनवरी 2023 में यूरेशियाई आर्थिक संघ (EEU) और ईरान के बीच मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया. समझौता लागू होने के बाद दोनों पक्षों के संबंधों और आवागमन मार्ग में तेज़ी आएगी. इसी तरह रूस और भारत के बीच संभावित मुक्त व्यापार समझौता ‘पारस्परिक हितों वाले मित्रों’ के लिए ऐसे मार्ग तैयार करने की क़वायद में गति लाएगा.
निष्कर्ष
स्पष्ट रूप से BRI के विकास से जुड़े प्रयास अब मध्य गलियारे की बदौलत ज़िंदा हैं. हालांकि ये C+C5 क्षेत्रीय देशों के रणनीतिक और राजनयिक लक्ष्यों से भिन्न हैं. इसके अलावा मध्य गलियारे में भी अन्य जटिलताएं हैं: तुर्कमेनबाशी बंदरगाह अल्प-विकसित है, तुर्कमेनिस्तान में आवागमन के शुल्क ऊंचे हैं; किर्गिस्तान राजनीतिक रूप से शक्की रुख़ रखता है; अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच क्षेत्रीय तनाव (जिससे ज़ांगेज़ुर गलियारा प्रभावित हो रहा है); और तुर्क एकीकरण पर तुर्किए का ज़ोर चीन में वीगर अल्पसंख्यकों के अलगाववादी बर्ताव को बढ़ावा दे सकता है. इतना ही नहीं, मध्य गलियारे के मल्टी मॉडल आवागमन से जुड़े दृष्टिकोण में भी कमियां हैं. कैस्पियन सागर के आर-पार रेलवे सुविधा के निर्माण में रुकावटें खड़ी हैं क्योंकि रूस और ईरान के पास कैस्पियन सागर में विकास परियोजनाओं को लेकर वीटो के अधिकार हैं. NSTC के जवाबी रास्ते में बुनियादी ढांचे का हिस्सा अल्प-विकसित था. बहरहाल, रूस और ईरान द्वारा NSTC की कुशल कार्य प्रणाली विकसित करने की हालिया घोषणा के साथ अब इस पर भी काम चल रहा है. NSTC आवागमन गलियारे के व्यापक दृष्टिकोण के साथ इसका अच्छा तालमेल होगा. इससे यहां की आर्थिक क्षमता उभरकर सामने आएगी, जिसके नतीजतन भारत को इस क्षेत्र में एक व्यवहार्य आवागमन समाधान तैयार करने में मदद मिलेगी.
सागर के. चौरसिया, ओआरएफ के सेंटर फॉर इकोनॉमी, एंड ग्रोथ में एसोसिएट फेलो हैं.
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