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Published on Jan 13, 2025 Updated 1 Days ago

किसी भी प्रगति के टिकाऊ होने के लिए वैश्विक शांति और सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए. 2025 में शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. 

एक बहुध्रुवीय विश्व की ओर: 2025 में आगे का रास्ता

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ये लेख निबंध श्रृंखला “बुडापेस्ट एडिट” का हिस्सा है. 


दुनिया किस तरफ जा रही है, ये समझने के लिए हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि अभी हम कहां खड़े हैं. वैसे तो 2024 इनोवेशन के लिए अच्छा साल रहा, रचनात्मकता के एक नए युग की शुरुआत हुई लेकिन वैश्विक तकनीकी प्रतिभा एवं ऊर्जा परिवर्तन के लिए चुनौतीपूर्ण साल रहा और वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए तो विनाशकारी रहा. एक साथ सामने आ रहे अंतर्राष्ट्रीय संकटों की पृष्ठभूमि में हमने 2025 में प्रवेश किया है जहां और अधिक अज्ञात चीज़ों का सामना कर रहे हैं, महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता ग्लोबल साउथ (विकासशील देश) के लिए नीतिगत विकल्पों को और चुनौती दे सकती है और इस तरह अपने भविष्य को लेकर बातचीत करने की विकासशील देशों की क्षमता को कमज़ोर कर सकती है. 

इसके बावजूद साझा हितों के साथ सहयोग के अवसर उभरने शुरू हो गए हैं. दुनिया भर में मध्य और छोटी शक्तियां वैश्विक शासन व्यवस्था और वैश्विक वित्तीय संरचना के सुधार को लेकर बातचीत के माध्यम से ख़ुद को मुखर बनाने के रास्ते खोज रही हैं. ग्लोबल साउथ के देश तेज़ी से बहुपक्षवाद और बहुध्रुवीयता पर चर्चा को निर्धारित कर रहे हैं, अक्सर अपने लिए क्षेत्रीय महत्व सुरक्षित करने और कभी-कभी तो दुनिया की आवाज़ के तरीके के रूप में भी लघुपक्षीय (मिनीलेटरल) सहयोग को चुन रहे हैं. ये गतिशीलता आने वाले वर्ष को परिभाषित कर सकती है और डिजिटाइज़ेशन एवं डिकार्बनाइज़ेशन (कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी) में आने वाले अवसरों का दोहन करने में मदद कर सकती है. 

आगे 2025 की तरफ देखें तो प्रभाव का इस्तेमाल करने के विकासशील देशों के अधिकार को स्वीकार करना कुछ हद तक उम्मीद पेश करता है. 

2024 को प्रतिस्पर्धा, रुकावट और वर्चस्व के नज़रिए से तैयार किया गया था. आगे 2025 की तरफ देखें तो प्रभाव का इस्तेमाल करने के विकासशील देशों के अधिकार को स्वीकार करना कुछ हद तक उम्मीद पेश करता है. इसके बावजूद सोच में सचेत बदलाव बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के इर्द-गिर्द आम राय बनाने में मदद के लिए आवश्यक है जो सभी के लिए सहयोग के लाभ की गारंटी देती है. जिस दुनिया में हम रहते हैं, उसकी वास्तविकताओं के रूप में जटिलताओं और विरोधाभासों को स्वीकार करके ही हम इनोवेशन और रचनात्मकता के माध्यम से आगे बढ़ सकते हैं, तकनीकी प्रतिभा में निवेश कर सकते हैं और ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ा सकते हैं. लेकिन किसी भी प्रगति के टिकाऊ होने के लिए वैश्विक शांति और सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए. इस तरह 2025 में शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. 


सुज़सा एना फेरेंसज़ी ताइवान के नेशनल दोंग ह्वा यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और वृजे यूनिवर्सिटी, ब्रसेल्स की एफिलिएटेड स्कॉलर हैं. 

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