Author : Satish Misra

Published on Jun 11, 2019 Updated 0 Hours ago

मोदी अगर अपने कहे शब्दों को हकीकत में ढाल पाते हैं, तो वे एक ऐसे स्थान पर पहुंच जाएंगे जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी अन्य नेता को कभी नहीं मिला.

मोदी 2.0: हर दिन बढ़ती जन-अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कठिन चुनौती

लोकसभा चुनाव-2019 में बीजेपी के लिए 303 सीटें जीतने और एनडीए को कुल 350 के साथ बहुमत दिलाने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने दिनों-दिन बढ़ती जन-अपेक्षाओं को पूरा करने का एक बड़ा दायित्व और चुनौती आ खड़ी हुई है.

लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत पाने और जल्द ही राज्यसभा में बहुमत हासिल करने जा रही मोदी 2.0 सरकार के पास पार्टी द्वारा किए गए वायदों को पूरा करने और देश को गौरव और विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.

यहां ये कहना जरूरी होगा कि प्रधानमंत्री मोदी एनडीए के नेता चुने जाने और प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद भी काफ़ी हद तक सजग दिखाई दिए. ख़ासतौर पर तब जब उन्होंने कहा कि, “नई सरकार हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करेगी. ‘सबका साथ, सबका विकास’ एक ऐसा मंत्र है जो भारत के हर क्षेत्र के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करता है.”

निर्वाचित होने के बाद मोदी के पहले भाषण का एक महत्वपूर्ण पहलू जिसे यहां रेखांकित किए जाने की ज़रूरत है, वह क्षेत्रीय राजनीति के प्रति उनकी इच्छा और दिलचस्पी है. साथ ही में उन लोगों के प्रति ग़ैर-भेदभाव एवं एकसमान बर्ताव का आश्वासन देना है, जिन्होंने हालिया चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडटीए को वोट नहीं दिया था. उन्होंने एडीए सांसदों को इसकी याद दिलाते हुए कहा — “अब हमारा कोई पराया नहीं हो सकता. जो वोट देते हैं, वो भी हमारे हैं, जो हमारे घोर विरोधी हैं, वो भी हमारे हैं.”

एक तरफ़ देश के सामने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर कई बड़ी चुनौतियां हैं, नई सरकार को पिछले कुछ वर्षों से कम हो रही आर्थिक वृद्धि को दोबारा बहाल करने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने होंगे. नवनियुक्त वित्त-मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा नई सरकार का पहला बजट आगामी 5 जुलाई को लोकसभा में पेश किया जाएगा, जो इस बात का संकेत प्रस्तुत करेगा कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर वापस लाने का ईमानदार प्रयास किया जा रहा है या नहीं?

भारत में बेरोजगारी एक वास्तविक चुनौती और ज़मीनी सच्चाई है. कोई भी यह आसानी से समझ सकता है कि सरकार किस प्रकार चुनाव प्रचार के दौरान बेरोज़गारी के आंकड़ों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन अब अप्रिय किंतु वास्तविक तथ्यों को स्वीकार करने का समय आ गया है. जब तक सरकार द्वारा इस समस्या की पहचान नहीं की जाती है, तब तक इसका समाधान नहीं किया जा सकता है.

इसलिए केंद्रीय बजट के अंतर्गत विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी, जिसके पुनरुद्धार के बिना कभी भी रोजगार का सृजन नहीं किया जा सकता है, विशेष रूप से उस समय जब अधिक से अधिक युवा रोज़गार के बाज़ार में प्रवेश कर रहे हों. बजट में नीतिगत रूपरेख़ा तैयार करते समय युवा लाभांश के कारक को भी ध्यान में रखा जाना ज़रूरी है.

एक अन्य क्षेत्र जिस पर बजट में ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है वह है निर्यात. अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर विशेष शुल्क लाभ को रोकने का निर्णय इस समय एक गंभीर एवं तगड़ा झटका है, जब देश का सकल घरेलू उत्पाद पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीएसपी (वरीयता की सामान्य प्रणाली) को समाप्त करने में देरी कर दी थी जिससे कि चुनाव परिणाम किसी प्रकार से प्रभावित न होने पाएं, लेकिन अब जब कि उन्होंने निर्णय ले लिया है तो निश्चित रुप से यह अमेरिका द्वारा भारत को किए जाने वाले निर्यात को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा. जीएसपी योजना संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात किए गए 6 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के उत्पादों के लिए अधिमान्य शुल्क से छूट प्रदान करती है.

गैर-वसूली योग्य ऋण, अर्थव्यवस्था पर लगातार बढ़ता हुआ एक दबाव है जिसे देश की वित्त-मंत्री नज़रअंदाज नहीं कर सकती हैं. इसी तरह, कृषि संकट अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था की एक बड़ी चुनौती बना हुआ है जिसका समय से समाधान निकालना ज़रूरी है. साथ ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की ज़रूरत भी है. वास्तविक विकास की क्षमता कृषि क्षेत्र में ही निहित है क्योंकि उद्योगों और विनिर्माण क्षेत्र के पुनरुद्धार की चाबी खपत या उपभोग है. निजी निवेश की गति धीमी हो गई है और केंद्रीय बजट से यह अपेक्षित है कि वह अपनी योजनाओं के माध्यम से इसे वापस पटरी पर लाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए.

अर्थव्यवस्था को पुन: ताक़तवर बनाकर ही दोबारा पटरी पर लाकर ही विकास किया जा सकता है. इसके बिना अल्पसंख्यकों सहित गरीबों और शोषितों का उत्थान असंभव है. स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्रों में व्यापक संसाधनों का निवेश ज़रूरी है. सभी को आवास मुहैया करवाने के लिए भी संसाधनों की आवश्यकता है और जब तक सरकारी राजस्व में पर्याप्त वृद्धि नहीं हो जाती, जैसा कि बीजेपी के घोषणा-पत्र में वायदा किया गया था, तब तक निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना असंभव है.

अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के तात्कालिक और सर्वाधिक आवश्यक कार्य के अतिरिक्त, सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक शांति दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिसे अपने वैचारिक झुकाव के बावजूद, मोदी सरकार को केंद्र और राज्य में सुनिश्चित करने की ज़रूरत है. इसके बिना प्रगति और विकास न केवल असंभव है बल्कि कायम भी नहीं रह सकता है.

हालांकि, प्रधानमंत्री ने अपने पार्टी के नेताओं और नव-निर्वाचित सांसदों को आगाह किया है कि वे अपने संबंधित बयानों में संयम दिखाते हुए जिम्मेदारी से बोलें. फिर भी यह देखा जाना अभी बाकी है कि जो लोग प्रधानमंत्री के उक्त सुझाव का पालन नहीं करते हैं, उनके विरूद्ध क्या कार्रवाई की जाती है.

शपथ-ग्रहण के बाद दिए अपने पहले भाषण में मोदी ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा — “जिन्होंने वोट दिया या जिन्होंने हमारा प्रबल विरोध किया, वे दोनों ही हमारे हैं.” अपने सहयोगियों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि “हमें उन लोगों के लिए काम करना होगा जिन्होंने इन चुनावों में हमारा समर्थन किया है और उनका भी जिन्होंने हमारा साथ इस भाव से नहीं दिया है.”

लोगों में आत्मविश्वास जगाने के दृढ़ प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका पहला कार्यकाल गरीबी की गति में सेंध लगाने का प्रयास था और इस कार्यकाल में वे चाहते हैं कि एनडीए केवल वाह-वाही न करे बल्कि इस देश के अल्पसंख्यकों के मन में बने भय के भ्रम का भी निराकरण करे.

उम्मीद करते हैं कि मोदी के शब्दों पर विश्वास किया जा सकता है और भविष्य में इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे. यदि वह वास्तव में अपने द्वारा कहे शब्दों के अनुसार कार्य करते हैं या कहे शब्दों को हकीकत की शक्ल में ढाल पाते हैं, तो वे निस्संदेह एक ऐसे स्थान पर पहुंच जाएंगे जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी अन्य नेता को कभी नहीं मिला. यह स्वर्णिम अवसर मोदी को आमंत्रित कर रहा है और उन्हें इसे हासिल करने के लिए केवल प्रयास करना है. मोदी 2.0 सरकार से सारे देश की अपेक्षा भी शब्दश: यही है, जिस पर वह कितनी खरी उतर पाती है, यह केवल आने वाला वक्त ही बता पाएगा.

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